"जयपुर": अवतरणों में अंतर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
No edit summary
पंक्ति 72: पंक्ति 72:
*[http://www.uniraj.net राजस्थान विश्वविद्यालय का जालस्थल - अंग्रेजी में]
*[http://www.uniraj.net राजस्थान विश्वविद्यालय का जालस्थल - अंग्रेजी में]
*[http://www.tourjaipur.com जयपुर के बारे मे - अंग्रेजी में]
*[http://www.tourjaipur.com जयपुर के बारे मे - अंग्रेजी में]
*http:// articles.co.nr/wp/r/Rajasthan.htm राजस्थान के बारे मे अधिक जानकारी
*[http://pinkcity.info राजस्थान के बारे मे अधिक जानकारी]


{{भारतीय मेट्रोपॉलिटन शहर}}
{{भारतीय मेट्रोपॉलिटन शहर}}

08:08, 6 सितंबर 2008 का अवतरण

जयपुर
—  राजधानी  —
जयपुर का हवामहल
जयपुर का हवामहल
जयपुर का हवामहल
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०)
देश  भारत
राज्य राजस्थान
महापौर अशोक परनामी
जनसंख्या
घनत्व
3,324,319 (2005 के अनुसार )
• 16,588/किमी2 (42,963/मील2)
क्षेत्रफल
ऊँचाई (AMSL)
200 km² (77 sq mi)
• 431 मीटर (1,414 फी॰)

निर्देशांक: 26°33′N 75°31′E / 26.55°N 75.52°E / 26.55; 75.52 जयपुर जिसे गुलाबी नगरी के नाम से भी जाना जाता है, भारत के राजस्थान प्रान्त की राजधानी है। यह प्राचीन रजवाड़ा जिसे जयपुर नाम से जाना जाता था उसकी भी राजधानी थी। इस शहर की स्थापना 1728 में जयपुर के महाराजा जयसिंह द्वितीय द्वारा की गयी थी। यहाँ की जनसंख्या वर्ष 2003 में लगभग 27 लाख (2.7 मिलियन) थी।

जयपुर शहर की पहचान यहाँ के महलों और पुराने घरों में लगे गुलाबी पत्थरों से होती है जो यहाँ के स्थापत्य की खासियत है। पूरा शहर करीब छह से ज्यादा भागों में बँटा है और यह 111 फुट चौड़ी सड़कों से विभाजित है।


जयपुर को आधुनिक शहरी योजनाकारों द्वारा सबसे नियोजित और व्यवस्थित शहरों में से गिना जाता है।

ब्रिटिश शासन के दौरान जयपुर एक देशी रजवाड़े की राजधानी थी और इसपर कछवाहा समुदाय के राजपूत शासकों का शासन था।

19 वीं सदी में इस शहर का विस्तार शुरु हुआ जब इसकी आबादी 160,000 थी। यहाँ के मुख्य उद्योगों में धातु, संगमरमर, वस्त्र-छपाई, हस्त-कला, रत्न व आभूषण का आयात-निर्यात तथा पर्यटन आदि शामिल हैं।

जयपुर

भारत के ह्रदय मे बसा राजपूताना नामक प्रदेश राजस्थान और उसकी राजधानी जयपुर, गुलाबी नगरी के नाम से जानी जाती है. जयपुर को भारत का पेरिस कहा जाता है.इस शहर को सवाई जय सिंह ने बसाया था.इस शहर की स्थापना आज से पोने तीन सौ साल पहले की गई थी.यह शहर पूरी दुनिया के लोगों को अपनी तरफ़ आकर्षित करता है.इस नायाब शहर को बसाने के प्रति सवाई जय सिंह को भी यह आभास रहा होगा,कि वे जिस शहर को बसाने जा रहे हैं,वह सदियोम तक अपनी ख्याति दुनियाम में कायम रख सकेगा.तभी तो इस शहर को सूत से नाप लीजिये,एक बाल के बराबर भी फ़र्क नही मिलेगा,वास्तु के द्वारा यह शहर बसाने के लिये मिर्जा इस्माइल का नाम पहले सफ़े पर लिया जाता है.

