"नेतृत्व": अवतरणों में अंतर

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13:39, 5 अगस्त 2013 का अवतरण

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नेतृत्व (leadership) की व्याख्या इस प्रकार दी गयी है "एक प्रक्रिया जिसमें एक व्यक्ति सामाजिक प्रभाव से अन्य लोगों की सहायता से एक आम कार्य सिद्ध करता है.[1] एक और परिभाषा एलन कीथ गेनेंटेक ने दी जिसके अधिक अनुयायी थे "नेतृत्व वह है जो अंततः लोगों के लिए एक ऐसा मार्ग बनाना जिसमें लोग अपना योगदान दे कर कुछ असाधारण कर सकें.[2]

अमेरिकी मनोविश्लेषक और पश्चिमोत्तर विश्वविद्यालयके मेडिकल स्कूल के संकाय के पूर्व सदस्य स्वर्गीय जूल्स मासेर्मन के अनुसार, नेताओं को तीन प्रमुख कार्य करने चाहिए : नेता को सही अर्थों में नेतृत्व करना चाहिए, एक सामाजिक संगठन प्रदान करना चाहिए जिसमें लोग अपने आप को सुरक्षित समझें, लोगों को उनमें विश्वास पैदा हो सके.

नेतृत्व संगठनात्मक संदर्भों के सबसे प्रमुख पहलुओं में से एक है. हालांकि, नेतृत्व को परिभाषित करना चुनौती से पूर्ण रहा है.निम्नलिखित वर्गों में नेतृत्व के महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की गयी है. इसके साथ-साथ नेतृत्व क्या है, कई लोकप्रिय सिद्धांतों और नेतृत्व की शैलियों का वर्णन भी किया गया है.इसके साथ-साथ इस पृष्ठ में भावनाओं और दूरदृष्टि की भूमिका, नेतृत्व की प्रभावशीलता और प्रदर्शन पर भी विचार किया गया है.अंत में, इस पृष्ठ में विभिन्न सन्दर्भों में नेतृत्व, यह अन्य सम्बंधित अवधारणाओं (प्रबंधन) से कैसे अलग है, सम्बंदिथ हे, नेतृत्व के बारे में उठाई गयी कुछ आलोचनाओं पर भी चर्चा की गयी है.

नेतृत्व के सिद्धांत

नेतृत्व में सक्षम छात्रों ने, विशेष सिद्धांतों,[3] स्थितिजन्य संपर्क, कार्य, व्यवहार, अधिकार, दर्शन और मूल्यों [4] करिश्मा और दूसरों के बीच बुद्धिमत्ता को उजागर किया है.

विशेषता-सिद्धांत

विशेषता सिद्धांत व्यवहार के विभिन्न प्रकार और प्रभावशाली व्यक्तित्व से सम्बंधित प्रवृत्तियों का वर्णन करने की कोशिश करता है. यह शायद नेतृत्व का प्रथम शैक्षणिक सिद्धांत है. थॉमस कार्लाइल(1841), को हम विशेषता सिद्धांत के अग्रदूत कह सकते हैं. जिन लोगों ने अपनी प्रतिभा, कौशल और शारीरिक विशेषताओं का प्रयोग कर अधिकार प्राप्त किया है उनका वर्णन यहाँ किया गया है.[5]रोनाल्ड हेफेटेज़(1994) ने उन्नीसवीं शताब्दी की परम्परा को दृष्टीपात करते हुए समाज के इतिहास को महान पुरुषों के इतिहास से जोड़ने की कोशिश की है.[6]

विशेषता सिद्धांत के समर्थकों ने नेतृत्व की विशेषताओं को दृष्टिपात किया और कहा कि कुछ निश्चित विशेषताओं के पालन करने से प्रभावशाली नेतृत्व कायम हो सकता है. शेले किर्क्पात्रिक्क औरएडविन ए लोके(1991) ने विशेषता सिद्धांत के उदाहरण दिए. वे तर्क करते हैं कि "प्रमुख नेता में कुछ और गुण शामिल हैं: ड्राइव (एक व्यापक शब्द है, जिसमेंउपलब्धि, प्रेरणा, महत्वाकांक्षा, शक्ति, तप और पहल भी शामिल है), नेतृत्व प्रेरणा (नेतृत्व करने की इच्छा तो रखते हैं पर अधिकार प्राप्त करना नहीं चाहते है); (क्योंकि यह अपने आप में एक अंत है), ईमानदारी, अखंडता, आत्मविश्वास (जो भावनात्मक स्थायित्व के साथ आता है), संज्ञानात्मक क्षमता और व्यापार की जानकारी से जुड़ा है. उनके शोध के अनुसार, "करिश्मा, रचनात्मकता और नम्यता के लिए कम स्पष्ट सबूत है".[3]

विशेषता-सिद्धांत की आलोचना

हालांकि विशेषता सिद्धांत के लिए एक सहज ज्ञान युक्त अपील की गयी है, इन सिद्धांतों को साबित करने में अनेक कठिनाईयां उत्पन्न हो सकती है और ये विपक्षीयों को बार बार इस की चुनौती देते हैं. विशेषता सिद्धांत के सबसे "मजबूत" संस्करण के अनुसार, "नेतृत्व विशेषताएँ " सहज हैं और कुछ लोग नेतृत्व विशेषताओं से युक्त होकर अपनी मनोवैज्ञानिक विशेषताओं से "जन्मतः नेता' होते हैं. इस सिद्धांत के अध्ययन से हम बता सकते हैं किनेतृत्व विकासपहचान करने के साथ-साथ नेतृत्व गुणों को मापता है, सक्षम नेताओं को अक्षम नेताओं के बीच फर्क को पहचानता है और फिर सक्षम लोगों को प्रशिक्षण देता है. [तथ्य वांछित][8]

व्यवहार और शैली सिद्धांत

विशेषता दृष्टिकोण की आलोचना के जवाब में, सिद्धांतकारों ने नेतृत्व को व्यवहारों का एक समूह कहा है, 'सफल नेताओं' के व्यवहार का अनुसंधान करते हुए, उनकी व्यवहार कुशलता और उनके नेतृत्व की व्यापक शैली को पहचानना हैं.[7]डेविड मंक्लील्लैंड ने नेतृत्व प्रतिभा को सिद्धांतों के एक समूह के रूप में देखा है न कि एक प्रेरक रूप में. उन्होंने कहा कि सफल नेताओं को अधिकार की आवश्यकता हो सकती है, संबद्धता कम मात्रा में और उच्च मात्रा में गतिविधि निषेध (कुछ इसे आत्म नियंत्रण भी कहते हैं) की आवश्यकता हो सकती हैं. [तथ्य वांछित][11]

