"लेसर किरण": अवतरणों में अंतर

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लेजर ([[अंग्रेज़ी]]:''लाइट एंप्लीफिकेशन बाई स्टीमुलेटेड एमिशन ऑफ रेडिएशन'') का संक्षिप्त नाम है। [[प्रत्यक्ष वर्णक्रम]] की [[विद्युतचुम्बकीय तरंग]], यानि [[प्रकाश]] उत्तेजित उत्सर्जन की प्रक्रिया द्वारा संवर्धित कर एक सीधी रेखा की किरण में बदल कर उत्सर्जित करने का तरीक होता है। इस प्रका निकली प्रकाश किरण को भी लेज़र किरण ही कहा जाता है। ये किरण प्रायः आकाशीय रूप से कोहैरेन्ट (सरल रैखिक व एक स्रोतीय), संकरी अविचलित होती है, जिसे किसी लेन्स द्वारा परिवर्तित भी किया जा सकता है। ये किरणें संकरी वेवलेन्थ, [[विद्युतचुम्बकीय वर्णक्रम]] की एकवर्णीय प्रकाश किरणें होती है। हालांखि बहुवर्णीय प्रकाशधारिणी लेज़र किरणें या बहु वेवलेन्थ लेज़र भी निर्मित की जाती हैं। एक पदार्थ (सामान्यत: एक गैस और क्रिस्टल) को ऊर्जा, जैसे प्रकाश या विद्युत से टकराने के बाद वह अणु को विद्युतचुम्बकीय विकिरण (एक्सरे, पराबैंगनी किरणें) उत्सर्जित करने के लिए उत्तेजित करता है जिसको बाद में संवर्धित किया जाता है और एक किरण के रूप में इसे छोड़ा जाता है। लेजर एक ऐसी तकनीक के रूप में विकसित हुई है जिसके सहारे आज आधुनिक जगत के अनेक कार्य सिद्ध होते हैं। लेज़र का आविष्कार लगभग ५० वर्ष पहले हुआ था। आधुनिक जगत में लेजर का प्रयोग हर जगह मिलता है – वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं, सुपरमार्केट और शॉपिंग मॉल्स से लेकर अस्पतालों तक में भी। मनोरंजन के संसार में डीवीडी के प्रकार्य में लेज़र ही सहायक होता है, सुरक्षा और सैन्य क्षेत्र में वायुयानों को गाइड करने में, तोप और बंदूकों को लक्ष्य लॉक करने में, आयुर्विज्ञान के क्षेत्र में दंत चिकित्सा, और लेज़र से आंख के व अन्य शारीरिक ऑपरेशन, कार्यालयों के कार्य में लेज़र प्रिंटर द्वारा डाक्यूमेंट प्रिंटिंग, संचा क्षेत्र में ऑप्टिकल फाइबर केबलों तक में लेज़र ही चलती है। पिछले ५० वषों में लेजर ने अपनी उपयोगिता को व्यापक तौर पर सिद्ध कर दिखाया है।
लेजर ([[अंग्रेज़ी]]:''लाइट एंप्लीफिकेशन बाई स्टीमुलेटेड एमिशन ऑफ रेडिएशन'') का संक्षिप्त नाम है। [[प्रत्यक्ष वर्णक्रम]] की [[विद्युतचुम्बकीय तरंग]], यानि [[प्रकाश]] उत्तेजित उत्सर्जन की प्रक्रिया द्वारा संवर्धित कर एक सीधी रेखा की किरण में बदल कर उत्सर्जित करने का तरीक होता है। इस प्रका निकली प्रकाश किरण को भी लेज़र किरण ही कहा जाता है। ये किरण प्रायः आकाशीय रूप से कोहैरेन्ट (सरल रैखिक व एक स्रोतीय), संकरी अविचलित होती है, जिसे किसी लेन्स द्वारा परिवर्तित भी किया जा सकता है। ये किरणें संकरी वेवलेन्थ, [[विद्युतचुम्बकीय वर्णक्रम]] की एकवर्णीय प्रकाश किरणें होती है। हालांखि बहुवर्णीय प्रकाशधारिणी लेज़र किरणें या बहु वेवलेन्थ लेज़र भी निर्मित की जाती हैं। एक पदार्थ (सामान्यत: एक गैस और क्रिस्टल) को ऊर्जा, जैसे प्रकाश या विद्युत से टकराने के बाद वह अणु को विद्युतचुम्बकीय विकिरण (एक्सरे, पराबैंगनी किरणें) उत्सर्जित करने के लिए उत्तेजित करता है जिसको बाद में संवर्धित किया जाता है और एक किरण के रूप में इसे छोड़ा जाता है। लेजर एक ऐसी तकनीक के रूप में विकसित हुई है जिसके सहारे आज आधुनिक जगत के अनेक कार्य सिद्ध होते हैं। लेज़र का आविष्कार लगभग ५० वर्ष पहले हुआ था। आधुनिक जगत में लेजर का प्रयोग हर जगह मिलता है – वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं, सुपरमार्केट और शॉपिंग मॉल्स से लेकर अस्पतालों तक में भी। मनोरंजन के संसार में डीवीडी के प्रकार्य में लेज़र ही सहायक होता है, सुरक्षा और सैन्य क्षेत्र में वायुयानों को गाइड करने में, तोप और बंदूकों को लक्ष्य लॉक करने में, आयुर्विज्ञान के क्षेत्र में दंत चिकित्सा, और लेज़र से आंख के व अन्य शारीरिक ऑपरेशन, कार्यालयों के कार्य में लेज़र प्रिंटर द्वारा डाक्यूमेंट प्रिंटिंग, संचा क्षेत्र में ऑप्टिकल फाइबर केबलों तक में लेज़र ही चलती है। पिछले ५० वषों में लेजर ने अपनी उपयोगिता को व्यापक तौर पर सिद्ध कर दिखाया है।