इतिहास

स्वतंत्रता पूर्व

सत्रहवीं शताब्दी मे जब मुगल अपनी ताकत खोने लगे,तो समूचे भारत में अराजकता सिर उठाने लगी,ऐसे दौर में राजपूताना की आमेर रियासत,एक बडी ताकत के रूप में उभरी.जाहिर है कि महाराजा सवाई जयसिंह को तब मीलों के दायरे में फ़ैली अपनी रियासत संभालने और सुचारु राजकाज संचालन के लिये आमेर छोटा लगने लगा,और इस तरह से इस नई राजधानी के रूप में जयपुर की कल्पना की गई,और बडी तैयारियों के साथ इस कल्पना को साकार रूप देने की शुरुआत हुई.इस शहर की नींव कहां रखी गई,इसके बारे मे मतभेद हैं,किंतु इतिहासकारों के अनुसार तालकटोरा के निकट स्थित शिकार की ओदी से इस शहर के निर्माण की शुरुआत हुई.


राजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने यह शहर बसाने से पहले इसकी सुरक्षा की काफी चिंता की थी और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ही सात मजबूत दरवाजों के साथ किलाबंदी की गई थी। जयसिंह ने हालाँकि मराठों के हमलों की चिंता से अपनी राजधानी की सुरक्षा के लिए चारदीवारी बनवाई थी, लेकिन उन्हें शायद मौजूदा समय की सुरक्षा समस्याओं का भान नहीं था। इतिहास की पुस्तकों में जयपुर के इतिहास के अनुसार यह देश का पहला पूरी योजना से बनाया गया शहर था और स्थापना के समय राजा जयसिंह ने अपनी राजधानी आमेर में बढ़ती आबादी और पानी की समस्या को ध्यान में रखकर ही इसका विकास किया था। नगर के निर्माण का काम 1727 में शुरू हुआ और प्रमुख स्थानों के बनने में करीब चार साल लगे। यह शहर नौ खंडों में विभाजित किया गया था, जिसमें दो खंडों में राजकीय इमारतें और राजमहलों को बसाया गया था। राजा को शिल्पशास्त्र के आधार पर यह नगर बसाने की राय एक बंगाली ब्राह्मण ने दी थी। आप अपने पास क्या लाये थे। आपका नाम क्या है।


यह शहर प्रारंभ से ही गुलाबी नगरी नहीं था बल्कि अन्य नगरों की ही तरह था, लेकिन 1853 में जब वेल्स के राजकुमार आए तो पूरे शहर को गुलाबी रंग से रंग जादुई आकर्षण प्रदान करने की कोशिश की गई थी। उसी के बाद से यह शहर गुलाबी नगरी के नाम से प्रसिद्ध हो गया। सुंदर भवनों के आकर्षक स्थापत्य वाले, दो सौ वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्रफल में फैले जयपुर में जलमहल, जंतर-मंतर, आमेर महल, नाहरगढ़ का किला, हवामहल और आमेर का किला राजपूतों के वास्तुशिल्प के बेजोड़ नमूने हैं।

सवतंत्रता पश्चात्

13 मई , 2008 को जयपुर में श्रृंखलाबद्ध सात बम विस्फोट किए गए। विस्फोट १२ मिनट की वधि के भीतर जयपुर के विभिन्न स्थानों पर हुए‍। आठवाँ बम निष्कृय पाया गया। घटना में ८० से अधिक लोगों कि मृत्यु व डेढ़ सौ से अधिक घायल हुए।

वास्तु का अदभुत नियोजन है जयपुर

नियोजित तरीके से बसाये गये इस जयपुर में महाराजा के महल,औहदेदारों की हवेली और बाग बगीचे,ही नही वर्न आम नागरिकों के आवास और राजमार्ग बनाये गये.गलियों का और सडकों का निर्माण वास्तु के अनुसार और ज्यामितीय तरीके से किया गया,नगर को सुरक्षित रखने के लिये,इस नगर के चारोम ओर परकोटा बनवाया गया,और पश्चिमी पहाडी पर नाहरगढ का किला बनवाया गया.पुराने दुर्ग जयगढ मे हथियार बनाने का कारखाना बनवाया गया,जिसे देख कर आज भी वैज्ञानिक चकित हो जाते हैं,इस कारखाने और अपने शहर जयपुर के निर्माता सवाई जयसिंह की स्मॄतियों को संजोये विशालकाय जयबाण तोप आज भी सीना ताने इस नगर की सुरक्षा करती महसूस होती है.महाराजा सवाई जयसिंह ने जयपुर को नौ आवासीय खण्डों मे बसाया,जिन्हे चौकडी कहा जाता है,इनमे सबसे बडी चौकडी सरहद में राजमहल,रनिवास,जंतर मंतर,गोविंददेवजी का मंदिर,आदि हैं,शेष चौकडियों में नागरिक आवास, हवेलियां और कारखाने आदि बनवाये गये.प्रजा को अपना परिवार समझने वाले सवाई जयसिंह ने सुन्दर शहर को इस तरह से बसाया के यहां पर नागरिकों को मूलभूत आवश्यकताओं के साथ अन्य किसी प्रकार की कमी न हो,सुचारु पेयजल व्यवस्था,बागबगीचे,कल कारखाने आदि के साथ वर्षाजल का संरक्षण और निकासी का प्रबंध भी करवाया.सवाई जयसिंह ने लम्बे समय तक जयपुर में राज किया,इस शहर में हस्तकला,गीत संगीत,शिक्षा,और रोजगार आदि को उन्होने खूब प्रोत्साहित किया.वास्तु अनुरुप ईशर लाट,हवामहल,रामनिवास बाग,और विभिन्न कलात्मक मंदिर, शिक्षण संस्थान,आदि का निर्माण करवाया.

