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20:04, 29 नवम्बर 2008 का अवतरण
महाभारत हिन्दुओं का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है, जो स्मृति वर्ग में आता है । कभी कभी सिर्फ़ भारत कहा जाने वाला यह काव्यग्रंथ भारत का अनुपम धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ है. हिन्दू धर्म का यह मुख्यतम ग्रंथों में से एक है. यह विश्व का सबसे लंबा साहित्यिक ग्रंथ है. हालाँकि इसे साहित्य की सबसे अनुपम कॄतियों में से एक माना जाता है किन्तु आज भी यह प्रत्येक भारतीय के लिये एक अनुकरणीय स्रोत है. यह कॄति हिन्दुओं के इतिहास की एक गाथा है. पूरे महाभारत में एक लाख श्लोक हैं जो इलियड और ओडिसी से सात गुणा ज्यादा है। इसीमें भगवद्गीता सन्निहित है।
परिचय
महाभारत की विशालता और दार्शनिक गूढता न सिर्फ़ भारतीय मूल्यों का संकलन है बल्कि हिन्दू धर्म और वैदिक परंपरा का भी सार है। महाभारत की विशालता का अंदाजा उसके प्रथम पर्व में उल्लेखित एक श्लोक से लगाया जा सकता है : "जो यहाँ (महाभारत में) है वह आपको संसार में कहीं न कहीं अवश्य मिल जायेगा, जो यहाँ नहीं है वो संसार में आपको अन्यत्र कहीं नहीं मिलेगा"
महाभारत सिर्फ राजा-रानी, राजकुमार-राजकुमारी, मुनियों और साधुओं की कहानी से बढकर कहीं ज्यादा व्यापक और विशाल है, इसके लेखक व्यास का कहना है कि महाभारत धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष की कथा है। कहानी की निष्पत्ति मोक्ष पर जाकर होती है जो हिन्दुओं द्वारा मानव जीवन का परम लक्ष्य माना गया है।
पॄष्ठभूमि और इतिहास
कहा जाता है कि यह महाकाव्य, भगवान वेद व्यास, जो स्वयं इस महाकाव्य में एक प्रमुख पात्र हैं, द्वारा बोलकर, भगवान गणेश द्वारा लिखवाया गया ऐसा महाभारत के प्रथम अध्याय में उल्लेखित है. कहा जाता है कि जब व्यास ने भगवान गणेश के सामने यह प्रस्ताव रखा था तो गणेश तुरन्त तैयार हो गये थे, लेकिन शर्त यही थी कि व्यास कथा कहते समय एक पल भी विश्राम के लिये नहीं रुकेंगे. व्यास ने भी इस शर्त को स्वीकार कर लिया लेकिन उन्होंने भी भगवान गणेश के साथ एक शर्त रख दी कि वे लिखने से पहले उनके कहे वाक्यों को पूरी तरह समझने के बाद ही लिखेंगे. इस तरह लिखवाते समय व्यास को कुछ सोचने का मौका मिल गया. यह कथा जनमानस में प्रचलित एक कथा से भी मेल खाती है जिसमें बताया गया है कि गणेश जी का एक दाँत कैसे टूटा (गणेश जी की पारंपरिक छवि), कहा जाता है कि महाभारत लिखने के चक्कर में जल्दबाजी में ताकि लिखने में बाधा न आये एक बार कलम उनके हाथ से छूट गयी और वे अपना एक दाँत तुड़वा बैठे।
ऐसा माना जाता है कि इस महाकाव्य की शुरुआत एक छोटे सी रचना जय से हुई थी. हालाकि इसकी कोई निश्चित तिथी मालूम नहीं है लेकिन इसे आमतौर पर वैदिक युग में लगभग १४०० इसवी ईसा पूर्व के समय का माना जाता है। विद्वानों ने इसकी तिथी निरधारित करने के लिये इसमें वर्णित सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहणों के बारे में अध्यन किया है और इसे ३१ वीं सदी इसा पूर्व का मानते हैं, लेकिन मतभेद अभी भी जारी है।
इस काव्य में बौद्ध धर्म का वर्णन नहीं, पर जैन धर्म का वर्णन है, अतः यह काव्य गौतम बुद्ध के काल से पहले अवश्य पूरा हो गया था। [1]
