"विलियम वर्द्स्वर्थ": अवतरणों में अंतर

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विलियम वर्द्स्व्र्थ (७ अप्रैल,१७७०-२३ अप्रैल १८५०) एक प्रमुख रोमचक कवि थे और उन्होने सेम्युल तेलर कोलरिज कि सहायता से अङ्रेज़ि सहित्य मे सयुक्त प्रकाशन गीतात्मक गथागीत के साथ रोमन्चक युग क आरम्भ किया। वर्द्स्वर्थ कि प्रसिध रचना 'द प्रेल्युद' हे जो कि एक अर्ध-आत्म चरितात्मक कवित माना जाता है। वर्द्स्वर्थ १८४३ से १८५० मे अप्नि म्रित्यु तक ब्रिटेन के महाकवि थे।

प्रारम्भिक जीवन

जॉन वर्ड्सवर्थ और ऐन कूक्सन के ५ बच्चो मे से दूसरे, विलियम वर्द्स्वर्थ का जन्म ७ अप्रैल १७७० को कौकरमाउथ, कंबरलैंड, इंग्लैंड के उत्तर पश्चिम क्षेत्र मे हुआ था। उनके पिता जेम्स लौथर, अर्ल ओफ लोन्स्डेल के कानूनी प्रतिनिधि थे और अपने सम्पर्क से छोटे शेहेर के बङे मकान में रह्ते थे। उनकी मृत्यु १७८३ में हुइ थी। वर्ड्सवर्थ के पिता अक्सर व्यापार के सम्बन्ध में घर से बाहर रेह्ते थे, हालांकि उसे पढने के लिये प्रोत्साहित करते थे और विशेश रूप से मिलटन, शेक्सपियर और स्पेंसर द्वारा रचित कविता प्रतिबध, इसके अतिरिक्त उसे अपने पिता के पुस्तकालय का उपयोग करने के लिए अनुमति दी गई थी। उनके चार भाई-बहन थे। डोरोथी वर्ड्सवर्थ, जिस्से वें सबसे ज़्यादा करीब थे, वह एक कवीत्री थी। रिचर्ड, सबसे ज्येष्ठ, वकील थे, जॉन अलॆ आफॅ ऎबरगेवनी जहाज के कप्तान थे और क्रिस्टोफर, कैंब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज का मास्टर था। उनकी माँ के मृत्यु के बाद, १७७८ में, उनके पिता ने उन्हे हॉक्शीड ग्रामर स्कूल्लं, काशायर (अब कम्ब्रीया मे) और डोरोथी को यॉर्कशायर में रिश्तेदारों के साथ रहने भेज दिया था। वह और वर्ड्सवर्थ ९ सालों तक एक दूसरे से नही मिल पाए। कॉकरमाउथ में कम गुणवत्ता के एक छोटे से विद्यालय में पढने के बाद, हॉकशीड शिक्षा साथ वर्ड्सवर्थ का पहला गंभीर अनुभव था। कॉकरमाउथ विद्यालय के पश्चात, उन्हे पैनरिथ में उच्च श्रेणी के परिवारों के बच्चों के लिए बनाए गए विद्यालय भेजा गया था। वर्ड्सवर्थ नें एक लेखक के रूप में अपनी शुरुआत १७८७ में किया जब यूरोपीय पत्रिका में उन्की कविता प्रकाशित हुइ। उसी वर्ष वह सेंट जॉन्स कॉलेज, कैम्ब्रिज जाने लगे और १७९१ में उन्हें बी॰ए॰ की डिग्री प्राप्त हुइ। पहले दो साल की गर्मियों की छुट्टियों के लिए वें हॉकशीड लौट आते थे और अक्सर अपने परिदृश्य की सुंदरता के लिए प्रसिद्ध स्थानों पर जाकर, पर्यटन चलकर अपनी छुट्टियां बिताते थे। १७९० में, उन्होने यूरोप की एक पैदल यात्रा किया, फिर् विस्तृत रूप में आल्प्स कि यात्रा की, फ्रांस, स्विट्जरलैंड और इटली के आसपास के इलाकों की यात्रा की।

