"कार्बन चक्र": अवतरणों में अंतर

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{{For|the thermonuclear reaction involving carbon that powers some stars|CNO cycle}}
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[[चित्र:Carbon cycle-cute diagram.svg|thumb|502px|कार्बन चक्र आरेख. काली संख्याएं बिलियन टनों में सूचित करती हैं कि विभिन्न जलाशयों में कितना कार्बन संग्रहीत है ("GtC" से तात्पर्य कार्बन गिगाटन और आंकडे लगभग 2004 के हैं). गहरी नीली संख्याएं सूचित करती हैं कि प्रत्येक वर्ष कितना कार्बन जलाशयों के बीच संचालित होता है. इस चित्र में वर्णित रूप से अवसादों में कार्बोनेट चट्टान और किरोजेन के ~70 मिलियन GtC शामिल नहीं हैं.]]
[[चित्र:Carbon cycle-cute diagram.svg|thumb|502px|कार्बन चक्र आरेख. काली संख्याएं बिलियन टनों में सूचित करती हैं कि विभिन्न जलाशयों में कितना कार्बन संग्रहीत है ("GtC" से तात्पर्य कार्बन गिगाटन और आंकडे लगभग 2004 के हैं). गहरी नीली संख्याएं सूचित करती हैं कि प्रत्येक वर्ष कितना कार्बन जलाशयों के बीच संचालित होता है. इस चित्र में वर्णित रूप से अवसादों में कार्बोनेट चट्टान और किरोजेन के ~70 मिलियन GtC शामिल नहीं हैं।]]


'''कार्बन चक्र''' जैव-भूरासायनिक चक्र है जिसके द्वारा [[कार्बन]] का [[जीवमंडल]], [[मृदामंडल]], [[भूमंडल]], [[जलमंडल]] और पृथ्वी के [[वायुमंडल]] के साथ विनिमय होता है. यह पृथ्वी के सबसे महत्वपूर्ण चक्रों में एक है और जीवमंडल तथा उसके समस्त जीवों के साथ कार्बन के पुनर्नवीनीकरण और पुनरुपयोग को अनुमत करता है{{Citation needed|date=April 2010}}.
'''कार्बन चक्र''' जैव-भूरासायनिक चक्र है जिसके द्वारा [[कार्बन]] का [[जीवमंडल]], [[मृदामंडल]], [[भूमंडल]], [[जलमंडल]] और पृथ्वी के [[वायुमंडल]] के साथ विनिमय होता है. यह पृथ्वी के सबसे महत्वपूर्ण चक्रों में एक है और जीवमंडल तथा उसके समस्त जीवों के साथ कार्बन के पुनर्नवीनीकरण और पुनरुपयोग को अनुमत करता है{{Citation needed|date=April 2010}}.


कार्बन चक्र की खोज प्रारंभिक रूप से [[जोसेफ़ प्रिस्टली]] और [[एंटोनी लावाइसियर]] ने की और [[हमफ़्री डेवी]] ने इसे प्रतिपादित किया.<ref name="AOW">होम्स, रिचर्ड. "द एज ऑफ़ वंडर", पैंथियन बुक्स, 2008. ISBN 978-0-375-42222-5.</ref> अब इसे आम तौर पर विनिमय मार्गों द्वारा जुड़े पांच{{Citation needed|date=November 2009}} प्रमुख कार्बन भंडार के रूप में माना गया है. ये भंडार हैं:
कार्बन चक्र की खोज प्रारंभिक रूप से [[जोसेफ़ प्रिस्टली]] और [[एंटोनी लावाइसियर]] ने की और [[हमफ़्री डेवी]] ने इसे प्रतिपादित किया।<ref name="AOW">होम्स, रिचर्ड. "द एज ऑफ़ वंडर", पैंथियन बुक्स, 2008. ISBN 978-0-375-42222-5.</ref> अब इसे आम तौर पर विनिमय मार्गों द्वारा जुड़े पांच{{Citation needed|date=November 2009}} प्रमुख कार्बन भंडार के रूप में माना गया है. ये भंडार हैं:
* वायुमंडल
* वायुमंडल
* स्थलीय जीवमंडल, जिसे आम तौर पर ताज़ा जल प्रणालियों और मृदा कार्बन जैसे निर्जीव कार्बनिक पदार्थों को शामिल करते हुए वर्णित किया गया है.
* स्थलीय जीवमंडल, जिसे आम तौर पर ताज़ा जल प्रणालियों और मृदा कार्बन जैसे निर्जीव कार्बनिक पदार्थों को शामिल करते हुए वर्णित किया गया है.
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* पृथ्वी का आभ्यंतर, ज्वालामुखियों और भू-ऊष्मीय प्रणालियों द्वारा भूमि के [[प्रावरण]] और [[भूपटल]] से कार्बन वायुमंडल और जलमंडल में छोड़ा जाता है.
* पृथ्वी का आभ्यंतर, ज्वालामुखियों और भू-ऊष्मीय प्रणालियों द्वारा भूमि के [[प्रावरण]] और [[भूपटल]] से कार्बन वायुमंडल और जलमंडल में छोड़ा जाता है.


कार्बन के वार्षिक संचलन, भंडारों के बीच कार्बन विनिमय, विभिन्न रासायनिक, भौतिक, भूवैज्ञानिक और जैविक प्रक्रियाओं की वजह से होते हैं. पृथ्वी की सतह के निकट समुद्र के पास कार्बन का सबसे बड़ा सक्रिय कुंड है, लेकिन इस कुंड का [[गहरा सागर]] वाला अंश वायुमंडल के साथ तेजी से विनिमय नहीं करता है.
कार्बन के वार्षिक संचलन, भंडारों के बीच कार्बन विनिमय, विभिन्न रासायनिक, भौतिक, भूवैज्ञानिक और जैविक प्रक्रियाओं की वजह से होते हैं। पृथ्वी की सतह के निकट समुद्र के पास कार्बन का सबसे बड़ा सक्रिय कुंड है, लेकिन इस कुंड का [[गहरा सागर]] वाला अंश वायुमंडल के साथ तेजी से विनिमय नहीं करता है.


