"भित्तिचित्र कला": अवतरणों में अंतर
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'''भित्तिचित्र कला''' भित्तिचित्र कला सबसे पुरानी चित्रकला है, प्रागैतिहासिक युग के ऐतिहासिक रिकॉर्ड मै पहले मिट्टी के बर्तन बनाये जाते थे, लेकिन कुछ समय बाद लोगों ने मिट्टी का प्रयोग दीवरों पर चित्र बनाने के लिये करने लगे जोकि ज्यादातर अब छत्तीसगढ़ के जिलों में देखने को मिलता है जैसे कि सरगुजा, तहसील अंबिकापुर के अंतर्गत आने वाले गांव पुहपुटरा,लखनपुर, केनापारा आदि में लोक एवं आदिवासी जातियों |
'''भित्तिचित्र कला''' भित्तिचित्र कला सबसे पुरानी चित्रकला है, प्रागैतिहासिक युग के ऐतिहासिक रिकॉर्ड मै पहले मिट्टी के बर्तन बनाये जाते थे, लेकिन कुछ समय बाद लोगों ने मिट्टी का प्रयोग दीवरों पर चित्र बनाने के लिये करने लगे जोकि ज्यादातर अब छत्तीसगढ़ के जिलों में देखने को मिलता है जैसे कि सरगुजा, तहसील अंबिकापुर के अंतर्गत आने वाले गांव पुहपुटरा,लखनपुर, केनापारा आदि में लोक एवं आदिवासी जातियों द्वारा अभ्यास की जाने वाली ऐसी लोक कला है जो गांव की औरतों के द्वारा वहां की कच्ची मिट्टी से बनी झोपड़ियों की दीवारों पर गोबर, चाक मिट्टी, गोबर आदि को मिलाकर की जाती है। घर की दीवारें मूर्तियों, जालियों, विविध आकल्पनों और भिति के कलात्मक रुप से सुसज्जित की जाती है। जातिय विश्वासों के अनुरुप उनके सृजनलोक में प्रकृति, पशु पक्षी, मनुष्य और देवी देवताओं की सहजत अनोपचारिक उपस्थिति और समरस भागीदार होते है। दीवारों पर बनाई इन कलाकृतियों में पास पड़ोस का अति परिचित ससांर अपने सामाजिक विश्वासों की ओर बद्धमूल संस्कारों की अकुंठित, सरल और आडम्बरहीन अभिव्यक्ति है। सुदूर आदिवासीय क्षेत्रों में जहाँ कि सजावट आदि के साधन अपर्याप्त होते थे, लोग वहाँ प्रचलित विभिन्न त्योहारों व धार्मिक अवसरों के समय अपने घरों की सज्जा हेतु दीवारों में कच्ची मिट्टी द्चारा पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों आदि के आकृतियां बनाकर व उनमें बहुत ही मनोरम रंगों से रंगकर अपने घरों को सजाते हैं। |
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[[चित्र:Wall Painting, Sarguja, Chhattisgarh-1.JPG|thumb|भित्तिचित्र कला, सरगुजा, छत्तीसगढ़]] |
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भित्तिचित्र कला में दीवारों पर ज्यामितिक आकार, कलापूर्ण अभिप्राय, पारंपरिक आकल्पन, सहज बनावट और अनुकरणमूलक सरल आकृतियों में निहित स्वच्छंद आकल्पन, उन्मुक्त आवेग और रेखिक ऊर्जा, अनूठी ताजगी और चाक्षुष सौंदर्य सृष्टि करती है। |
भित्तिचित्र कला में दीवारों पर ज्यामितिक आकार, कलापूर्ण अभिप्राय, पारंपरिक आकल्पन, सहज बनावट और अनुकरणमूलक सरल आकृतियों में निहित स्वच्छंद आकल्पन, उन्मुक्त आवेग और रेखिक ऊर्जा, अनूठी ताजगी और चाक्षुष सौंदर्य सृष्टि करती है। |
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चित्र:Wall Painting, Sarguja, Chhattisgarh-2.JPG|भित्तिचित्र कला, सरगुजा, |
चित्र:Wall Painting, Sarguja, Chhattisgarh-2.JPG|भित्तिचित्र कला, सरगुजा, छत्तीसगढ़ |
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चित्र:Wall Painting, Sarguja, Chhattisgarh-3.JPG|भित्तिचित्र कला, सरगुजा, |
चित्र:Wall Painting, Sarguja, Chhattisgarh-3.JPG|भित्तिचित्र कला, सरगुजा, छत्तीसगढ़ |
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16:34, 15 फ़रवरी 2013 का अवतरण
भित्तिचित्र कला भित्तिचित्र कला सबसे पुरानी चित्रकला है, प्रागैतिहासिक युग के ऐतिहासिक रिकॉर्ड मै पहले मिट्टी के बर्तन बनाये जाते थे, लेकिन कुछ समय बाद लोगों ने मिट्टी का प्रयोग दीवरों पर चित्र बनाने के लिये करने लगे जोकि ज्यादातर अब छत्तीसगढ़ के जिलों में देखने को मिलता है जैसे कि सरगुजा, तहसील अंबिकापुर के अंतर्गत आने वाले गांव पुहपुटरा,लखनपुर, केनापारा आदि में लोक एवं आदिवासी जातियों द्वारा अभ्यास की जाने वाली ऐसी लोक कला है जो गांव की औरतों के द्वारा वहां की कच्ची मिट्टी से बनी झोपड़ियों की दीवारों पर गोबर, चाक मिट्टी, गोबर आदि को मिलाकर की जाती है। घर की दीवारें मूर्तियों, जालियों, विविध आकल्पनों और भिति के कलात्मक रुप से सुसज्जित की जाती है। जातिय विश्वासों के अनुरुप उनके सृजनलोक में प्रकृति, पशु पक्षी, मनुष्य और देवी देवताओं की सहजत अनोपचारिक उपस्थिति और समरस भागीदार होते है। दीवारों पर बनाई इन कलाकृतियों में पास पड़ोस का अति परिचित ससांर अपने सामाजिक विश्वासों की ओर बद्धमूल संस्कारों की अकुंठित, सरल और आडम्बरहीन अभिव्यक्ति है। सुदूर आदिवासीय क्षेत्रों में जहाँ कि सजावट आदि के साधन अपर्याप्त होते थे, लोग वहाँ प्रचलित विभिन्न त्योहारों व धार्मिक अवसरों के समय अपने घरों की सज्जा हेतु दीवारों में कच्ची मिट्टी द्चारा पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों आदि के आकृतियां बनाकर व उनमें बहुत ही मनोरम रंगों से रंगकर अपने घरों को सजाते हैं।
भित्तिचित्र कला में दीवारों पर ज्यामितिक आकार, कलापूर्ण अभिप्राय, पारंपरिक आकल्पन, सहज बनावट और अनुकरणमूलक सरल आकृतियों में निहित स्वच्छंद आकल्पन, उन्मुक्त आवेग और रेखिक ऊर्जा, अनूठी ताजगी और चाक्षुष सौंदर्य सृष्टि करती है।
विथि
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भित्तिचित्र कला, सरगुजा, छत्तीसगढ़
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भित्तिचित्र कला, सरगुजा, छत्तीसगढ़
मिट्टी मास्क, खिलौने और मिट्टी के बर्तनों पूरे भारत में काफी आम सजावट के सामान है, लेकिन इनको बनाने की कला भिन्न होती है।