शल्य जो महाभारत में कौरवों की तरफ से लड़ा था उसे रामायण में वर्णित लव और कुश के बाद की ५० वीं पीढ़ी का माना जाता है. इसी आधार पर कुछ विद्वान महाभारत का समय रामायण से १००० वर्ष बाद का मानते हैं. तिथियाँ चाहे जो भी हों इन्हीं काव्यों के आधार पर वैदिक धर्म का आधार टिका है जो बाद में हिन्दू धर्म का आधुनिक आधार बना है।
आर्यभट के अनुसार महाभारत युद्ध ३१३७ ईपू में हुआ। कलियुग का आरम्भ कृष्ण के इस युद्ध के ३५ वर्ष पश्चात निधन पर हुआ।
ज्यादातर अन्य भारतीय साहित्यों की तरह यह महाकाव्य भी पहले वाचिक परंपरा द्वारा हम तक पीढी दर पीढी पहुँची है. बाद में छपाई की कला के विकसित होने से पहले ही इसके बहुत से अन्य भौगोलिक संस्करण भी हो गये हैं जिनमें बहुत सी ऐसी घटनायें हैं जो मूल कथा में नहीं दिखती या फिर किसी अन्य रूप में दिखती है।
महाभारत: अनुपम काव्य
इस महाकाव्य की मुख्य कथा हस्तिनापुर की गद्दी के लिये दो वंश के वंशजों कौरव और पाण्डव के बीच का आपसी संघर्ष था. हस्तिनापुर और उसके आस-पास का इलाका आज के गंगा से उत्तर यमुना के आस-पास दोआब का ईलाका माना जाता है. जहाँ आजकल की दिल्ली भी स्थित है. इन भाइयों के बीच की लड़ाई आज के हरियाणा स्थित कुरुक्षेत्र के आस-पास हुई मानी गयी है जिसमें पांडव विजयी हुये थे। महाभारत की समाप्ति भगवान श्री कृष्ण की मृत्यु और यदु-वंश की समाप्ति तथा पांडवों के स्वर्ग गमन के साथ होती है। पांडव की यह यात्रा मोक्ष प्राप्ति को दर्शाता है जो हिन्दुओं के जीवन का सबसे प्रमुख लक्ष्य माना जाता है। इस घटना को कलि-युग के आरंभ का भी संकेत माना गया है क्योंकि इससे महाभारत के अठारह दिन की लड़ाई में सत्य की सत्ता भंग हुयी थी। इस कलि-युग को हिन्दुओं के अनुसार सबसे अधम युग माना गया है जिसमें हर तरह के मूल्यों का क्षरण होता है और अंत में कल्कि नामक विष्णु के अवतार इन सबसे हमारी रक्षा करेंगें। हिन्दू इतिहास के सबसे प्रमुख स्तंभों का इस लड़ाई में अनैतिकता (कौरवों) का साथ देना इसकेए वजह माना जाता है।
कथा
महाभारत की कथा में एक साथ बहुत सी कथाएँ गुंफित हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख कथायें निम्नलिखित हैं:-
- सबसे प्रमुख कहानी कर्ण की कहानी है। कर्ण एक महान योद्धा थे किन्तु अपने गुरु से अपनी पहचान छुपाने के कारण उनकी शक्ति गौण हो गयी थी।
- भीष्म की कहानी जिसने अपना राजपाट अपने पिता की वजह से त्याग दिया था, क्योंकि उसके पिता ने एक मछुआरे की कन्या से विवाह किया था। भीष्म ने आजीवन ब्रह्मचर्य की प्रतिज्ञा ली थी और उन्हें अपने पिता शान्तनु से इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त हुआ था।
- भीम की कहानी, जो पाँच पाँडवों मे से एक थे और अपने बल और स्वामिभक्ति के कारण जाने जाते थे।
- युधिष्ठिर की कहानी: युधिष्ठिर जो पांचों पांडवों मे सबसे बड़े थे उन्हें धर्मराज के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि उन्होंने कभी जीवन में झूठ का सहारा नहीं लिया। और महाभारत के मध्य कैसे केवल एक झूठ के कारण कैसा परिणाम भुगतना पड़ा था।
संरचना
- आदिपर्व - परिचय, राजकुमारों का जन्म और लालन-पालन
- सभापर्व - दरबार की झलक, द्यूत क्रीड़ा और पांडवों का वनवास. मय दानव द्वार इंद्रप्रस्थ में भवन का निर्माण.