'''वैश्विक कार्बन बजट''' कार्बन भंडारों के बीच या कार्बन चक्र के एक विशिष्ट चक्र (उदा., वायुमंडल ↔ जीवमंडल) के बीच कार्बन के विनिमय का संतुलन (आय और नुक्सान) है. एक कुंड या भंडार के कार्बन बजट का परीक्षण यह जानकारी उपलब्ध करा सकता है कि कुंड या भंडार कार्बन डाइऑक्साइड के स्रोत के रूप में काम कर रहा है या विलय गर्त के रूप में.
'''वैश्विक कार्बन बजट''' कार्बन भंडारों के बीच या कार्बन चक्र के एक विशिष्ट चक्र (उदा., वायुमंडल ↔ जीवमंडल) के बीच कार्बन के विनिमय का संतुलन (आय और नुक्सान) है. एक कुंड या भंडार के कार्बन बजट का परीक्षण यह जानकारी उपलब्ध करा सकता है कि कुंड या भंडार कार्बन डाइऑक्साइड के स्रोत के रूप में काम कर रहा है या विलय गर्त के रूप में.
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== वायुमंडल में ==
== वायुमंडल में ==
[[चित्र:AIRS Carbon Dioxide.png|thumb|250px|क्षोभमंडल में 2010 कार्बन डाइऑक्साइड सांद्रता.]]
[[चित्र:AIRS Carbon Dioxide.png|thumb|250px|क्षोभमंडल में 2010 कार्बन डाइऑक्साइड सांद्रता.]]
[[पृथ्वी के वायुमंडल]] में कार्बन मुख्य रूप से गैसीय [[कार्बन डाइऑक्साइड]] (CO<sub>2</sub>) के रूप में मौजूद है. हालांकि यह वायुमंडल का छोटा प्रतिशत है ([[ग्रामाणु]] आधार पर लगभग 0.04%), यह जीवन के समर्थन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. वायुमंडल में मौजूद कार्बन युक्त अन्य गैसें हैं [[मीथेन]] और [[क्लोरोफ़्लोरोकार्बन]] (परवर्ती संपूर्णतः [[मानवोद्भविक]] है). वृक्ष [[प्रकाश संश्लेषण]] के दौरान, प्रक्रिया में [[ऑक्सीजन]] को छोड़ते हुए, कार्बन डाइऑक्साइड को [[कार्बोहाइड्रेट]] में बदलते हैं. यह प्रक्रिया अपेक्षाकृत नए जंगलों में अधिक होता है, जहां वृक्षों का विकास और भी तेजी से होता है. इसका प्रभाव वसंत के दौरान पत्ते निकलते समय पर्णपाती जंगलों में ज़्यादा रहता है. यह मापे गए CO <sub>2</sub> सांद्रता के [[कीलिंग वक्र]] में वार्षिक संकेत के रूप में सुस्पष्ट है. उत्तरी गोलार्द्ध वसंत प्रबल रहता है, चूंकि वहां शीतोष्ण अक्षांश पर दक्षिणी गोलार्द्ध की तुलना में काफ़ी ज़्यादा भूमि है.
[[पृथ्वी के वायुमंडल]] में कार्बन मुख्य रूप से गैसीय [[कार्बन डाइऑक्साइड]] (CO<sub>2</sub>) के रूप में मौजूद है. हालांकि यह वायुमंडल का छोटा प्रतिशत है ([[ग्रामाणु]] आधार पर लगभग 0.04%), यह जीवन के समर्थन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. वायुमंडल में मौजूद कार्बन युक्त अन्य गैसें हैं [[मीथेन]] और [[क्लोरोफ़्लोरोकार्बन]] (परवर्ती संपूर्णतः [[मानवोद्भविक]] है). वृक्ष [[प्रकाश संश्लेषण]] के दौरान, प्रक्रिया में [[ऑक्सीजन]] को छोड़ते हुए, कार्बन डाइऑक्साइड को [[कार्बोहाइड्रेट]] में बदलते हैं। यह प्रक्रिया अपेक्षाकृत नए जंगलों में अधिक होता है, जहां वृक्षों का विकास और भी तेजी से होता है. इसका प्रभाव वसंत के दौरान पत्ते निकलते समय पर्णपाती जंगलों में ज़्यादा रहता है. यह मापे गए CO <sub>2</sub> सांद्रता के [[कीलिंग वक्र]] में वार्षिक संकेत के रूप में सुस्पष्ट है. उत्तरी गोलार्द्ध वसंत प्रबल रहता है, चूंकि वहां शीतोष्ण अक्षांश पर दक्षिणी गोलार्द्ध की तुलना में काफ़ी ज़्यादा भूमि है.
* वन ग्रह के भूमि से ऊपर कार्बन का 86% और ग्रह के मृदा कार्बन का 73% संग्रहित करते हैं.<ref>सेड्जो, रोजर.1993. कार्बन चक्र और वैश्विक वन पारिस्थितिकी तंत्र. जल, वायु, मृदा प्रदूषण 70, 295-307. ([http://www.oregonwild.org/oregon_forests/old_growth_protection/forests-global-warming/oregon-wild-report-on-forests-carbon-and-global-warming Oregon Wild Report on Forests, Carbon, and Global Warming] के ज़रिए)</ref>
* वन ग्रह के भूमि से ऊपर कार्बन का 86% और ग्रह के मृदा कार्बन का 73% संग्रहित करते हैं।<ref>सेड्जो, रोजर.1993. कार्बन चक्र और वैश्विक वन पारिस्थितिकी तंत्र. जल, वायु, मृदा प्रदूषण 70, 295-307. ([http://www.oregonwild.org/oregon_forests/old_growth_protection/forests-global-warming/oregon-wild-report-on-forests-carbon-and-global-warming Oregon Wild Report on Forests, Carbon, and Global Warming] के ज़रिए)</ref>
* ध्रुवों की ओर समुद्री सतह पर, [[समुद्री जल]] अधिक ठंडा हो जाता है और अधिक कार्बोनिक अम्ल तैयार होता है चूंकि CO<sub>2</sub> अधिक घुलनशील हो जाता है. यह समुद्र के [[उष्मिक-लवणी संचरणों]] के साथ युग्मित होता है, जो घने सतही जल को महासागर के अभ्यंतर में परिवहन करती है ([[विलेयता पंप]] की प्रविष्टि देखें).
* ध्रुवों की ओर समुद्री सतह पर, [[समुद्री जल]] अधिक ठंडा हो जाता है और अधिक कार्बोनिक अम्ल तैयार होता है चूंकि CO<sub>2</sub> अधिक घुलनशील हो जाता है. यह समुद्र के [[उष्मिक-लवणी संचरणों]] के साथ युग्मित होता है, जो घने सतही जल को महासागर के अभ्यंतर में परिवहन करती है ([[विलेयता पंप]] की प्रविष्टि देखें).
* उच्च जैविक उत्पादकता वाले ऊपरी समुद्री क्षेत्रों में, जीव अपचित कार्बन को ऊतकों में, या सीपियों तथा चोल जैसे कड़े शारीरिक अंगों के कार्बोनेट में परिवर्तित करते हैं. ये क्रमशः, समुद्र के जिन स्तरों पर इनका निर्माण हुआ है उससे निम्न औसत स्तरों पर ऑक्सीकरण करते ([[मृदु-ऊतक पंप]]) और पुनःद्रवीभूत होते ([[कार्बोनेट पंप]]) हैं, जिसके परिणामस्वरूप कार्बन का नीचे की ओर प्रवाह होता है (देखें [[जैविक पंप]] की प्रविष्टि).
* उच्च जैविक उत्पादकता वाले ऊपरी समुद्री क्षेत्रों में, जीव अपचित कार्बन को ऊतकों में, या सीपियों तथा चोल जैसे कड़े शारीरिक अंगों के कार्बोनेट में परिवर्तित करते हैं। ये क्रमशः, समुद्र के जिन स्तरों पर इनका निर्माण हुआ है उससे निम्न औसत स्तरों पर ऑक्सीकरण करते ([[मृदु-ऊतक पंप]]) और पुनःद्रवीभूत होते ([[कार्बोनेट पंप]]) हैं, जिसके परिणामस्वरूप कार्बन का नीचे की ओर प्रवाह होता है (देखें [[जैविक पंप]] की प्रविष्टि).
* सिलिकेट चट्टान के [[अपक्षय]] (देखें [[कार्बोनेट-सिलिकेट चक्र]]). कार्बोनिक एसिड बाइकारबोनेट आयनों का उत्पादन करने के लिए अपक्षीण चट्टान के साथ प्रतिक्रिया करता है. उत्पादित [[बाइकारबोनेट]] आयन समुद्र में ले जाए जाते हैं, जहां वे समुद्री कार्बोनेट तैयार करने में इस्तेमाल होते हैं. संतुलन में द्रवीभूत CO<sub>2</sub> या क्षय होने वाले ऊतकों के विपरीत, अपक्षय कार्बन को जलाशय में नहीं ले जाता जहां से वे आसानी से वायुमंडल में लौट सकें.
* सिलिकेट चट्टान के [[अपक्षय]] (देखें [[कार्बोनेट-सिलिकेट चक्र]]). कार्बोनिक एसिड बाइकारबोनेट आयनों का उत्पादन करने के लिए अपक्षीण चट्टान के साथ प्रतिक्रिया करता है. उत्पादित [[बाइकारबोनेट]] आयन समुद्र में ले जाए जाते हैं, जहां वे समुद्री कार्बोनेट तैयार करने में इस्तेमाल होते हैं। संतुलन में द्रवीभूत CO<sub>2</sub> या क्षय होने वाले ऊतकों के विपरीत, अपक्षय कार्बन को जलाशय में नहीं ले जाता जहां से वे आसानी से वायुमंडल में लौट सकें.
* 1958 में, मॉना लोआ में वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड प्रति मिलियन 320 अंश था (ppm) और 2010 में यह लगभग 385ppm है<ref>[http://www.esrl.noaa.gov/gmd/ccgg/trends/ Trends in Carbon Dioxide — NOAA Earth System Research Laboratory]</ref>.
* 1958 में, मॉना लोआ में वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड प्रति मिलियन 320 अंश था (ppm) और 2010 में यह लगभग 385ppm है<ref>[http://www.esrl.noaa.gov/gmd/ccgg/trends/ Trends in Carbon Dioxide — NOAA Earth System Research Laboratory]</ref>.
* भावी CO<sub>2</sub> उत्सर्जन की गणना [[काया पहचान]] द्वारा की जा सकती है.
* भावी CO<sub>2</sub> उत्सर्जन की गणना [[काया पहचान]] द्वारा की जा सकती है.
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वायुमंडल में कार्बन कई तरीक़ों से छोड़ा जा सकता है:
वायुमंडल में कार्बन कई तरीक़ों से छोड़ा जा सकता है:
* पौधों और जानवरों द्वारा संपन्न [[श्वसन]] के ज़रिए. यह [[ऊष्माक्षेपी प्रतिक्रिया]] है और इसमें ग्लूकोज़ (या अन्य कार्बनिक अणुओं) का कार्बन डाइऑक्साइड और पानी में विखंडन शामिल है.
* पौधों और जानवरों द्वारा संपन्न [[श्वसन]] के ज़रिए. यह [[ऊष्माक्षेपी प्रतिक्रिया]] है और इसमें ग्लूकोज़ (या अन्य कार्बनिक अणुओं) का कार्बन डाइऑक्साइड और पानी में विखंडन शामिल है.
* जानवर और पौधों के [[क्षय]] के माध्यम से. [[कवक]] और [[जीवाणु]] मृत जानवरों और पौधों में कार्बन यौगिकों को भंग करते हैं तथा ऑक्सिजन मौजूद हो तो कार्बन को कार्बन डाइऑक्साइड में, अगर नहीं हो तो [[मीथेन]] में बदलते हैं.
* जानवर और पौधों के [[क्षय]] के माध्यम से. [[कवक]] और [[जीवाणु]] मृत जानवरों और पौधों में कार्बन यौगिकों को भंग करते हैं तथा ऑक्सिजन मौजूद हो तो कार्बन को कार्बन डाइऑक्साइड में, अगर नहीं हो तो [[मीथेन]] में बदलते हैं।
* कार्बनिक पदार्थों के [[दहन]] के ज़रिए, जो उसमें मौजूद कार्बन का [[ऑक्सीकरण]] करता है, जिससे कार्बन डाइऑक्साइड (और भाप जैसे अन्य पदार्थ) उत्पादित होता है. [[कोयला]], [[पेट्रोलियम]] उत्पाद और अन्य [[प्राकृतिक गैस]] जैसे [[जीवाश्म ईंधनों]] को जलाने से कार्बन विमोचित होता है जो करोड़ों वर्षों से भूमंडल में संग्रहीत है. [[सस्य ईंधन]] को जलाने से भी कार्बन डाइऑक्साइड विमोचित होता है जो केवल कुछ वर्षों या उससे भी कम समय तक जमा रहते हैं.
* कार्बनिक पदार्थों के [[दहन]] के ज़रिए, जो उसमें मौजूद कार्बन का [[ऑक्सीकरण]] करता है, जिससे कार्बन डाइऑक्साइड (और भाप जैसे अन्य पदार्थ) उत्पादित होता है. [[कोयला]], [[पेट्रोलियम]] उत्पाद और अन्य [[प्राकृतिक गैस]] जैसे [[जीवाश्म ईंधनों]] को जलाने से कार्बन विमोचित होता है जो करोड़ों वर्षों से भूमंडल में संग्रहीत है. [[सस्य ईंधन]] को जलाने से भी कार्बन डाइऑक्साइड विमोचित होता है जो केवल कुछ वर्षों या उससे भी कम समय तक जमा रहते हैं।
* [[सीमेंट]] का उत्पादन. जब सीमेंट के एक घटक, [[चूना]] (कैल्शियम ऑक्साइड) के उत्पादन के लिए [[चूना पत्थर]] (कैल्शियम कार्बोनेट) को गरम किया जाता है तो कार्बन डाइऑक्साइड मुक्त होता है.
* [[सीमेंट]] का उत्पादन. जब सीमेंट के एक घटक, [[चूना]] (कैल्शियम ऑक्साइड) के उत्पादन के लिए [[चूना पत्थर]] (कैल्शियम कार्बोनेट) को गरम किया जाता है तो कार्बन डाइऑक्साइड मुक्त होता है.
* महासागरों की सतह पर, जहां पानी गर्म हो जाता है, द्रवीभूत कार्बन डाइऑक्साइड वायुमंडल में वापस चला जाता है.
* महासागरों की सतह पर, जहां पानी गर्म हो जाता है, द्रवीभूत कार्बन डाइऑक्साइड वायुमंडल में वापस चला जाता है.
* [[ज्वालामुखी उद्भेदन]] तथा [[रूपांतरण]] गैसों को वायुमंडल में विमोचित करते हैं. [[ज्वालामुखी गैसें]] मुख्यतः [[जल वाष्प]], कार्बन डाइऑक्साइड और [[सल्फ़र डाइऑक्साइड]] हैं. विमोचित कार्बन डाइऑक्साइड मोटे तौर पर सिलिकेट अपक्षय [उद्धरण अपेक्षित] द्वारा हटाई गई मात्रा के बराबर है; अतः ये दो प्रक्रियाएं, जो रासायनिक तौर पर एक दूसरे के विपरीत हैं, लगभग शून्य के बराबर हैं और 100,000 वर्षों के समय मान पर वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर को प्रभावित नहीं करते.
* [[ज्वालामुखी उद्भेदन]] तथा [[रूपांतरण]] गैसों को वायुमंडल में विमोचित करते हैं। [[ज्वालामुखी गैसें]] मुख्यतः [[जल वाष्प]], कार्बन डाइऑक्साइड और [[सल्फ़र डाइऑक्साइड]] हैं। विमोचित कार्बन डाइऑक्साइड मोटे तौर पर सिलिकेट अपक्षय [उद्धरण अपेक्षित] द्वारा हटाई गई मात्रा के बराबर है; अतः ये दो प्रक्रियाएं, जो रासायनिक तौर पर एक दूसरे के विपरीत हैं, लगभग शून्य के बराबर हैं और 100,000 वर्षों के समय मान पर वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर को प्रभावित नहीं करते.


