"लाल कुर्ती आन्दोलन": अवतरणों में अंतर

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12:40, 24 सितंबर 2013 का अवतरण

ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान महात्मा गांधी के साथ

लाल कुर्ती आंदोलन भारत में पश्चिमोत्तर सीमांत प्रांत में ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान द्वारा भारतीय राष्ट्रीय कॉंग्रेस भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के समर्थन में खुदाई ख़िदमतगार (फारसी शब्द, अर्थात ईश्वर के सेवक) के नाम से किया गया आंदोलन। [1]

प्रकृति

ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान पख्तून थे, जो महात्मा गांधी तथा उनके अहिंसक सिद्धांतों के बहुत बड़े प्रशंसक थे और कॉंग्रेस को समर्थन देना , सीमांत क्षेत्र में अङ्ग्रेज़ी शासन के बिरुद्ध अपनी शिकायतों पर बल देने का एक रास्ता मानते थे। उन्हें सीमांत गांधी कहा जाता था। उनके अनुयायी अहिंसा के प्रति बचनबद्ध थे और उन्हें अपनी कमीजों के लाल रंग के कारण लाल कुर्ती का लोकप्रिय नाम मिला। बताया जाता है, कि स्कूली शिक्षा के दौरान फिल्म आभिनेता ए के हंगल भी फ़्रंटियर गांधी यानी ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान के नेतृत्व में चल रहे "लाल कुर्ती' आंदोलन से वे पेशावर में स्कूली शिक्षा के दौरान ही जुड़ गये थे।[2]

इतिहास

1937 में नए भारत सरकार अधिनियम के अंतर्गत कराये गए चुनावों में लाल कुर्तियों के समर्थन से कांग्रेस पार्टी को बहुमत मिला और उसने गफार खान के भाई खान साहिब के नेतृत्व में मंत्रिमंडल बनाया, जो बीच में थोड़ा अंतराल छोडकर 1947 में विभाजन तक काम करता रहा । इसी वर्ष सीमांत प्रांत को भारत और पाकिस्तान में से एक में विलय का चुनाव करना पड़ा, उसने जनमत संग्रह के माध्यम से पाकिस्तान में विलय का विकल्प चुना। [3]

परिणति

ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान ने तब पाकिस्तान और अफगानिस्तान के सीमांत जिलों को मिलाकर एक स्वतंत्र पख्तून देश-पख्तूनिस्तान की अवधारणा की वकालत की। पाकिस्तान सरकार ने इस आंदोलन और लाल कुर्तियों, दोनों का दमन कर दिया। [4]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. सामान्य अध्ययन, प्रश्न-26
  2. हरफनमौला थे हमारे हंगल
  3. भारत ज्ञानकोश, भाग-5, प्रकाशक: पोप्युलर प्रकाशन मुंबई, पृष्ठ संख्या: 157,आई एस बी एन 81-7154-993-4
  4. भारत ज्ञानकोश, भाग-5, प्रकाशक: पोप्युलर प्रकाशन मुंबई, पृष्ठ संख्या: 157,आई एस बी एन 81-7154-993-4

बाहरी कड़ियाँ