"इलियाड": अवतरणों में अंतर

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File:Peter_Paul_Rubens_181.jpg|This is an oil painting of the Goddess Thetis dipping her son Achilles into the River Styx, which runs through Hades. In the background, the ferryman Charon can be seen taking the dead across the river in his boat. The scene was painted by Peter Paul Reubens around 1625.
File:Peter_Paul_Rubens_181.jpg|This is an oil painting of the Goddess Thetis dipping her son Achilles into the River Styx, which runs through Hades. In the background, the ferryman Charon can be seen taking the dead across the river in his boat. The scene was painted by Peter Paul Rubens around 1625.
File:The face that launched 1,000 ships.jpg|This is a fresco of Paris abducting Helen by force. It is painted on a wall inside a villa in Venice, Italy.
File:The face that launched 1,000 ships.jpg|This is a fresco of Paris abducting Helen by force. It is painted on a wall inside a villa in Venice, Italy.
File:Beware of Greeks bearing gifts.jpg|This is a drawing of the Greeks leaving their hiding place inside the Trojan Horse in order to attack Troy. The drawing is based on an oil painting by Henri Motte.
File:Beware of Greeks bearing gifts.jpg|This is a drawing of the Greeks leaving their hiding place inside the Trojan Horse in order to attack Troy. The drawing is based on an oil painting by Henri Motte.

20:09, 26 अगस्त 2013 का अवतरण

इलियाड का प्राचीन ज़ूनानी निदर्श चित्र

ईलियद (प्राच. यून. Ἰλιάς Iliás) — प्राचीन यूनानी शास्त्रीय महाकाव्य, जो कवि होमर की मानी जाती है। ईलियद यूरोप के आदिकवि होमर द्वारा रचित महाकाव्य। इसका नामकरण ईलियन नगर (ट्राय) के युद्ध के वर्णन के कारण हुआ है। समग्र रचना 24 पुस्तकों में विभक्त है और इसमें 15,693 पंक्तियाँ हैं। इलियाड ई.पू. तीसरी तथा दूसरी शताब्दियों में प्राचीन यूनानी वीरों के बहुसंख्यक इतिवृत्तों के आधार पर रची गयी है। इलियड में ट्राय राज्य के साथ ग्रीक लोंगो के युद्ध का वर्णन है. इस महाकाव्य में ट्राय के विजय और ध्वंस की कहानी तथा युनानी वीर एकलिस के वीरत्व की गाथाएं हैं.