== जीवमंडल में ==
== जीवमंडल में ==
लगभग 42,000 [[गिगाटन]] कार्बन [[जीवमंडल]] में मौजूद है. कार्बन पृथ्वी पर जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है. यह सभी जीवित [[कोशिकाओं]] की [[संरचना]], [[जैव-रसायन]] और [[पोषण]] में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
लगभग 42,000 [[गिगाटन]] कार्बन [[जीवमंडल]] में मौजूद है. कार्बन पृथ्वी पर जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है. यह सभी जीवित [[कोशिकाओं]] की [[संरचना]], [[जैव-रसायन]] और [[पोषण]] में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
* [[स्वपोषक]] ऐसे जीव हैं जो हवा या जल से, जहां वे जी रहे हों, कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग करते हुए स्वयं अपना [[कार्बनिक यौगिक]] उत्पादित करते हैं. ऐसा करने के लिए उन्हें ऊर्जा के बाहरी स्रोत की ज़रूरत है. लगभग सभी स्वपोषक इसे उपलब्ध कराने के लिए सौर विकिरण का उपयोग करते हैं और उनकी उत्पादन प्रक्रिया [[प्रकाश-संश्लेषण]] कहलाती है. कुछ स्वपोषक [[रसायनी-संश्लेषण]] नामक प्रक्रिया में रासायनिक ऊर्जा के स्रोतों का दोहन करते हैं. कार्बन चक्र के लिए सबसे महत्वपूर्ण स्वपोषक हैं भूमि पर जंगलों में [[वृक्ष]] और पृथ्वी के महासागरों में [[पादप-प्लवक]]. प्रकाश-संश्लेषण इस प्रतिक्रिया का अनुसरण करता है 6CO<sub>2</sub> + 6H<sub>2</sub>O → C<sub>6</sub>H<sub>12</sub>O<sub>6</sub> + 6O<sub>2</sub>
* [[स्वपोषक]] ऐसे जीव हैं जो हवा या जल से, जहां वे जी रहे हों, कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग करते हुए स्वयं अपना [[कार्बनिक यौगिक]] उत्पादित करते हैं। ऐसा करने के लिए उन्हें ऊर्जा के बाहरी स्रोत की ज़रूरत है. लगभग सभी स्वपोषक इसे उपलब्ध कराने के लिए सौर विकिरण का उपयोग करते हैं और उनकी उत्पादन प्रक्रिया [[प्रकाश-संश्लेषण]] कहलाती है. कुछ स्वपोषक [[रसायनी-संश्लेषण]] नामक प्रक्रिया में रासायनिक ऊर्जा के स्रोतों का दोहन करते हैं। कार्बन चक्र के लिए सबसे महत्वपूर्ण स्वपोषक हैं भूमि पर जंगलों में [[वृक्ष]] और पृथ्वी के महासागरों में [[पादप-प्लवक]]. प्रकाश-संश्लेषण इस प्रतिक्रिया का अनुसरण करता है 6CO<sub>2</sub> + 6H<sub>2</sub>O → C<sub>6</sub>H<sub>12</sub>O<sub>6</sub> + 6O<sub>2</sub>
* जीवमंडल के अंतर्गत कार्बन अन्य जीवों या उनके अंगों (उदा.फल) पर [[परपोषक]] खाद्य के रूप में स्थानांतरित होते हैं. इसमें [[किण्वन]] या [[क्षय]] के लिए कवक और बैक्टीरिया द्वारा निर्जीव कार्बनिक पदार्थ ([[मलबा]]) का उदग्रहण शामिल है.
* जीवमंडल के अंतर्गत कार्बन अन्य जीवों या उनके अंगों (उदा.फल) पर [[परपोषक]] खाद्य के रूप में स्थानांतरित होते हैं। इसमें [[किण्वन]] या [[क्षय]] के लिए कवक और बैक्टीरिया द्वारा निर्जीव कार्बनिक पदार्थ ([[मलबा]]) का उदग्रहण शामिल है.
* सर्वाधिक कार्बन [[श्वसन]] के माध्यम से जीवमंडल छोड़ देता है. जब ऑक्सीजन मौजूद हो, तब [[वायु-श्वसन]] होता है, जो निम्नलिखित प्रतिक्रिया के बाद आस-पास की हवा या पानी में कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ता है, C<sub>6</sub>H<sub>12</sub>O<sub>6</sub> + 6O<sub>2</sub> → 6CO<sub>2</sub> + 6H<sub>2</sub>O
* सर्वाधिक कार्बन [[श्वसन]] के माध्यम से जीवमंडल छोड़ देता है. जब ऑक्सीजन मौजूद हो, तब [[वायु-श्वसन]] होता है, जो निम्नलिखित प्रतिक्रिया के बाद आस-पास की हवा या पानी में कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ता है, C<sub>6</sub>H<sub>12</sub>O<sub>6</sub> + 6O<sub>2</sub> → 6CO<sub>2</sub> + 6H<sub>2</sub>O
अन्यथा, [[अनाक्सीय श्वसन]] होता है और आस-पास के परिवेश में मीथेन छोड़ता है, जो अंततः वायुमंडल या जलमंडल में अपनी राह बनाता है (उदा., कच्छ गैस या [[उदर-वायु]] के रूप में).
अन्यथा, [[अनाक्सीय श्वसन]] होता है और आस-पास के परिवेश में मीथेन छोड़ता है, जो अंततः वायुमंडल या जलमंडल में अपनी राह बनाता है (उदा., कच्छ गैस या [[उदर-वायु]] के रूप में).
* जैव-संहति का दहन (उदा.जंगल की आग, गरम करने के लिए इस्तेमाल लकड़ी और कोई कार्बनिक) भी वातावरण में कार्बन की पर्याप्त मात्रा को स्थानांतरित कर सकता है
* जैव-संहति का दहन (उदा.जंगल की आग, गरम करने के लिए इस्तेमाल लकड़ी और कोई कार्बनिक) भी वातावरण में कार्बन की पर्याप्त मात्रा को स्थानांतरित कर सकता है
* जब भूमंडल में निर्जीव कार्बनिक पदार्थ (जैसे [[पीट]]) शामिल हो जाता है, तब भी कार्बन जीवमंडल के भीतर परिचालित हो सकता है. विशेषतः [[कैल्शियम कार्बोनेट]] के बने [[पशु खोल]], अंततः [[अवसाद]] की प्रक्रिया के माध्यम से [[चूना पत्थर]] बन सकते हैं.
* जब भूमंडल में निर्जीव कार्बनिक पदार्थ (जैसे [[पीट]]) शामिल हो जाता है, तब भी कार्बन जीवमंडल के भीतर परिचालित हो सकता है. विशेषतः [[कैल्शियम कार्बोनेट]] के बने [[पशु खोल]], अंततः [[अवसाद]] की प्रक्रिया के माध्यम से [[चूना पत्थर]] बन सकते हैं।
* गहरे समुद्र में कार्बन चक्र के बारे में अभी भी बहुत कुछ जानना बाक़ी है. उदाहरण के लिए, हाल ही की एक खोज है कि [[लार्वेशियन]] श्लेष्म घर (जो "सिंकर्स" नाम से विख्यात हैं) इतनी अधिक संख्या में तैयार होते हैं कि वे गहरे सागर में कार्बन बहुत ज़्यादा वितरित करते हैं, जिनका पहले [[अवसाद जाल]] के रूप में पता लगाया गया था.<ref>{{cite press release|title="Sinkers" provide missing piece in deep-sea puzzle|publisher=Monterey Bay Aquarium
* गहरे समुद्र में कार्बन चक्र के बारे में अभी भी बहुत कुछ जानना बाक़ी है. उदाहरण के लिए, हाल ही की एक खोज है कि [[लार्वेशियन]] श्लेष्म घर (जो "सिंकर्स" नाम से विख्यात हैं) इतनी अधिक संख्या में तैयार होते हैं कि वे गहरे सागर में कार्बन बहुत ज़्यादा वितरित करते हैं, जिनका पहले [[अवसाद जाल]] के रूप में पता लगाया गया था.<ref>{{cite press release|title="Sinkers" provide missing piece in deep-sea puzzle|publisher=Monterey Bay Aquarium
Research Institute (MBARI)|date=2005-06-09|url=http://www.mbari.org/news/news_releases/2005/sinkers-release.pdf|accessdate=2007-10-07}}</ref> उनके आकार और संरचना की वजह से, ये घर शायद ही कभी इस तरह के जाल में एकत्र होते रहे हैं, अतः अधिकांश जैव-भू-रासायनिक विश्लेषणों ने ग़लती से उन्हें नज़रअंदाज़ किया है.
Research Institute (MBARI)|date=2005-06-09|url=http://www.mbari.org/news/news_releases/2005/sinkers-release.pdf|accessdate=2007-10-07}}</ref> उनके आकार और संरचना की वजह से, ये घर शायद ही कभी इस तरह के जाल में एकत्र होते रहे हैं, अतः अधिकांश जैव-भू-रासायनिक विश्लेषणों ने ग़लती से उन्हें नज़रअंदाज़ किया है.
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== समुद्र में ==
== समुद्र में ==
[[चित्र:WOA05 GLODAP pd DIC AYool.png|thumb|right|200px|"वर्तमान दिन" (1990 दशक) समुद्री सतह पर द्रवीभूत अकार्बनिक कार्बन सांद्रता (GLODAP जलवायु-विज्ञान से)]]
[[चित्र:WOA05 GLODAP pd DIC AYool.png|thumb|right|200px|"वर्तमान दिन" (1990 दशक) समुद्री सतह पर द्रवीभूत अकार्बनिक कार्बन सांद्रता (GLODAP जलवायु-विज्ञान से)]]
[[सागर]] में लगभग 36,000 [[गिगाटन]] कार्बन मौजूद है, जिसमें अधिकांश [[बाइकार्बोनेट]] [[आयन]] के रूप में है (लगभग 90%, जिसमें बाक़ी [[कार्बोनेट]] है) हरीकेन और टाइफ़ून जैसे प्रचंड तूफ़ान बहुत ज़्यादा कार्बन दफ़नाते हैं, क्योंकि वे इतना ज़्यादा अवसाद दूर धो डालते हैं. उदाहरण के लिए, जियॉलोजी पत्रिका के जुलाई 2008 के अंक में एक दल ने रिपोर्ट किया कि ताइवान में एक अकेला टाइफ़ून सागर में-अवसाद के रूप में-इतना ज्यादा कार्बन दफ़नाता है, जितना पूरे वर्ष उस देश की सभी अन्य बारिशें.<ref>[http://newswise.com/articles/view/542887/ Typhoons Bury Tons of Carbon in the Oceans] न्यूज़वाइस, 27 जुलाई, 2008 को पुनःप्राप्त.</ref> अकार्बनिक कार्बन, यानी कार्बन-कार्बन या कार्बन-हाइड्रोजन बांड रहित कार्बन यौगिक, जल के अंदर अपनी प्रतिक्रियाओं में महत्वपूर्ण हैं. यह कार्बन विनिमय सागर के [[pH]] को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण हो जाता है और कार्बन के स्रोत या विलय के रूप में अलग भी हो सकता है. कार्बन का वायुमंडल और सागर के बीच आसानी से विनिमय होता है. समुद्री ऊर्ध्व-प्रवाही क्षेत्रों में, कार्बन वायुमंडल में विमोचित होता है. इसके विपरीत, अधो-प्रवाही क्षेत्रों में कार्बन (CO <sub>2)</sub>) का अंतरण वायुमंडल से समुद्र की ओर होता है. जब CO<sub>2</sub> समुद्र में प्रवेश करता है, वह सिलसिलेवार प्रतिक्रियाओं में भाग लेता है, जो स्थानीय रूप से संतुलन में हैं:
[[सागर]] में लगभग 36,000 [[गिगाटन]] कार्बन मौजूद है, जिसमें अधिकांश [[बाइकार्बोनेट]] [[आयन]] के रूप में है (लगभग 90%, जिसमें बाक़ी [[कार्बोनेट]] है) हरीकेन और टाइफ़ून जैसे प्रचंड तूफ़ान बहुत ज़्यादा कार्बन दफ़नाते हैं, क्योंकि वे इतना ज़्यादा अवसाद दूर धो डालते हैं। उदाहरण के लिए, जियॉलोजी पत्रिका के जुलाई 2008 के अंक में एक दल ने रिपोर्ट किया कि ताइवान में एक अकेला टाइफ़ून सागर में-अवसाद के रूप में-इतना ज्यादा कार्बन दफ़नाता है, जितना पूरे वर्ष उस देश की सभी अन्य बारिशें.<ref>[http://newswise.com/articles/view/542887/ Typhoons Bury Tons of Carbon in the Oceans] न्यूज़वाइस, 27 जुलाई, 2008 को पुनःप्राप्त.</ref> अकार्बनिक कार्बन, यानी कार्बन-कार्बन या कार्बन-हाइड्रोजन बांड रहित कार्बन यौगिक, जल के अंदर अपनी प्रतिक्रियाओं में महत्वपूर्ण हैं। यह कार्बन विनिमय सागर के [[pH]] को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण हो जाता है और कार्बन के स्रोत या विलय के रूप में अलग भी हो सकता है. कार्बन का वायुमंडल और सागर के बीच आसानी से विनिमय होता है. समुद्री ऊर्ध्व-प्रवाही क्षेत्रों में, कार्बन वायुमंडल में विमोचित होता है. इसके विपरीत, अधो-प्रवाही क्षेत्रों में कार्बन (CO <sub>2)</sub>) का अंतरण वायुमंडल से समुद्र की ओर होता है. जब CO<sub>2</sub> समुद्र में प्रवेश करता है, वह सिलसिलेवार प्रतिक्रियाओं में भाग लेता है, जो स्थानीय रूप से संतुलन में हैं:


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::<sub>3</sub> HCO <sup>-</sup> {{unicode|⇌}} H<sup>+ +</sup> <sub></sub> CO3 <sup>-</sup> (कार्बोनेट आयन)
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प्रतिक्रियाओं का यह सेट, जिसमें प्रत्येक का अपना संतुलन गुणांक है, महासागरों में अकार्बनिक कार्बन के स्वरूप को निर्धारित करता है<ref>{{cite book|last=Millero|first=Frank J.|edition=3|title=Chemical Oceanography|publisher=CRC Press|location=|year=2005|isbn=0849322804}}</ref>. समुद्री जल के लिए प्रयोगाश्रित रूप से निर्धारित गुणांक, स्वयं तापमान, दबाव और अन्य आयनों की मौजूदगी (विशेषकर बोरेट) के लिए प्रकार्य हैं. महासागर में संतुलन प्रभावशाली रूप से बाइकार्बोनेट का पक्ष लेते हैं. चूंकि यह आयन वायुमंडलीय CO<sub>2</sub> से तीन चरण दूर है, समुद्र में अकार्बनिक कार्बन का भंडारण स्तर, CO<sub>2</sub> के वायुमंडलीय आंशिक दबाव के प्रति इकाई का अनुपात नहीं है. समुद्र के लिए कारक है दस: अर्थात् वायुमंडलीय CO<sub>2</sub> में 10% वृद्धि के प्रति, समुद्री भंडारण (संतुलन में) वृद्धि लगभग 1% होती है, जहां वास्तविक घटक स्थानीय परिस्थितियों पर निर्भर हैं. इस मध्यवर्ती कारक को अक्सर [[रोजर रेवेल]] के नाम पर "[[रेवेल फैक्टर]]" कहा जाता है.
प्रतिक्रियाओं का यह सेट, जिसमें प्रत्येक का अपना संतुलन गुणांक है, महासागरों में अकार्बनिक कार्बन के स्वरूप को निर्धारित करता है<ref>{{cite book|last=Millero|first=Frank J.|edition=3|title=Chemical Oceanography|publisher=CRC Press|location=|year=2005|isbn=0849322804}}</ref>. समुद्री जल के लिए प्रयोगाश्रित रूप से निर्धारित गुणांक, स्वयं तापमान, दबाव और अन्य आयनों की मौजूदगी (विशेषकर बोरेट) के लिए प्रकार्य हैं। महासागर में संतुलन प्रभावशाली रूप से बाइकार्बोनेट का पक्ष लेते हैं। चूंकि यह आयन वायुमंडलीय CO<sub>2</sub> से तीन चरण दूर है, समुद्र में अकार्बनिक कार्बन का भंडारण स्तर, CO<sub>2</sub> के वायुमंडलीय आंशिक दबाव के प्रति इकाई का अनुपात नहीं है. समुद्र के लिए कारक है दस: अर्थात् वायुमंडलीय CO<sub>2</sub> में 10% वृद्धि के प्रति, समुद्री भंडारण (संतुलन में) वृद्धि लगभग 1% होती है, जहां वास्तविक घटक स्थानीय परिस्थितियों पर निर्भर हैं। इस मध्यवर्ती कारक को अक्सर [[रोजर रेवेल]] के नाम पर "[[रेवेल फैक्टर]]" कहा जाता है.


