"दिष्टधारा मोटर": अवतरणों में अंतर

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05:16, 15 मई 2013 का अवतरण

दिष्ट धारा मोटर वह उपकरण है जो विद्युत उर्जा को यांत्रिक उर्जा में बदलता है|

रचना

          इस मोटर के निम्नलिखित भाग होते हैं

चुम्बक

          यह विद्युत चुम्बक होता जो आर्मेचर किनारे लगा होता है |

आर्मेचर

यह तांबे के विद्युतरोधी तार की बनी कुंडली होती है |

इस मोटर के दोनो तरफ असमान ध्रुव के विद्युत चुम्बक लगा दिये जाते है| इसके मध्य एक आर्मेचर की धुरी के साथ एक पहिया लगा रहता है| तथा इसे एक सेल से जोड देते हैं| आर्मेचर आयताकार होता तथा धारा प्रवाहित करने के पूर्व आर्मेचर कि स्थिति निम्न होती है (माना)| सेल के धन सिरे को A से जोड देते हैं तथा त्रण सिरे को D से जोड देते हैं|

                                          B     C                                              
                                  [S  N]            [S  N]
                                          A     D             (आर्मेचर कि प्रारंभिक स्थिति)

इन सिरों को दो ब्रुश द्वारा ऐसे जोड देते हैं कि आर्मेचर के घूम जाने पर A सेल के धन सिरे से जिस प्रकार जुडा रहता है| D उसी प्रकार सेल के धन सिरे से जुड जाए तथा A सेल के ऋण सिरे से जुड जाए|

कार्य विधि

जब खुले परिपथ को बंद कर दिया जाता हैं तो विद्युत का प्रवाह आर्मेचर से होकर धन से त्रण की ओर होने लगता है| अर्थात A->B->C->D फ्लेमिंग के बांए हाथ के नियमानुसार जब धारा कि दिशा तर्जनी और माध्यिका कि दिशा में होतो बल अंगूठे कि दिशा में लगता है| अर्थात A-B में बल अंदर कि ओर लगेगा D-C में बल बाहर कि ओर लगेगा| परिणाम स्वरुप आर्मेचर घूम जाएगा| जैसे ही आर्मेचर कि स्थिति

                                     C    B  
                        [S  N]          [S  N]
                                D    A

हो जाएगी तो D-C सेल के धन सिरे से जुड जाएगा तो धारा कि दिशा D->C->B->A हो जाएगी अर्थात विद्युत धारा D-C को नीचे दबाएगी और A-B को उपर खीचेगी| फलस्वरुप आर्मेचर पुन: घूम जाएगा जैसे ही आर्मेचर अपनी प्रारंभिक स्थिति में आएगा तो A-B को धारा नीचे दबाएगी और D-C को उपर खींचेगी और यही क्रम चलता रहेगा| परिणाम स्वरुप मोटर काम करने लगेगा|

उपयोग

  1. विद्युत पंखा (जिन्हे आवेशित किया जा सके)
  2. खिलौनो मे (जहां कम उर्जा कि आवश्यकता होती है)