"रैंकोजी मन्दिर": अवतरणों में अंतर

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==मन्दिर परिसर में नेताजी की प्रतिमा==
==मन्दिर परिसर में नेताजी की प्रतिमा==
जब अन्त्येष्टि के एक माह पश्चात् सुभाषचन्द्र बोस का अस्थिकलश ताईहोकू से जापान लाया गया तो मन्दिर के प्रमुख पुजारी मोचीज़ुकी ने उसे मन्दिर में एक सुरक्षा कवच (सेफ कस्टडी) की तरह सुरक्षित रखने की आज्ञा प्रदान की थी। तभी से उनका अस्थि कलश यहाँ रखा हुआ है।<ref >{{cite web | url=http://www.japantimes.co.jp/life/2011/08/14/general/japans-unsung-role-in-indias-struggle-for-independence/#.UnztWXzrbUt |title= | language= अंग्रेजी | quote= The official version released by the Japanese authorities — and still endorsed by the Indian government — details Bose boarding a Japanese bomber at Taihoku Airport along with several trunks of gold to finance his next government in exile. Shortly after take-off, it states, the aircraft developed engine problems and crashed. Bose suffered serious burns and died that evening. After a cremation in Taiwan, his ashes were flown to Tokyo where they have remained since being interred on Sept. 18, 1945, at Renkoji Temple. | publisher=जापान टाइम्स | date=14अगस्त 2011 | work=JON MITCHELL | accessdate=8 अक्तूबर 2013}}</ref> नेताजी के संगी-साथी व उनके प्रति अपनी निष्ठा रखने वाले लोग प्रति वर्ष उनकी पुण्य तिथि पर एकत्र होकर उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। फिलहाल नेताजी की अस्थियाँ मन्दिर परिसर स्थित एक स्वर्णिम पैगोडा में रखी गयी हैं। उसी के बाहर नेताजी की एक छोटी सी प्रतिमा भी लगा दी गयी है जिससे कि आगंतुकों का ध्यान इस ओर दिलाया जा सके कि यहाँ नेताजी की अस्थियाँ अभी भी सुरक्षित रखी हुई हैं।
जब अन्त्येष्टि के एक माह पश्चात् सुभाषचन्द्र बोस का अस्थिकलश ताईहोकू से जापान लाया गया तो मन्दिर के प्रमुख पुजारी मोचीज़ुकी ने उसे मन्दिर में एक सुरक्षा कवच (सेफ कस्टडी) की तरह सुरक्षित रखने की आज्ञा प्रदान की थी। तभी से उनका अस्थि कलश यहाँ रखा हुआ है।<ref >{{cite web | url = http://www.japantimes.co.jp/life/2011/08/14/general/japans-unsung-role-in-indias-struggle-for-independence/#.UnztWXzrbUt |title= | language= अंग्रेजी | quote= The official version released by the Japanese authorities — and still endorsed by the Indian government — details Bose boarding a Japanese bomber at Taihoku Airport along with several trunks of gold to finance his next government in exile. Shortly after take-off, it states, the aircraft developed engine problems and crashed. Bose suffered serious burns and died that evening. After a cremation in Taiwan, his ashes were flown to Tokyo where they have remained since being interred on Sept. 18, 1945, at Renkoji Temple. | title = जापान टाइम्स | publisher=जापान टाइम्स | date=14अगस्त 2011 | work=JON MITCHELL | accessdate=8 अक्तूबर 2013}}</ref> नेताजी के संगी-साथी व उनके प्रति अपनी निष्ठा रखने वाले लोग प्रति वर्ष उनकी पुण्य तिथि पर एकत्र होकर उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। फिलहाल नेताजी की अस्थियाँ मन्दिर परिसर स्थित एक स्वर्णिम पैगोडा में रखी गयी हैं। उसी के बाहर नेताजी की एक छोटी सी प्रतिमा भी लगा दी गयी है जिससे कि आगंतुकों का ध्यान इस ओर दिलाया जा सके कि यहाँ नेताजी की अस्थियाँ अभी भी सुरक्षित रखी हुई हैं।


