"चादर": अवतरणों में अंतर

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एक चादर या चद्दर, कपड़े का एक बड़ा चौकोर टुकड़ा होता है जिसका प्रयोग बिस्तर तैयार करते समय एक [[गद्दा|गद्दे]] को ढकने के लिए किया जाता है। आम तौर पर इसी के उपर एक व्यक्ति लेटता है। चादर दो प्रयोजनो के लिये इस्तेमाल की जाती हैं, ओढ़ने और बिछाने के लिये।


पहले चादरें आम तौर पर सफेद ही होती थीं पर अब रंगीन और छींटदार चादरें भी प्रयोग मे लायी जाती हैं। ओढ़ने वाली चादरें आज भी सामान्य रूप से सफेद या हल्के रंगों की ही होती हैं। बिस्तर लगाते समय सर की तरक से चादर को गद्दे के नीचे अधिक दबाया जाता है जबकि पैर की तरफ् से कम। दाएं और बाएं दोनो पासों को दबाया भी जा सकता है या बस ऐसे ही छोडा़ भी जा सकता है।
बिछावन पर गद्दे के उपर बिछानो में प्रयुक्त होता है चादर ।


चादर बनाने मे मुख्यतः कपास (सूत), लिनन (छालुकी), और कपास और पॉलिएस्टर के मिश्रण का प्रयोग किया जाता है। अन्य सामग्रियों मे कभी कभी रेयान, रेशम और बांस तंतु का प्रयोग भी किया जाता है।
चादर एक चढावे के लिये भी प्रयुक्त शब्द है जो सूफी संतो को भेंट की जाती है । जैसे - [[शोएब अख़्तर]] ने [[ख्वाज़ा मोइनुद्दीन चिश्ती]] की दरगाह पर एक चादर भेंट की ।


चादर को चढा़वे के रूप मे भी प्रयुक्त किया जाता है और यह आम तौर पर सूफी संतो की दरगाह पर चढाई (भेंट) जाती है। चढा़वे की चादर फूल से भी बनी हो सकती हैं।
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09:50, 6 दिसम्बर 2008 का अवतरण

एक चादर या चद्दर, कपड़े का एक बड़ा चौकोर टुकड़ा होता है जिसका प्रयोग बिस्तर तैयार करते समय एक गद्दे को ढकने के लिए किया जाता है। आम तौर पर इसी के उपर एक व्यक्ति लेटता है। चादर दो प्रयोजनो के लिये इस्तेमाल की जाती हैं, ओढ़ने और बिछाने के लिये।

पहले चादरें आम तौर पर सफेद ही होती थीं पर अब रंगीन और छींटदार चादरें भी प्रयोग मे लायी जाती हैं। ओढ़ने वाली चादरें आज भी सामान्य रूप से सफेद या हल्के रंगों की ही होती हैं। बिस्तर लगाते समय सर की तरक से चादर को गद्दे के नीचे अधिक दबाया जाता है जबकि पैर की तरफ् से कम। दाएं और बाएं दोनो पासों को दबाया भी जा सकता है या बस ऐसे ही छोडा़ भी जा सकता है।

चादर बनाने मे मुख्यतः कपास (सूत), लिनन (छालुकी), और कपास और पॉलिएस्टर के मिश्रण का प्रयोग किया जाता है। अन्य सामग्रियों मे कभी कभी रेयान, रेशम और बांस तंतु का प्रयोग भी किया जाता है।

चादर को चढा़वे के रूप मे भी प्रयुक्त किया जाता है और यह आम तौर पर सूफी संतो की दरगाह पर चढाई (भेंट) जाती है। चढा़वे की चादर फूल से भी बनी हो सकती हैं।