- अरयण्कपर्व (अरण्यपर्व) - वनों में १२ वर्ष का जीवन
- विराटपर्व - राजा विराट के राज्य में अज्ञातवास.
- उद्योगपर्व- युद्ध की तैयारी
- भीष्मपर्व - महाभारत युद्ध का पहला भाग, भीष्म कौरवों के सेनापति के रूप में (इसी पर्व में भगवद्गीता आती है)
- द्रोणपर्व - युद्ध जारी, द्रोण सेनापति
- कर्णपर्व - युद्ध जारी, कर्ण सेनापति
- शल्यपर्व - युद्ध का अंतिम भाग, शल्य सेनापति
- सौप्तिकपर्व - अश्वत्थामा और बचे हुये कौरवों द्वारापाण्डव सेना का सोये हुये में वध
- स्त्रीपर्व - गान्धारी और अन्य स्त्रियों द्वारा मृत लोगों के लिये शोक
- शांतिपर्व - युधिष्ठिर का राज्याभिषेक और भीष्म के दिशा-निर्देश
- अनुशासनपर्व - भीष्म के अंतिम उपदेशtr
- अश्वमेधिकापर्व - युधिष्ठिर द्वारा अश्वमेध का आयोजन
- आश्रम्वासिकापर्व - धृतराष्ट्र, गान्धारी और कुन्ती का वन में आश्रम के लिये प्रस्थान
- मौसुलपर्व - यादवों की परस्पर लड़ाई
- महाप्रस्थानिकपर्व - युधिष्ठिर और उनके भाइयों की सद्गति का प्रथम भाग
- स्वर्गारोहणपर्व - पांडवों की स्वर्ग यात्रा.
इसके अलावा 16,375 श्लोकों का एक उपसंहार भी बाद में महाभारत में जोड़ा गया था जिसे हरिवंशपर्व कहा जाता है। इस अध्याय में खास कर भगवान श्री कृष्ण के बारे में वर्णन है।
महाभारत के कई भाग हैं जो आमतौर पर अपने आप में एक अलग और पूर्ण पुस्तक मानी जाती है। मुख्य रूप से इन भागों को अलग से महत्व दिया जाता है :-
- भगवद गीता श्री कृष्ण द्वारा भीष्मपर्व में अर्जुन को दिया गया उपदेश
- दमयन्ती अथवा नल दमयन्ती, अरण्यकपर्व में एक प्रेमकथा
- कृष्णवार्ता : भगवान श्री कृष्ण की कहानी
- राम रामायण का अरण्यकपर्व में एक संक्षिप्त रूप
- ॠष्य ॠंग एक ॠषि के प्रेमकथा
- विष्णुसहस्रनाम विष्णु के 1000 नामों की महिमा शांतिपर्व में
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का गलत प्रयोग; बिना नाम के संदर्भों में जानकारी देना आवश्यक है।==कुरुवंश वृक्ष==
कुरुक | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
गंगा | शांतनुक | सत्यवती | पराशर | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
भीष्म | चित्रांगद | अंबिका | विचित्रवीर्य | अंबालिका | व्यास | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
धृतराष्ट्रख | गांधारी | शकुनि | कुंती | पांडुख | माद्री | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
कर्णग | युधिष्ठिरघ | भीमघ | अर्जुनघ | सुभद्रा | नकुलघ | सहदेवघ | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
दुर्योधनच | दुशला | दुशासन | (अन्य ९८ पुत्रो) | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
अभिमन्यु | उत्तरा | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
परीक्षित | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
जनमेजय | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
आधुनिक महाभारत
कहा जाता है कि महाभारत में वेदों और अन्य हिन्दू ग्रंथों का सार निहित है. और सत्य भी है कि इस ग्रंथ में एक दूसरे से जुड़ी कई कहानियाँ, देवी देवताओं के जन्म की कहानी, पौराणिक और ब्रम्हांडीय घटनायें, दार्शनिक रस समेत जीवन का हर पक्ष समाहित है. ये कहानियाँ आमतौर पर बच्चों को सिखाई जाती हैं, और घर-बाहर होने वाले धार्मिक अनुष्ठानों में शामिल की जाती हैं. महाभारत कहती है कि जिन्होंने इसे नहीं पढा उसकी आध्यात्मिक और यौगिक खोज अधूरी ही रहेगी.