प्रबंधन ग्रिड मॉडल का एक ग्राफिकल प्रतिनिधित्व

कर्ट लेविन, रोनाल्ड लिपित्त और राल्फ व्हाइट ने 1939 में नेतृत्व शैली और नेतृत्व प्रदर्शन के प्रभाव पर थोडा बहुत काम किया था. शोधकर्ताओं ने ग्यारह वर्षीय लड़कों के समूह पर विभिन्न प्रकार के कार्य क्षेत्रों में उनके प्रदर्शन का मूल्यांकन किया. प्रत्येक समूह में, नेता का प्रभाव, उनके निर्णय, उनकी प्रशंसा और आलोचना, समूह कार्यों के प्रबंधन (प्रबंधन परियोजना) में तीन शैलियों को देखा गया है :(1) सत्तावादी (2) लोकतांत्रिक (3)अहस्तक्षेप.[8]सत्तावादिता में नेता हमेशा निर्णय अकेले लेते हैं, उसके आदेशों का सख्त अनुपालन करने की मांग करते हैं और उठाये गए प्रत्येक कदम के लिए आदेश देते हैं ; भविष्य के कदम एक बड़े पैमाने पर अनिश्चित थे. जरूरी नहीं है नेता हर काम में भागीदार बने, पर वे प्रायः काम करने में अलग होते है और सामान्यतः व्यक्तिगत प्रशंसा और काम के लिए आलोचना भी प्रदान करते हैं. लोकतांत्रिक कार्य को सामूहिक निर्णय प्रक्रिया कह कर नेताओं द्वारा सहायता प्रदान की गयी विशेषता कहा गया है. काम ख़तम करने से पहले, नेता से, सामूहिक चर्चाओं से, तकनीकी सलाह के परिप्रेक्ष्य से लाभ प्राप्त कर सकते हैं. सदस्य अपनी पसंद के अनुसार सामूहिक रूप से परिश्रम-विभाजन का फैसला ले सकते थे.इस स्थिति में प्रशंसा और आलोचनावस्तुनिष्ठ हैं और वास्तविक रूप से काम किये बिना, उद्देश्य की पूर्ति किसी भी सदस्य द्बारा होती हैं. अहस्ताक्षेपवादिता ने बिना नेता के भागीदारी के सदस्यों को सामूहिक नीति निर्धारण में आजादी दे दी है. नेता श्रम विभाजन में भाग नहीं लेते हैं, वे जब तक कहा नहीं जाता तब तक काम में भाग नहीं लेते और बहुत कम स्तुति करते हैं.[8] इसका परिणाम यह हुआ कि लोकतांत्रिक शैली को सबसे ज्यादा पसंद किया गया.[9]

प्रबंधकीय ग्रिड नमूना भी व्यवहार सिद्धांत पर आधारित है. इस नमूने को रॉबर्ट ब्लेक और जेन मौतोन ने 1964 में पांच अलग नेतृत्व शैलियों के सुझाव अनुसार बनाया है, यह लोगों के लिए नेताओं के प्रति जो व्याकुलता है और लक्ष्य प्राप्ति के लिए उनकी व्याकुलता है उस के आधार पर बनाई गयी थी.[10]

परिस्थितिवश और आकस्मिकता सिद्धांत

स्थितिजन्य सिद्धांत भी नेतृत्व के लक्षण सिद्धांत की एक प्रतिक्रिया के रूप में दिखाई देता है.जैसा कि कार्लाईल ने सुझाव दिया, सामाजिक वैज्ञानिकों का तर्क था कि इतिहास महान पुरुषों के हस्तक्षेप के परिणाम से भी अधिक था.हरबर्ट स्पेन्सर (1884) का कहना था कि व्यक्ति समय की उपज है.[11] यह सिद्धांत बताती है कि विभिन्न परिस्थितियों में विभिन्न विशेषताएँ दिखाई देतीं हैं. सिद्धांतों के इस समूह से, किसी भी नेता की कोई एक इष्टतम मनोवैज्ञानिक रूपरेखा नहीं होती.इस सिद्धांत के अनुसार एक व्यक्ति वास्तव में जब एक नेता के रूप में व्यवहार करता है, उसका एक सबसे बडा कारण उस स्थिति पर निर्भर करता है जिसमें वह कार्य करता है." [12]

कुछ सिद्धांतकारों ने विशेषता और स्थितिजन्य दृष्टिकोण का विश्लेषण करना शुरू किया. लेविन एट अल के अनुसंधान के आधार पर यह कहा जा सकता है कि शिक्षाविदों ने नेतृत्व विधान के वर्णनात्मक ढंग को सामान्य बनाने को कोशिश की, उन्होंने उनकी तीन नेतृत्व शैलियां बताईं और किस सन्दर्भ में वे कैसे काम करते है उसकी पहचान भी की. इस सत्तावादी नेतृत्व शैली, ने उदाहरण के लिए, संकट के समय तो मंजूरी दी, पर दैनंदिन प्रबंधन में अपने अनुयायियों का मन और दिल नहीं जीत पाये. लोकतांत्रिक नेतृत्व शैली को आवश्यक परिस्थिति में और अधिक आम सहमति प्राप्त है. अहस्तक्षेप सिद्धांत को उसे प्राप्त स्वतन्त्रता के कारण सराहा जाता है. क्योंकि इसमें नेता भाग नहीं लेता इसीलिये उसे दीर्घ कालीन और संगठानात्मक समस्याओं के समय 'विफल' कहा जाता है. इस कारण सिद्धान्तकारों ने नेतृत्व शैली को परिस्थितिवश आकस्मिक कहा है और इसे कभी-कभी आकस्मिक सिद्धांत भी कहा है.[13] आजकल चार मुख्य आकस्मिकता नेतृत्व सिद्धांत दिखाई देते हैं: फीड्लर आकस्मिकता, वरूम-येत्तोन निर्णय पथ-लक्ष्य सिद्धांत, और हेर्सेय-बलानचार्ड स्थितिजन्य सिद्धांत.

इस फीड्लर आकस्मिकता नमूना में नेता की प्रभावशीलता को मुख्य माना जाता है, इसी कारण फ्रेड फीद्लर ने इसे परिस्थितिवश आकस्मिक सिद्धांत कहा. यह नेतृत्व शैली और स्थितिजन्य अनुकूल बातचीत के परिणाम (बाद में इसे "स्थिति नियंत्रण"कहा जाता है) से उत्पन्न होता है.यह सिद्धांत हमें दो प्रकार के नेताओं के बारे में बताता है : वे जो लोगों के साथ अच्छे सम्बन्ध विकसित कर कार्य पूरा करते हैं, (रिश्ता उन्मुख) और दूसरे वे जो कार्य को पूरा करने को ही अपना मुख्य कर्तव्य समझते है (कार्य उन्मुख) .फीड्लर के अनुसार, कोई आदर्श नेता नहीं हैं.[14] कार्य उन्मुख नेता और रिश्ता उन्मुख नेता दोनों भी प्रभावी हो सकते हैं यदि उनका नेतृत्व स्थितिवश हो. जब वहाँ एक अच्छे नेता-सदस्यीय रिश्ता है, एक उच्च संरचित कार्य है और उच्च नेता की स्थिति में अधिकार है, तो इस स्थिति को एक "अनुकूल स्थिति" माना जाता है. फीड्लर का मानना था कि कार्य उन्मुख नेता अनुकूल और प्रतिकूल परिस्थितियों में प्रभावी होते है. जबकि रिश्ता उन्मुख नेता मध्यवर्ती परिस्थितियों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हैं.

