"ढाकेश्वरी मन्दिर": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Dhakeshwari Temple (1904).jpg ढाकेश्वरी मंदिर (१९०४ में ; फ्रिज काप ( Fritz Kapp) द्वारा लिया गया फोटो]]
यह मन्दिर [[ढाका]] नगर का सबसे महत्वपूर्ण मन्दिर है। धारणा है कि [[बल्लाल सेन]] ने '''ढाकेश्वरी मन्दिर''' बनवाया।
'''ढाकेश्वरी मन्दिर''' [[ढाका]] नगर का सबसे महत्वपूर्ण [[मन्दिर]] है। इन्हीं ढाकेश्वरी देवी के नाम पर ही ढाका का नामकरण हुआ है। [[भारत का विभाजन|भारत के विभाजन]] से पहले तक ढाकेश्वरी देवी मन्दिर सम्पूर्ण भारत के शक्तिपूजक समाज के लिए आस्था का बहुत बड़ा केन्द्र था। 12वीं शताब्दी में [[सेन राजवंश]] के [[बल्लाल सेन]] ने ढाकेश्वरी देवी मन्दिर का निर्माण करवाया था। ढाकेश्वरी पीठ की गिनती [[शक्तिपीठ]] में की जाती है क्योंकि यहां पर सती के आभूषण गिरे थे।

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Image:Dhakeshwari_temple_main_structure_from_side_by_Ragib_Hasan.jpg|Main temple structure from the west side. Photo by [[:en:User:Ragib|Ragib]]
Image:Dhakeshwari_temple_main_structure_from_side_by_Ragib_Hasan.jpg|Main temple structure from the west side. Photo by [[:en:User:Ragib|Ragib]]
Image:Dhakeshwari temple statue by Ragib Hasan.jpg|The Goddess statue at the Dhakeshwari Temple. Photo by [[:en:User:Ragib|Ragib Hasan]]
Image:Dhakeshwari temple statue by Ragib Hasan.jpg|The Goddess statue at the Dhakeshwari Temple. Photo by [[:en:User:Ragib|Ragib Hasan]]
File:Dhakeshwari Temple (1904).jpg|Dhakeshwari Temple (1904), Photograph taken by Fritz Kapp
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==बाहरी कड़ियाँ==
*[http://panchjanya.com//Encyc/2014/12/22/पूर्वोत्तर-का-सौंदर्य-कर-दे-निरुत्तर.aspx पूर्वोत्तर का सौंदर्य कर दे निरुत्तर]


[[श्रेणी:बांग्लादेश के मंदिर]]
[[श्रेणी:बांग्लादेश के मंदिर]]

09:56, 23 दिसम्बर 2014 का अवतरण

चित्र:Dhakeshwari Temple (1904).jpg ढाकेश्वरी मंदिर (१९०४ में ; फ्रिज काप ( Fritz Kapp) द्वारा लिया गया फोटो ढाकेश्वरी मन्दिर ढाका नगर का सबसे महत्वपूर्ण मन्दिर है। इन्हीं ढाकेश्वरी देवी के नाम पर ही ढाका का नामकरण हुआ है। भारत के विभाजन से पहले तक ढाकेश्वरी देवी मन्दिर सम्पूर्ण भारत के शक्तिपूजक समाज के लिए आस्था का बहुत बड़ा केन्द्र था। 12वीं शताब्दी में सेन राजवंश के बल्लाल सेन ने ढाकेश्वरी देवी मन्दिर का निर्माण करवाया था। ढाकेश्वरी पीठ की गिनती शक्तिपीठ में की जाती है क्योंकि यहां पर सती के आभूषण गिरे थे।

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