कथावस्तु

संक्षेप में इस महाकाव्य की कथावस्तु इस प्रकार है : ईलियन के राजा प्रियम के पुत्र पेरिस ने स्पार्टा के राजा मेनेलाउस की पत्नी परम सुंदरी हेलेन का उसके पति की अनुपस्थिति में अपहरण कर लिया था। हेलेन को पुन: प्राप्त करने तथा ईलियन को दंड देने के लिए मेनेलाउस और उसके भाई आगामेम्नन ने समस्त ग्रीक राजाओं और सामंतों की सेना एकत्र करके ईलियन के विरुद्ध अभियान आरंभ किया। परंतु इस अभियान के उपर्युक्त कारण, और उसके अंतिम परिणाम, अर्थात् ईलियन के विध्वंस का प्रत्यक्ष वर्णन इस काव्य में नहीं है। इसका आरंभ तो ग्रीक शिविर में काव्य के नायक एकिलीज के रोष से होता है। अगामेम्नन ने सूर्यदेव अपोलो के पुजारी की पुत्री को बलात्कारपूर्वक अपने पास रख छोड़ा है। परिणामत: ग्रीक शिविर में महामारी फैली हुई है। भविष्यद्रष्टा काल्कस ने बतलाया कि जब तक पुजारी की पुत्री को नहीं लौटाया जाएगा तब तक महामारी नहीं रुकेगी। अगामेम्नन बड़ी कठिनाई से इसके लिए प्रस्तुत होता है पर इसके साथ ही वह बदले में एकिलीज़ के पास से एक दूसरी बेटी ब्रिसेइस को छीन लेता है। एकिलीज़ इस अपमान से क्षुब्ध और रुष्ट होकर युद्ध में न लड़ने की प्रतिज्ञा करता है। वह अपनी मीरमिदन (पिपीलिका) सेना और अपने मित्र पात्रोक्लस के साथ अपने डेरों में चला जाता है और किसी भी मनुहार को नहीं सुनता। परिणामत: युद्ध में अगामेम्नन के पक्ष की किरकिरी होने लगती है। ग्रीक सेना भागकर अपने शिविर में शरण लेती है। परिस्थितियों से विवश होकर अगामेम्नन एकिलीज़ के पास अपने दूत भेजता है और उसके रोष के निवारण के लिए बहुत कुछ करने को तैयार हो जाता है। परंतु एकिलीज़ का रोष दूर नहीं होता और वह दूसरे दिन अपने घर लौट जाने की घोषणा करता है। पर वास्तव में वह अगामेम्नन की सेना की दुर्दशा देखने के लिए ठहरा रहता है। किंतु उसका मित्र पात्रोक्लस अपने पक्ष की इस दुर्दशा को देखकर को देखकर खीझ उठता है और वह एकिलीज़ से युद्ध में लड़ने की आज्ञा प्राप्त कर लेता है। एकिलीज़ उसको अपना कवच भी दे देता है और अपने मीरमिदन सैनिकों को भी उसके साथ युद्ध करने के लिए भेज देता है। पात्रोक्लस ईलियन की सेना को खदेड़ देता है पर स्वयं अंत में वह ईलियन के महारथी हेक्तर द्वारा मार डाला जाता है। पात्रोक्लस के निधन का समाचार सुनकर एकिलीज़ शोक और क्रोध से पागल हो जाता है और अगामेम्नन से संधि करके नवीन कवच धारण कर हेक्तर से अपने मित्र का बदला लेने युद्ध क्षेत्र में प्रविष्ट हो जाता है। एकिलीज़ से युद्ध आरंभ करते ही पासा पलट जाता है। वह हेक्तर को मार डालता है और उसके पैर को अपने रथ के पिछले भाग से बाँधकर उसके शरीर को युद्धक्षेत्र में घसीटता है जिससे उसका सिर घूल में लुढ़कता चलता है। इसके पश्चात् पात्रोक्लस की अंत्येष्टि बड़े ठाट बाट के साथ की जाती है। एकिलीज़ हेक्तर के शव को अपने शिविर में ले आता है और निर्णय करता है कि उसका शरीर खंड-खंड करके कुत्तों को खिला दिया जाए। हेक्तर का पिता ईलियन राजा प्रियम उसके शिविर में अपने पुत्र का शव प्राप्त करने के लिए उपस्थित होता है। उसके विलाप से एकिलीज़ को अपने पिता का स्मरण हो आता है और उसका क्रोध दूर हो जाता है और वह करुणा से अभिभूत होकर हेक्तर का शव उसके पिता को दे देता है और साथ ही साथ 12 दिन के लिए युद्ध भी रोक दिया जाता है। हेक्तर की अंत्येष्टि के साथ ईलियद की समाप्ति हो जाती है।

कुछ हस्तलिखित प्रतियों में ईलियद के अंत में एक पंक्ति इस आशय की मिलती है कि हेक्तर की अंत्येष्टि के बाद अमेज़न (निस्तनी) नामक नारी योद्धाओं की रानी पैंथेसिलिया प्रियम की सहायता के लिए आई। इसी संकेत के आधार पर स्मर्ना के क्विंतुस नामक कवि ने 14 पुस्तकों में ईलियद का पूरक काव्य लिखा था। आधुनिक समय में श्री अरविंद घोष ने भी अपने जीवन की संध्या में मात्रिक वृत्त में ईलियन नामक ईलियद को पूर्ण करनेवाली रचना का अंग्रेजी भाषा में आरंभ किया था जो पूरी नहीं हो सकी। नवम पुस्तक की रचना के मध्य में ही उनकी चिरसमाधि की उपलब्धि हो गई।