लेजर किरण का आविष्कार थिओडोर मैमेन द्वारा हुआ मात्र एक संयोग ही था। थिओडोर मैमेन के कैमरे के लैंस की कुण्डली के ऊपर [[माणिक्य]] (रूबी) का एक टुकड़ा संयोग से रखने पर एक लाल रंग की प्रकाश किरण निकली। थिओडोर ने ह्यूज़स शोध प्रयोगशाला में इस पर गहन अध्ययन किया। उन्होंने वहां देखा कि किसी बल्ब के फ्लैश से माणिक्य के पतले से बेलन को आवेशित करना संभव है और फिर इससे ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है। इससे शुद्ध लाल रंग का प्रकाश उत्सर्जित होता है जिसकी तरंगें एक समान रूप और अंतराल से प्रवाहित होती हैं और एक सीधी रेखा में चलती हैं। चूंकि ये किरणें अत्यंत शक्तिशाली थीं और परीक्षण के दौरान सर्वप्रथम एक रेजर के ब्लेड में भी छेद बना सकती थी, इसलिए तत्कालीन भौतिकशास्त्रियों ने इसकी शक्ति को जिलेट में मापना शुरू किया।
लेजर किरण का आविष्कार थिओडोर मैमेन द्वारा हुआ मात्र एक संयोग ही था। थिओडोर मैमेन के कैमरे के लैंस की कुण्डली के ऊपर [[माणिक्य]] (रूबी) का एक टुकड़ा संयोग से रखने पर एक लाल रंग की प्रकाश किरण निकली। थिओडोर ने ह्यूज़स शोध प्रयोगशाला में इस पर गहन अध्ययन किया। उन्होंने वहां देखा कि किसी बल्ब के फ्लैश से माणिक्य के पतले से बेलन को आवेशित करना संभव है और फिर इससे ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है। इससे शुद्ध लाल रंग का प्रकाश उत्सर्जित होता है जिसकी तरंगें एक समान रूप और अंतराल से प्रवाहित होती हैं और एक सीधी रेखा में चलती हैं। चूंकि ये किरणें अत्यंत शक्तिशाली थीं और परीक्षण के दौरान सर्वप्रथम एक रेजर के ब्लेड में भी छेद बना सकती थी, इसलिए तत्कालीन भौतिकशास्त्रियों ने इसकी शक्ति को जिलेट में मापना शुरू किया।


==प्रयोग==
== प्रयोग ==
लेजर का आविष्कार होते ही उद्योगपतियों, सैन्य संगठनों और अन्य लोगों ने इस क्षेत्र में उत्साह लेना आरंभ कर दिया। बच्चों के लिये चित्रकथाओं और कहानियों, उपन्यासों में भी खलनायक लेजर बंदूकों का प्रयोग करते दिखाई देने लगे थे। वैज्ञानिकों और अभियांत्रिकों की मदद से इस नयी तकनीक का प्रयोग नये नये प्रयोगों और उपकरणों में करने की धूम मच गयी थी। १९६९ में एमेट लीथ और ज्यूरीस उपानिक्स ने लेजर तकनीक से पहली बार त्रिआयामी होलोग्राफिक चित्र बनाया।
लेजर का आविष्कार होते ही उद्योगपतियों, सैन्य संगठनों और अन्य लोगों ने इस क्षेत्र में उत्साह लेना आरंभ कर दिया। बच्चों के लिये चित्रकथाओं और कहानियों, उपन्यासों में भी खलनायक लेजर बंदूकों का प्रयोग करते दिखाई देने लगे थे। वैज्ञानिकों और अभियांत्रिकों की मदद से इस नयी तकनीक का प्रयोग नये नये प्रयोगों और उपकरणों में करने की धूम मच गयी थी। १९६९ में एमेट लीथ और ज्यूरीस उपानिक्स ने लेजर तकनीक से पहली बार त्रिआयामी होलोग्राफिक चित्र बनाया।
इसके लिए दो अलग-अलग शक्ति की लेजर किरणों का प्रयोग किया गया था। ये नया तैयार हुआ चित्र पिछले होलोग्रामों से बेहतर, सटीक तो था ही, और उसकी नकली प्रतिकृति बनाना लगभग असंभव था। इसके अलावा अन्य कई यंत्रों, मशीनों, उपकरणों के निर्माण में लेजर तकनीक का प्रयोग चालू हो गया। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अनेक क्षेत्रों में लेज़र का अत्यधिक प्रयोग होने लगा है। इसका प्रयोग आज कारों, हवाई जहाज, टेलीफोन कॉल और ई-मेल में भी होता है। [[जैवप्रौद्योगिकी]] के क्षेत्र में डीएनए सिक्वेसिंग तक में लेज़र प्रयोग होती है। लेजर किरणों द्वारा छोटी-छोटी मशीनों को सटीक आकार दिया जाना संभव हो पाया है। इससे अतिसूक्ष्म ऑप्टिकल फाइबर केबल निर्माण भी संभव हो पाये हैं। सीएमसी मशीनें भी लेज़र पर ही काम करती हैं। अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में लेज़र विशेष कारगर रही है। बड़े बड़े आयोजनों के उद्घाटन समारोहों में लेजर शो का चमकदार और भव्य आयोजन होता रहता है।
इसके लिए दो अलग-अलग शक्ति की लेजर किरणों का प्रयोग किया गया था। ये नया तैयार हुआ चित्र पिछले होलोग्रामों से बेहतर, सटीक तो था ही, और उसकी नकली प्रतिकृति बनाना लगभग असंभव था। इसके अलावा अन्य कई यंत्रों, मशीनों, उपकरणों के निर्माण में लेजर तकनीक का प्रयोग चालू हो गया। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अनेक क्षेत्रों में लेज़र का अत्यधिक प्रयोग होने लगा है। इसका प्रयोग आज कारों, हवाई जहाज, टेलीफोन कॉल और ई-मेल में भी होता है। [[जैवप्रौद्योगिकी]] के क्षेत्र में डीएनए सिक्वेसिंग तक में लेज़र प्रयोग होती है। लेजर किरणों द्वारा छोटी-छोटी मशीनों को सटीक आकार दिया जाना संभव हो पाया है। इससे अतिसूक्ष्म ऑप्टिकल फाइबर केबल निर्माण भी संभव हो पाये हैं। सीएमसी मशीनें भी लेज़र पर ही काम करती हैं। अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में लेज़र विशेष कारगर रही है। बड़े बड़े आयोजनों के उद्घाटन समारोहों में लेजर शो का चमकदार और भव्य आयोजन होता रहता है।