विक्टर वरूम, ने फिलिप येत्तोन (1973) [15] और बाद में आर्थर जागो (1988),[16] के सहयोग से नेतृत्व स्थितियों, का वर्णन करने के लिए एक वर्गीकरण किया. यह मानक निर्णय सिद्वांत में प्रयोग किया गया, जहाँ वह नेतृत्व शैली की स्थितियों के कारकों से जुडा और जो यह बताता था कि कौन सा प्रस्ताव किस स्थिति में उपयोगी होता है.[17] यह प्रस्ताव निराला था क्योंकि यह प्रबंधक के उन विचारों से सहमत था जो विभिन्न वर्गों, उनके विचारों और स्थितियों पर निर्भर था. बाद में यही सिद्धांत आपात स्थिति सिद्धांत कहा गया.[18]

पथ-लक्ष्य सिद्धांतका नेतृत्व रॉबर्ट हाउस (1971) द्वारा विकसित किया गया. यह सिद्धांत विक्टर वरूम कीप्रत्याशा सिद्धांत पर आधारित था.[19] और समर्थन ये सभी पर्यावरण के कारक और अनुयायी विशेषताओं के लिए प्रासंगिक हैं. इसफीड्लर आकस्मिकता सिद्धांत में, पथ-लक्ष्य सिद्धांत के विपरीत चार नेतृत्व व्यवहार तरल होते हैं, नेता स्थिति और आवश्यकतानुसार किसी भी सिद्धांत का पालन कर सकते हैं. पथ-लक्ष्य सिद्धांत कोसापेक्ष सिद्धांत और व्यावहारिक नेतृत्व सिद्धांत दोनों कहेंगे क्योंकि यह परिस्थितियों पर निर्भर करता है और नेता और अनुयायियों के बीच परस्पर व्यवहार पर बल देता है.

हेर्सेय और बलानचार्ड द्वारा प्रस्तावित परिस्थिति नेतृत्व नमूने ने चार नेतृत्व शैलियों और चार अनुयायी-विकास स्तरों को प्रस्तावित किया है.प्रभावशीलता के लिए, नमूने की निश्चितता, नेतृत्व शैली अनुयायीता-विकास को पूरी तरह मेल खाना चाहिए.इस नमूने में, नेतृत्व का व्यवहार केवल नेता के लक्षण ही नहीं लेकिन अनुयायियों की विशेषताएँ बन जाती हैं.[20]

कार्य सिद्धांत

(हकक्मन और वाल्टन, 1986; मेक्ग्राथ, 1962) एक विशेष और उपयोगी सिद्धांत है, विशिष्ट नेता व्यवहारों को संबोधित करने के लिए उपयोगी है जो संगठनात्मक या इकाई प्रभावशीलता में योगदान देता है.यह सिद्धांत यह तर्क देता है कि नेता का मुख्य काम है कि समूह की आवश्यकता के लिए जो भी जरूरी है उसका ध्यान रखना, इसलिए एक नेता ने समूह की प्रभावशीलता और एकता के लिए हमेशा अच्छा काम किया है.(फ्लेइश्मन एट अल,1991, हकक्मन और वेग्मन,2005; हकक्मन और वाल्टन, 1986). हालांकि कार्यात्मक नेतृत्व सिद्धांत सबसे अक्सर दल नेतृत्व (जक्कारो, रित्त्मन और मार्क्स, 2001) के लिए लागू कर दिया गया है, यह प्रभावी ढंग से व्यापक संगठनात्मक नेतृत्व के रूप में भी अच्छी तरह से (जक्कारो, 2001) लागू किया गया है. कार्यात्मक नेतृत्व पर साहित्य सारांश (के लिए कोज्लोव्सकी एट अल देखें)(1996), जक्कारो एट अल. (2001), ह्क्क्मन और वाल्टन (1986, ह्क्क्मन और वेग्मन(2005), मोर्गेसों (2005), क्लेन, जेइग्रेट, नाइट और जीओं(2006) ने गौर किया कि नेता संगठन की प्रभावशीलता को बढावा के प्रदर्शन में पाँच व्यापक कार्य करता है.इन कार्यों में शामिल हैं: (1) पर्यावरण निगरानी, (2)आधीनस्थ गतिविधियों का आयोजन, (3) आधीनास्थों का शिक्षण और प्रशिक्षण, (4) दूसरों को प्रेरित करना और (5) समूह कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लेना.

विभिन्न नेतृत्व व्यवहार इन कार्यों को सुविधाजनक रूप से करने की उम्मीद रखते हैं. प्रारंभिक काम में नेता ने व्यवहार की पहचान, फेइश्मन,(फेइश्मन, 1953) अधीनस्थ कर्मचारियों के अपने पर्यवेक्षकों के व्यवहार को दो व्यापक श्रेणियों के संदर्भ में विचार करने के लिए और संरचना की शुरुआत के रूप में माना है. इसमें विचार व्यवहार प्रभावी संबंधों को बढ़ावा देना भी शामिल हैं. इस तरह के व्यवहार के उदाहरण एक अधीनस्थ या दूसरों के प्रति एक सहायक तरीके से अभिनय के लिए चिंता का प्रदर्शन होता है. शुरुआती संरचना में नेता की कार्रवाई और विशेष रूप से कार्य सिद्धि केंद्रित है. इसमें भुमिका स्पष्टीकरण, प्रदर्शन के मानकों को निर्धारित करना और उन मानकों के प्रति जवाबदेही शामिल हो सकते हैं.

कारर्वाही और रूपांतरण सिद्धांत

कारर्वाही नेता  (बर्न्स,1978)[21] के पास इतने अधिकार होते हैं कि वह अपने दल के प्रदर्शन या अप्रदर्शन के लिए कुछ विशेष कार्य कर सकता है और इनाम या सज़ा दे सकता है.  प्रबंधक को यह अवसर देता है कि वह अपने समूह का नेतृत्व करे और उसका समूह उसके नेतृत्व का पालन करने को सहमत होता है ताकि एक निर्धारित लक्ष्य पूरा हो सके और उसके बदले में उनको कुछ मिले.नेता को अधिकार इसलिए दिया जाता है कि वह मूल्यांकन कर सके, अपने अधीनस्थ कर्मचारियों से सही कार्य करवाते हुए उनको प्रशिक्षण दें, ऐसे समय में जब कि उत्पादकता वांछित स्तर से कम है और इनाम प्रभावशीलता परिणाम मिलने पर दिया जाता हो.

रूपांतरण नेता (बर्न्स, 2008)[21] अपने दल को प्रभावी और कुशल होने को प्रेरित करता है. लक्ष्य प्राप्त करने के लिए संचार ही आधार है जबतक समूह अंतिम इच्छित परिणाम या लक्ष्य प्राप्ति नहीं कर लेता.यह नेता ज्यादातर प्रत्यक्ष दिखाई देता है और काम करवाने के लिए आदेशों की श्रृंखला का उपयोग करता है. रूपांतरण नेता बड़ी वस्तुओं पर ध्यान केन्द्रित करते हैं, जो उन लोगों की देखभाल के लिए है जो उनके घेरे में रहते हैं.नेता हमेशा उपायों के लिए देखते हैं जो संगठन की सहायता से कंपनी के लक्ष्य को प्राप्त कर सके.

नेतृत्व और भावनाएँ

नेतृत्व विशेष रूप से भावनाओं से पूर्ण प्रक्रिया है जो सामाजिक प्रभाव की प्रक्रिया को भावनाओं के साथ ले चलती है.[0}[33][22]. एक संगठन में, नेताओं की मनोदशा का समूह पर कुछ असर पड़ता है. इन प्रभावों में तीन स्तरों को वर्णित किया जा सकता है:[34][23]