ईलियद में जिस युग की घटनाओं का उल्लेख है उसको वीरयुग कहते हैं। श्लीमान और डेफैल्ट को ट्राय नगर की खुदाई के पश्चात् इस युग की सत्यता निर्विवाद सिद्ध हो चुकी थी। ई.पू. 13वीं और 13 शताब्दियाँ इस युग का काल मानी जाती हैं। पर ईलियद के रचनाकाल की सीमाएँ ई.पू. नवीं और सातवीं शताब्दियाँ हैं। होमर की रचनाओं से संबंध रखनेवाली समस्याएँ अत्यंत जटिल हैं। एक समय होमर के अस्तित्व तक पर संदेह किया जाने लगा था। पर अब स्थिति अधिक अनुकूल हो चली है, यद्यपि अब भी होमर के महाकाव्य एक विकासक्रम की चरम परिणति माने जाते हैं जिनमें एक लोकोत्तर प्रतिभा का कौशल स्पष्ट लक्षित होता है।

ईलियद में महाकाव्य की दृष्टि से सरलता और कविकर्म का अभूतपूर्व सामंजस्य है। नीति की दृष्टि से असाधारण काम और क्रोध के विध्वंसकारी परिणाम का प्रदर्शन जैसा इस काव्य में हुआ हे वैसा अन्यत्र मुश्किल से मिलेगा। इसके पुरुष पात्रों में अगामेम्नन, एकिलीज़, पात्रोक्लस, मेनेलाउस, प्रियम, पेरिस और हेक्तर उल्लेखनीय हैं। स्त्री पात्रों में हेलेन, हेकुबा, आंद्रोमाको इत्यादि महान हैं। युद्ध में मनुष्य और देवता सभी भाग लेते हैं, कहीं मनुष्य गुणों में देवताओं से ऊँचे उठ जाते हैं तो कहीं देवता लोग मानवीय दुर्बलताओं के शिकार होते दृष्टिगोचर होते हैं एवं परिहास के पात्र बनते हैं। भारतीय महाकाव्यों के साथ ईलियद की अनेक बातें मेल खाती हैं, जिनमें हेलेन का अपहरण और ईलियन का दहन सीता-हरण और लंकादहन से स्पष्ट सादृश्य रखते हैं। संभवत: इसी कारण मेगस्थनीज़ को भारत में होमर के महाकाव्यों के अस्तित्व का भ्रम हुआ था।

होमर के अनुवाद बहुत हैं परंतु उसका अनुवाद, जैसा प्रत्येक उच्च कोटि की मौलिक रचना का अनुवाद हुआ करता है, एक समस्या है। यदि अनुवादक सरलता पर दृष्टि रखता है तो होमर के कवित्व को गँवा बैठता है और कवित्व को पकड़ना चाहता है तो सरलता काफूर हो जाती है।











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होमर के कथाकौशल की एक झाँकी प्रस्तुत करने की दृष्टि से ‘इलियड’ और ‘ओडेसी’ के कथानकों का सर्ग-क्रम से संक्षिप्त विवरण नीचे दिया जा रहा है।


इलियड

मंगलाचरण : ओ सरस्वती (म्यूज), एकिलेस के उस महाक्रोध का वर्णन करो जिस महाक्रोध के कारण एवं देवराज की इच्छानुसार, अनेक ग्रीकों को व्यथा भोगनी पड़ी, अनेक शूरमाओं को अपने सुन्दर शरीर कुत्तों और चील-कौवों के महोत्सव के लिए छोड़कर मृत्युलोक जाना पड़ा। हे देवी, मेरे हेतु तू उसी क्रोध का गान कर।