सैन्य गतिविधियों में लेजर किरणों का प्रयोग अब आम बात हो चुकी है, चाहे वह लेजर गाइडेड बम हो या बारूदी सुरंगों को ढूंढने वाले उपकरण। लेज़र के रचनात्मक कार्यों के संग ही विध्वंसात्मक प्रयोग भी समानांतर चलते रहे। अमेरिकी हथियार कंपनियां लेसर प्रणाली पर लंबे काल से कार्यरत हैं और इसी तकनीक पर स्टार वार्स का कार्यक्रम आधारित रहा है। हालांकि अभी तक किसी अमेरिकी कंपनी ने ऐसी किसी प्रक्रिया या उपकरण प्रणाली का प्रायोगिक रूप में खुलासा नहीं किया है। अभी तक ये परीक्षण के दौर में ही हैं। अमेरिका और इजराइल की कंपनियों ने टैक्टिकल हाई एनर्जी लेसर (टीएचईएल) का विकास किया है, जिसे ड्यूटेरियम फ्लोराइड लेसर कहते हैं। इसके प्रयोग से आकाश में ही विमान और प्रक्षेपास्त्रों को गिराया जा सकता है। अमेरिका की नेशनल मिसाइल डिफेंस योजना के तहत इस लेजर हथियार को विकसित किया जा रहा है। कुछ वर्ष पहले नॉर्थरॉप ने ग्रूमान में हाई-पावर लेजर का प्रदर्शन किया जो इतना शक्तिशाली था कि वो युद्ध में भी प्रयोग किया जा सकता था। इसको बनाने में लेजर पदार्थ नियोडाइमियम को याट्रियम एल्यूमिनियम गारनेट में डोप किया गया था।
सैन्य गतिविधियों में लेजर किरणों का प्रयोग अब आम बात हो चुकी है, चाहे वह लेजर गाइडेड बम हो या बारूदी सुरंगों को ढूंढने वाले उपकरण। लेज़र के रचनात्मक कार्यों के संग ही विध्वंसात्मक प्रयोग भी समानांतर चलते रहे। अमेरिकी हथियार कंपनियां लेसर प्रणाली पर लंबे काल से कार्यरत हैं और इसी तकनीक पर स्टार वार्स का कार्यक्रम आधारित रहा है। हालांकि अभी तक किसी अमेरिकी कंपनी ने ऐसी किसी प्रक्रिया या उपकरण प्रणाली का प्रायोगिक रूप में खुलासा नहीं किया है। अभी तक ये परीक्षण के दौर में ही हैं। अमेरिका और इजराइल की कंपनियों ने टैक्टिकल हाई एनर्जी लेसर (टीएचईएल) का विकास किया है, जिसे ड्यूटेरियम फ्लोराइड लेसर कहते हैं। इसके प्रयोग से आकाश में ही विमान और प्रक्षेपास्त्रों को गिराया जा सकता है। अमेरिका की नेशनल मिसाइल डिफेंस योजना के तहत इस लेजर हथियार को विकसित किया जा रहा है। कुछ वर्ष पहले नॉर्थरॉप ने ग्रूमान में हाई-पावर लेजर का प्रदर्शन किया जो इतना शक्तिशाली था कि वो युद्ध में भी प्रयोग किया जा सकता था। इसको बनाने में लेजर पदार्थ नियोडाइमियम को याट्रियम एल्यूमिनियम गारनेट में डोप किया गया था।


==पुराना==
== पुराना ==
[[चित्र:Laser_play.jpg|thumb|200px|धुंध में कार की विंड स्क्रीन पर लेज़र]]
[[चित्र:Laser_play.jpg|thumb|200px|धुंध में कार की विंड स्क्रीन पर लेज़र]]
[[1957]] में, [[:en:Bell Labs|बेल प्रयोगशाला]] में चार्ल्स हार्ड टाउन्‍स और [[:en:Arthur Leonard Schawlow |आर्थर लियोनार्दो स्चाव्लो]] ने अवरक्त लेसर पर एक गंभीर अध्ययन शुरू किया I जैसे जैसे यह विचार विकसित हुआ, [[अधोरक्त|अवरक्त]] आवृत्तियों से ध्यान हटा कर उनकी जगह [[प्रत्यक्ष वर्णक्रम|दृश्य प्रकाश]]पर ज्यादा ध्यान दिया जाने लगा Iयह अवधारणा मूलतः एक "प्रकाशीय मसेर" के रूप में जाना जाता था Iएक साल बाद बेल प्रयोगशाला ने प्रस्तावित प्रकाशीय मसेर के लिए [[पेटेन्ट|एकाधिकार]] का आवेदन दायर किया Iस्चाव्लो और तोव्नेस ने सैद्धांतिक गणना की एक पांडुलिपि [[:en: Physical Review|भौतिक समीक्षा]] को भेजा,जिसमें उनके शोधपत्र को उसी साल प्रकाशित किया गया.(भाग 112, अंक 6).
[[1957]] में, [[:en:Bell Labs|बेल प्रयोगशाला]] में चार्ल्स हार्ड टाउन्‍स और [[:en:Arthur Leonard Schawlow |आर्थर लियोनार्दो स्चाव्लो]] ने अवरक्त लेसर पर एक गंभीर अध्ययन शुरू किया I जैसे जैसे यह विचार विकसित हुआ, [[अधोरक्त|अवरक्त]] आवृत्तियों से ध्यान हटा कर उनकी जगह [[प्रत्यक्ष वर्णक्रम|दृश्य प्रकाश]]पर ज्यादा ध्यान दिया जाने लगा Iयह अवधारणा मूलतः एक "प्रकाशीय मसेर" के रूप में जाना जाता था Iएक साल बाद बेल प्रयोगशाला ने प्रस्तावित प्रकाशीय मसेर के लिए [[पेटेन्ट|एकाधिकार]] का आवेदन दायर किया Iस्चाव्लो और तोव्नेस ने सैद्धांतिक गणना की एक पांडुलिपि [[:en: Physical Review|भौतिक समीक्षा]] को भेजा,जिसमें उनके शोधपत्र को उसी साल प्रकाशित किया गया.(भाग 112, अंक 6).


[[चित्र:Gould notebook 001.jpg|thumb|right|गॉर्डन गोल्ड के लेजर नोटबुक के प्रथम पृष्ठ में उन्होंने संक्षिप्त शब्द लेजर का प्रयोग किया और उसके निर्माण के लिए आवश्यक तत्‍वों का वर्णन किया I]]<!--
[[चित्र:Gould notebook 001.jpg|thumb|right|गॉर्डन गोल्ड के लेजर नोटबुक के प्रथम पृष्ठ में उन्होंने संक्षिप्त शब्द लेजर का प्रयोग किया और उसके निर्माण के लिए आवश्यक तत्‍वों का वर्णन किया I]]<!--
FAIR USE of Gould notebook 001.jpg: see image description page at Image:Gould notebook 001.jpg for rationale -->
FAIR USE of Gould notebook 001.jpg: see image description page at Image:Gould notebook 001.jpg for rationale -->
उन्‍हीं दिनों [[:en: Gordon Gould|गॉर्डन गोउल्‍ड]], [[कोलंबिया विश्वविद्यालय]] में स्नातक के एक छात्र, उत्तेजित [[थैलियम]] के ऊर्जा स्तरों पर [[:en:doctoral thesis|डॉक्टरेट शोध पत्र]] पर काम कर रहे थे Iगोल्ड और टाउन्‍स के मिलने पर विकिरण [[:en:Emission (electromagnetic radiation)|उत्सर्जन]] के सामान्य विषय पर बातचीत हुई I नवंबर 1957 में गोल्ड ने "लेजर" सम्बन्धी अपने विचारों को लिखा जिसमें एक खुली [[:en:resonator|गूंजनेवाला]] यंत्र के उपयोग करने का सुझाव जो भविष्‍य के लेजरों के लिए महत्‍वपूर्ण घटक बना I
उन्‍हीं दिनों [[:en: Gordon Gould|गॉर्डन गोउल्‍ड]], [[कोलंबिया विश्वविद्यालय]] में स्नातक के एक छात्र, उत्तेजित [[थैलियम]] के ऊर्जा स्तरों पर [[:en:doctoral thesis|डॉक्टरेट शोध पत्र]] पर काम कर रहे थे Iगोल्ड और टाउन्‍स के मिलने पर विकिरण [[:en:Emission (electromagnetic radiation)|उत्सर्जन]] के सामान्य विषय पर बातचीत हुई I नवंबर 1957 में गोल्ड ने "लेजर" सम्बन्धी अपने विचारों को लिखा जिसमें एक खुली [[:en:resonator|गूंजनेवाला]] यंत्र के उपयोग करने का सुझाव जो भविष्‍य के लेजरों के लिए महत्‍वपूर्ण घटक बना I


