"मम्मी": अवतरणों में अंतर

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[[File:Momias del Llullaillaco en Salta (Argentina).jpg|thumb|मम्मी]]
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'''मम्मी''' (Mummy) एक संरक्षित [[शव]] को कहते हैं जिसके अंग एवं त्वचा को जानबूझकर या बिना बूझे-समझे ही किसी विधि से संरक्षित कर दिया जाता है। संरक्षित करने के लिये उचित [[रसायन|रसायनों]] का प्रयोग, अत्यन्त शीतल वातावरण, बहुत कम [[आर्द्रता]], बहुत कम हवा आदि की तकनीकें अपनायीं जाती हैं। वर्तमान में जो सबसे पुरानी मम्मी ज्ञात है वह ६००० वर्ष पुरानी मम्मी है जो सन् १९३६ में मिली थी। [[मानव]] एवं अन्य जानवरों की मम्मी पूरे संसार यत्र-तत्र में मिलती रहीं हैं।smmdmaeiqwkflsnfdghndfvf
'''मम्मी''' (Mummy) एक संरक्षित [[शव]] को कहते हैं जिसके अंग एवं त्वचा को जानबूझकर या बिना बूझे-समझे ही किसी विधि से संरक्षित कर दिया जाता है। संरक्षित करने के लिये उचित [[रसायन|रसायनों]] का प्रयोग, अत्यन्त शीतल वातावरण, बहुत कम [[आर्द्रता]], बहुत कम हवा आदि की तकनीकें अपनायीं जाती हैं। वर्तमान में जो सबसे पुरानी मम्मी ज्ञात है वह ६००० वर्ष पुरानी मम्मी है जो सन् १९३६ में मिली थी। [[मानव]] एवं अन्य जानवरों की मम्मी पूरे संसार यत्र-तत्र में मिलती रहीं हैं।smmdmaeiqwkflsnfdghndfvf


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-प्राचीन मिस्र में मानव लाशों से अधिक ममीकरण पशुओं का किया गया न केवल पशुओं को पालतू जानवरों के रूप
में देखा गया बल्कि उन्हें देवताओं के अवतार के रूप में देखा गया. जैसे, ममिकृत बिल्लियों, पक्षियों, और अन्य प्राणी ,
मिस्रियों ने अपने देवताओं के सम्मान में मंदिरों में अन्य लाखों प्राणियों को दफन कर दिया.


बड़े पैमाने पर पशुओं की ममियाँ पाए जाने के कारण कई पुरातत्वविदों सोचा था कि
इतनी अधिक मात्रा मे अपेक्षाकृत असावधानीपूर्ण तरीके से ममियो को बनाया गया होगा l



लेकिन एक नए अध्ययन से पता चलता है कि जानवरों के परिरक्षण मेंप्रयोग की जाने वाली तकनीक व
सामग्री का प्रयोग किया जाता था जो अक्सर व्यापक रूप से सबसे अच्छी तरह संरक्षित मानव लाशों पर की जाती थी
शोधकर्ताओं ने इंग्लैंड के ब्रिस्टल विस्वविद्यालय में किये गए एक अध्ययन में पाया---
शोधकर्ताओं नें इंगलैंड के लीवरपूल संग्रहालय से लभभग ईसापूर्व ३४३ से ८१८ के मध्य के दो बिल्लियों
,दो बाजों व एक अन्य पक्षी की ममियों के नमूने ले कर अध्ययन किया l



वह शोधकर्ताओं नें ऊतक के नमूनों और उन पर चढ़ाए गए रासायनिक आवरण का गैस
क्रोमैटोग्राफी और संवेदनशील स्पेक्ट्रोमेट्री तरीकों के एक संयोजन का उपयोग वैज्ञानिकों ने किया
जिससे वे एक( एक आउन्स के साढ़े तीन millionths के) या मिलीग्राम दसवें हिस्से के छोटे वजन
विभिन्न रसायनों का पता लगाने और पहचान के लिए सक्षम हो सकते हैं l
अध्ययन से पता चला कि प्राचीन मिस्र मे मानव ममियो मे पाए जाने वाली सभी प्राकृतिक सामग्री का ही प्रयोग
इन ममियों मे भी हुआ है जिनमें से मुख्यतः चरबी ,तेल ,मधुमखी के छ्त्ते का मोम ,गोंद ,
चीड़ के पेड सेनिकलने वाला गोंद (रेसिन). यह सभी पदार्थ ममियों को लपेट्ने वाली कपड़े की पट्टियों पर भी लगाए जाते थेl