महासागरों में द्रवीभूत कार्बोनेट, विशेषकर सूक्ष्म जीवों के खोल के रूप में, ठोस कैल्शियम कार्बोनेट, CaCO<sub>3</sub>, अवक्षेपित करने के लिए द्रवीभूत कैल्शियम के साथ संयोजित होता है. जब ये जीव मर जाते हैं, उनके खोल डूब जाते हैं और [[सागर तल]] पर जमा हो जाते हैं. समय के साथ ये कार्बोनेट अवसाद [[चूना पत्थर]] बनाते हैं, जो कार्बन चक्र में कार्बन का सबसे बड़ा भंडार है. महासागरों में द्रवीभूत कैल्शियम, [[कैल्शियम-सिलिकेट चट्टानों]] के [[रासायनिक अपक्षय]] से आता है, जिस समय भू-जल में कार्बोनिक और अन्य अम्ल, कैल्शियम वाले खनिजों के साथ प्रतिक्रिया करते हुए घोल में कैल्शियम आयन विमोचित करते हैं और नई एल्यूमिनियम से समृद्ध चिकनी [[खनिज मिट्टी]] और [[स्फटिक]] जैसे अविलेय खनिज पदार्थ के अवशेष पीछे छोड़ जाते हैं.
महासागरों में द्रवीभूत कार्बोनेट, विशेषकर सूक्ष्म जीवों के खोल के रूप में, ठोस कैल्शियम कार्बोनेट, CaCO<sub>3</sub>, अवक्षेपित करने के लिए द्रवीभूत कैल्शियम के साथ संयोजित होता है. जब ये जीव मर जाते हैं, उनके खोल डूब जाते हैं और [[सागर तल]] पर जमा हो जाते हैं। समय के साथ ये कार्बोनेट अवसाद [[चूना पत्थर]] बनाते हैं, जो कार्बन चक्र में कार्बन का सबसे बड़ा भंडार है. महासागरों में द्रवीभूत कैल्शियम, [[कैल्शियम-सिलिकेट चट्टानों]] के [[रासायनिक अपक्षय]] से आता है, जिस समय भू-जल में कार्बोनिक और अन्य अम्ल, कैल्शियम वाले खनिजों के साथ प्रतिक्रिया करते हुए घोल में कैल्शियम आयन विमोचित करते हैं और नई एल्यूमिनियम से समृद्ध चिकनी [[खनिज मिट्टी]] और [[स्फटिक]] जैसे अविलेय खनिज पदार्थ के अवशेष पीछे छोड़ जाते हैं।