1958 में, प्रोखोरोव ने स्वतंत्र रूप से एक खुले गुंजयमान यंत्र के उपयोग का प्रस्ताव रखा, जो उनका पहला प्रकाशित विचार था I स्चाव्लो और टाउन्‍स ने भी एक खुले गुंजयमान यंत्र की रुपरेखा तैयार की, वे प्रोखोरोव और गोल्ड के प्रकाशित काम से अंजान थे I
1958 में, प्रोखोरोव ने स्वतंत्र रूप से एक खुले गुंजयमान यंत्र के उपयोग का प्रस्ताव रखा, जो उनका पहला प्रकाशित विचार था I स्चाव्लो और टाउन्‍स ने भी एक खुले गुंजयमान यंत्र की रुपरेखा तैयार की, वे प्रोखोरोव और गोल्ड के प्रकाशित काम से अंजान थे I
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"लेजर" शब्‍द को पहली बार सार्वजनिक रूप से गोउल्‍ड के 1959 के सम्‍मेलन पत्र "द लेजर, लाइट एम्‍प्‍लिफिकेशन बाई स्‍टिम्‍युलेटेड एमिशन ऑफ रेडिएशन" में इस्‍तेमाल किया गया।<ref name="Gould1959">{{cite book |last=Gould |first= R. Gordon |authorlink=Gordon Gould |year=1959 |chapter=The LASER, Light Amplification by Stimulated Emission of Radiation |editor= Franken, P.A. and Sands, R.H. (Eds.) | title = The Ann Arbor Conference on Optical Pumping, the University of Michigan, 15 June through 18 June 1959 |pages=128 |oclc=02460155}}</ref><ref>{{cite book |last=Chu |first=Steven |authorlink=Steven Chu |coauthors=[[Charles Hard Townes|Townes, Charles]] |editor=Edward P. Lazear (ed.), |title=Biographical Memoirs |year=2003 |others=vol. 83 |publisher=National Academy of Sciences |isbn=0-309-08699-X |pages=202 |chapter=Arthur Schawlow }}</ref>गोउल्‍ड का इरादा "-एसर" प्रत्यय के लिए, किसी ऐसे उपसर्ग का इस्तमाल करने का था जो इस यन्त्र द्वारा उत्सर्जित प्रकाश के वर्णक्रम के लिए उपयुक्त हो (एक्स रे: ''क्सासेर'', पराबैंगनी: ''उवासेर'', आदि) I कोई अन्य शब्द लोकप्रिय नहीं हो पाया, हालांकि "रेजर"शब्द कुछ समय के लिए रेडियो आवृत्ति उत्‍सर्जन उपकरण के रूप में जाना गया I
"लेजर" शब्‍द को पहली बार सार्वजनिक रूप से गोउल्‍ड के 1959 के सम्‍मेलन पत्र "द लेजर, लाइट एम्‍प्‍लिफिकेशन बाई स्‍टिम्‍युलेटेड एमिशन ऑफ रेडिएशन" में इस्‍तेमाल किया गया।<ref name="Gould1959">{{cite book |last=Gould |first= R. Gordon |authorlink=Gordon Gould |year=1959 |chapter=The LASER, Light Amplification by Stimulated Emission of Radiation |editor= Franken, P.A. and Sands, R.H. (Eds.) | title = The Ann Arbor Conference on Optical Pumping, the University of Michigan, 15 June through 18 June 1959 |pages=128 |oclc=02460155}}</ref><ref>{{cite book |last=Chu |first=Steven |authorlink=Steven Chu |coauthors=[[Charles Hard Townes|Townes, Charles]] |editor=Edward P. Lazear (ed.), |title=Biographical Memoirs |year=2003 |others=vol. 83 |publisher=National Academy of Sciences |isbn=0-309-08699-X |pages=202 |chapter=Arthur Schawlow }}</ref>गोउल्‍ड का इरादा "-एसर" प्रत्यय के लिए, किसी ऐसे उपसर्ग का इस्तमाल करने का था जो इस यन्त्र द्वारा उत्सर्जित प्रकाश के वर्णक्रम के लिए उपयुक्त हो (एक्स रे: ''क्सासेर'', पराबैंगनी: ''उवासेर'', आदि) I कोई अन्य शब्द लोकप्रिय नहीं हो पाया, हालांकि "रेजर"शब्द कुछ समय के लिए रेडियो आवृत्ति उत्‍सर्जन उपकरण के रूप में जाना गया I