  1. व्यक्तिगत समूह के सदस्यों की चितवृत्ति.सकारात्मक मनोदशा से पूर्ण नेता के साथ समूह के सदस्य अधिक सकारात्मक मनोदशा का अनुभव करते हैं, उनकी तुलना में जिनके नेता और समूह के सदस्यों की मनोदशा नकारात्मक होती है.नेता अपनी चितवृत्ति से दूसरे समूह के सदस्यों को भावनात्मक संपर्क से बदल देते हैं.[23] चितवृत्ति संपर्क एक ऐसे मनोवैज्ञानिक व्यवस्था है जिससे करिश्माई नेता अपने अनुयायियों को प्रभावित करते हैं.[24]
  2. समूह का उत्तेजित स्वर. समूह उत्तेजित स्वर एक समूह के भीतर लगातार या सजातीय उत्तेजित प्रतिक्रियाओं का प्रतिनिधित्व करता है. समूह उत्तेजित स्वर समूह के व्यक्तिगत सदस्यों की चितवृत्ति है और समग्र रूप से समूह के स्तर का विश्लेषण करता है. वे समूह जिनके नेताओं की सकारात्मक उत्तेजित स्वर होती है वे नकारात्मक मनोदशा वाले समूह के नेताओं से ज्यादा प्रभावशाली होते हैं.[23]
  3. समूह प्रक्रियाएं जैसे समन्वय, प्रयास व्यय, और कार्य रणनीति.सार्वजनिक अभिव्यक्ति की चितवृत्ति और किस तरह समूह के अन्य सदस्य सोचते और कार्य करते हैं.जब लोग कुछ अनुभव कर चितवृत्ति को व्यक्त करते हैं, तो वे दूसरों को संकेत भेजते हैं. नेता अपने उद्देश्यों, इरादों और व्यवहार द्वारा चितवृत्ति की अभिव्यक्ति करते हैं.उदाहरण के लिए, नेताओं के द्वारा सकारात्मक मनोदशा का भाव यह है कि नेता संकेत देते हैं कि वे अच्छाई के लिए लक्ष्य की ओर प्रगति कर रहें हैं.समूह के सदस्य उन संकेतों को सकारात्मक और व्यवहारिक रूप से लेते हैं जो समूह प्रक्रिया में दिखाई देती है.[23]

ग्राहक सेवा के शोध में यह पाया गया कि नेता की सकारात्मक मनोदशा समूह के प्रदर्शन को बेहतर बनाती है. जबकि अन्य क्षेत्रों में एक और निष्कर्ष पाया गया.[25]

नेता की मनोदशा के अलावा, उसका व्यवहार अन्य कर्मचारियों के लिए एक सकारात्मक और नकारात्मक भावनाओं का स्रोत है. नेता ऐसी स्थितियों और घटनाओं को बनाता है जो भावनात्मक प्रतिक्रिया को जन्म देता है.उत्तेजित घटनाओं के समय कुछ नेताओं का अपने कर्मचारियों के साथ व्यवहार का प्रदर्शन उन्हीं प्रभावशाली घटनाओं का परिणाम हैं. नेता कार्यस्थल उत्तेजित घटनाओं को आकार देते हैं. उदाहरण के लिए - प्रतिक्रिया देते हैं, कार्य का आबटन करते हैं, संसाधन वितरण करते हैं.क्योंकि उनकी भावात्मक स्थिति से कर्मचारी के व्यवहार और उत्पादकता पर सीधा प्रभाव पड़ता है, इसी लिए संगठनात्मक नेताओं के भावनात्मक परिस्थिति को जानना आवश्यक हो जाता है.[26] भावुक बुद्धिमत्ता, समझने की क्षमता, अपने और दूसरों की मनोदशा और भावनाओं को संभाल लेना संगठनों में प्रभावी नेतृत्व को प्रभावशाली बनाता है.[25] जिम्मेदारी ही नेतृत्व है.

नेतृत्व प्रदर्शन

अतीत में, कुछ शोधकर्ताओं ने तर्क दिया है कि संगठनात्मक परिणामों पर नेताओं का वास्तविक प्रभाव अहंकारी है और नेताओं की पक्षपाती विशेषताओं के परिणामस्वरूप वह औपन्यासिक हो गया है (मिंडिल और एहरलिच, 1987). इन दावों के बावजूद, यह काफी हद तक मान्यता प्राप्त है और अभ्यासकर्ता और शोधकर्ताओं द्वारा स्वीकार किये जाते हैं. उनका मानना है कि नेतृत्व महत्वपूर्ण है और अनुसंधान की धारणा है कि नेता महत्वपूर्ण संगठनात्मक परिणामों में योगदान कर समर्थन करते हैं(डे और लार्ड, 1988, कैसर, होगन, और क्रेग, 2008). सफल प्रदर्शन को सुगम बनाने के लिए नेतृत्व प्रदर्शन को समझना और मापना जरूरी है.

कार्य प्रदर्शन आमतौर पर उस व्यवहार को दर्शाता है जो संगठनात्मक सफलता (कैम्पबेल, 1990) में योगदान देता है.(कैम्पबेल,1990)कैम्पबेल ने विशिष्ट प्रकार के प्रदर्शन आयामों को पहचाना, इनमें से नेतृत्व आयाम एक है. नेतृत्व प्रदर्शन की कोई निश्चित और समग्र परिभाषा नहीं है.(युक्ल, 2006) नेतृत्वप्रदर्शन की ओट में कई विशिष्ट धारणाएं आ जाती हैं, जैसे - नेता की प्रभावशीलता, नेता की उन्नति, नेता का उद्भव (कैसर एट अल, 2008). उदाहरण के लिए, नेतृत्व प्रदर्शन का प्रयोग, व्यक्तिगत नेता की सफलता, समूह या संगठन के प्रदर्शन या नेता के उद्भव के लिए होता है. इनमें से प्रत्येक उपाय की धारणा अलग है.हालांकि ये पहलु एक दूसरे से संबंधित हो सकते हैं, उनके परिणाम अलग हो सकते हैं और उनका समावेश आवेदन / अनुसंधान केंद्रीभूत होने पर निर्भर होता हैं.

नेतृत्व के संदर्भ

संगठनों में नेतृत्व

एक संगठन जो साधन के रूप में स्थापित है या परिभाषित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए गठित है तो उसे औपचारिक संगठन कहा जा सकता है.इसका नमूना इस बात को निर्दिषित करता है कि किस तरह एक संगठन में लक्ष्यों को वर्गीकृत और निर्दिष्ट करते हैं जो संगठन के उपविभागों में परिलक्षित होता है. प्रभागों, विभागों, वर्गों, स्थिति, रोजगार, और कार्य, कामसंरचना बनाते है. इस प्रकार, औपचारिक संगठन को ग्राहकों या अपने सदस्यों के साथ अव्यक्तिगत रूप से पेश आना चाहिए.वेबर की परिभाषा के अनुसार, प्रवेश और बाद की प्रगति योग्यता या वरिष्ठता के द्वारा होती है. प्रत्येक कर्मचारी एक वेतन प्राप्त करता है और कार्यकाल का एक डिग्री हासिल करता है जो वरिष्ठों या शक्तिशाली ग्राहकों का मनमाने प्रभाव से निगरानी करता है. पदानुक्रम में जैसे उसकी स्थिति होगी वैसी ही संगठन के निम्न स्तर के कार्य को सम्पन्न करने में उसकी अनुमानित विशेषज्ञता समस्याओं को सुलझाते समय उत्पन्न हो सकती है. यह एक नौकरशाही संरचना है जो संगठन में प्रशासनिक प्रभागों के प्रमुखों की नियुक्ति के लिए आधार होता है और अपने प्राधिकारों से जुडा रहता है.[27]

एक इकाई के नियत प्रशासनिक अध्यक्ष या प्रमुख के विपरीत एक नेता औपचारिक संगठन के अधीन स्थित अनौपचारिक संगठन से उभर कर आता हैं. अनौपचारिक संगठन व्यक्तिगत सदस्यता के निजी उद्देश्य औरलक्ष्य को व्यक्त करता है. उनके उद्देश्य और लक्ष्य औपचारिक संगठन के साथ मेल खा भी सकते हैं या नहीं भी खा सकते हैं.अनौपचारिक संगठन एक विकसित सामाजिक ढांचों का प्रतिनिधित्व करता है जो प्रायः मानव जीवन में अचानक उद्भूत होने वाले समूहों और संगठनों के समान उद्भव होते हैं और अपने आप में ही समाप्त हो जाते हैं.