सर्ग 1 - अपोलो के पुजारी की पुत्री युद्ध-बन्दी के रूप में सेनापति अगामेनन की सेवा में - उसके वृद्ध पिता का आगमन और पुत्री के बदले में अर्थदण्ड का प्रस्ताव एवं पुत्री की माँग - इस सुन्दर कपोलोंवाली बाला पर नृपति इतना मुग्ध है कि इसके पिता को तिरस्कारपूर्वक निकलवा देता है - पुजारी के अपमान से धनुर्धर देवता अपोलो का क्षोभ एवं शरसन्धान-उस भासमान देवता का रजतबाण ग्रीक सैन्यशिविर पर अदृश्य रूप में-ग्रीक शिविर में घोर महामारी-अपोलो के क्रोध की बात का सेना में प्रचार-एकिलेस का नृपति अगामेनन से पुजारी की पुत्री को लौटाने का घोर आग्रह एवं नृपति द्वारा महायोद्धा एकिलेस का तिरस्कार एवं अपमान-अगामेनन का सुन्दरी बाला को लौटाकर एकिलेस को युद्ध पारितोषिक के रूप में मिली उसकी प्रेमिका-दासी ब्रिसीज को जबरदस्ती ले लेना - अपमान एवं क्षोभ से जलते हुए एकिलेस ने युद्ध-भाग न लेने की प्रतिज्ञा की - दुःख एवं अपमान से पीड़ित आँखों में आँसू भरकर एकिलेस समुद्र तट पर बैठा - उसी समय समुद्र-गर्भ से लहरों के ऊपर आसीन उसकी माता समुद्रकन्या थेटिस उक्त निर्जन तट पर बैठे पुत्र को आश्वासन देकर स्वर्ग में देवराज को ट्रोजनों की, अल्पकाल के लिए, विजय की प्रार्थना की जिससे ग्रीक उसके पुत्र के पास जाकर शरणागत हों - हीरी का प्रतिरोध - पर देवराज के एक भृकुटि-भंग से शची हीरी एवं समस्त स्वर्ग त्रस्त हो उठा।

सर्ग 2 - देवराज द्वारा प्रेरित ग्रीक सेनप अगामेनन को मिथ्यास्वप्न और आक्रमण का आदेश - व्यूह-रचना।

सर्ग 3 - दोनों सेनाओं के मध्य हेक्टर द्वारा प्रेरित मिनीलास के द्वन्द्व-युद्ध का आह्वान - हेलेन का क्षोभपूर्वक दुर्ग-शिखर पर जाना-वहाँ बैठे राजा प्रायम को ग्रीक सेनापतियों का परिचय देना - प्रायम और अगामेनन का संयुक्त शपथ एवं द्वन्द्वयुद्ध की शर्त्तों की मान्यता - देवी एथनी द्वारा मिनीलास में स्फूर्त्तिभरण एवं पेरिस आहत-देवी अफ्रोदीती द्वारा पेरिस के शरीर की रक्षा एवं पलायन।

सर्ग 4 - युद्धभूमि में दोनों सेनाएँ शान्त खड़ी हैं - एथनी, जो युद्ध द्वारा ट्रोजनों का विनाश चाहती है, पैण्डरस द्वारा छलपूर्वक मिनीलास पर बाण चलवाकर शान्ति भंग कर देती है - भयानक युद्ध का प्रारम्भ।

सर्ग 5 - एथनी द्वारा ग्रीक योद्धा डायोमिडीज़ में बल एवं प्रेरणा का भरण एवं डायोमिडीज़ का भयंकर रण तथा एथनी द्वारा उकसाने पर ट्रोजनों की सहायक देवी अफ्रोदीती पर वार। युद्धदेवता आर्स (मार्स) का क्रोध, पर अदृश्य एथनी की सहायता से डायोडीज़ आर्स को भी पराजित करता है।

सर्ग 6 - (महाकाव्य का एक अति हृदयग्राही स्थल) हेक्टर ट्रोजनों की मृत्यु देखकर पत्नी एण्ट्रोमेसी (एण्ट्रोमेकी) से युद्ध-विदा - करुणापूर्ण स्थल - देवराज जीयस के इंगित से देवता अपोलो हेक्टर की रक्षा एवं प्रेरणा के लिए।

सर्ग 7 - हेक्टर एवं अयेज़ (एजेक्स) का युद्ध।

सर्ग 8 - घमासान युद्ध - ट्रोजनों की विजय - ट्रोजन सेना ग्रीक शिविर की दीवार तक चली आती है।

सर्ग 9 - ग्रीकों द्वारा एकिलेस से युद्ध में भाग लेने के लिए अनुनय-विनय। सेनापति गण पराभूत -महान योद्धागण घायल - पर एकिलेस अपने हठ पर अडिग।

सर्ग 10 - रात्रि में गुप्तचर अभियान ओडेसियस एवं डायोमिडीज़ द्वारा शत्रु-शिविर में घुसकर अनेक सुप्त वीरों की हत्या एवं अश्व-अपहरण।