गोउल्‍ड ने अपने नोट में, लेजर के लिए एक उपकरण जैसे [[:en:Spectroscopy|स्पेक्ट्रोमेट्री]], [[:en:interferometry|इंटरफेरोमेटरी]], [[:en:radar|रडार]], और [[नाभिकीय संलयन]] शामिल किया था उसने अपने विचार पर काम जारी रखा और अप्रैल 1959 में एक [[:en:patent application|पेटेंट आवेदन]] दायर किया I[[:en::United States Patent and Trademark Office|अमेरिकी पेटेंट कार्यालय]] ने उनके आवेदन को अस्वीकार कर दिया और यह पेटेंट [[:en:बेल की प्रयोगशालाएं |बेल लेबोरेटरी]] ([[:en:Bell Labs|Bell Labs]]) को 1960 में दे दिया इससे कानूनी लड़ाई छिड़ गई जो 28 साल तक चली और इसमें वैज्ञानिक प्रतिष्ठा और अधिक पैसे दांव पर लगे Iगोउल्‍ड ने 1977 में अपना पहला लघु पेटेंट जीता, लेकिन 1987 तक वे अपने पहले पेटेंट की जीत का दावा तब तक नहीं कर सके जब तक कि उन्‍हें एक फेडरल जज ने ऑप्टिकली पंप लेजर और [[:en:gas discharge|गैस की निरावेसित]] लेजर के लिए पेटेंट जारी करने के लिए सरकार के आदेश दिए.
गोउल्‍ड ने अपने नोट में, लेजर के लिए एक उपकरण जैसे [[:en:Spectroscopy|स्पेक्ट्रोमेट्री]], [[:en:interferometry|इंटरफेरोमेटरी]], [[:en:radar|रडार]], और [[नाभिकीय संलयन]] शामिल किया था उसने अपने विचार पर काम जारी रखा और अप्रैल 1959 में एक [[:en:patent application|पेटेंट आवेदन]] दायर किया I[[:en::United States Patent and Trademark Office|अमेरिकी पेटेंट कार्यालय]] ने उनके आवेदन को अस्वीकार कर दिया और यह पेटेंट [[:en:बेल की प्रयोगशालाएं |बेल लेबोरेटरी]] ([[:en:Bell Labs|Bell Labs]]) को 1960 में दे दिया इससे कानूनी लड़ाई छिड़ गई जो 28 साल तक चली और इसमें वैज्ञानिक प्रतिष्ठा और अधिक पैसे दांव पर लगे Iगोउल्‍ड ने 1977 में अपना पहला लघु पेटेंट जीता, लेकिन 1987 तक वे अपने पहले पेटेंट की जीत का दावा तब तक नहीं कर सके जब तक कि उन्‍हें एक फेडरल जज ने ऑप्टिकली पंप लेजर और [[:en:gas discharge|गैस की निरावेसित]] लेजर के लिए पेटेंट जारी करने के लिए सरकार के आदेश दिए.


पहला क्रियागत लेजर [[:en:Theodore Maiman|थिओडोर एच. माईमेन]] ने 1960<ref>{{cite journal |last=Maiman |first=T.H. |authorlink=Theodore Harold Maiman |year=1960 |title=Stimulated optical radiation in ruby |journal=Nature |volume=187 |issue=4736 |pages=493–494 |doi=10.1038/187493a0}}</ref> में [[: en: ह्यूजेस अनुसंधान प्रयोगशालाएं|ह्यूजेस अनुसंधान प्रयोगशाला]] ([[:en:Hughes Research Laboratories|Hughes Research Laboratories]]) में [[:en:मालिबू, कैलिफोर्निया |मालीबू, कैलिफोर्निया]] ([[:en:Malibu, California|Malibu, California]]) बनाकर [[: en: :Charles H. Townes |टाउन्‍स‍]] [[कोलंबिया विश्वविद्यालय ]] में, [[:en:Arthur L. Schawlow|आर्थर स्चाव्लो]] [[:en: Bell Labs|बेल लेबोरेटरी]] में, <ref>{{cite book |last=Hecht |first=Jeff |year=2005 |title=Beam: The Race to Make the Laser |publisher=Oxford University Press |isbn=0-19-514210-1}}</ref>और गोल्ड कंपनी में टीआरजी (तकनीकी अनुसंधान समूह) जैसे कई अनुसंधान समूहों को पीछे छोड़ दिया माईमेन ने 694 नैनोमीटर तरंगदैर्ध्य पर लाल लेज़र प्रकाश पैदा करने के लिए एक ठोस क्षेत्र [[: en: flashlamp|फलैश लैम्‍प]] -सिंथेटिक पंप [[:en:ruby|लाल]] [[क्रिस्टल]] का उपयोग किया Iकेवल माईमेन का लेजर अपने तीन स्तरीय पम्पिंग के कारण स्पंदित आपरेशन करने में सक्षम था।
पहला क्रियागत लेजर [[:en:Theodore Maiman|थिओडोर एच. माईमेन]] ने 1960<ref>{{cite journal |last=Maiman |first=T.H. |authorlink=Theodore Harold Maiman |year=1960 |title=Stimulated optical radiation in ruby |journal=Nature |volume=187 |issue=4736 |pages=493–494 |doi=10.1038/187493a0}}</ref> में [[: en: ह्यूजेस अनुसंधान प्रयोगशालाएं|ह्यूजेस अनुसंधान प्रयोगशाला]] ([[:en:Hughes Research Laboratories|Hughes Research Laboratories]]) में [[:en:मालिबू, कैलिफोर्निया |मालीबू, कैलिफोर्निया]] ([[:en:Malibu, California|Malibu, California]]) बनाकर [[: en: :Charles H. Townes |टाउन्‍स‍]] [[कोलंबिया विश्वविद्यालय]] में, [[:en:Arthur L. Schawlow|आर्थर स्चाव्लो]] [[:en: Bell Labs|बेल लेबोरेटरी]] में, <ref>{{cite book |last=Hecht |first=Jeff |year=2005 |title=Beam: The Race to Make the Laser |publisher=Oxford University Press |isbn=0-19-514210-1}}</ref>और गोल्ड कंपनी में टीआरजी (तकनीकी अनुसंधान समूह) जैसे कई अनुसंधान समूहों को पीछे छोड़ दिया माईमेन ने 694 नैनोमीटर तरंगदैर्ध्य पर लाल लेज़र प्रकाश पैदा करने के लिए एक ठोस क्षेत्र [[: en: flashlamp|फलैश लैम्‍प]] -सिंथेटिक पंप [[:en:ruby|लाल]] [[क्रिस्टल]] का उपयोग किया Iकेवल माईमेन का लेजर अपने तीन स्तरीय पम्पिंग के कारण स्पंदित आपरेशन करने में सक्षम था।


बाद में 1960 में [[ईरान]]इआन भौतिकविद् [[:en:Ali Javan|अली जावन]], ने [[:en:William R. Bennett, Jr. |विलियम आर. बेनेट]] और [[:en:Donald Herriot|डोनाल्ड हैरोइट]] के साथ काम करते हुए, पहला [[:en:gas laser|गैस लेजर]] [[हीलियम]] और [[नियोन|नीयन]] का उपयोग करते हुए बनाया I जावन को बाद में [[:en:Albert Einstein Award|अल्बर्ट आइंस्टीन पुरस्कार]] 1993 में प्राप्त हुआ।
बाद में 1960 में [[ईरान]]इआन भौतिकविद् [[:en:Ali Javan|अली जावन]], ने [[:en:William R. Bennett, Jr. |विलियम आर. बेनेट]] और [[:en:Donald Herriot|डोनाल्ड हैरोइट]] के साथ काम करते हुए, पहला [[:en:gas laser|गैस लेजर]] [[हीलियम]] और [[नियोन|नीयन]] का उपयोग करते हुए बनाया I जावन को बाद में [[:en:Albert Einstein Award|अल्बर्ट आइंस्टीन पुरस्कार]] 1993 में प्राप्त हुआ।


