"सम्भल": अवतरणों में अंतर

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सरायतरीन, सम्भल का एक उपनगर लम्बे समय से हस्तशिल्प वस्तुओं के लिए जाना जाता है. इन वस्तुओं को बनाने वाले शिल्पकारों को अपनी कला का लिए काफी सम्मान दिया जाता है. (यद्यपि वे कम दर पर व अमानवीय वातावरण में कार्य करते हैं) सरायतरीन को पशुओं के सींगों, हड्डियों, लकडी, शंखों, पीतल, बांस व नारियल से बने हस्तशिल्पों व फैशन आभूषणों के केंद्र के रूप में जाना जाता है. इस कसबे की आबादी ७०,००० है जिनमें ४०,००० लोग कारीगर के रूप में कार्य करते हैं. सरायतरीन की एक और विशेषता सींग उर्वरक बनाने की है. पुराने समय में जब रासायनिक उर्वरक उपलब्ध नहीं थे, किसान पशुओं की हड्डियों वे सींगों से बने उर्वरकों का प्रयोग करते थे. अब सींगों के उर्वरक का व्यापर समाप्त हो गया है क्योंकि किसान सस्ते रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करने लगे हैं. अब हाजी रहम इलाही साहिब (१९९२ के राष्ट्रपति पुरस्कार विजेता) व कुछ अन्य की कुछ ही फैक्टरियाँ रह गयीं हैं.
सरायतरीन, सम्भल का एक उपनगर लम्बे समय से हस्तशिल्प वस्तुओं के लिए जाना जाता है. इन वस्तुओं को बनाने वाले शिल्पकारों को अपनी कला का लिए काफी सम्मान दिया जाता है. (यद्यपि वे कम दर पर व अमानवीय वातावरण में कार्य करते हैं) सरायतरीन को पशुओं के सींगों, हड्डियों, लकडी, शंखों, पीतल, बांस व नारियल से बने हस्तशिल्पों व फैशन आभूषणों के केंद्र के रूप में जाना जाता है. इस कसबे की आबादी ७०,००० है जिनमें ४०,००० लोग कारीगर के रूप में कार्य करते हैं. सरायतरीन की एक और विशेषता सींग उर्वरक बनाने की है. पुराने समय में जब रासायनिक उर्वरक उपलब्ध नहीं थे, किसान पशुओं की हड्डियों वे सींगों से बने उर्वरकों का प्रयोग करते थे. अब सींगों के उर्वरक का व्यापर समाप्त हो गया है क्योंकि किसान सस्ते रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करने लगे हैं. अब हाजी रहम इलाही साहिब (१९९२ के राष्ट्रपति पुरस्कार विजेता) व कुछ अन्य की कुछ ही फैक्टरियाँ रह गयीं हैं.


सम्भल मेंथा तेल (मेंथा के पौधे से निकला गया तेल जो कि दवाईओं आदि में रसायन के तौर पर प्रयोग होता है) का सबसे बड़ा बाज़ार है. सम्भल के साथ- साथ चंदौसी व बाराबंकी(तीनों पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हिस्से हैं) का भी उत्पादन में बराबर का हाथ है.
सम्भल मेंथा तेल (मेंथा के पौधे से निकला गया तेल जो कि दवाईओं आदि में रसायन के तौर पर प्रयोग होता है) का सबसे बड़ा बाज़ार है. सम्भल के साथ- साथ चंदौसी व बाराबंकी (तीनों पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हिस्से हैं) का भी उत्पादन में बराबर का हाथ है.


चक्की का पाट (पत्थर का बना पुराने समय में अनाज पीसने में काम आने वाला) सम्भल का एक प्रमुख सांस्कृतिक व ऐतिहासिक आकर्षण है जो जमीं से १५ मी कि ऊंचाई पर टंगा है. शहर में इसके बारे में एक कहानी बताई जाती है कि एक पेशेवर कूदनेवाले(जिसे 'नट' कहते हैं) ने इस भारी पत्थर के टुकड़े को बिना किसी अन्य सहारे के अकेले ऊपर टांग दिया था.
चक्की का पाट (पत्थर का बना पुराने समय में अनाज पीसने में काम आने वाला) सम्भल का एक प्रमुख सांस्कृतिक व ऐतिहासिक आकर्षण है जो जमीं से १५ मी कि ऊंचाई पर टंगा है. शहर में इसके बारे में एक कहानी बताई जाती है कि एक पेशेवर कूदनेवाले (जिसे 'नट' कहते हैं) ने इस भारी पत्थर के टुकड़े को बिना किसी अन्य सहारे के अकेले ऊपर टांग दिया था.