जयपुर के बाजार

जयपुर प्रेमी कहते हैं किजयपुर के सौन्दर्य को को देखने के लिये कुछ खास नजर चाहिये,बाजारों से गुजरते हुए,जयपुर की बनावट की कल्पना को आत्मसात कर इसे निहारें तो पल भर में इसका सौन्दर्य आंखों के सामने प्रकट होने लगता है.लम्बी चौडी और ऊंची प्राचीर तीन ओर फ़ैली पर्वतमाला सीधे सपाट राजमार्ग गलियां चौराहे चौपड भव्य राजप्रसाद.मंदिर और हवेली,बाग बगीचे,जलाशय,और गुलाबी आभा से सजा यह शहर इन्द्रपुरी का आभास देने लगता है,जलाशय तो अब नही रहे,किन्तु कलपना की जा सकती है,कि अब से कुछ दसक पहले ही जयपुर परकोटे में ही सिमटा हुआ था,तब इसका भव्य एवं कलात्मक रूप हर किसी को मन्त्र मुग्ध कर देता होगा.आज भी जयपुर यहां आने वाले सैलानियों को बरसों बरस सहेज कर रखने वाले रोमांचकारी अनुभव देता है.

जयपुर का बदलाव

जयपुर की रंगत अब बदल रही है, साथ ही बदल रही है इसकी आवोहवा, किन्तु पिछले तीन सौ साल पहले से सजे इस शहर में विकास का पहिया निरम्तर घूम रहा है। हाल में ही जयपुर को विश्व के दस सबसे खूबशूरत शहरों में शामिल किया गया है। यह जयपुर वासियों के लिये ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण भारत वासियों के लिये गर्व की बात है। महानगर बनने की ओर अग्रसर जयपुर में स्वतन्त्रता के बाद भी कई कीर्तिमान अपने नाम किये, और साथ ही महत्वाकांक्षी निर्माण भी यहां हुये। एशिया की सबसे बडी आवासीय बस्ती मानसरोवर, राज्य का सबसे बडा सवाई मानसिंह चिकित्सालय, विधानसभा भवन, अमर जवान ज्योति, एम.आई.रोड, सेन्ट्रल पार्क और विश्व के प्रसिद्ध बैंक, महत्वाकांक्षी और उपयोगी भवन निर्माण इसी कडी में शामिल हैं। पिछले कुछ सालों से जयपुर में मेट्रो संस्कॄति के दर्शन भी होने लगे हैं, चमचमाती सडकें, बहुमंजिला शापिंग माल, आधुनिकता को छूती आवासीय कालोनियां, आदि महानगरों की होड करती दिखती हैं। पुराने जयपुर और नये जयपुर में नई और पुरानी संस्कॄति के दर्शन जैसे इस शहर को विकास और इतिहास दोनों को स्पष्ट करते ह। प्रगति के पथ पर गुलाबी नगर पिंक सिटी गतिमान है और वह दिन दूर नहीं जब यह शहर महानगरों मे शुमार हो जायेगा।

जयपुर की सैर

जयपुर में आने के बाद पता चलता है,कि हम किसी रजवाडे में प्रवेश कर गये है हैं,शाही साफ़ा बांधे जयपुर के बना और लंहगा चुन्नी से सजी जयपुर की नारियां,गपशप मारते जयपुर के बुजुर्ग लोग,राजस्थानी भाषा में कितनी प्यारी बोलियां,पधारो म्हारे देश जैसा स्वागत,और बैठो सा,जीमो सा,जैसी बातें,कितनी सुहावनी लगती है,आइये आपको जयपुर की सैर करवाते है:-



यह भी देखें

बाहरी कड़ियाँ