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15:05, 20 जून 2013 का अवतरण

चित्र:Momias del Llullaillaco en Salta (Argentina).jpg
मम्मी

मम्मी (Mummy) एक संरक्षित शव को कहते हैं जिसके अंग एवं त्वचा को जानबूझकर या बिना बूझे-समझे ही किसी विधि से संरक्षित कर दिया जाता है। संरक्षित करने के लिये उचित रसायनों का प्रयोग, अत्यन्त शीतल वातावरण, बहुत कम आर्द्रता, बहुत कम हवा आदि की तकनीकें अपनायीं जाती हैं। वर्तमान में जो सबसे पुरानी मम्मी ज्ञात है वह ६००० वर्ष पुरानी मम्मी है जो सन् १९३६ में मिली थी। मानव एवं अन्य जानवरों की मम्मी पूरे संसार यत्र-तत्र में मिलती रहीं हैं।smmdmaeiqwkflsnfdghndfvf



-प्राचीन मिस्र में मानव लाशों से अधिक ममीकरण पशुओं का किया गया न केवल पशुओं को पालतू जानवरों के रूप में देखा गया बल्कि उन्हें देवताओं के अवतार के रूप में देखा गया. जैसे, ममिकृत बिल्लियों, पक्षियों, और अन्य प्राणी ,

मिस्रियों ने अपने  देवताओं के सम्मान में मंदिरों में अन्य लाखों प्राणियों  को दफन कर दिया.


बड़े पैमाने पर पशुओं की ममियाँ पाए जाने के कारण कई पुरातत्वविदों सोचा था कि इतनी अधिक मात्रा मे अपेक्षाकृत असावधानीपूर्ण तरीके से ममियो को बनाया गया होगा l


लेकिन एक नए अध्ययन से पता चलता है कि जानवरों के परिरक्षण मेंप्रयोग की जाने वाली तकनीक व सामग्री का प्रयोग किया जाता था जो अक्सर व्यापक रूप से सबसे अच्छी तरह संरक्षित मानव लाशों पर की जाती थी

शोधकर्ताओं ने इंग्लैंड के ब्रिस्टल विस्वविद्यालय में किये गए एक अध्ययन में पाया--- 
     

शोधकर्ताओं नें इंगलैंड के लीवरपूल संग्रहालय से लभभग ईसापूर्व ३४३ से ८१८ के मध्य के दो बिल्लियों

,दो बाजों  व एक अन्य पक्षी की ममियों के नमूने ले कर अध्ययन किया  l


वह शोधकर्ताओं नें ऊतक के नमूनों और उन पर चढ़ाए गए रासायनिक आवरण का गैस

क्रोमैटोग्राफी और संवेदनशील स्पेक्ट्रोमेट्री तरीकों के एक संयोजन का उपयोग वैज्ञानिकों ने किया 

जिससे वे एक( एक आउन्स के साढ़े तीन millionths के) या मिलीग्राम दसवें हिस्से के छोटे वजन विभिन्न रसायनों का पता लगाने और पहचान के लिए सक्षम हो सकते हैं l अध्ययन से पता चला कि प्राचीन मिस्र मे मानव ममियो मे पाए जाने वाली सभी प्राकृतिक सामग्री का ही प्रयोग इन ममियों मे भी हुआ है जिनमें से मुख्यतः चरबी ,तेल ,मधुमखी के छ्त्ते का मोम ,गोंद , चीड़ के पेड सेनिकलने वाला गोंद (रेसिन). यह सभी पदार्थ ममियों को लपेट्ने वाली कपड़े की पट्टियों पर भी लगाए जाते थेl







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