प्रागैतिहासिक काल में, आदमी अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा, रखरखाव, सुरक्षा और जीवन निर्वाह करने में व्यस्त था. अब आदमी अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा संगठनों के लिए काम करने में बिताता है. उसको सुरक्षा, संरक्षण, अनुरक्षण प्रदान करने वाले एक समुदाय को पहचानने की उसकी चाह और अपनेपन की भावना प्रागैतिहासिक काल से अपरिवर्तित ही बनी हुई है. यह जरूरत अनौपचारिक संगठन और इसकी, आकस्मिक या अनधिकृत, नेताओं के द्वारा पूरी होती है.[28]

अनौपचारिक संगठन के ढांचे के भीतर से ही नेता उभरते हैं.उनके व्यक्तिगत गुण, स्थिति की मांग, या इन दोनों का संयोजन और अन्य पहलू अनुयायियों को आकर्षित करते हैं जो एक या कई उपरिशायी संरचनाओं में उनके नेतृत्व को स्वीकार करते हैं.एक प्रधान या अध्यक्ष द्वारा नियुक्त होकर एक आकस्मिक नेता अपने अधिकारों के बजाय, प्रभाव और शक्ति को संभालता है.प्रभाव एक व्यक्ति की क्षमता है जो दूसरों के सहयोग, अनुनय और पुरस्कार पर नियंत्रण के माध्यम से हासिल किया जाता है.अधिकार प्रभाव का एक मजबूत विधान है क्योंकि यह एक व्यक्ति की क्षमता, उसके कार्यों से सज़ा को नियंत्रण करता है.[28]

नेता एक ऐसा आदमी है जो एक विशिष्ट परिणाम के प्रति लोगों के एक समूह को प्रभावित करता है.यह अधिकार या औपचारिक अधिकार पर निर्भर नहीं है. (एलिवोस, नेताओं के रूपांतरण, बेन्निस, और नेतृत्व की उपस्थिति, हल्पेर्ण और लुबर). नेताओं की पहचान, अन्य लोगों की देखभाल के लिए उनकी क्षमता, स्पष्ट संचार, और एक प्रतिबद्धता से होती है.[29] एक व्यक्ति जो एक प्रबंधकीय स्थिति के लिए नियुक्त किया जाता है उसके पास अधिकार होता है कि वह आज्ञा दे सकें और वह अपने अधिकार की स्थिति को लागू करता है. उसके अधिकारों से मेल खाती हुईं उसकी पर्याप्त व्यक्तिगत विशेषताएँ होनी चाहिए, क्योंकि अधिकार से ही उसमे सक्रियता होती है. पर्याप्त व्यक्तिगत योग्यता के अभाव में एक प्रबंधक जो एक आपात नेता द्वारा जिस भूमिका को चुनौती दे सकता है उस संगठन में उसकी भूमिका को उसके कल्पित सरदार से कम सामना किया होता है. बहरहाल, पद का अधिकार औपचारिक प्रतिबंधों का समर्थन करता है. ऐसा लगता है कि जो कोई भी व्यक्तिगत पद या अधिकार संभालता है, वह न्यायसंगत रूप से केवल पदानुक्रम में औपचारिक स्थिति, अनुरूप प्राधिकारी रूप से, प्राप्त करता है.[28] नेतृत्व की परिभाषा दूसरे लोगों की इच्छानुसार चलाने की क्षमता है. हर संगठन को हर स्तर पर नेताओं की जरूरत है.[30]

नेतृत्व बनाम प्रबंधन

अनेक वर्षों से प्रबंधन और नेतृत्व का सम्बन्ध इतने निकट का रहा है कि आम तौर पर लोग उन को एक दूसरे का पर्याय मानने लगे हैं. हालांकि, यह मामला विचारणीय नहीं है कि अच्छे प्रबंधकों में नेतृत्व कौशल और अच्छे नेताओं में अच्छे प्रबंधक गुण होते हैं.मन में इस विचार के साथ, नेतृत्व को इस रूप में देखा जा सकता है:

  • केंद्रीकृत या विकेन्द्रीकृत
  • विस्तृत या केंद्रित
  • निर्णय उन्मुख या मनोबल केंद्रित
  • आंतरिक या किसी प्राधिकारी से प्राप्त

कोई भी द्विध्रुवी नाम की परंपरागत शैली जो प्रबंधन के लिए लागू होती है वह नेतृत्व शैली के लिए भी लागू होती है.हेर्सेय और बलानचार्ड इस दृष्टिकोण का उपयोग करते हैं : उनका दावा है कि प्रबंधन नेतृत्व व्यापार की स्थितियों से पूर्ण होता है. दूसरे शब्दों में कहा जाए तो प्रबंधन व्यापक नेतृत्व प्रक्रिया का ही एक भिन्न रूप है. वे कहते हैं कि : "नेतृत्व तब होता है जब कोई व्यक्ति किसी भी समय या असमय, बिना किसी कारण के किसी एक व्यक्ति या समूह के व्यवहार को प्रभावित करने का प्रयास करता है.प्रबंधन एक प्रकार का नेतृत्व है जिसमें संगठनात्मक लक्ष्यों की प्राप्ति सर्वोपरि होता है." वॉरेन बेन्निस और दान गोल्डस्मिथ के अनुसार एक अच्छा प्रबंधक सब कार्य ठीक करता है . एक नेता सही कार्य करता है. [31]

हालांकि, प्रबंधन और नेतृत्व के बीच स्पष्ट अंतर भी उपयोगी साबित हो सकता है. यह नेतृत्व और प्रबंधन के बीच पारस्परिक संबंधों की अनुमति देता है, एक प्रभावी प्रबंधक में नेतृत्व कौशल होने चाहिए और एक प्रभावी नेता में प्रबंधन कौशल होने चाहिए. एक स्पष्ट अंतर निम्नलिखित परिभाषा प्रदान कर सकता है:

  • पद के अनुसार प्रबंधन की स्थिति में अधिकार प्राप्त है.
  • नेतृत्व में प्रभाव से अधिकार आते है.

इब्राहीम ज़लेज्निक (1977), ने नेतृत्व और प्रबंधन के बीच मतभेदों को चित्रित किया है. उसने नेताओं को प्रेरणादायी दूरदर्शी कहा है जो त्तत्व के बारे में चिंतित रहते हैं जबकि प्रबंधक अच्छे नियोजक हैं जो प्रक्रियाओं को लेकर चिंतित रहते है.वॉरेन बेन्निस(1989) ने प्रबंधकों और नेताओं के बीच निर्देशों का विस्तार किया है.उन्होंने दोनों के बीच बारह भेद बताए हैं :

  • प्रबंधक प्रशासन चलाते है; नेता नवीनताएँ लाते है.
  • प्रबंधक पूछते हैं - कैसे और कब; नेता पूछते हैं - क्या और क्यों.
  • प्रबंधक प्रणालियों पर ध्यान केंद्रित करते हैं ; नेता लोगों पर ध्यान केंद्रित करते है.
  • प्रबंधक काम सही करते हैं, नेता सही काम करते हैं.
  • प्रबंधक बनाये रखते हैं ; नेता विकास करते हैं.
  • प्रबंधक नियंत्रण पर निर्भर करते हैं ; नेता भरोसा प्रेरित करते हैं.
  • प्रबंधक के पास अल्पकालिक परिप्रेक्ष्य होते हैं ; नेता के पास दीर्घकालीन परिप्रेक्ष्य होते हैं.
  • प्रबंधक एक स्तर को बनाए रखते हैं, नेता स्तर को चुनौती देते हैं.
  • प्रबंधक की नजर निम्न पंक्ति पर होती हैं, नेता की नजर क्षितिज पर होती है.
  • प्रबंधक नकल करते हैं ; नेता नया कर दिखाते हैं.
  • प्रबंधक एक अच्छे सिपाही का अनुकरण करते हैं ; नेता अपने आप में निराले होते हैं.
  • प्रबंधक अनुकरण करते हैं; नेता मौलिकता दिखाते हैं.