==अस्थियों पर विवाद ==
==अस्थियों पर विवाद ==

11:14, 16 नवम्बर 2013 का अवतरण

रैंकोजी मन्दिर टोकियो के परिसर में स्थापित नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की आवक्ष प्रतिमा

रैंकोजी मन्दिर (अंग्रेजी: Renkōji Temple, जापानी:蓮光寺|Renkōji) जापान के टोकियो में स्थित का एक बौद्ध मन्दिर है, जहाँ भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रिम सेनानी सुभाष चन्द्र बोस की अस्थियाँ आज भी सुरक्षित रखी हुई हैं। इस तथ्य की पुष्टि जी डी खोसला आयोग की रिपोर्ट में हो चुकी है। [1] [2] 1594 में स्थापित यह मन्दिर बौद्ध स्थापत्य कला का दर्शनीय स्थल है। जापान में रह रहे भारतीय यहाँ प्रति वर्ष 18 सितम्बर 1945 को नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का बलिदान दिवस मनाते हैं।

इतिहास

माना जाता है कि नेताजी के नाम से विख्यात सुभाषचन्द्र बोस की मृत्यु 18 सितम्बर 1945 को एक विमान दुर्घटना में उस समय हो गयी थी जब वे एक लड़ाकू बमवर्षक विमान (फाइटर बॉम्बिंग एयरक्राफ्ट) से मोर्चा बदलने की कोशिश कर रहे थे।[3] दरअसल 18 सितम्बर 1945 को उनकी अस्थियाँ इस मन्दिर में रखी गयीं थीं। प्राप्त दस्तावेज़ के अनुसार नेताजी की मृत्यु तो एक माह पूर्व 18 अगस्त 1945 को ही ताइहोकू के सैनिक अस्पताल में रात्रि 21.00 बजे हो गयी थी।[4]

जर्मनी में अपने पति प्रोफेसर फाफ के साथ रह रही नेताजी की एकमात्र पुत्री अनिता बोस फाफ को यह पक्का विश्वास है कि उनके पिता की मृत्यु ताईपेन्ह में ही हुई थी और रैंकोजी मन्दिर में रखी अस्थियाँ उनके पिता की ही हैं।[5] जस्टिस मुखर्जी रिपोर्ट पर विद्वानों का यह कहना है कि सुभाष की नीति दुश्मन के दुश्मन को दोस्त बनाने की थी। ऐसी हालत में उनकी मृत्यु विमान दुर्घटना में ही हुई थी। इसके लिये वे भूतपूर्व ब्रिटिश खुफ़िया अफ़सर के उस कथन का हवाला देते हैं जिसमें उसने स्वीकार किया था कि यदि उसे सुभाष जिन्दा हाथ लग जाता तो वह उसे मौत की सजा दिला कर ही चैन लेता।[6] दूसरी ओर भारत में कुछ लोगों का ऐसा मानना है कि फैजाबाद में नेताजी वेश बदलकर गुमनामी बाबा के रूप में रहे और वहीं उनकी मृत्यु हुई।[7] सन् 1945 के बाद नेताजी के रूस में होने की खबर पर भी प्रश्नचिन्ह लगाते हुए भारत सरकार से उन सभी गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक करने की माँग की गयी है जो जोसेफ स्टालिन की पुत्री स्वेत्लाना ने गृह मंत्रालय, भारत सरकार को सौंपी थीं।[8]