इस अर्धचालक [[:en:लेजर डायोड |लेजर डायोड]] ([[:en:laser diode|laser diode]]) की अवधारणा बसोव और जावन ने प्रस्तावित किया था Iपहले ''लेजर डायोड'' का प्रदर्शन1962 में [[:en:रॉबर्ट एन. हॉल|रॉबर्ट एन. हॉल]] ([[:en:Robert N. Hall|Robert N. Hall]]) ने किया I हॉल का उपकरण [[गैलिअम आर्सेनाइड|गैलियम आर्सेनाइड]] से बना था जो बनाया गया था और -[[अधोरक्त|अवरक्त]] स्पेक्ट्रम के क्षेत्र में 850 एनएम के पास पर उत्सर्जित था .दृश्य उत्सर्जन के साथ पहला अर्धचालक लेजर का प्रदर्शन बाद में उसी साल [[:en:निक होलोंयक |निक होलोनायक, जूनियर]] ([[:en:Nick Holonyak|Nick Holonyak, Jr]]) के द्वारा किया गया I पहले गैस लेज़रों में, इन अर्धचालक लेजर का उपयौग केवल स्पंदित आपरेशन में ही किया जा सकता है, और वह भी तब जब केवल [[:en:तरल नाइट्रोजन |तरल नाइट्रोजन]] ([[:en:liquid nitrogen|liquid nitrogen]]) के तापमान (77 k) पर ठंडा किया जाय I
इस अर्धचालक [[:en:लेजर डायोड |लेजर डायोड]] ([[:en:laser diode|laser diode]]) की अवधारणा बसोव और जावन ने प्रस्तावित किया था Iपहले ''लेजर डायोड'' का प्रदर्शन1962 में [[:en:रॉबर्ट एन. हॉल|रॉबर्ट एन. हॉल]] ([[:en:Robert N. Hall|Robert N. Hall]]) ने किया I हॉल का उपकरण [[गैलिअम आर्सेनाइड|गैलियम आर्सेनाइड]] से बना था जो बनाया गया था और -[[अधोरक्त|अवरक्त]] स्पेक्ट्रम के क्षेत्र में 850 एनएम के पास पर उत्सर्जित था .दृश्य उत्सर्जन के साथ पहला अर्धचालक लेजर का प्रदर्शन बाद में उसी साल [[:en:निक होलोंयक |निक होलोनायक, जूनियर]] ([[:en:Nick Holonyak|Nick Holonyak, Jr]]) के द्वारा किया गया I पहले गैस लेज़रों में, इन अर्धचालक लेजर का उपयौग केवल स्पंदित आपरेशन में ही किया जा सकता है, और वह भी तब जब केवल [[:en:तरल नाइट्रोजन |तरल नाइट्रोजन]] ([[:en:liquid nitrogen|liquid nitrogen]]) के तापमान (77 k) पर ठंडा किया जाय I


1970 में, [[ज़ोरेस अल्फेरोव|ज़ोरस अल्‍फेरोव]] ने सोवियत संघ और इज़ुयो हयाशी व मोर्टन पानिश [[:en:बेल टेलीफोन लेबोरेटरी|बेल टेलीफोन लेबोरेटरी]] ([[:en:Bell Telephone Laboratories|Bell Telephone Laboratories]]) ने लगातार कमरे के तापमान पर संचालित [[:en:हितरोजंक्‍शन |हेटरोजंक्‍शन]] ([[:en:heterojunction|heterojunction]]) संरचना का उपयोग कर, स्वतंत्र रूप से लेजर डायोड विकसित किया I
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== बाहरी कडियाँ ==
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*[http://scientistkinjalk.blogspot.com/2012/03/50.html ''लेज़र के 50 वर्ष, खोज और सफर'']
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==संदर्भ==
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[[श्रेणी:प्रकाश]]
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16:45, 15 फ़रवरी 2013 का अवतरण

लेज़र

यूएस एयरफोर्स लेज़र उपकर्ण
आविष्कारक चाल शार्ड टोन्स
अवतरण तिथि १९६०
उपलब्ध? विश्वव्यापी
कुहरे में लेज़र किरण एक कार के शीशे से परावर्तित होती हुई।

लेजर (अंग्रेज़ी:लाइट एंप्लीफिकेशन बाई स्टीमुलेटेड एमिशन ऑफ रेडिएशन) का संक्षिप्त नाम है। प्रत्यक्ष वर्णक्रम की विद्युतचुम्बकीय तरंग, यानि प्रकाश उत्तेजित उत्सर्जन की प्रक्रिया द्वारा संवर्धित कर एक सीधी रेखा की किरण में बदल कर उत्सर्जित करने का तरीक होता है। इस प्रका निकली प्रकाश किरण को भी लेज़र किरण ही कहा जाता है। ये किरण प्रायः आकाशीय रूप से कोहैरेन्ट (सरल रैखिक व एक स्रोतीय), संकरी अविचलित होती है, जिसे किसी लेन्स द्वारा परिवर्तित भी किया जा सकता है। ये किरणें संकरी वेवलेन्थ, विद्युतचुम्बकीय वर्णक्रम की एकवर्णीय प्रकाश किरणें होती है। हालांखि बहुवर्णीय प्रकाशधारिणी लेज़र किरणें या बहु वेवलेन्थ लेज़र भी निर्मित की जाती हैं। एक पदार्थ (सामान्यत: एक गैस और क्रिस्टल) को ऊर्जा, जैसे प्रकाश या विद्युत से टकराने के बाद वह अणु को विद्युतचुम्बकीय विकिरण (एक्सरे, पराबैंगनी किरणें) उत्सर्जित करने के लिए उत्तेजित करता है जिसको बाद में संवर्धित किया जाता है और एक किरण के रूप में इसे छोड़ा जाता है। लेजर एक ऐसी तकनीक के रूप में विकसित हुई है जिसके सहारे आज आधुनिक जगत के अनेक कार्य सिद्ध होते हैं। लेज़र का आविष्कार लगभग ५० वर्ष पहले हुआ था। आधुनिक जगत में लेजर का प्रयोग हर जगह मिलता है – वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं, सुपरमार्केट और शॉपिंग मॉल्स से लेकर अस्पतालों तक में भी। मनोरंजन के संसार में डीवीडी के प्रकार्य में लेज़र ही सहायक होता है, सुरक्षा और सैन्य क्षेत्र में वायुयानों को गाइड करने में, तोप और बंदूकों को लक्ष्य लॉक करने में, आयुर्विज्ञान के क्षेत्र में दंत चिकित्सा, और लेज़र से आंख के व अन्य शारीरिक ऑपरेशन, कार्यालयों के कार्य में लेज़र प्रिंटर द्वारा डाक्यूमेंट प्रिंटिंग, संचा क्षेत्र में ऑप्टिकल फाइबर केबलों तक में लेज़र ही चलती है। पिछले ५० वषों में लेजर ने अपनी उपयोगिता को व्यापक तौर पर सिद्ध कर दिखाया है।

