"पार्वती": अवतरणों में अंतर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
No edit summary
टैग: मोबाइल संपादन
No edit summary
टैग: मोबाइल संपादन
पंक्ति 19: पंक्ति 19:
| Mount = [[शैलपुत्री]], [[महागौरी]] तथा पार्वती के रूप में नंदी बैल इनके वाहन हैं, दुर्गा रूप में शेर (कभी कभी बाघ के रूप में) में विराजित हैं।
| Mount = [[शैलपुत्री]], [[महागौरी]] तथा पार्वती के रूप में नंदी बैल इनके वाहन हैं, दुर्गा रूप में शेर (कभी कभी बाघ के रूप में) में विराजित हैं।
}}
}}
'''पार्वती''' हिमनरेश हिमावन तथा मेनावती की पुत्री है तथा भगवान [[शंकर]] की पत्नी हैं। उमा, गौरी, अम्बिका भवानी आदि भी पार्वती के ही नाम हैं। पार्वती के जन्म का समाचार सुनकर देवर्षि [[नारद]] हिमनरेश के घर आये थे। हिमनरेश के पूछने पर देवर्षि [[नारद]] ने पार्वती के विषय में यह बताया कि तुम्हारी कन्या सभी सुलक्षणों से सम्पन्न है तथा इसका विवाह भगवान [[शंकर]] से होगा। किन्तु महादेव जी को पति के रूप में प्राप्त करने के लिये तुम्हारी पुत्री को घोर तपस्या करना होगा।
'''पार्वती''' हिमनरेश हिमावन तथा मैनावती की पुत्री हैं, तथा भगवान [[शंकर]] की पत्नी हैं। उमा, गौरी, अम्बिका भवानी आदि भी पार्वती के ही नाम हैं। यह प्रकृति स्वरूपा हैं। पार्वती के जन्म का समाचार सुनकर देवर्षि [[नारद]] हिमनरेश के घर आये थे। हिमनरेश के पूछने पर देवर्षि [[नारद]] ने पार्वती के विषय में यह बताया कि तुम्हारी कन्या सभी सुलक्षणों से सम्पन्न है तथा इसका विवाह भगवान [[शंकर]] से होगा। किन्तु महादेव जी को पति के रूप में प्राप्त करने के लिये तुम्हारी पुत्री को घोर तपस्या करना होगा।

बाद में इनके दो पुत्र [[कार्तिकेय]] तथा [[गणेश]] और एक पुत्री [[अशोक सुन्दरी]] हुई।


== पूर्वजन्म की कथा ==
== पूर्वजन्म की कथा ==

15:09, 9 जनवरी 2014 का अवतरण

पार्वती अन्नपूर्णा देवी के रूप में
देवनागरी पार्वती
संस्कृत लिप्यंतरण Pārvatī
संबंध देवी
निवासस्थान जब अविवाहित हिमालय, अन्यथा कैलाश
मंत्र ॥ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डयै विच्छे॥
अस्त्र त्रिशूल, पास, अंकुशा, शंख, चक्रम, क्रॉसबो, लोटस
सवारी शैलपुत्री, महागौरी तथा पार्वती के रूप में नंदी बैल इनके वाहन हैं, दुर्गा रूप में शेर (कभी कभी बाघ के रूप में) में विराजित हैं।

पार्वती हिमनरेश हिमावन तथा मैनावती की पुत्री हैं, तथा भगवान शंकर की पत्नी हैं। उमा, गौरी, अम्बिका भवानी आदि भी पार्वती के ही नाम हैं। यह प्रकृति स्वरूपा हैं। पार्वती के जन्म का समाचार सुनकर देवर्षि नारद हिमनरेश के घर आये थे। हिमनरेश के पूछने पर देवर्षि नारद ने पार्वती के विषय में यह बताया कि तुम्हारी कन्या सभी सुलक्षणों से सम्पन्न है तथा इसका विवाह भगवान शंकर से होगा। किन्तु महादेव जी को पति के रूप में प्राप्त करने के लिये तुम्हारी पुत्री को घोर तपस्या करना होगा।

बाद में इनके दो पुत्र कार्तिकेय तथा गणेश और एक पुत्री अशोक सुन्दरी हुई।

पूर्वजन्म की कथा

पार्वती पूर्वजन्म में दक्ष प्रजापति की पुत्री सती थीं तथा उस जन्म में भी वे भगवान शंकर की ही पत्नी थीं । सती ने अपने पिता दक्ष प्रजापति के यज्ञ में, अपने पति का अपमान न सह पाने के कारण, स्वयं को योगाग्नि में भस्म कर दिया था । तथा हिमनरेश हिमावन के घर पार्वती बन कर अवतरित हुईं |

पार्वती की तपस्या

पार्वती को भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिये वन में तपस्या करने चली गईं। अनेक वर्षों तक कठोर उपवास करके घोर तपस्या की तत्पश्चात वैरागी भगवान शिव ने उनसे विवाह करना स्वीकार किया।

पार्वती की परीक्षा

भगवान शंकर ने पार्वती के अपने प्रति अनुराग की परीक्षा लेने के लिये सप्तऋषियों को पार्वती के पास भेजा। उन्होंने पार्वती के पास जाकर उसे यह समझाने के अनेक प्रयत्न किये कि शिव जी औघड़, अमंगल वेषधारी और जटाधारी हैं और वे तुम्हारे लिये उपयुक्त वर नहीं हैं। उनके साथ विवाह करके तुम्हें सुख की प्राप्ति नहीं होगी। तुम उनका ध्यान छोड़ दो। किन्तु पार्वती अपने विचारों में दृढ़ रहीं। उनकी दृढ़ता को देखकर सप्तऋषि अत्यन्त प्रसन्न हुये और उन्हें सफल मनोरथ होने का आशीर्वाद देकर शिव जी के पास वापस आ गये। सप्तऋषियों से पार्वती के अपने प्रति दृढ़ प्रेम का वृत्तान्त सुन कर भगवान शंकर अत्यन्त प्रसन्न हुये।

सप्तऋषियों ने शिव जी और पार्वती के विवाह का लग्न मुहूर्त आदि निश्चित कर दिया।

शिव जी के साथ विवाह

निश्चित दिन शिव जी बारात ले कर हिमालय के घर आये। वे बैल पर सवार थे। उनके एक हाथ में त्रिशूल और एक हाथ में डमरू था। उनकी बारात में समस्त देवताओं के साथ उनके गण भूत, प्रेत, पिशाच आदि भी थे। सारे बाराती नाच गा रहे थे। सारे संसार को प्रसन्न करने वाली भगवान शिव की बारात अत्यंत मन मोहक थी । इस तरह शुभ घड़ी और शुभ मुहूर्त में शिव जी और पार्वती का विवाह हो गया और पार्वती को साथ ले कर शिव जी अपने धाम कैलाश पर्वत पर सुख पूर्वक रहने लगे।