मन्दिर परिसर में नेताजी की प्रतिमा

जब अन्त्येष्टि के एक माह पश्चात् सुभाषचन्द्र बोस का अस्थिकलश ताईहोकू से जापान लाया गया तो मन्दिर के प्रमुख पुजारी मोचीज़ुकी ने उसे मन्दिर में एक सुरक्षा कवच (सेफ कस्टडी) की तरह सुरक्षित रखने की आज्ञा प्रदान की थी। तभी से उनका अस्थि कलश यहाँ रखा हुआ है।[9] नेताजी के संगी-साथी व उनके प्रति अपनी निष्ठा रखने वाले लोग प्रति वर्ष उनकी पुण्य तिथि पर एकत्र होकर उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। फिलहाल नेताजी की अस्थियाँ मन्दिर परिसर स्थित एक स्वर्णिम पैगोडा में रखी गयी हैं। उसी के बाहर नेताजी की एक छोटी सी प्रतिमा भी लगा दी गयी है जिससे कि आगंतुकों का ध्यान इस ओर दिलाया जा सके कि यहाँ नेताजी की अस्थियाँ अभी भी सुरक्षित रखी हुई हैं।

अस्थियों पर विवाद

जर्मनी में अपने पति के साथ रह रही नेताजी की पुत्री अनिता बोस फाफ को यह विश्वास है कि उनके पिता की मृत्यु ताईपेन्ह में ही हुई थी और रैंकोजी मन्दिर में रखी अस्थियाँ उनके पिता की ही हैं।[10] मुखर्जी आयोग की रिपोर्ट पर बुद्धिजीवियों का यह तर्क है कि सुभाष की नीति दुश्मन के दुश्मन को दोस्त बनाने की थी। उनकी मृत्यु विमान दुर्घटना में ही हुई थी जिसके लिये वे भूतपूर्व ब्रिटिश खुफ़िया अफ़सर का हवाला देते हैं जिसने कहा था कि यदि उसे सुभाष जिन्दा मिल जाता तो वह उसे मौत की सजा अवश्य दिलाता।[11] परन्तु भारत में रह रहे कुछ लोगों का ऐसा भी मानना है कि फैजाबाद में नेताजी वेश बदलकर गुमनामी बाबा के रूप में काफी लम्बे समय तक रहे और वहीं उनकी मृत्यु हुई।[7] कोलकाता की एक इतिहासकार ने सन् 1945 के बाद नेताजी के रूस में होने की खबर का हवाला देते हुए भारत सरकार से उन सभी गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक करने की माँग की गयी है जो जोसेफ स्टालिन की पुत्री स्वेतलाना ने भारत सरकार के गृह मन्त्रालय को सौंपी थीं। [12]

हिन्दू धर्म में कोई व्यक्ति जब मरता है तो दाह संस्कार करने के बाद उसकी अस्थियों को किसी पवित्र नदी या गंगा सागर में विसर्जित करने की परम्परा है। इसके साथ यह मान्यता भी है कि यदि कोई हिन्दू किसी ऐसे स्थान पर मरे जहाँ आस पास कोई भारतीय नदी न हो तो उसकी अस्थियों को किसी पोटली में बाँधकर या तो पीपल के वृक्ष की किसी शाखा पर लटका दिया जाता है या फिर पास के ही किसी मन्दिर में रख दिया जाता है। उसके बाद उसके परिवार के लोग उन अस्थियों को अपनी सुविधानुसार गंगा या अन्य किसी पवित्र नदी में प्रवाहित कर देते हैं। परन्तु नेताजी के अस्थि-कलश के साथ ऐसा भी नहीं हुआ। उनकी मृत्यु विमान दुर्घटना में हुई अथवा नहीं हुई इस पर विवाद पैदा कर दिया गया। भारत सन् 1947 में आज़ाद हो गया। तब से लेकर आज तक इस विवाद की जाँच के लिये तीन-तीन आयोग बैठाये गये। पहले शाहनवाज़ आयोग, फिर खोसला आयोग और सबसे अन्त में मुखर्जी आयोग ने इसकी जाँच की, परन्तु परिणाम कुछ नहीं निकला। 8 नवम्बर 2005 को जस्टिस मुखर्जी आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी। 17 मई 2006 को संसद में इस पर खूब बहस हुई और बताया गया कि नेताजी की मौत विमान दुर्घटना में नहीं हुई। साथ ही यह भी कहा गया कि रैंकोजी मन्दिर में रखी जिन अस्थियों का सम्बन्ध सुभाषचन्द्र बोस से बतलाया जाता है वे उनकी नहीं हैं। भारत सरकार ने मुखर्जी आयोग की रिपोर्ट खारिज कर दी परन्तु उसका कोई कारण नहीं बताया।