पॉल बिर्च(1999) भी नेतृत्व और प्रबंधन के बीच अंतर को स्पष्ट करते है. वे कहते हैं कि एक व्यापक सामान्यकरण के रूप में प्रबंधक कार्यों के साथ सम्बन्ध रखते हैं जबकि नेता लोगों के साथ संबंध रखते हैं.बिर्च ने नेता कार्य "पर ध्यान केंद्रित नहीं करते, ऐसा सुझाव नहीं दिया. वास्तव में वे चीजें जिससे एक नेता महान बनते हैं इस तथ्य को उजागर करते हैं कि वे उन्हें प्राप्त करते हैं.प्रभावी नेता रचना करते हैं, उसे कायम रखते हैं, लागत नेतृत्व की प्राप्ति, राजस्व नेतृत्व, समय नेतृत्व, बाजार मूल्य नेतृत्व के माध्यम से प्रतियोगी लाभ को बनाए रखते हैं.प्रबंधक आम तौर पर नेता की दूरदृष्टि का एहसास कर उसका पालन करते हैं.अंतर इतना ही है कि नेता कार्य की उपलब्धि, सद्भावना और दूसरों के समर्थन (प्रभाव) के माध्यम से प्राप्त करते हैं जबकि प्रबंधक ऐसे नहीं करते है.

यह सद्भावना और समर्थन नेता में लोगों के रूप में लोगों को देख कर पैदा होती है, ना कि उसे एक संसाधन के रूप में देख कर नहीं.प्रबंधक अक्सर कुछ करवाने के लिए संसाधनों का आयोजन करता है. इन संसाधनों में लोग प्रमुख है और खराब प्रबंधक लोगों को एक और विनिमय वस्तु के रूप में देखते है.एक नेता दूसरों को राह दिखाने की भूमिका अदा करते हैं ताकि वे एक दृष्टि को केन्द्रित कर एक कार्य को संपन्न करें.अक्सर लोग कार्य को दर्शन के अधीनस्थ देखते हैं. उदाहरण के लिए, एक संगठन समग्र कार्य को पूर्ण कर लाभ देखता है पर एक अच्छा नेता लाभ को एक उप-उत्पादन के रूप में देखता हैं जो उसके उत्पाद की दृष्टि से प्रवाहित होते हैं, ताकि उनकी कंपनी प्रतियोगिता से अलग रहे.

नेतृत्व न केवल स्वयं को प्रकट करता है परन्तु पूरी तरह एक व्यावसायिक घटना के रूप में प्रकट होता है. बहुत से लोग एक प्रेरणादायक नेता के बारे में सोच सकते हैं जिनका कारोबार से कोई लेना देना नहीं है : एक राजनीतिज्ञ, सशस्त्र बलों का अधिकारी, एक स्काउट गाइड या नेता, एक शिक्षक, आदि. इसी प्रकार प्रबंधन केवल विशुद्ध कारोबार घटना नहीं है. फिर हम यहाँ उन लोगों के कुछ उदाहरण देख सकते हैं जो प्रबंधन को अव्यापारिक संगठनों के आला को पूर्ण करता है. अव्यापारिक संगठन बिना पैसों के प्रेरणा देने वाली दृष्टी को समर्थन देता है. हालांकि, कई बार यह घटित नहीं होता है.

पेट्रीसिया पिचर (1994) ने नेताओं और प्रबंधकों के वर्गीकरण को चुनौती दी है. उन्होंने एक कारक विश्लेषण (विपणन में) तकनीक का प्रयोग 8 वर्षों से एकत्रित आंकड़े पर किया. वे इस तथ्य पर पहुँचीं कि नेता तीन प्रकार के होते हैं : हरेक नेता अलग मनोवैज्ञानिक रूपरेखा लिए हुए होते हैं : कलाकार (कल्पनाशील, प्रेरक, दूरदर्शी, उद्यमशील, निडर, सहज ज्ञान युक्त और भावनात्मक) संपन्न होते हैं, शिल्पकार (संतुलित, स्थिर, उचित, समझदार, पूर्वानुमानित और विश्वसनीय)होते हैं, तकनीकज्ञ (प्रमस्तिष्क, विस्त्रित्केंद्रिय, दुराराध्य, असम्मत और हठी) होता है. उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति की रूपरेखा नेतृत्व शैली के लिए पर्याप्त नहीं है.अगर हम एक नेता बनाना चाहते हैं तो एक 'कलाकार नेता' को बनाना चाहिए, अगर हम स्थिति को मजबूत करना चाहते है तो एक 'शिल्पकार नेता' को बनाना चाहिए, अगर हमारे पास एक बदसूरत नौकरी है जिसे हमे जकड़ी के द्वारा जल्दी करना है तो एक 'तकनीकज्ञ नेता' को खोजना होगा.पिचर ने यह भी कहा है कि एक संतुलित नेता बहुत मुश्किल से मिलते है, किसी भी नेता में ये सभी तीन आभास है, उनके अपने अध्ययन काल में उन्हें कोई भी ऐसा नहीं मिला.

ब्रूस लिन्न 'नेतृत्व' और 'प्रबंधन' के बीच तथ्यों को उजागर करते हैं.विशेष रूप से, "एक नेता अवसर को उभार कर लेते हैं, एक प्रबंधक नकारात्मक जोखिमों को कम करता चलता है." उन्होंने कहा कि एक सफल कार्यशाली को उद्यम और उसके संदर्भ में पूरी तरह से संतुलन बनाये रखनी है.बिना प्रबंधन के नेतृत्व के कदम आगे नहीं बढ़ते हैं, लेकिन बिना प्रबंधन के नेतृत्व को कुछ कदम पीछे ले जाती है. प्रबंधन के बिना नेतृत्व पीछे जाता है, लेकिन आगे नहीं बढ़ता.