== यह भी देखें ==
== यह भी देखें ==

19:50, 13 सितंबर 2014 का अवतरण

कार्बन चक्र आरेख. काली संख्याएं बिलियन टनों में सूचित करती हैं कि विभिन्न जलाशयों में कितना कार्बन संग्रहीत है ("GtC" से तात्पर्य कार्बन गिगाटन और आंकडे लगभग 2004 के हैं). गहरी नीली संख्याएं सूचित करती हैं कि प्रत्येक वर्ष कितना कार्बन जलाशयों के बीच संचालित होता है. इस चित्र में वर्णित रूप से अवसादों में कार्बोनेट चट्टान और किरोजेन के ~70 मिलियन GtC शामिल नहीं हैं।

कार्बन चक्र जैव-भूरासायनिक चक्र है जिसके द्वारा कार्बन का जीवमंडल, मृदामंडल, भूमंडल, जलमंडल और पृथ्वी के वायुमंडल के साथ विनिमय होता है. यह पृथ्वी के सबसे महत्वपूर्ण चक्रों में एक है और जीवमंडल तथा उसके समस्त जीवों के साथ कार्बन के पुनर्नवीनीकरण और पुनरुपयोग को अनुमत करता है[उद्धरण चाहिए].

कार्बन चक्र की खोज प्रारंभिक रूप से जोसेफ़ प्रिस्टली और एंटोनी लावाइसियर ने की और हमफ़्री डेवी ने इसे प्रतिपादित किया।[1] अब इसे आम तौर पर विनिमय मार्गों द्वारा जुड़े पांच[उद्धरण चाहिए] प्रमुख कार्बन भंडार के रूप में माना गया है. ये भंडार हैं:

  • वायुमंडल
  • स्थलीय जीवमंडल, जिसे आम तौर पर ताज़ा जल प्रणालियों और मृदा कार्बन जैसे निर्जीव कार्बनिक पदार्थों को शामिल करते हुए वर्णित किया गया है.
  • समुद्र, जिसमें द्रवीभूत अकार्बनिक कार्बन और सजीव और निर्जीव समुद्री जीवसमूह शामिल हैं,
  • जीवाश्म ईंधन सहित अवसाद.
  • पृथ्वी का आभ्यंतर, ज्वालामुखियों और भू-ऊष्मीय प्रणालियों द्वारा भूमि के प्रावरण और भूपटल से कार्बन वायुमंडल और जलमंडल में छोड़ा जाता है.

कार्बन के वार्षिक संचलन, भंडारों के बीच कार्बन विनिमय, विभिन्न रासायनिक, भौतिक, भूवैज्ञानिक और जैविक प्रक्रियाओं की वजह से होते हैं। पृथ्वी की सतह के निकट समुद्र के पास कार्बन का सबसे बड़ा सक्रिय कुंड है, लेकिन इस कुंड का गहरा सागर वाला अंश वायुमंडल के साथ तेजी से विनिमय नहीं करता है.

वैश्विक कार्बन बजट कार्बन भंडारों के बीच या कार्बन चक्र के एक विशिष्ट चक्र (उदा., वायुमंडल ↔ जीवमंडल) के बीच कार्बन के विनिमय का संतुलन (आय और नुक्सान) है. एक कुंड या भंडार के कार्बन बजट का परीक्षण यह जानकारी उपलब्ध करा सकता है कि कुंड या भंडार कार्बन डाइऑक्साइड के स्रोत के रूप में काम कर रहा है या विलय गर्त के रूप में.

वायुमंडल में

क्षोभमंडल में 2010 कार्बन डाइऑक्साइड सांद्रता.

पृथ्वी के वायुमंडल में कार्बन मुख्य रूप से गैसीय कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के रूप में मौजूद है. हालांकि यह वायुमंडल का छोटा प्रतिशत है (ग्रामाणु आधार पर लगभग 0.04%), यह जीवन के समर्थन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. वायुमंडल में मौजूद कार्बन युक्त अन्य गैसें हैं मीथेन और क्लोरोफ़्लोरोकार्बन (परवर्ती संपूर्णतः मानवोद्भविक है). वृक्ष प्रकाश संश्लेषण के दौरान, प्रक्रिया में ऑक्सीजन को छोड़ते हुए, कार्बन डाइऑक्साइड को कार्बोहाइड्रेट में बदलते हैं। यह प्रक्रिया अपेक्षाकृत नए जंगलों में अधिक होता है, जहां वृक्षों का विकास और भी तेजी से होता है. इसका प्रभाव वसंत के दौरान पत्ते निकलते समय पर्णपाती जंगलों में ज़्यादा रहता है. यह मापे गए CO 2 सांद्रता के कीलिंग वक्र में वार्षिक संकेत के रूप में सुस्पष्ट है. उत्तरी गोलार्द्ध वसंत प्रबल रहता है, चूंकि वहां शीतोष्ण अक्षांश पर दक्षिणी गोलार्द्ध की तुलना में काफ़ी ज़्यादा भूमि है.