विवाद का हल

नेताजी का उनकी पत्नी एमिली शैंकी के साथ एक दुर्लभ फोटो (विकीमीडिया कॉमंस से साभार)

सन् 1933 से 1936 तक सुभाषचन्द्र बोस यूरोप में रहे। सन् 1934 में जब वे ऑस्ट्रिया में अपना इलाज कराने गये थे उस दौरान उनके सम्पर्क में एमिली शेंकी (अं: Emilie Schenkl) नामक एक ऑस्ट्रियन महिला आयी। बाद में उन्होंने सन् 1942 में हिन्दू पद्धति से एमिली से विवाह कर लिया। वियेना में एमिली ने एक पुत्री को जन्म दिया जिसका नाम अनिता बोस रखा गया। अगस्त 1945 में ताइवान में हुई तथाकथित विमान दुर्घटना में जब सुभाष की मौत हुई, अनिता पौने तीन साल की थी।[13] नेताजी की पुत्री अनिता विवाहित है और अभी जीवित है। उसका नाम अनिता बोस फाफ (अं: Anita Bose Pfaff) है। वह अपने पिता (सुभाषचन्द्र बोस) के परिवार जनों से मिलने हेतु कभी कभार भारत-भ्रमण भी करती रहती है।

सोशल मीडिया पर कुछ बुद्धिजीवियों ने यह सुझाव पेश किया था कि रैंकोजी मन्दिर परिसर के पैगोडा में रखी नेताजी की अस्थियाँ जापान सरकार से भारत मँगा ली जायें। साथ ही साथ उनकी पुत्री अनिता बोस फाफ को भी भारत बुला लिया जाये और नेताजी की अस्थियों का उसके साथ डीएनए टेस्ट करा लिया जाये। इससे नेताजी विमान दुर्घटना में मरे अथवा नहीं मरे इस विवाद का अन्त हो जायेगा और हिन्दू परम्परा के अनुसार पिता की अस्थियों को गंगा नदी में विसर्जित करने की उनकी पुत्री अनिता की इच्छा भी पूरी हो जायेगी। जी न्यूज टीवी चैनेल को दिये एक साक्षात्कार (इण्टरव्यू) में नेताजी की पुत्री (अनिता बोस फाफ) अपनी यह इच्छा व्यक्त भी कर चुकी हैं।[14]

कुछ लोगों का यह मानना है कि फैजाबाद में लम्बे समय तक रहते हुए वहीं पर अन्तिम साँस लेने वाले गुमनामी बाबा ही वास्तव नेताजी सुभाषचन्द्र बोस थे, जो वेश बदलकर वहाँ रह रहे थे। जब यह मामला इलाहाबाद उच्च न्यायालय ले जाया गया तो इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने इस बात पर हैरानी जतायी कि सरकार ने तोक्यो के रैंकोजी मन्दिर में रखी राख का डीएनए टेस्ट क्यों नहीं कराया।[15]