एक समूह द्वारा नेतृत्व

व्यक्तिगत नेतृत्व के बजाय, कुछ संगठनों ने समूह नेतृत्व को अपनाया है. इस स्थिति में, एक से अधिक व्यक्ति समूह के लिए दिशा प्रदान करते है.कुछ संगठनों ने इसे इस उम्मीद से अपनाया है, ताकि वे रचनात्मकता में बाधा कर सकें, लागत को कम कर सकें और आकार को कम कर सकें.कुछ लोग पारंपरिक नेतृत्व को देखते हैं जिसमें एक समूह प्रदर्शन के समय मालिक पर बहुत अधिक लागात आती है.कुछ स्थितियों में, मालिक का रखरखाव भी महंगा हो जाता है - या तो समूह के रूप में सारे संसाधन ख़त्म हो जाते हैं या अनजाने में पूरे दल की रचनात्मकता को ख़त्म कर देता है.[तथ्य वांछित][52]

उदाहरण के लिए एक समूह के नेतृत्व में कई कार्य संलग्न होते हैं. विविध कौशल से पूर्ण एक दल संगठन के सभी हिस्सों से एकत्रित होकर एक परियोजना का नेतृत्व करते हैं.एक दल की संरचना समान रूप से अधिकारों को सभी मुद्दों पर साझेदार के रूप में देती है, आमतौर पर यह नेतृत्व बदलते हुए चलता है .इस दल के सदस्य(ओं) परियोजना के किसी भी चरण को संभाल सकते हैं. ओग्बोंनिया (2007) के अनुसार, "प्रभावी नेतृत्व की इतनी क्षमता होती है कि वे सफलतापूर्वक एकीकृत होकर उपलब्ध संसाधनों का अधिकतम उपयोग करते हैं और संगठनात्मक या सामाजिक लक्ष्यों की प्राप्ति करते हैं.ओग्बोंनिया के अनुसार एक प्रभावी नेता वह व्यक्ति है जो अपनी क्षमता से लगातार सफलता हासिल करते हुए किसी भी परिस्थिति में एक बैठक और संगठन की अपेक्षाओं को पूर्ण करता है.इसके अतिरिक्त क्योंकि हर एक दल के हर आदमी को अवसर दिए जाते हैं इसलिए वे उच्च स्तर पर सशक्तिकरण का अनुभव करते हैं और उनके कर्मचारी को सफलता प्रदान करने में शक्ति प्रदान करते हैं.[32]

जिस नेता में लगन, दृढ़ता, दृढ़ संकल्प और अच्छे संचार कौशल हैं वह अपने समूह में भी इन्हीं गुणों को उभर कर ले आते हैं.अच्छे नेता अपने आतंरिक गुणों का प्रयोग करते हुए अपने दल और संगठनों को सफलता प्रदान कराते हैं.[33]

मनुष्य-सदृश जानवरों में नेतृत्व

रिचर्ड व्रंग्हम औरडेल पीटरसन, नेराक्षसी नर में : वानर और मूल मानव में हिंसा मौजूद होने का सबूत देते हैं, वे कहते हैं किपृथ्वी पर रहने वाले अन्यजानवरों की तुलना में केवल मनुष्य और चिम्पान्जीयों के बीच सामान व्यवहार होते हैं, हिंसा, प्रादेशिकता और देश के लिए एक प्रमुख के रूप में सिद्ध करने के लिए प्रतियोगिता होती रहती है.यह स्थिति विवादास्पद है. http://www.washingtonpost.com/wp-srv/style/longterm/books/chap1/देमोनिच्मालेस.htm. वानर से परे कई पशु प्रादेशिक होते हैं, प्रतिस्पर्धा दिखाते हैं, हिंसा दिखाते हैं और प्रमुख पुरुष प्रधान (शेर, भेडिए, आदि)द्वारा नियंत्रित एक सामाजिक संरचना भी उजागर करते हैं. व्रंग्हम और पीटरसन के सबूत अनुभवजन्य नहीं है. हालांकि, हमें, हाथी जैसे अन्य प्रजातियों जैसे - मातृसत्तात्मक (जो बेशक मादाओं द्वारा पालन किया जाता है), मीर्काट्स (जो मातृसत्तात्मक जैसे ही होते हैं) और कई अन्य की जांच करनी चाहिए.

यह लाभप्रद होगा यदि हम पिछले कुछ सहस्राब्दियों से नेतृत्व के सभी खातों (ईसाई धर्म की रचना के बाद) की जांच करें जो एक पितृसत्तात्मक समाज के परिप्रेक्ष्य में क्रिश्चियन साहित्य की स्थापना के माध्यम से कर रहे हैं.अगर हम इससे पहले के समय को देखेगें तो यह पता चलता है कि बुतपरस्त और पृथ्वी-जनजातियों में महिला नेता ही होती थीं.एक बात यह भी महत्वपूर्ण है कि एक जनजाति की विशिष्टताएं दूसरों के लिए उल्लेखनीय नहीं है, जैसे हमारे आधुनिक समय के रीति-रिवाज भी बदलते हैं. वर्तमान समय के हमारे पितृवंशीय रिवाज हाल ही के आविष्कार हैं और पारिवारिक प्रथाओं के बारे में हमारी मूल विधि मातृविधि है जो अभी पितृविधि हैं.(डॉ. क्रिस्टोफर शेले और बिआनका रस, यूबीसी ). एक मौलिक धारणा यह है कि दुनिया के 90% देशों में प्राकृतिक जैविक समलिंगी पितृसत्ता से बनते हैं.दुर्भाग्य से, इस विश्वास ने महिलाओं को विभिन्न स्तरों में व्यापक उत्पीड़न का कारण बनाया.(होल अर्थ रिव्यू, विंटर 1995 थॉमस लेयर्ड, माइकल विक्टर द्वारा कृत). इस ईरोक़ुओइअन, पहले राष्ट्र के जनजाति मातृविधि जनजाति का उदाहरण है. इनके साथ-साथ मायन जनजाति को भी ले सकते हैं जो मेघालय, भारत का समाज है. (लेयर्ड और विक्टर, 1995).

बोनोबो, देश की दूसरी प्रमुख पुरुष की करीबी जनजाति है जो कभी उनका काठ नहीं देती.यह बोनोबोस एक अल्फा या सर्वोच्च पद पर आसीन महिला है जो दूसरी महिलाओं के साथ मिलकर अपने आप को वैसे ही ताकतवर सिद्ध करती है जैसे एक पुरुष के प्रति श्रद्धा दिखाते हैं.इस प्रकार, यदि नेतृत्व सबसे ज्यादा मात्रा में अनुयायिओं को बनाना है तो बोनोबोस में, एक महिला हमेशा प्राभावी और मजबूत नेतृत्व बनाती है.लेकिन, सभी वैज्ञानिक इस बात से सहमत नहीं हैं कि बोनोबो की शांतिपूर्ण प्रकृति या उसकी प्रतिष्ठा एक "हिप्पी चिम्प के रूप में है.Http://www.newyorker.com/reporting/2007/07/30/070730fa_fact_parker

नेतृत्व पर ऐतिहासिक दृष्टिकोण

संस्कृत साहित्य में दस प्रकार के नेता बताये जाते हैं.नेताओं के दस प्रकार की विशेषताओं की परिभाषा देते हुए इतिहास और पौराणिक कथाओं से उदाहरण ले कर इस बात को समझाया गया है.[34]

अभिजातीय विचारकों का मानना है कि नेतृत्व किसी भी व्यक्ति के खून में याजींस पर निर्भर करता है : राजशाही इसी विचार का एक अतिवादी दृष्टिकोण लेता है और अभिजात वर्गीय दिव्य मंजूरी को उद्दीप्त करता है. राजा के दिव्य अधिकारों को देखिये. इसके विपरीत लोकतंत्र की ओर झुके योग्य नेता, जैसे -नपालियान मार्शल ने अपनी प्रतिभा से अपनी जीवनचर्या की शुरूआत की.

निरंकुश / पितृपरक विचार में, परम्परा का पालन करने वाले रोमन पातर फमिलिअस के नेतृत्व की भूमिका को याद कर सकते हैं. दूसरी ओर यदि हम नारीवादिता पर सोचें, तो ऐसे नमूने जो पितृसत्तात्मक हैं और जो भावनात्मक स्थिति के विरूद्व उत्तरदायी हैं, एक ही ढंग में चलते हैं और सहमति से ह्रदयस्पर्शी होकर मार्गदर्शन करते हैं और मातृसत्तात्मक होते हैं.