१९८० के लगभग महाभारत भारत में टेलिविजन के प्रदे पर पहली बार दूरदर्शन के माध्यम से घर-घर में आया और अभूतपूर्व रुप से लोकप्रिय हुआ. १९८९ में पीटर ब्रुक द्वारा पहली बार यह फिल्म अंग्रेजी में बनी.
महाभारत् के पात्र
- अभिमन्यु : अर्जुन के वीर पुत्र जो कुरुक्षेत्र युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुये।
- अम्बा : शिखन्डी पूर्व जन्म में अम्बा नामक राजकुमारी था।
- अम्बिका : विचित्रवीर्य की पत्नी, अम्बा और अम्बालिका की बहिन।
- अम्बालिका: विचित्रवीर्य की पत्नी, अम्बा और अम्बिका की बहिन।
- अर्जुन : देवराज इन्द्र द्वारा कुन्ती एवं पान्डु का पुत्र। एक अतुल्निय धनुर्धर जिसको श्री कृष्ण ने श्रीमद् भगवद् गीता का उपदेश दिया था।
- बभ्रुवाहन : अर्जुन एवं चित्रांग्दा का पुत्र।
- बकासुर : महाभारत काव्य में एक असुर जिसको भीम ने मार कर एक गांव के वासियों की रक्षा की थी।
- भीष्म : भीष्म का नामकरण देवव्रत के नाम से हुआ था। वे शान्तनु एवं गंगा के पुत्र थे। जब देवव्रत ने अपने पिता की प्रसन्नता के लिये आजीवन ब्रह्मचारी रहने का प्रण लिया, तब से उनका नाम भीष्म हो गया।
- द्रौपदी : द्रुपद की पुत्री जो अग्नि से प्रकट हुई थी। द्रौपदी पांचों पांड्वों की अर्धांगिनी थी और उसे आज प्राचीनतम् नारीवादिनियों में एक माना जाता है।
- द्रोण : हस्तिनापुर के राजकुमारों को शस्त्र विद्या देने वाले ब्राह्मण गुरु। अश्व्थामा के पिता। यह विश्व के प्रथम "टेस्ट-टयूब बेबी" थे। द्रोण एक प्रकार का पात्र होता है।
- द्रुपद : पाञ्चाल के राजा और द्रौपदी एवमं धृष्टद्युम्न के पिता। द्रुपद और द्रोण बाल्यकाल के मित्र थे!
- दुर्योधन : कौरवों में ज्येष्ठ। धृतराष्ट्र एवं गांधारी के १०० पुत्रों में सबसे बड़े।
- दुःशासन : दुर्योधन से छोटा भाई जो द्रौपदी को हस्तिनपुर राज्यसभा में बालों से पकड़ कर लाया था। कुरुक्षेत्र युद्ध में भीम ने दुःशासन की छाती का रक्त पिया था।
- एकलव्य : द्रोण का एक महान शिष्य जिससे गुरुदक्षिणा में द्रोण ने उसका अंगूठा मांगा था।
- गांडीव : अर्जुन का धनुष। [जो, कई मान्यताओं के अनुसार, उनको अग्नि-देव ने दिया था।]
- गांधारी : गंधार के राजा की पुत्री और धृतराष्ट्र की पत्नी।
- जयद्रथ : सिन्धु के राजा और धृतराष्ट्र के दामाद। कुरुक्षेत्र युद्ध में अर्जुन ने जयद्रथ का शीश काट कर वध किया था।
- कर्ण : सूर्यदेव एवमं कुन्ती के पुत्र और पाण्डवों के सबसे बड़े भाई। कर्ण को दानवीर-कर्ण के नाम से भी जाना जाता है। कर्ण कवच एवं कुंडल पहने हुए पैदा हुये थे और उनका दान इंद्र को किया था।
- कृपाचार्य : हस्तिनापुर के ब्राह्मण गुरु। इनकी बहिन 'कृपि' का विवाह द्रोण से हुआ था।
- कृष्ण : देवकी की आठवीं सन्तान जिसने अपने दुष्ट मामा कंस का वध किया था। भगवान कृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र युध के प्रारम्भ में गीता उपदेश दिया था। श्री कृष्ण, भगवान विष्णु के आठवें अवतार थे।
- कुरुक्षेत्र : वह क्षेत्र जहाँ महाभारत का महान युद्ध हुआ था। यह क्षेत्र आज के भारत में हरियाणा में स्थित है।
- पाण्डव : पाण्डु की कुन्ती और माद्री से सन्ताने। यह पांच भाई थे: युद्धिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव।