सन्दर्भ

  1. "Ashes at Renkoji temple are Bose's (Highlights of G D Khosla Commission Report)" (अंग्रेजी में). हिन्दुस्तान टाईम्स. अभिगमन तिथि 8 नवम्बर 2013. From the evidence discussed above, I am convinced beyond all reasonable doubts that the wooden casket lodged in the Renkoji Temple at Tokyo contains Bose's ashes and these ashes were placed in the box at Taipei after the cremation of his dead bodyसीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  2. क्रान्त, मदनलाल वर्मा (2006). स्वाधीनता संग्राम के क्रान्तिकारी साहित्य का इतिहास (Hindi में). 2 (1 संस्करण). नई दिल्ली: प्रवीण प्रकाशन. पृ॰ 513. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-7783-120-8. 23 अगस्त 1945 को टोकियो रेडियो ने बताया कि सैगोन में नेताजी एक बड़े बमवर्षक विमान से आ रहे थे कि 18 अगस्त को ताइहोकू हवाई अड्डे के पास उनका विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। विमान में उनके साथ सवार जापानी जनरल शोदेई, पायलेट तथा कुछ अन्य लोग मारे गये। नेताजी गम्भीर रूप से जल गये थे। उन्हें ताइहोकू सैनिक अस्पताल ले जाया गया जहाँ उन्होंने दम तोड़ दिया। कर्नल हबीबुर्रहमान के अनुसार उनका अन्तिम संस्कार ताइहोकू में ही कर दिया गया। सितम्बर के मध्य में उनकी अस्थियाँ संचित करके टोकियो के रैंकोजी मन्दिर में रख दी गयीं ।सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  3. http://www.dnaindia.com/report.asp?NewsID=1083668 DNA India news article, retrieved on 20 August, 2007
  4. क्रान्त, मदनलाल वर्मा (2006). स्वाधीनता संग्राम के क्रान्तिकारी साहित्य का इतिहास (Hindi में). 3 (1 संस्करण). नई दिल्ली: प्रवीण प्रकाशन. पृ॰ 846. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-7783-121-6. Ten minutes after the accident he was taken to the Army Hosptal in Taihoku and received treatment at 15.00. His death came at 21.00. His aide H.R. was also burned on neck, right cheak, both arms and right leg. Lt. Gen. SHIDEI met an instantaneous death inside the plane (two others died likewise).सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  5. "Netaji's ashes should be immersed in River Ganges, wishes daughter" (अंग्रेजी में). जी न्यूज इण्डिया डॉट कॉम. 03 फरवरी, 2013. अभिगमन तिथि 17 अक्तूबर 2013. Anita Bose Pfaff, said on Saturday that she was fairly convinced that her father had died in the unfortunate plane crash. “The most likely cause of Netaji’s death was the plane crash. That is more or less a consistent story beyond just mere speculation. Yes, I am fairly convinced that he died in the plane crash.” नामालूम प्राचल |trans_title= की उपेक्षा की गयी (|trans-title= सुझावित है) (मदद); |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  6. "Fate of Indian war leader thrown into doubt by new report" (अंग्रेजी में). द गार्जियन. 18 मई 2006. अभिगमन तिथि 8 नवम्बर 2013. Academics have argued that Bose disagreed with the arguments of racial superiority espoused by Japan and the Nazis. Most paint Bose as a pragmatist who considered an enemy's enemy a friend. He was a very clever man and a good bloke. I had a lot of time for him,"Hugh Toye, the former British intelligence officer whose job it was to track down Bose, told the Guardian. "If we had caught him he would have been sentenced to death though. I still think he died in the plane crash.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  7. "नेताजी सुभाष चंद्र बोस समझे जाने वाले गुमनामी बाबा की पहचान ढूंढी जाए: हाई कोर्ट". नवभारत टाइम्स. 1 फरवरी, 2013. अभिगमन तिथि 17 अक्तूबर 2013. इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस और फैजाबाद के गुमनामी बाबा के रहस्य को सुलझाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने गुरुवार को आदेश दिया कि फैजाबाद के गुमनामी बाबा की असल पहचान तलाशी जाए। |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद) सन्दर्भ त्रुटि: <ref> अमान्य टैग है; "nbt1" नाम कई बार विभिन्न सामग्रियों में परिभाषित हो चुका है
  8. "Demand for Netaji's files to be made public". टाइम्स ऑफ इण्डिया, कोलकाता. 21 जनवरी 2013. अभिगमन तिथि 8 नवम्बर 2013. India government to approach the Russian government to get details of the files related to Netaji which were with KGB. Even she mentioned that Jospeh Stalinas daughter Svetlana even during her visit to India had given important information on Netaji and had hinted at Netajias presence in Russia after 1945. So she demanded that the documents submitted to Indian government by Svetlana be made public.