लेजर किरण का आविष्कार थिओडोर मैमेन द्वारा हुआ मात्र एक संयोग ही था। थिओडोर मैमेन के कैमरे के लैंस की कुण्डली के ऊपर माणिक्य (रूबी) का एक टुकड़ा संयोग से रखने पर एक लाल रंग की प्रकाश किरण निकली। थिओडोर ने ह्यूज़स शोध प्रयोगशाला में इस पर गहन अध्ययन किया। उन्होंने वहां देखा कि किसी बल्ब के फ्लैश से माणिक्य के पतले से बेलन को आवेशित करना संभव है और फिर इससे ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है। इससे शुद्ध लाल रंग का प्रकाश उत्सर्जित होता है जिसकी तरंगें एक समान रूप और अंतराल से प्रवाहित होती हैं और एक सीधी रेखा में चलती हैं। चूंकि ये किरणें अत्यंत शक्तिशाली थीं और परीक्षण के दौरान सर्वप्रथम एक रेजर के ब्लेड में भी छेद बना सकती थी, इसलिए तत्कालीन भौतिकशास्त्रियों ने इसकी शक्ति को जिलेट में मापना शुरू किया।

प्रयोग

लेजर का आविष्कार होते ही उद्योगपतियों, सैन्य संगठनों और अन्य लोगों ने इस क्षेत्र में उत्साह लेना आरंभ कर दिया। बच्चों के लिये चित्रकथाओं और कहानियों, उपन्यासों में भी खलनायक लेजर बंदूकों का प्रयोग करते दिखाई देने लगे थे। वैज्ञानिकों और अभियांत्रिकों की मदद से इस नयी तकनीक का प्रयोग नये नये प्रयोगों और उपकरणों में करने की धूम मच गयी थी। १९६९ में एमेट लीथ और ज्यूरीस उपानिक्स ने लेजर तकनीक से पहली बार त्रिआयामी होलोग्राफिक चित्र बनाया। इसके लिए दो अलग-अलग शक्ति की लेजर किरणों का प्रयोग किया गया था। ये नया तैयार हुआ चित्र पिछले होलोग्रामों से बेहतर, सटीक तो था ही, और उसकी नकली प्रतिकृति बनाना लगभग असंभव था। इसके अलावा अन्य कई यंत्रों, मशीनों, उपकरणों के निर्माण में लेजर तकनीक का प्रयोग चालू हो गया। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अनेक क्षेत्रों में लेज़र का अत्यधिक प्रयोग होने लगा है। इसका प्रयोग आज कारों, हवाई जहाज, टेलीफोन कॉल और ई-मेल में भी होता है। जैवप्रौद्योगिकी के क्षेत्र में डीएनए सिक्वेसिंग तक में लेज़र प्रयोग होती है। लेजर किरणों द्वारा छोटी-छोटी मशीनों को सटीक आकार दिया जाना संभव हो पाया है। इससे अतिसूक्ष्म ऑप्टिकल फाइबर केबल निर्माण भी संभव हो पाये हैं। सीएमसी मशीनें भी लेज़र पर ही काम करती हैं। अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में लेज़र विशेष कारगर रही है। बड़े बड़े आयोजनों के उद्घाटन समारोहों में लेजर शो का चमकदार और भव्य आयोजन होता रहता है।

सैन्य गतिविधियों में लेजर किरणों का प्रयोग अब आम बात हो चुकी है, चाहे वह लेजर गाइडेड बम हो या बारूदी सुरंगों को ढूंढने वाले उपकरण। लेज़र के रचनात्मक कार्यों के संग ही विध्वंसात्मक प्रयोग भी समानांतर चलते रहे। अमेरिकी हथियार कंपनियां लेसर प्रणाली पर लंबे काल से कार्यरत हैं और इसी तकनीक पर स्टार वार्स का कार्यक्रम आधारित रहा है। हालांकि अभी तक किसी अमेरिकी कंपनी ने ऐसी किसी प्रक्रिया या उपकरण प्रणाली का प्रायोगिक रूप में खुलासा नहीं किया है। अभी तक ये परीक्षण के दौर में ही हैं। अमेरिका और इजराइल की कंपनियों ने टैक्टिकल हाई एनर्जी लेसर (टीएचईएल) का विकास किया है, जिसे ड्यूटेरियम फ्लोराइड लेसर कहते हैं। इसके प्रयोग से आकाश में ही विमान और प्रक्षेपास्त्रों को गिराया जा सकता है। अमेरिका की नेशनल मिसाइल डिफेंस योजना के तहत इस लेजर हथियार को विकसित किया जा रहा है। कुछ वर्ष पहले नॉर्थरॉप ने ग्रूमान में हाई-पावर लेजर का प्रदर्शन किया जो इतना शक्तिशाली था कि वो युद्ध में भी प्रयोग किया जा सकता था। इसको बनाने में लेजर पदार्थ नियोडाइमियम को याट्रियम एल्यूमिनियम गारनेट में डोप किया गया था।

पुराना

धुंध में कार की विंड स्क्रीन पर लेज़र

1957 में, बेल प्रयोगशाला में चार्ल्स हार्ड टाउन्‍स और आर्थर लियोनार्दो स्चाव्लो ने अवरक्त लेसर पर एक गंभीर अध्ययन शुरू किया I जैसे जैसे यह विचार विकसित हुआ, अवरक्त आवृत्तियों से ध्यान हटा कर उनकी जगह दृश्य प्रकाशपर ज्यादा ध्यान दिया जाने लगा Iयह अवधारणा मूलतः एक "प्रकाशीय मसेर" के रूप में जाना जाता था Iएक साल बाद बेल प्रयोगशाला ने प्रस्तावित प्रकाशीय मसेर के लिए एकाधिकार का आवेदन दायर किया Iस्चाव्लो और तोव्नेस ने सैद्धांतिक गणना की एक पांडुलिपि भौतिक समीक्षा को भेजा,जिसमें उनके शोधपत्र को उसी साल प्रकाशित किया गया.(भाग 112, अंक 6).