पहला प्रकाशन और गीतात्मक गाथागीत

सन १७९३ में वर्ड्सवर्थ द्वारा लिखी गई कविता संग्रह 'एन इव्निन्गं वकॅ' और 'डिस्क्रिप्टिव स्केचस' पहली बार प्रकाशित हुई। १७९५ में रेस्ली कैलवटॆ से उन्हे ९०० विरासत में मिला ताकि वें लेखक बनने का लक्ष्य पूरा कर सकें। उस वर्ष, समरसेट में उनकी मुलाकात सैम्युल् टेलर कौलरिज से हुई।. वें दोनो जल्दी एक करीबी दोस्त बन गए। १७९७ में वर्ड्सवर्थ और उनकी बहन डोरोथी बस कुछ ही मील दूर नीचे का स्टोवी में कोलेरिज के घर से, अल्फोक्सटन हाउस, समरसेट में स्थानांतरण किया। साथ में, वर्ड्सवर्थ और (डोरोथी से अंतर्दृष्टि के साथ) कोलेरिज गीतात्मक गाथागीत (1798), अंग्रेजी प्रेमपूर्ण आंदोलन में एक महत्वपूर्ण काम का उत्पादन किया। वर्ड्सवर्थ के सबसे प्रसिद्ध कविताओं में से एक, "टिन्टॆन् एब्यय ", और कौलेरिज की "राइम आफॅ एन्शियंट मेरिनर प्रकाशित हुई। गीतात्मक गाथागीत के लिए इस प्रस्तावना प्रेमपूर्ण साहित्यिक सिद्धांत का एक केंद्रीय काम माना जाता है। इसे में, वर्ड्सवर्थ वह कविता के एक नए प्रकार के तत्वों, "असली मर्द की भाषा" और ज्यादा अठारवीं सदी की कविता का काव्य शैली का प्रयोग न करने की चर्चा करतें हैं। इस कविता में, वर्ड्सवर्थ ने 'कविता' की अपनी प्रसिद्ध परिभाषा दिया है "शक्तिशाली भावनाओं की सहज अतिप्रवाह: यह शांति में याद आया भावना से अपने मूल लेता है।" गीतात्मक गाथागीत की एक चौथी और अंतिम संस्करण 1805 में प्रकाशित हुई थी।

साहित्यिक सम्मान

वर्ड्सवर्थ को १८३८ में, डरहम विश्वविद्यालय से सिविल लॉ कि डिग्री प्राप्त हुइ और अग्ले साल ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से भि वही सम्मान प्राप्त हुइ। सन १८४२ में सर्कार ने उन्हे ३०० कि राशी के नाग्रिक सुची पेन्शन से सम्मानित किया था। १८४३ में, रॉबर्ट सौदी के मृत्यु के बाद, वें राज-कवि बन गये। प्रारंभिक रूप से उन्होने यह सम्मान लेने से इनकार कर दिया, यह केह के कि वें बहुत बुढ़े है, लेकिन प्रधानमंत्री रॉबर्ट पील के आश्वासन देने पर उन्होने सम्मान स्विकार कर लिया।

मृत्यु

विलियम वर्ड्सवर्थ कि मृत्यु २३ अप्रैल १८५० में, परिफुफ्फुसशोथ के गम्भीर होने से हुइ थी और उन्हें ग्रेस्मेर के सेंट ओसवाल्ड चर्च में दफनाया गया था। उनकी मृत्यु के कई महीनौ बाद, उनकी पत्नी मैरी ने उनके द्वारा लिखी गई आत्म-कथात्मक कविता ' द प्रेल्युड' प्रकाशित किया। १८५० में यह कविता रुची जगाने में विफल रहा, हालांकि अब यह कविता उनकी सर्वोत्कृष्ट रचना मानी जाती हैं।

प्रमुख रचनाएँ

  • साईमन ली
  • वी आर सेवन
  • लाईन्स रिटन इन अर्ली स्प्रिगं
  • लाईन्स क्म्पोस्ड अ फ्यू माइल्स अबव टिन्टर्न ऐबे
  • गीतात्मक गाथागीत की प्रस्तावना
  • ओड टू ड्यूटी (१८०७)
  • द सोलिटरी रीपर
  • लन्दन १८०२
  • द वर्ल्ड इज़ टू मच वित अस
  • माई हार्ट लीप्स अप
  • डैफोडिल्स (आई वान्डर्ड लोनली ऐज़ अ चाईल्ड)
  • द प्रेल्यूड
  • गाईड टू द लेक्स (१८१०)