कंफ्युशिअसवाद की तुलना यदि हम रोमन परम्परा से करते हैं तो हम कह सकते हैं कि इसे एक विद्वान-नेता एक आदर्श (पुरुष) के उदार नियमों के साथ सम्बन्ध जोड़ता हैं जो नेता अपनी संतान के प्रति पुश्ता है.

नेतृत्व खुफिया, विश्वसनीयता, मानवता, साहस, और अनुशासन का मामला है. मात्र विश्वास पर निर्भर करना विद्रोह को जनम देता है.सिर्फ मानवता दिखाना कमजोरी का परिचय देना होता है.मूर्खता में विश्वास करना अज्ञानता को जनम देता है. साहस के बल पर निर्भर रहने से हिंसा को जनम होता है. अत्याधिक अनुशासन और आज्ञा में कठोरता क्रूरता को जनम देता है.जब ये सभी गुण उपयुक्त समय में कार्य आते हैं तब कोई भी व्यक्ति नेता कहलाता है. सुन तजु [35]

19 वीं सदी में, अराजकतावादी विचार ने नेतृत्व की पूरी अवधारणा पर सवाल किया था.(ध्यान दें कि ऑक्सफोर्ड अंग्रेजी शब्दकोश में 'नेतृत्व' शब्द को 19 वीं सदी से ही शुरू हुआ बताता है.ईलैत्वादी प्रतिक्रया के इनकार के फलस्वरूप लेनिनवादिता का जनम हुआ. वे सर्वहारा वर्ग की तानाशाहीलाना चाहते थे इसलिए उन्होंने एक अनुशासित विशिष्ट समूह को एकअग्र-सेना के रूप में सामाजिक आन्दोलन चलाने की मांग की.

नेतृत्व के अन्य ऐतिहासिक विचारों पर नजर डालने से पता चलता है कि धर्मनिरपेक्ष और धार्मिक नेताओं के बीच स्पष्ट विभेद हैं.केसरों पपिस्म सिद्धांतों ने दुबारा आकर सदियों से आलोचकों की मात्रा घटा दी है.नेतृत्व पर क्रिश्चियन सोच ने अक्सर गृह्प्रबंधक देव्य-प्रदत्त संसाधनों के प्रबन्ध - मानव और सामग्री - और उनके अनुसार उनकी तैनात होने पर जोर दिया है.दास नेतृत्व की तुलना करें.

और अधिक सामान्य जानकारी के लिए राजनीति में नेतृत्व को लेकर राजनेता की अवधारणा की तुलना कीजिए.

दल के कार्य प्रधान नेतृत्व कौशल

यह एक निराला तरीका है जहां दल नेतृत्व कार्य प्रधान वातावरण पर जोर देता है, जहां प्रभावी कार्यात्मक नेतृत्व छोटे दलों को क्षेत्रों में तैनात कर उनके द्वारा महत्वपूर्ण या प्रतिक्रियाशील कार्य करवाते हैं.दूसरे शब्दों में कहा जाए तो, छोटे दलों का नेतृत्व जो अक्सर एक स्थिति या महत्वपूर्ण घटना की प्रतिक्रिया के लिए बनायी जाती है.

अधिकांश मामलों में ये दल दूरस्थ और विकार्य वातावरण में भी सीमित समर्थन और सहारे के साथ कार्य कर सकें.(कार्रवाई वातावरण) इस वातावरण में लोगों के नेतृत्व के लिए अग्रगामी प्रबंधन की एक विशेष कौशल की आवश्यकता है.इन नेताओं को कारगर ढंग से दूर संचालित होना चाहिए और एक अस्थिर परिवेश में भी व्यक्ति, समूह और कार्य के बीच सम्बन्ध स्थापित करते हुए कार्य करना चाहिए.इसे कार्य प्रधान नेतृत्व कौशल कहा गया है. कार्य प्रधान नेतृत्व के कुछ उदाहरण दिए गए है : एक ग्रामीण आग बुझाना, एक लापता व्यक्ति को दूंढ़ निकालना, एक दल को अभियान पर ले जाना या एक संभावित खतरनाक माहौल में से एक व्यक्ति को बचाना.

प्राधिकार पर बल देने वाले शीर्षक

कुछ अवस्थाओं में उनके विकास, पद्सोपान के अनुसार सामाजिक श्रेणी, विभिन्न डिग्री या समाज में नेतृत्व के विभिन्न पदों में दिखाई देती है.इस प्रकार एक योद्धा ने राजा से ज्यादा सामान्य या कुछ पुरुषों का नेतृत्व किया. एक बैर्रोनेट (बैरन से नीचे दर्जे के व्यक्ति) ने अर्ल(इंग्लैंड के सामंतो की एक विशिष्ट पदवी) से ज्यादा भूमि का नियंत्रण किया है.इस पद्सोपान पदानुक्रम के लिए और क्रम से चलने वाली विभिन्न प्रणालियों के लिए सामंती देखें.

18 वीं और 20 वीं शताब्दी के दौरान, कई राजनीतिक चालकों ने अपने समाजों को प्रभावी बनने के लिए गैर पारंपरिक रास्तों को अपनाया.उन्होंने और उनकी प्रणालियों ने अक्सर मजबूत व्यक्तिगत नेतृत्व में विशवास जताया. लेकिन मौजूदा शीर्षक और पद ( "राजा", "सम्राट", "राष्ट्रपति" आदि) कुछ परिस्थितियों में अक्सर अनुचित, अपर्याप्त लगते थे.ये औपचारिक या अनौपचारिक शीर्षक या विवरण जो उन्हें उनके वर्दीदार चपरासी देते थे, वे एक नियोजित, प्रेरित और निरंकुश किस्म के नेतृत्व के लिए एक सामान्य पूजा पालक के सामान थे. यह निश्चित लेख जब एक निश्चित शीर्षक के रूप में उपयोग में आता है (भाषाओं में जहां निश्चित कारकों का प्रयोग किया जाता है) एक एकमात्र "सच्चे" नेता के अस्तित्व पर जोर देती है.

नेतृत्व की अवधारणा की आलोचना

नोअम चोमस्की ने नेतृत्व की अवधारणा की आलोचना की और कहा कि यह लोगों को अपने अधीनस्थ आवश्यकताओं से अलग किसी और को शामिल करना है.जबकि नेतृत्व का परंपरागत दृष्टिकोण यह है कि लोग चाहते है कि 'उनको यह बताया जाए कि उन्हें क्या करना है. व्यक्ति को यह सवाल करना चाहिए कि वे क्यों कार्यों के अधीन हैं जो तर्कसंगत और वांछनीय है.जब 'नेता', 'मुझ पर विशवास कीजिए', 'विशवास रखिए' कहते हैं तो उसमें प्रमुख तत्व - तर्कशक्ति की कमी होती है. यदि तर्कशक्ति पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है तो लोगों को 'नेता' का अनुसरण चुपचाप करना पड़ता है. [तथ्य वांछित][60] नेतृत्व की अवधारणा की एक और चुनौती यह है कि यह दलों और संगठनों के 'अनुसरण की भावना' को बनाता है. कर्मचारिता की अवधारणा हालाँकि, एक नयी विकसित जिम्मेदारी है जो उसके कार्य क्षेत्र में उसके कौशल और नजरिये को उजागर करते हैं, जो सभी लोगों में आम होते हैं और नेतृत्व को एक अस्तित्व रूप में अलग रखता है.

यह भी देखिये


नेतृत्व और अन्य प्रकार के सिद्धांत



नेतृत्व के संदर्भ


संबंधित लेख

संदर्भ

नोट्स
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बाहरी कड़ियाँ