सर्ग 11 - दूसरे दिन फिर घमासान युद्ध - ग्रीक सेनापतियों में अगामेनन, मिनीलास, डायोमिडीज़, अयेज, ओडेसियस सभी घायल-घोर पराजय।

सर्ग 12-13 – युद्ध - हेक्टर का दीवार तोड़कर ग्रीक जलपोतों के पास युद्ध।

सर्ग 14 - ट्रोजन विजय से शची ‘हीरी’ को क्षोभ-वह अपनी सारी काम-कला एवं श्रृंगार के साथ देवराज को काम-मोहित करती है - हीरी के सौन्दर्य से देवता का हृदय चंचल-स्वर्ग में आलिंगन और नीचे धरती पर एकाएक लताएँ एवं पुष्प कुसुमित हो उठे, वायु सुगन्ध से भर उठी - इधर मौका पाकर ग्रीकपक्षीय देवता ट्रोजनों का संहार करने लगे।

सर्ग 15 - उन्माद बीतने पर हीरी पर देवराज क्रुद्ध - एवं ट्रोजनों को विजय-प्रदान - ग्रीक सेना त्रस्त - एकिलेस का प्राण-प्रिय सखा प्रेट्राक्लस एकिलेस के कवच को बाँधकर युद्ध में जाता है - लोग उसे एकिलेस समझकर भयभीत हो उठते हैं।

सर्ग 16 - पेट्राक्लस द्वारा भयंकर युद्ध एवं ट्रोजन-पक्षीय देवता अपोलो द्वारा उसका अदृश्य रूप से वध।

सर्ग 17 - एकिलेस के कवच के लिए घोर युद्ध - पेट्राक्लस की लाश को लेकर छीना-झपटी - अन्त में कवच को हेक्टर ले जाता है। (समस्त महाकाव्य में कई स्थलों पर प्रतिपक्षी की मृत्यु के बाद उसके रथ, घोड़ों एवं कवच की लूट का वर्णन मिलता है।)

सर्ग 18 - एकिलेस को प्राणप्रिय सखा की मृत्यु का समाचार - गहरी करुणा, व्यथा एवं भयंकर प्रतिशोध का आमर्ष-क्रोध और व्यथा से विक्षिप्त एकिलेस को उसकी माता का आश्वासन एवं स्वर्ग से अद्भुत कवच एवं ढाल बनवाकर ले आना और देना।

सर्ग 19 - आपसी वैमनस्य एवं मतभेद का अन्त तथा एकिलेस की युद्ध-यात्रा।

सर्ग 20 - भयंकर युद्ध-दोनों पक्षों के देवगण मानवीय योद्धाओं के शरीर में प्रविष्ट होकर युद्धरत होते हैं।

सर्ग 21 - एकिलेस द्वारा समरभूमि में प्रलय उपस्थित-‘त्राहि-त्राहि’ रव से आकाश पूर्ण-ट्राय के निकट बहनेवाली जैन्थस नदी की धारा में मुण्ड ही मुण्ड-नदी-देवता का क्रोध एवं एकिलेस से घोर युद्ध -एकिलेस के प्राण संकटापन्न-हीरी द्वारा एकिलेस को बल-प्रदान - नदी-देवता पराभूत।

सर्ग 22 - ट्रोजनों की भयंकर पराजय-एकिलेस एवं हेक्टर का द्वन्द्वयुद्ध-देवराज ज़ीयस अत्यन्त भरे दिल से लाचार होकर हेक्टर की मृत्यु का निर्णय करते हैं और एकिलेस द्वारा हेक्टर का वध एवं मृत देह का घोर अपमान।

सर्ग 23 - पेट्राक्लस का दाह-संस्कार एवं उसकी चिता पर बन्दी ट्रोजनों का वध। दाह-संस्कार के साथ क्रीड़ा-प्रतियोगिता।

सर्ग 24 - प्रायम का एकिलेस के पास आकर बेटे की लाश माँगना - प्रायम को देखकर एकिलेस को अपने वृद्ध पिता की याद - एकिलेस का हृदय द्रवित-लाश सन्दान एवं दाह-संस्कार - काल तक शान्ति-व्यवस्था की प्रधि - संस्कार कृत्यों का वर्णन।


गैलरी

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