"ईश्वर": अवतरणों में अंतर

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[[वेद]] के अनुसार व्यक्ति के भीतर पुरुष ईश्वर ही है। परमेश्वर एक ही है। वैदिक और पाश्चात्य मतों में परमेश्वर की अवधारणा में यह गहरा अन्तर है कि वेद के अनुसार ईश्वर भीतर और परे दोनों है जबकि पाश्चात्य धर्मों के अनुसार ईश्वर केवल परे है। ईश्वर परब्रह्म का सगुण रूप है।
[[वेद]] के अनुसार व्यक्ति के भीतर पुरुष ईश्वर ही है। परमेश्वर एक ही है। वैदिक और पाश्चात्य मतों में परमेश्वर की अवधारणा में यह गहरा अन्तर है कि वेद के अनुसार ईश्वर भीतर और परे दोनों है जबकि पाश्चात्य धर्मों के अनुसार ईश्वर केवल परे है। ईश्वर परब्रह्म का सगुण रूप है।


वैष्णव लोग [[विष्णु]] को ही ईश्वर मानते है, तो शैव [[शिव]] को ।
Schwarzi ist gay!!!!!!


योग सूत्र में पातन्जलि लिखते है - "क्लेशकर्मविपाकाशयॅर्परामृष्टः पुरुषविशेष ईश्वरः"। हिन्दु धर्म में यह ईश्वर की एक मान्य परिभाषा है।
योग सूत्र में पातन्जलि लिखते है - "क्लेशकर्मविपाकाशयॅर्परामृष्टः पुरुषविशेष ईश्वरः"। हिन्दु धर्म में यह ईश्वर की एक मान्य परिभाषा है।

17:27, 24 नवम्बर 2008 का अवतरण

यह लेख पारलौकिक शक्ति ईश्वर के विषय में है। ईश्वर फ़िल्म के लिए ईश्वर (1989 फ़िल्म) देखें।


परमेश्वर वो सर्वोच्च परालौकिक शक्ति है जिसे इस संसार का सृष्टा और शासक माना जाता है । हिन्दी में परमेश्वर को भगवान, परमात्मा या परमेश्वर भी कहते हैं । प्रत्येक संस्कृति में परमेश्वर की परिकल्पना ब्रह्माण्ड की संरचना से जुडी हुई है।

ये लेख देवताओं के बारे में नहीं है।

धर्म और दर्शन में परमेश्वर की अवधारणाएँ

हिन्दू धर्म

वेद के अनुसार व्यक्ति के भीतर पुरुष ईश्वर ही है। परमेश्वर एक ही है। वैदिक और पाश्चात्य मतों में परमेश्वर की अवधारणा में यह गहरा अन्तर है कि वेद के अनुसार ईश्वर भीतर और परे दोनों है जबकि पाश्चात्य धर्मों के अनुसार ईश्वर केवल परे है। ईश्वर परब्रह्म का सगुण रूप है।

वैष्णव लोग विष्णु को ही ईश्वर मानते है, तो शैव शिव को ।

योग सूत्र में पातन्जलि लिखते है - "क्लेशकर्मविपाकाशयॅर्परामृष्टः पुरुषविशेष ईश्वरः"। हिन्दु धर्म में यह ईश्वर की एक मान्य परिभाषा है। (उपयुक्त अनुवाद उपलब्ध नहीं है।) ALL VEDAS,PURANAS,UPNASHIDS AND OTHER SPIRITUAL BOOKS IN WORLD ARE CLEARLY STATING THAT AFTER GETTING SPIRTIUAL POWER WHICH CAN BE POSSIBLE IF A MAN LIVE WITH LOVE,HUMANITY, AND AFFECTION HE CAN BECOME PARTAMA,ALLAH,ESHWAR,CHRIST,GURU NANAK,GURU ANGAD ETC. ETC. BUT CONDITION IS THIS THAT WE HAVE TO BE A MAN WITH KINDNESS, LOVE, HUMUNITY, AFFECTION, EQUALITY, GREEDEYLESS, AND SHOULD SHARE ALL THE SORROWS,TEARS OF OTHER BUT WE ARE PANDIT,BRAHAMIN, MUNI, CROREPATI, LAKHPATI BUT NEVER SHARE WITH OTHERS. WHAT OUR GURU,RISHIS,ESHWAR,PANDIT TAUGHT US AND WHAT WE LEARN DEGREES,MAHAMANDAL,1008,ACHARUA,VIDWAN,AND SO ON AND SO ON........................ IS HUMAN BEING IS HAPPY OR INDIVISUAL IS HAPPY . CAN ANYBODY ANSWER?. NO FUN TO READ TO COLLECT DEGREES FROM OWN BUT TO BE PRACTICAL. ALL UPDESHA SHOULD BE IN OUR HEART AND WE SHOULD WEAR IT THAN ONLY TIME WILL COME FOR REAL POOJA,UPASANA.PRAYER,. THIS IS MY OPINION BY STUDYING AND READING MOST BOOKS BY ALL DHARMAS . THEY ALL ARE WAITING FOR OUR REAL PRAYER. IF EVERYBODY THINK AND DETERMIND REALY ON THAT DAY THEY WILL GET OUR REAL RESPECT. IS THER ANYBODY WHO CAN OPEN HIS ASHARMA,GURUKUL,MATH,ETC. IN SLUM AREA ? THER IS NO NEED TO FIND OUT THEY ARE A DISEASE OF SOCIETY WHO WANTS TO CURE IT? OUR SOCIETY IS SPREADING A ROTTON SMELL WE HAVE TO COME FORWARD TO HELP THEM ON GROUND BASIS WITH INDIVISUAL EFFORTS AND NOT BY UPDESHAS,BOOKS,LIETRATURE,. SHASHI DUTT SHARMA waterexsds@yahoo.com

इस्लाम धर्म

वो ईश्वर को अल्लाह कहते हैं ।

ईसाई धर्म

इनके मुताबिक ईश्वर एक में तीन है और साथ ही साथ तीन में एक है -- परमपिता, ईश्वरपुत्र ईसा मसीह और पवित्र आत्मा

नास्तिकता

नास्तिक लोग और नास्तिक दर्शन ईश्वर को झूठ मानते हैं ।