  • वन ग्रह के भूमि से ऊपर कार्बन का 86% और ग्रह के मृदा कार्बन का 73% संग्रहित करते हैं।[2]
  • ध्रुवों की ओर समुद्री सतह पर, समुद्री जल अधिक ठंडा हो जाता है और अधिक कार्बोनिक अम्ल तैयार होता है चूंकि CO2 अधिक घुलनशील हो जाता है. यह समुद्र के उष्मिक-लवणी संचरणों के साथ युग्मित होता है, जो घने सतही जल को महासागर के अभ्यंतर में परिवहन करती है (विलेयता पंप की प्रविष्टि देखें).
  • उच्च जैविक उत्पादकता वाले ऊपरी समुद्री क्षेत्रों में, जीव अपचित कार्बन को ऊतकों में, या सीपियों तथा चोल जैसे कड़े शारीरिक अंगों के कार्बोनेट में परिवर्तित करते हैं। ये क्रमशः, समुद्र के जिन स्तरों पर इनका निर्माण हुआ है उससे निम्न औसत स्तरों पर ऑक्सीकरण करते (मृदु-ऊतक पंप) और पुनःद्रवीभूत होते (कार्बोनेट पंप) हैं, जिसके परिणामस्वरूप कार्बन का नीचे की ओर प्रवाह होता है (देखें जैविक पंप की प्रविष्टि).
  • सिलिकेट चट्टान के अपक्षय (देखें कार्बोनेट-सिलिकेट चक्र). कार्बोनिक एसिड बाइकारबोनेट आयनों का उत्पादन करने के लिए अपक्षीण चट्टान के साथ प्रतिक्रिया करता है. उत्पादित बाइकारबोनेट आयन समुद्र में ले जाए जाते हैं, जहां वे समुद्री कार्बोनेट तैयार करने में इस्तेमाल होते हैं। संतुलन में द्रवीभूत CO2 या क्षय होने वाले ऊतकों के विपरीत, अपक्षय कार्बन को जलाशय में नहीं ले जाता जहां से वे आसानी से वायुमंडल में लौट सकें.
  • 1958 में, मॉना लोआ में वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड प्रति मिलियन 320 अंश था (ppm) और 2010 में यह लगभग 385ppm है[3].
  • भावी CO2 उत्सर्जन की गणना काया पहचान द्वारा की जा सकती है.

वायुमंडल में कार्बन कई तरीक़ों से छोड़ा जा सकता है:

  • पौधों और जानवरों द्वारा संपन्न श्वसन के ज़रिए. यह ऊष्माक्षेपी प्रतिक्रिया है और इसमें ग्लूकोज़ (या अन्य कार्बनिक अणुओं) का कार्बन डाइऑक्साइड और पानी में विखंडन शामिल है.
  • जानवर और पौधों के क्षय के माध्यम से. कवक और जीवाणु मृत जानवरों और पौधों में कार्बन यौगिकों को भंग करते हैं तथा ऑक्सिजन मौजूद हो तो कार्बन को कार्बन डाइऑक्साइड में, अगर नहीं हो तो मीथेन में बदलते हैं।
  • कार्बनिक पदार्थों के दहन के ज़रिए, जो उसमें मौजूद कार्बन का ऑक्सीकरण करता है, जिससे कार्बन डाइऑक्साइड (और भाप जैसे अन्य पदार्थ) उत्पादित होता है. कोयला, पेट्रोलियम उत्पाद और अन्य प्राकृतिक गैस जैसे जीवाश्म ईंधनों को जलाने से कार्बन विमोचित होता है जो करोड़ों वर्षों से भूमंडल में संग्रहीत है. सस्य ईंधन को जलाने से भी कार्बन डाइऑक्साइड विमोचित होता है जो केवल कुछ वर्षों या उससे भी कम समय तक जमा रहते हैं।
  • सीमेंट का उत्पादन. जब सीमेंट के एक घटक, चूना (कैल्शियम ऑक्साइड) के उत्पादन के लिए चूना पत्थर (कैल्शियम कार्बोनेट) को गरम किया जाता है तो कार्बन डाइऑक्साइड मुक्त होता है.
  • महासागरों की सतह पर, जहां पानी गर्म हो जाता है, द्रवीभूत कार्बन डाइऑक्साइड वायुमंडल में वापस चला जाता है.
  • ज्वालामुखी उद्भेदन तथा रूपांतरण गैसों को वायुमंडल में विमोचित करते हैं। ज्वालामुखी गैसें मुख्यतः जल वाष्प, कार्बन डाइऑक्साइड और सल्फ़र डाइऑक्साइड हैं। विमोचित कार्बन डाइऑक्साइड मोटे तौर पर सिलिकेट अपक्षय [उद्धरण अपेक्षित] द्वारा हटाई गई मात्रा के बराबर है; अतः ये दो प्रक्रियाएं, जो रासायनिक तौर पर एक दूसरे के विपरीत हैं, लगभग शून्य के बराबर हैं और 100,000 वर्षों के समय मान पर वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर को प्रभावित नहीं करते.

जीवमंडल में

लगभग 42,000 गिगाटन कार्बन जीवमंडल में मौजूद है. कार्बन पृथ्वी पर जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है. यह सभी जीवित कोशिकाओं की संरचना, जैव-रसायन और पोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

  • स्वपोषक ऐसे जीव हैं जो हवा या जल से, जहां वे जी रहे हों, कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग करते हुए स्वयं अपना कार्बनिक यौगिक उत्पादित करते हैं। ऐसा करने के लिए उन्हें ऊर्जा के बाहरी स्रोत की ज़रूरत है. लगभग सभी स्वपोषक इसे उपलब्ध कराने के लिए सौर विकिरण का उपयोग करते हैं और उनकी उत्पादन प्रक्रिया प्रकाश-संश्लेषण कहलाती है. कुछ स्वपोषक रसायनी-संश्लेषण नामक प्रक्रिया में रासायनिक ऊर्जा के स्रोतों का दोहन करते हैं। कार्बन चक्र के लिए सबसे महत्वपूर्ण स्वपोषक हैं भूमि पर जंगलों में वृक्ष और पृथ्वी के महासागरों में पादप-प्लवक. प्रकाश-संश्लेषण इस प्रतिक्रिया का अनुसरण करता है 6CO2 + 6H2O → C6H12O6 + 6O2
  • जीवमंडल के अंतर्गत कार्बन अन्य जीवों या उनके अंगों (उदा.फल) पर परपोषक खाद्य के रूप में स्थानांतरित होते हैं। इसमें किण्वन या क्षय के लिए कवक और बैक्टीरिया द्वारा निर्जीव कार्बनिक पदार्थ (मलबा) का उदग्रहण शामिल है.
  • सर्वाधिक कार्बन श्वसन के माध्यम से जीवमंडल छोड़ देता है. जब ऑक्सीजन मौजूद हो, तब वायु-श्वसन होता है, जो निम्नलिखित प्रतिक्रिया के बाद आस-पास की हवा या पानी में कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ता है, C6H12O6 + 6O2 → 6CO2 + 6H2O

अन्यथा, अनाक्सीय श्वसन होता है और आस-पास के परिवेश में मीथेन छोड़ता है, जो अंततः वायुमंडल या जलमंडल में अपनी राह बनाता है (उदा., कच्छ गैस या उदर-वायु के रूप में).

  • जैव-संहति का दहन (उदा.जंगल की आग, गरम करने के लिए इस्तेमाल लकड़ी और कोई कार्बनिक) भी वातावरण में कार्बन की पर्याप्त मात्रा को स्थानांतरित कर सकता है
  • जब भूमंडल में निर्जीव कार्बनिक पदार्थ (जैसे पीट) शामिल हो जाता है, तब भी कार्बन जीवमंडल के भीतर परिचालित हो सकता है. विशेषतः कैल्शियम कार्बोनेट के बने पशु खोल, अंततः अवसाद की प्रक्रिया के माध्यम से चूना पत्थर बन सकते हैं।
  • गहरे समुद्र में कार्बन चक्र के बारे में अभी भी बहुत कुछ जानना बाक़ी है. उदाहरण के लिए, हाल ही की एक खोज है कि लार्वेशियन श्लेष्म घर (जो "सिंकर्स" नाम से विख्यात हैं) इतनी अधिक संख्या में तैयार होते हैं कि वे गहरे सागर में कार्बन बहुत ज़्यादा वितरित करते हैं, जिनका पहले अवसाद जाल के रूप में पता लगाया गया था.[4] उनके आकार और संरचना की वजह से, ये घर शायद ही कभी इस तरह के जाल में एकत्र होते रहे हैं, अतः अधिकांश जैव-भू-रासायनिक विश्लेषणों ने ग़लती से उन्हें नज़रअंदाज़ किया है.

