"वित्त": अवतरणों में अंतर

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सरल रूप में '''वित्त''' (Finance) की परिभाषा 'धन या कोश (फण्ड) के प्रबन्धन' के रूप में की जाती है। किन्तु आधुनिक वित्त अनेकों वाणिज्यिक कार्यविधियों का एक समूह है।वित्त एक ऐसे समुह है जो दुनिया में इसका प्रयोग किया जाता है ।वित्त का अर्थ है रुपया से ।और वित्त देश के विकाश में काम करता है।वित्त एक ऐसे प्रक्रिया में होता है जो देश की सारी काम काज वित्त के द्वारा हि किया जाता है।किसी भी व्यापार या व्यवसाय को चलाने के लिए वित्त की आवश्यकता होती है। परन्तु वित्त एक ऐसे क्रिया के रुप में काम करती है। जो प्रबन्धन के द्वारा धन कि प्राप्ति के अनुसार होता है। और वित्त की सारी व्यवस्था सरकार को करनी परती है।वित्त को किसी भी काम काज के रुप में चलाया जाता है।सरकार कि सम्पूर्ण वित्त कि व्यवस्था करना पडता है और किसी भी समय वित्त का स्वरुप एक समान नहीं होता है।
सरल रूप में '''वित्त''' (Finance) की परिभाषा 'धन या कोश (फण्ड) के प्रबन्धन' के रूप में की जाती है। किन्तु आधुनिक वित्त अनेकों वाणिज्यिक कार्यविधियों का एक समूह है।वित्त एक ऐसे समुह है जो दुनिया में इसका प्रयोग किया जाता है ।वित्त का अर्थ है रुपया से ।और वित्त देश के विकाश में काम करता है।वित्त एक ऐसे प्रक्रिया में होता है जो देश की सारी काम काज वित्त के द्वारा हि किया जाता है।किसी भी व्यापार या व्यवसाय को चलाने के लिए वित्त की आवश्यकता होती है। परन्तु वित्त एक ऐसे क्रिया के रुप में काम करती है। जो प्रबन्धन के द्वारा धन कि प्राप्ति के अनुसार होता है। और वित्त की सारी व्यवस्था सरकार को करनी परती है। वित्त को किसी भी काम काज के रुप में चलाया जाता है।सरकार को सम्पूर्ण वित्त-व्यवस्था की देख-रेख करना पड़ता है जिसका एक मुख्य कारण यह किसी भी समय वित्त का स्वरूप एक समान नहीं होता है।


== इन्हें भी देखें ==
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06:47, 5 जून 2013 का अवतरण

सरल रूप में वित्त (Finance) की परिभाषा 'धन या कोश (फण्ड) के प्रबन्धन' के रूप में की जाती है। किन्तु आधुनिक वित्त अनेकों वाणिज्यिक कार्यविधियों का एक समूह है।वित्त एक ऐसे समुह है जो दुनिया में इसका प्रयोग किया जाता है ।वित्त का अर्थ है रुपया से ।और वित्त देश के विकाश में काम करता है।वित्त एक ऐसे प्रक्रिया में होता है जो देश की सारी काम काज वित्त के द्वारा हि किया जाता है।किसी भी व्यापार या व्यवसाय को चलाने के लिए वित्त की आवश्यकता होती है। परन्तु वित्त एक ऐसे क्रिया के रुप में काम करती है। जो प्रबन्धन के द्वारा धन कि प्राप्ति के अनुसार होता है। और वित्त की सारी व्यवस्था सरकार को करनी परती है। वित्त को किसी भी काम काज के रुप में चलाया जाता है।सरकार को सम्पूर्ण वित्त-व्यवस्था की देख-रेख करना पड़ता है जिसका एक मुख्य कारण यह किसी भी समय वित्त का स्वरूप एक समान नहीं होता है।

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