  9. "जापान टाइम्स". JON MITCHELL (अंग्रेजी में). जापान टाइम्स. 14अगस्त 2011. अभिगमन तिथि 8 अक्तूबर 2013. The official version released by the Japanese authorities — and still endorsed by the Indian government — details Bose boarding a Japanese bomber at Taihoku Airport along with several trunks of gold to finance his next government in exile. Shortly after take-off, it states, the aircraft developed engine problems and crashed. Bose suffered serious burns and died that evening. After a cremation in Taiwan, his ashes were flown to Tokyo where they have remained since being interred on Sept. 18, 1945, at Renkoji Temple. |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  10. "Netaji's ashes should be immersed in River Ganges, wishes daughter" (अंग्रेजी में). जी न्यूज इण्डिया डॉट कॉम. 03 फरवरी, 2013. अभिगमन तिथि 17 अक्तूबर 2013. Anita Bose Pfaff, said on Saturday that she was fairly convinced that her father had died in the unfortunate plane crash. “The most likely cause of Netaji’s death was the plane crash. That is more or less a consistent story beyond just mere speculation. Yes, I am fairly convinced that he died in the plane crash.” नामालूम प्राचल |trans_title= की उपेक्षा की गयी (|trans-title= सुझावित है) (मदद); |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  11. "Fate of Indian war leader thrown into doubt by new report" (अंग्रेजी में). द गार्जियन. 18 मई 2006. अभिगमन तिथि 8 नवम्बर 2013. Academics have argued that Bose disagreed with the arguments of racial superiority espoused by Japan and the Nazis. Most paint Bose as a pragmatist who considered an enemy's enemy a friend. He was a very clever man and a good bloke. I had a lot of time for him,"Hugh Toye, the former British intelligence officer whose job it was to track down Bose, told the Guardian. "If we had caught him he would have been sentenced to death though. I still think he died in the plane crash.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  12. "Demand for Netaji's files to be made public". टाइम्स ऑफ इण्डिया, कोलकाता. 21 जनवरी 2013. अभिगमन तिथि 8 नवम्बर 2013. India government to approach the Russian government to get details of the files related to Netaji which were with KGB. Even she mentioned that Jospeh Stalinas daughter Svetlana even during her visit to India had given important information on Netaji and had hinted at Netajias presence in Russia after 1945. So she demanded that the documents submitted to Indian government by Svetlana be made public.
  13. http://www.rediff.co.in/news/2005/may/11inter1.htm. अभिगमन तिथि 17 अक्तूबर 2013. गायब अथवा खाली |title= (मदद)
  14. "Netaji's ashes should be immersed in River Ganges, wishes daughter" (अंग्रेजी में). जी न्यूज़ इण्डिया डॉट कॉम. 03 फरवरी, 2013. अभिगमन तिथि 17 अक्तूबर 2013. The government of India did try to bring back the ashes from Tokyo but I have a feeling that whichever political party was in power did not try enough to bring it back. There are many people in India who would have wanted Netaji’s ashes to be brought back to his own country नामालूम प्राचल |trans_title= की उपेक्षा की गयी (|trans-title= सुझावित है) (मदद); |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  15. "नेताजी सुभाष चंद्र बोस समझे जाने वाले गुमनामी बाबा की पहचान ढूंढी जाए: हाई कोर्ट". नवभारत टाइम्स. 1 फरवरी, 2013. अभिगमन तिथि 17 अक्तूबर 2013. कोर्ट ने इस बात पर हैरानी जताई कि सरकार ने तोक्यो के रेंकोजी मेंदिर में रखी राख का डीएनए टेस्ट क्यों नहीं कराया। इस टेस्ट से यह पता लगाया जा सकता था कि वह राख नेताजी की है या नहीं। इसके बाद बेंच ने केंद्र सरकार द्वारा जस्टिस एम.के. मुखर्जी कमिशन की रिपोर्ट को रिजेक्ट करने पर भी सवाल उठाए। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि नेता जी की मौत प्लेन क्रैश में नहीं हुई और न ही तोक्यो के मंदिर में रखी राख उनकी है। |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)

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