"के पी सक्सेना": अवतरणों में अंतर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
→‎संक्षिप्त जीवन परिचय: ==प्रमुख कृतियाँ==
सम्मान
पंक्ति 22: पंक्ति 22:
* गज फुट इंच
* गज फुट इंच
* बाजूबंद खुल-खुल जाय
* बाजूबंद खुल-खुल जाय
*श्री गुल सनोवर की कथा
* श्री गुल सनोवर की कथा
==सम्मान==

केपी की व्यंग्य रचनाओं की लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें सन् [[2003]] में भारत सरकार का विशेष अलंकरण [[पद्मश्री सम्मान]] प्रदान किया गया।
==सन्दर्भ==
==सन्दर्भ==
{{टिप्पणीसूची}}
{{टिप्पणीसूची}}

09:14, 1 नवम्बर 2013 का अवतरण

के पी सक्सेना (जन्म: 1934 बरेली[1] - मृत्यु: 31 अक्तूबर 2013 लखनऊ) [2] भारत के एक हिन्दी लेखक, व्यंग्यकार और फिल्म पटकथाकार थे।[3]

उनकी गिनती वर्तमान समय के प्रमुख व्यंग्यकारों में होती है। हरिशंकर परसाई और शरद जोशी के बाद वे हिन्दी में सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले व्यंग्यकार थे। उन्होने लखनऊ के मध्यवर्गीय जीवन को लेकर अपनी रचनायें लिखीं। उनके लेखन की शुरुआत उर्दू में अफसानानिगारी के साथ हुई थी लेकिन बाद में अपने गुरु अमृत लाल नागर की सलाह से हिन्दी व्यंग्य के क्षेत्र में आ गये। उनकी लोकप्रियता इस कदर बढ़ी कि आज उनकी लगभग पन्द्रह हजार प्रकाशित व्यंग्य रचनायें हैं जो अपने आप में एक कीर्तिमान है। उनकी पाँच से ज्यादा फुटकर व्यंग्य की पुस्तकें प्रकाशित हैं इनके अलावा कुछ व्यंग्य उपन्यास भी छप चुके हैं।[4]

उन्हें भारतीय रेलवे ने नौकरी दी थी। वे पत्र-पत्रिकाओं के लिये भी लिखते थे। उन्होंने हिन्दी फिल्म लगान, हलचल, और स्वदेश की पटकथायें भी लिखी थी।[2]

उन्हें 2000 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।[5]

उनका निधन 31 अक्तूबर 2013 को लखनऊ में हुआ। वे कैंसर से पीड़ित थे।[6]

संक्षिप्त जीवन परिचय

केपी सक्सेना का जन्म सन् 1934 में बरेली में हुआ था। उनका पूरा नाम कालिका प्रसाद सक्सेना था। लेकिन रेल विभाग और साहित्य जगत में वे केपी के नाम से ही अधिक लोकप्रिय थे। उन्होंने बरेली कॉलेज बरेली से वनस्पतिशास्त्र (बॉटनी) में स्नातकोत्तर (एमएससी) की उपाधि प्राप्त की थी। शिक्षा पूर्ण करने के उपरान्त उन्होंने कुछ समय तक लखनऊ के एक कॉलेज में अध्यापन कार्य भी किया। इसी दौरान उन्होंने वनस्पति विज्ञान पर कुछ पुस्तकें भी लिखीं। बाद में उन्हें उत्तर रेलवे में सरकारी नौकरी के साथ-साथ उनकी पहली पसन्द के लखनऊ शहर में पोस्टिंग भी मिल गयी। इसके बाद वे लखनऊ में ही स्थायी रूप से बस गये। उन्होंने अनगिनत व्यंग्य रचनाओं के अलावा आकाशवाणी और दूरदर्शन के लिए कई नाटक और धारावाहिक भी लिखे। बीबी नातियों वाली धारावाहिक बहुत लोकप्रिय हुआ। उनकी लोकप्रियता का अन्दाज़ इसी से लगाया जा सकता है कि था कि वे मूलत: व्यंग्य लेखक होने के बावजूद कवि सम्मेलनों में भी पूरी शिद्दत के साथ भाग लेते थे।

प्रमुख कृतियाँ

  • नया गिरगिट
  • कोई पत्थर से
  • मूँछ-मूँछ की बात
  • रहिमन की रेलयात्रा
  • रमइया तोर दुल्हिन
  • लखनवी ढँग से
  • बाप रे बाप
  • गज फुट इंच
  • बाजूबंद खुल-खुल जाय
  • श्री गुल सनोवर की कथा

सम्मान

केपी की व्यंग्य रचनाओं की लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें सन् 2003 में भारत सरकार का विशेष अलंकरण पद्मश्री सम्मान प्रदान किया गया।

सन्दर्भ

  1. डॉ. गिरिराज शरण अग्रवाल एवं डॉ. मीना अग्रवाल हिन्दी साहित्यकार सन्दर्भ कोश (दूसरा भाग) संस्करण:2006, ISBN: 81-85139-29-6, प्रकाशक: हिन्दी साहित्य निकेतन, बिजनौर, पृष्ठ: 91
  2. "BBC to broadcast weekly Hindi programme on bonded labour". DNA (newspaper). May 26, 2010.
  3. "KP Saxena to write screenplay for Anil Kapoor film". The Times of India. Feb 3, 2003.
  4. अज़ीमुश्शान शहंशाह – पदमश्री के.पी. सक्सेना
  5. "Padma Awards Directory (1954-2009)" (PDF). Ministry of Home Affairs (India).
  6. छतीसगढ़ खबर, 31 अक्तूबर 2013, शीर्षक: लेखक के.पी. सक्सेना नही रहे

बाहरी कड़ियाँ