"सैमुएल हैनीमेन": अवतरणों में अंतर

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* [http://www.hpathy.com/biography/samuel-hahnemann.asp Life History of Samuel Hahnemann]
* [http://www.hpathy.com/biography/samuel-hahnemann.asp Life History of Samuel Hahnemann]
* [http://www.whonamedit.com/doctor.cfm/532.html Christian Friedrich Samuel Hahnemann] A historical overview
* [http://www.whonamedit.com/doctor.cfm/532.html Christian Friedrich Samuel Hahnemann] A historical overview

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07:15, 20 अप्रैल 2014 का अवतरण

सैम्यूल हानेमान

डॉ. क्रिश्चियन फ्राइडरिक सैम्यूल हानेमान (जन्‍म 1755-मृत्‍यु 1843 ईस्‍वी) होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति के जन्मदाता थे।

आप यूरोप के देश जर्मनी के निवासी थे। आपके पिता जी एक पोर्सिलीन पेन्‍टर थे और आपने अपना बचपन अभावों और बहुत गरीबी में बिताया था।एम0डी0 डिग्री प्राप्‍त एलोपैथी चिकित्‍सा विज्ञान के ज्ञाता थे।डा0 हैनिमैन, एलोपैथी के चिकित्‍सक होनें के साथ साथ कई यूरोपियन भाषाओं के ज्ञाता थे। वे केमिस्‍ट्री और रसायन विज्ञान के निष्‍णात थे। जीवकोपार्जन के लिये चिकित्‍सा और रसायन विज्ञान का कार्य करनें के साथ साथ वे अंग्रेजी भाषा के ग्रंथों का अनुवाद जर्मन और अन्‍य भाषाओं में करते थे।

एक बार जब अंगरेज डाक्‍टर कलेन की लिखी “कलेन्‍स मेटेरिया मेडिका” मे वर्णित कुनैन नाम की जडी के बारे मे अंगरेजी भाषा का अनुवाद जर्मन भाषा में कर रहे थे तब डा0 हैनिमेन का ध्‍यान डा0 कलेन के उस वर्णन की ओर गया, जहां कुनैन के बारे में कहा गया कि ‘’ यद्यपि कुनैन मलेरिया रोग को आरोग्‍य करती है, लेकिन यह स्‍वस्‍थ शरीर में मलेरिया जैसे लक्षण पैदा करती है।

कलेन की कही गयी यह बात डा0 हैनिमेन के दिमाग में बैठ गयी। उन्‍होंनें तर्कपूर्वक विचार करके क्विनाइन जड़ी की थोड़ी थोड़ी मात्रा रोज खानीं शुरू कर दी। लगभग दो हफ्ते बाद इनके शरीर में मलेरिया जैसे लक्षण पैदा हुये। जड़ी खाना बन्‍द कर देनें के बाद मलेरिया रोग अपनें आप आरोग्‍य हो गया। इस प्रयोग को डा0 हैनिमेन ने कई बार दोहराया और हर बार उनके शरीर में मलेरिया जैसे लक्षण पैदा हुये। क्विनीन जड़ी के इस प्रकार से किये गये प्रयोग का जिक्र डा0 हैनिमेन नें अपनें एक चिकित्‍सक मित्र से की। इस मित्र चिकित्‍सक नें भी डा0 हैनिमेन के बताये अनुसार जड़ी का सेवन किया और उसे भी मलेरिया बुखार जैसे लक्षण पैदा हो गये।

कुछ समय बाद उन्‍होंनें शरीर और मन में औषधियों द्वारा उत्‍पन्‍न किये गये लक्षणों, अनुभवो और प्रभावों को लिपिबद्ध करना शुरू किया।

हैनिमेन की अति सूच्‍छ्म द्रष्टि और ज्ञानेन्द्रियों नें यह निष्‍कर्ष निकाला कि और अधिक औषधियो को इसी तरह परीक्षण करके परखा जाय।

इस प्रकार से किये गये परीक्षणों और अपने अनुभवों को डा0 हैनिमेन नें तत्‍कालीन मेडिकल पत्रिकाओं में ‘’ मेडिसिन आंफ एक्‍सपीरियन्‍सेस ’’ शीर्षक से लेख लिखकर प्रकाशित कराया । इसे होम्‍योपैथी के अवतरण का प्रारम्भिक स्‍वरूप कहा जा सकता है।

वाह्य सूत्र