जीवमंडल में कार्बन का भंडारण विभिन्न काल-मानों में असंख्य प्रक्रियाओं द्वारा प्रभावित होता है: जबकि शुद्ध प्राथमिक उत्पादकता दैनिक और मौसमी चक्र का अनुसरण करती है, कार्बन वृक्षों पर सैकड़ों वर्ष और मिट्टी में हज़ारों वर्षों तक संग्रहित किया जा सकता है. इस प्रकार उन दीर्घकालिक कार्बन कुंडों में परिवर्तन (उदा. वनरोपण या वनों की कटाई के ज़रिए अथवा मृदा श्वसन में तापमान-संबंधी परिवर्तनों के माध्यम से) वैश्विक जलवायु परिवर्तन को प्रभावित कर सकता है.

समुद्र में

"वर्तमान दिन" (1990 दशक) समुद्री सतह पर द्रवीभूत अकार्बनिक कार्बन सांद्रता (GLODAP जलवायु-विज्ञान से)

सागर में लगभग 36,000 गिगाटन कार्बन मौजूद है, जिसमें अधिकांश बाइकार्बोनेट आयन के रूप में है (लगभग 90%, जिसमें बाक़ी कार्बोनेट है) हरीकेन और टाइफ़ून जैसे प्रचंड तूफ़ान बहुत ज़्यादा कार्बन दफ़नाते हैं, क्योंकि वे इतना ज़्यादा अवसाद दूर धो डालते हैं। उदाहरण के लिए, जियॉलोजी पत्रिका के जुलाई 2008 के अंक में एक दल ने रिपोर्ट किया कि ताइवान में एक अकेला टाइफ़ून सागर में-अवसाद के रूप में-इतना ज्यादा कार्बन दफ़नाता है, जितना पूरे वर्ष उस देश की सभी अन्य बारिशें.[5] अकार्बनिक कार्बन, यानी कार्बन-कार्बन या कार्बन-हाइड्रोजन बांड रहित कार्बन यौगिक, जल के अंदर अपनी प्रतिक्रियाओं में महत्वपूर्ण हैं। यह कार्बन विनिमय सागर के pH को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण हो जाता है और कार्बन के स्रोत या विलय के रूप में अलग भी हो सकता है. कार्बन का वायुमंडल और सागर के बीच आसानी से विनिमय होता है. समुद्री ऊर्ध्व-प्रवाही क्षेत्रों में, कार्बन वायुमंडल में विमोचित होता है. इसके विपरीत, अधो-प्रवाही क्षेत्रों में कार्बन (CO 2)) का अंतरण वायुमंडल से समुद्र की ओर होता है. जब CO2 समुद्र में प्रवेश करता है, वह सिलसिलेवार प्रतिक्रियाओं में भाग लेता है, जो स्थानीय रूप से संतुलन में हैं:

समाधान:

CO2 (वायुमंडलीय) CO2 (द्रवीभूत)

कार्बोनिक अम्ल में रूपांतरण:

CO2 (द्रवीभूत) + H2O H2CO3

प्रथम आयनीकरण:

H2CO3H++ HCO3 (बाइकार्बोनेट आयन)

द्वितीय आयनीकरण:

3 HCO - H+ + CO3 - (कार्बोनेट आयन)

प्रतिक्रियाओं का यह सेट, जिसमें प्रत्येक का अपना संतुलन गुणांक है, महासागरों में अकार्बनिक कार्बन के स्वरूप को निर्धारित करता है[6]. समुद्री जल के लिए प्रयोगाश्रित रूप से निर्धारित गुणांक, स्वयं तापमान, दबाव और अन्य आयनों की मौजूदगी (विशेषकर बोरेट) के लिए प्रकार्य हैं। महासागर में संतुलन प्रभावशाली रूप से बाइकार्बोनेट का पक्ष लेते हैं। चूंकि यह आयन वायुमंडलीय CO2 से तीन चरण दूर है, समुद्र में अकार्बनिक कार्बन का भंडारण स्तर, CO2 के वायुमंडलीय आंशिक दबाव के प्रति इकाई का अनुपात नहीं है. समुद्र के लिए कारक है दस: अर्थात् वायुमंडलीय CO2 में 10% वृद्धि के प्रति, समुद्री भंडारण (संतुलन में) वृद्धि लगभग 1% होती है, जहां वास्तविक घटक स्थानीय परिस्थितियों पर निर्भर हैं। इस मध्यवर्ती कारक को अक्सर रोजर रेवेल के नाम पर "रेवेल फैक्टर" कहा जाता है.

महासागरों में द्रवीभूत कार्बोनेट, विशेषकर सूक्ष्म जीवों के खोल के रूप में, ठोस कैल्शियम कार्बोनेट, CaCO3, अवक्षेपित करने के लिए द्रवीभूत कैल्शियम के साथ संयोजित होता है. जब ये जीव मर जाते हैं, उनके खोल डूब जाते हैं और सागर तल पर जमा हो जाते हैं। समय के साथ ये कार्बोनेट अवसाद चूना पत्थर बनाते हैं, जो कार्बन चक्र में कार्बन का सबसे बड़ा भंडार है. महासागरों में द्रवीभूत कैल्शियम, कैल्शियम-सिलिकेट चट्टानों के रासायनिक अपक्षय से आता है, जिस समय भू-जल में कार्बोनिक और अन्य अम्ल, कैल्शियम वाले खनिजों के साथ प्रतिक्रिया करते हुए घोल में कैल्शियम आयन विमोचित करते हैं और नई एल्यूमिनियम से समृद्ध चिकनी खनिज मिट्टी और स्फटिक जैसे अविलेय खनिज पदार्थ के अवशेष पीछे छोड़ जाते हैं।

यह भी देखें

संदर्भ

  1. होम्स, रिचर्ड. "द एज ऑफ़ वंडर", पैंथियन बुक्स, 2008. ISBN 978-0-375-42222-5.
  2. सेड्जो, रोजर.1993. कार्बन चक्र और वैश्विक वन पारिस्थितिकी तंत्र. जल, वायु, मृदा प्रदूषण 70, 295-307. (Oregon Wild Report on Forests, Carbon, and Global Warming के ज़रिए)
  3. Trends in Carbon Dioxide — NOAA Earth System Research Laboratory
  4. Monterey Bay Aquarium Research Institute (MBARI) (2005-06-09). "Sinkers" provide missing piece in deep-sea puzzle. प्रेस रिलीज़. http://www.mbari.org/news/news_releases/2005/sinkers-release.pdf. अभिगमन तिथि: 2007-10-07. 
  5. Typhoons Bury Tons of Carbon in the Oceans न्यूज़वाइस, 27 जुलाई, 2008 को पुनःप्राप्त.
  6. Millero, Frank J. (2005). Chemical Oceanography (3 संस्करण). CRC Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0849322804.

अतिरिक्त पठन

  • Appenzeller, Tim (2004). "The case of the missing carbon". National Geographic Magazine. - लापता कार्बन विलय के बारे में लेख
  • Bolin, Bert (1979). The global carbon cycle. Chichester ; New York: Published on behalf of the Scientific Committee on Problems of the Environment (SCOPE) of the International Council of Scientific Unions (ICSU) by Wiley. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0471997102. अभिगमन तिथि 2008-07-08. नामालूम प्राचल |coauthors= की उपेक्षा की गयी (|author= सुझावित है) (मदद)
  • Houghton, R. A. (2005). "The contemporary carbon cycle". प्रकाशित William H Schlesinger (editor) (संपा॰). Biogeochemistry. Amsterdam: Elsevier Science. पपृ॰ 473–513. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0080446426.सीएस1 रखरखाव: फालतू पाठ: editors list (link)
  • Janzen, H. H. (2004). "Carbon cycling in earth systems—a soil science perspective". Agriculture, ecosystems and environment. 104 (3): 399–417. डीओआइ:10.1016/j.agee.2004.01.040.
  • Millero, Frank J. (2005). Chemical Oceanography (3 संस्करण). CRC Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0849322804.
  • Sundquist, Eric (1985). The Carbon Cycle and Atmospheric CO2: Natural variations Archean to Present. Geophysical Monographs Series. American Geophysical Union. नामालूम प्राचल |coauthors= की उपेक्षा की गयी (|author= सुझावित है) (मदद)

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