"नस्लवाद": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
विस्तार। |
|||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{WPCUP}} |
{{WPCUP}} |
||
नस्लवाद वह सिद्धान्त या अवधारणा है, जो किसी एक नस्ल को दूसरी से श्रेष्ठतर या निम्नतर मानती है। |
नस्लवाद वह सिद्धान्त या अवधारणा है, जो किसी एक नस्ल को दूसरी से श्रेष्ठतर या निम्नतर मानती है। नस्लवाद को ऐसे परिभाषित किया गया हैं-"यह विश्वास कि हर नस्ल के लोगों में कुछ खास खूबियां होती हैं, जो उसे दूसरी नस्लों से कमतर या बेहतर बनाती हैं।"<ref>{{cite web|url=http://navbharattimes.indiatimes.com/world/europe/-racism-named-biggest-of-the-modern-seven-deadly-sins/articleshow/16438481.cms|title='नस्लवाद है आज का सबसे बड़ा पाप'|publisher=[[नवभारत टाइम्स]]|date= 17 सितम्बर 2012|accessdate=29 जून 2014|}}</ref> |
||
==भारत में नस्लवाद== |
==भारत में नस्लवाद== |
15:31, 29 जून 2014 का अवतरण
नस्लवाद वह सिद्धान्त या अवधारणा है, जो किसी एक नस्ल को दूसरी से श्रेष्ठतर या निम्नतर मानती है। नस्लवाद को ऐसे परिभाषित किया गया हैं-"यह विश्वास कि हर नस्ल के लोगों में कुछ खास खूबियां होती हैं, जो उसे दूसरी नस्लों से कमतर या बेहतर बनाती हैं।"[1]
भारत में नस्लवाद
उत्तर भारतीय जिस दृष्टि से दक्षिण भारतीयों को देखते हैं उस पर हमारी रंगभेद चेतना की ही धूल जमी हुई है। अफ्रीकियों को हम हिकारत से ‘हब्शी’ पुकारते हैं। इसी घृणात्मक तरीके को विस्तार देते हुए हम समस्त दक्षिण भारतीयों को ‘मद्रासी’ होने का उलाहना देते हैं। काले रंग के कारण ही हम उनके भोजन, भाषा, रीति-रिवाज एवं सलीके तक का उपहास उड़ाते हैं। अफ्रीकियों की नजरों में भारतीय लोग यूरोपियों और अमरीकियों से भी अधिक नस्लवादी हैं।[2] रंगभेद और जातिवाद आज विश्व भर में फैल चुका है।
सन्दर्भ
- ↑ "'नस्लवाद है आज का सबसे बड़ा पाप'". नवभारत टाइम्स. 17 सितम्बर 2012. अभिगमन तिथि 29 जून 2014.
- ↑ http://www.punjabkesari.in/news/article-215665