यह शहर हकीमों (यूनानी चिकित्सक) के लिए जाना जाता है. स्वर्गीय हकीम रईस(मृत्यु २००८) सबसे अधिक प्रसिद्व थे. उनकी वंशावली उनके पुत्रों हकीम ज़फर(बड़े) व हकीम नासर(छोटे) द्वारा आगे बढाई जा रही है. देश के सबसे प्रसिद्व यूनानी ब्रांड दर्दमंद, जनता दर्दमंद दवाखाना भी सम्भल से ही हकीम कौसर अहमद द्वारा बनाई जाती है. अधिकांश दवाएं अरब, उत्तर व पूर्व देशों में भेजी जातीं हैं.
यह शहर हकीमों (यूनानी चिकित्सक) के लिए जाना जाता है. स्वर्गीय हकीम रईस(मृत्यु २००८) सबसे अधिक प्रसिद्व थे. उनकी वंशावली उनके पुत्रों हकीम ज़फर(बड़े) व हकीम नासर(छोटे) द्वारा आगे बढाई जा रही है. देश के सबसे प्रसिद्व यूनानी ब्रांड दर्दमंद, जनता दर्दमंद दवाखाना भी सम्भल से ही हकीम कौसर अहमद द्वारा बनाई जाती है. अधिकांश दवाएं अरब, उत्तर व पूर्व देशों में भेजी जातीं हैं.

22:10, 1 सितंबर 2014 का अवतरण

सम्भल, भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद मण्डल में स्थित एक जिला है। सतयुग में इस स्थान का नाम सत्यव्रत था, त्रेता मे महदगिरि, द्वापर में पिंगल और कलयुग में सम्भल है। इसमे ६८ तीर्थ और १९ कूप हैं यहां एक अति विशाल प्राचीन मन्दिर है, इसके अतिरिक्त तीन मुख्य शिवलिंग है, पूर्व में चन्द्रशेखर, उत्तर मे भुबनेश्वर, और दक्षिण में सम्भलेश्वर हैं. प्रतिवर्ष कार्तिक शुक्ल चतुर्थी और पंचमी को यहाँ मेला लगता है और यात्री इसकी परिक्रमा करते हैं। सम्भल में रेलवे स्टेशन पर मुग़ल सम्राट बाबर द्वारा बनवाई गई "बाबरी मस्जिद" भी है. यह कृषि उत्पादों का व्यावसायिक केंद्र भी है। टॉलमी द्वारा उल्लिखित संबकल को संभल से समीकृत किया जाता है। यहाँ ऐसी पौराणिक मान्यता है कि कलियुग में कल्कि अवतार शंबल नामक ग्राम में होगा। लोक मान्यता में सम्भल को ही शंबल माना जाता है। मध्यकाल में सम्भल का सामरिक महत्त्व बढ़ गया, क्योंकि यह आगरा व दिल्ली के निकट है। सम्भल की जागीर बाबर के आक्रमण के समय अफ़गान सरदारों के हाथ में थी। बाबर ने हुमायूँ को संभल की जागीर दी लेकिन वहाँ वह बीमार हो गया, अतः आगरा लाया गया। इस प्रकार बाबर के बाद हुमायूँ ने साम्राज्य को भाइयों में बाँट दिया और सम्भल अस्करी को मिला। शेरशाह सूरी ने हुमायूँ सूरी को खदेड़ दिया और अपने दामाद मुबारिज़ ख़ाँ को सम्भल की जागीर दी। अब्बास ख़ाँ शेरवानी के अनुसार बाबर के सेनापतियों ने यहाँ कई मन्दिरों को तोड़ा था और जैन मूर्तियों का खण्डन किया था।

इतिहास

सम्भल एक पुराना उपनिवेश है जो मुस्लिम शासन के समय भी महत्वपूर्ण था व सिकंदर लोदी की १५वीं सदी के अंत व १६वीं सदी के शुरू में प्रांतीय राजधानियों में से एक था. यह प्राचीन शहर एक समय महान चौहान सम्राट पृथ्वीराज चौहान की राजधानी भी था व संभवतः यह वहीं है जहाँ वह अफगानियों द्वारा द्वितीय युद्घ में मारे गए. "मकान टूटे लोग झूठे" के लिए भी इसे जाना जाता है लेकिन इसका वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं है. कुछ निवासियों के द्वारा इसका वर्तमान में सत्य होने का दावा किया जाता है. १९९१ की जनगणना में सम्भल को पूरे देश में न्यूनतम साक्षरता वाला पाया गया था. लेकिन समय के साथ स्थितियों में सुधार आया है.