चित्र:Gould notebook 001.jpg
गॉर्डन गोल्ड के लेजर नोटबुक के प्रथम पृष्ठ में उन्होंने संक्षिप्त शब्द लेजर का प्रयोग किया और उसके निर्माण के लिए आवश्यक तत्‍वों का वर्णन किया I

उन्‍हीं दिनों गॉर्डन गोउल्‍ड, कोलंबिया विश्वविद्यालय में स्नातक के एक छात्र, उत्तेजित थैलियम के ऊर्जा स्तरों पर डॉक्टरेट शोध पत्र पर काम कर रहे थे Iगोल्ड और टाउन्‍स के मिलने पर विकिरण उत्सर्जन के सामान्य विषय पर बातचीत हुई I नवंबर 1957 में गोल्ड ने "लेजर" सम्बन्धी अपने विचारों को लिखा जिसमें एक खुली गूंजनेवाला यंत्र के उपयोग करने का सुझाव जो भविष्‍य के लेजरों के लिए महत्‍वपूर्ण घटक बना I

1958 में, प्रोखोरोव ने स्वतंत्र रूप से एक खुले गुंजयमान यंत्र के उपयोग का प्रस्ताव रखा, जो उनका पहला प्रकाशित विचार था I स्चाव्लो और टाउन्‍स ने भी एक खुले गुंजयमान यंत्र की रुपरेखा तैयार की, वे प्रोखोरोव और गोल्ड के प्रकाशित काम से अंजान थे I

"लेजर" शब्‍द को पहली बार सार्वजनिक रूप से गोउल्‍ड के 1959 के सम्‍मेलन पत्र "द लेजर, लाइट एम्‍प्‍लिफिकेशन बाई स्‍टिम्‍युलेटेड एमिशन ऑफ रेडिएशन" में इस्‍तेमाल किया गया।[1][2]गोउल्‍ड का इरादा "-एसर" प्रत्यय के लिए, किसी ऐसे उपसर्ग का इस्तमाल करने का था जो इस यन्त्र द्वारा उत्सर्जित प्रकाश के वर्णक्रम के लिए उपयुक्त हो (एक्स रे: क्सासेर, पराबैंगनी: उवासेर, आदि) I कोई अन्य शब्द लोकप्रिय नहीं हो पाया, हालांकि "रेजर"शब्द कुछ समय के लिए रेडियो आवृत्ति उत्‍सर्जन उपकरण के रूप में जाना गया I

गोउल्‍ड ने अपने नोट में, लेजर के लिए एक उपकरण जैसे स्पेक्ट्रोमेट्री, इंटरफेरोमेटरी, रडार, और नाभिकीय संलयन शामिल किया था उसने अपने विचार पर काम जारी रखा और अप्रैल 1959 में एक पेटेंट आवेदन दायर किया Iअमेरिकी पेटेंट कार्यालय ने उनके आवेदन को अस्वीकार कर दिया और यह पेटेंट बेल लेबोरेटरी (Bell Labs) को 1960 में दे दिया इससे कानूनी लड़ाई छिड़ गई जो 28 साल तक चली और इसमें वैज्ञानिक प्रतिष्ठा और अधिक पैसे दांव पर लगे Iगोउल्‍ड ने 1977 में अपना पहला लघु पेटेंट जीता, लेकिन 1987 तक वे अपने पहले पेटेंट की जीत का दावा तब तक नहीं कर सके जब तक कि उन्‍हें एक फेडरल जज ने ऑप्टिकली पंप लेजर और गैस की निरावेसित लेजर के लिए पेटेंट जारी करने के लिए सरकार के आदेश दिए.

पहला क्रियागत लेजर थिओडोर एच. माईमेन ने 1960[3] में ह्यूजेस अनुसंधान प्रयोगशाला (Hughes Research Laboratories) में मालीबू, कैलिफोर्निया (Malibu, California) बनाकर टाउन्‍स‍ कोलंबिया विश्वविद्यालय में, आर्थर स्चाव्लो बेल लेबोरेटरी में, [4]और गोल्ड कंपनी में टीआरजी (तकनीकी अनुसंधान समूह) जैसे कई अनुसंधान समूहों को पीछे छोड़ दिया माईमेन ने 694 नैनोमीटर तरंगदैर्ध्य पर लाल लेज़र प्रकाश पैदा करने के लिए एक ठोस क्षेत्र फलैश लैम्‍प -सिंथेटिक पंप लाल क्रिस्टल का उपयोग किया Iकेवल माईमेन का लेजर अपने तीन स्तरीय पम्पिंग के कारण स्पंदित आपरेशन करने में सक्षम था।

बाद में 1960 में ईरानइआन भौतिकविद् अली जावन, ने विलियम आर. बेनेट और डोनाल्ड हैरोइट के साथ काम करते हुए, पहला गैस लेजर हीलियम और नीयन का उपयोग करते हुए बनाया I जावन को बाद में अल्बर्ट आइंस्टीन पुरस्कार 1993 में प्राप्त हुआ।

इस अर्धचालक लेजर डायोड (laser diode) की अवधारणा बसोव और जावन ने प्रस्तावित किया था Iपहले लेजर डायोड का प्रदर्शन1962 में रॉबर्ट एन. हॉल (Robert N. Hall) ने किया I हॉल का उपकरण गैलियम आर्सेनाइड से बना था जो बनाया गया था और -अवरक्त स्पेक्ट्रम के क्षेत्र में 850 एनएम के पास पर उत्सर्जित था .दृश्य उत्सर्जन के साथ पहला अर्धचालक लेजर का प्रदर्शन बाद में उसी साल निक होलोनायक, जूनियर (Nick Holonyak, Jr) के द्वारा किया गया I पहले गैस लेज़रों में, इन अर्धचालक लेजर का उपयौग केवल स्पंदित आपरेशन में ही किया जा सकता है, और वह भी तब जब केवल तरल नाइट्रोजन (liquid nitrogen) के तापमान (77 k) पर ठंडा किया जाय I

1970 में, ज़ोरस अल्‍फेरोव ने सोवियत संघ और इज़ुयो हयाशी व मोर्टन पानिश बेल टेलीफोन लेबोरेटरी (Bell Telephone Laboratories) ने लगातार कमरे के तापमान पर संचालित हेटरोजंक्‍शन (heterojunction) संरचना का उपयोग कर, स्वतंत्र रूप से लेजर डायोड विकसित किया I

बाहरी कडियाँ

संदर्भ

  1. Gould, R. Gordon (1959). "The LASER, Light Amplification by Stimulated Emission of Radiation". प्रकाशित Franken, P.A. and Sands, R.H. (Eds.) (संपा॰). The Ann Arbor Conference on Optical Pumping, the University of Michigan, 15 June through 18 June 1959. पृ॰ 128. OCLC 02460155.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: editors list (link) सीएस1 रखरखाव: फालतू पाठ: editors list (link)
  2. Chu, Steven (2003). "Arthur Schawlow". प्रकाशित Edward P. Lazear (ed.), (संपा॰). Biographical Memoirs. vol. 83. National Academy of Sciences. पृ॰ 202. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-309-08699-X. नामालूम प्राचल |coauthors= की उपेक्षा की गयी (|author= सुझावित है) (मदद)सीएस1 रखरखाव: फालतू चिह्न (link)
  3. Maiman, T.H. (1960). "Stimulated optical radiation in ruby". Nature. 187 (4736): 493–494. डीओआइ:10.1038/187493a0.
  4. Hecht, Jeff (2005). Beam: The Race to Make the Laser. Oxford University Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-19-514210-1.