- परशुराम : अर्थात् परशु वाले राम। वे द्रोण, भीष्म और कर्ण जैसे महारथियों के गुरु थे। वे भगवान विष्णु का षष्ठम अवतार थे।
- शल्य : नकुल और सहदेव की माता माद्री के पिता।
- उत्तरा : राजा विराट की पुत्री। उत्तरा का विवाह अभिमन्यु से हुआ था।
- महर्षि व्यास : महाभारत महाकाव्य के लेखक। पाराशर और सत्यवती के पुत्र। इन्हें कृष्ण द्वैपायन के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि वे कृष्णवर्ण के थे तथा उनका जन्म एक द्वीप में हुआ था।
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का गलत प्रयोग; बिना नाम के संदर्भों में जानकारी देना आवश्यक है।==कुरुवंश वृक्ष==
कुरुक | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
गंगा | शांतनुक | सत्यवती | पराशर | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
भीष्म | चित्रांगद | अंबिका | विचित्रवीर्य | अंबालिका | व्यास | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
धृतराष्ट्रख | गांधारी | शकुनि | कुंती | पांडुख | माद्री | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
कर्णग | युधिष्ठिरघ | भीमघ | अर्जुनघ | सुभद्रा | नकुलघ | सहदेवघ | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
दुर्योधनच | दुशला | दुशासन | (अन्य ९८ पुत्रो) | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
अभिमन्यु | उत्तरा | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
परीक्षित | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
जनमेजय | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
भारत के बाहर महाभारत
इंदोनेशिया और अन्य देशों में भी महाभारत के देशीय संस्करण हैं। इंदोनेशिया में यह कावी भाषा में हैं।
संदर्भ और टीका
- ↑ पाण्डे, सुषमिता (२००१)। गोविन्द चन्द्र पाण्डे: Religious Movements in the Mahabharata”। Centre of Studies in Civilizations, नया दिल्ली। आइएसबीएन ८१-८७५८६-०७-०।
यह भी देखें:
बाहरी कड़ियाँ
- महाभारत (हिन्दी)
- स्वर्गारोहण - महाभारत की प्रमुख कहानियाँ व पात्रों का विवरण (गुजराती में)
- Mahabharata Resources
- Inrernet Sacred Text Archive पर महाभारत - यहाँ देवनागरी और रोमन में महाभारत का पाठ उपलब्ध है; अंग्रेजी अनुवाद उपलब्ध है; और एक जिप फाइल के रूप में सम्पूर्ण महाभारत डाउनलोड करने की सुविधा भी है।
- [http://is1.mum.edu/vedicreserve// देवनागरीमें महाभारत उपलब्ध है। सम्पूर्ण महाभारत डाउनलोड करने की सुविधा भी है।
- MahabharataOnline.com - Mahabharata Translations, Simple narrations, Stories and Scriptures
- etext (metrical), entered by Muneo Tokunaga
- GRETIL etext (Muneo Tokunaga)
- Mahābhārata online
- किसरी मोहन गांगुली द्वारा अंग्रेजी अनुवाद
- महाभारत विषयक लेख
- चलचित्र
- The Mahabharata इंटरनेट मूवी डेटाबेस पर 1989 movie directed by Peter Brook
- Kalyug इंटरनेट मूवी डेटाबेस पर 1980 movie directed by Shyam Benegal. The movie is loosely based on the story of the Mahabharata and reinterprets the struggle for the kingdom in an industrial age, with two family factions fighting for the control of an industrial conglomerate.