==किस लिये प्रसिद्ध है?==२८/०९/२०११ को ७५वए जिलए का उद्भ्भव हुआ सरायतरीन, सम्भल का एक उपनगर लम्बे समय से हस्तशिल्प वस्तुओं के लिए जाना जाता है. इन वस्तुओं को बनाने वाले शिल्पकारों को अपनी कला का लिए काफी सम्मान दिया जाता है. (यद्यपि वे कम दर पर व अमानवीय वातावरण में कार्य करते हैं) सरायतरीन को पशुओं के सींगों, हड्डियों, लकडी, शंखों, पीतल, बांस व नारियल से बने हस्तशिल्पों व फैशन आभूषणों के केंद्र के रूप में जाना जाता है. इस कसबे की आबादी ७०,००० है जिनमें ४०,००० लोग कारीगर के रूप में कार्य करते हैं. सरायतरीन की एक और विशेषता सींग उर्वरक बनाने की है. पुराने समय में जब रासायनिक उर्वरक उपलब्ध नहीं थे, किसान पशुओं की हड्डियों वे सींगों से बने उर्वरकों का प्रयोग करते थे. अब सींगों के उर्वरक का व्यापर समाप्त हो गया है क्योंकि किसान सस्ते रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करने लगे हैं. अब हाजी रहम इलाही साहिब (१९९२ के राष्ट्रपति पुरस्कार विजेता) व कुछ अन्य की कुछ ही फैक्टरियाँ रह गयीं हैं.

सम्भल मेंथा तेल (मेंथा के पौधे से निकला गया तेल जो कि दवाईओं आदि में रसायन के तौर पर प्रयोग होता है) का सबसे बड़ा बाज़ार है. सम्भल के साथ- साथ चंदौसी व बाराबंकी (तीनों पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हिस्से हैं) का भी उत्पादन में बराबर का हाथ है.

चक्की का पाट (पत्थर का बना पुराने समय में अनाज पीसने में काम आने वाला) सम्भल का एक प्रमुख सांस्कृतिक व ऐतिहासिक आकर्षण है जो जमीं से १५ मी कि ऊंचाई पर टंगा है. शहर में इसके बारे में एक कहानी बताई जाती है कि एक पेशेवर कूदनेवाले (जिसे 'नट' कहते हैं) ने इस भारी पत्थर के टुकड़े को बिना किसी अन्य सहारे के अकेले ऊपर टांग दिया था.

यह शहर हकीमों (यूनानी चिकित्सक) के लिए जाना जाता है. स्वर्गीय हकीम रईस(मृत्यु २००८) सबसे अधिक प्रसिद्व थे. उनकी वंशावली उनके पुत्रों हकीम ज़फर(बड़े) व हकीम नासर(छोटे) द्वारा आगे बढाई जा रही है. देश के सबसे प्रसिद्व यूनानी ब्रांड दर्दमंद, जनता दर्दमंद दवाखाना भी सम्भल से ही हकीम कौसर अहमद द्वारा बनाई जाती है. अधिकांश दवाएं अरब, उत्तर व पूर्व देशों में भेजी जातीं हैं.

यहाँ कई वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय हैं: हिंद इंटर कॉलेज, सम्भल; फैज़ गर्ल्स इंटर कॉलेज, सरायतरीन; एसबीएसजे इंटर कॉलेज, सम्भल; आर्य समाज इंटर कॉलेज, सम्भल; एएमएचआर (मनोकामना) इंटर कॉलेज, सम्भल; उमेद राय इंटर कॉलेज, हयातनगर, सरायतरीन; बाल विद्या मंदिर, सम्भल; आजाद गर्ल्स इंटर कॉलेज, सम्भल.

यहाँ कई मदरसे (मदरसा सिराज उल उलूम, मदीना तुल उलूम, अंजुमन मुआविन उल इसलाम, अहले सुन्नत फैज़ल उलूम, अजमल उलूम, जामिया इस्लामिया, खलील उल उलूम आदि) भी हैं तो कई मंदिर भी (मनोकामना मंदिर, चामुंडा देवी मंदिर, कल्कि विष्णु मंदिर, नीम सार, सूरज कुंड आदि)