"घरेलू गौरैया": अवतरणों में अंतर

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===नर गौरैया===
===नर गौरैया===
[[File: Passer domesticus domesticus MHNT.ZOO.2010.11.208.jpg|thumb|'' Passer domesticus domesticus '']]

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Image:House Sparrow (Passer domesticus)- Male peeping in a tree hole in Kolkata I IMG 0903.jpg| नर गौरैया कोटर में झाँकते हुए।
Image:House Sparrow (Passer domesticus)- Male peeping in a tree hole in Kolkata I IMG 0903.jpg| नर गौरैया कोटर में झाँकते हुए।

10:27, 25 जनवरी 2013 का अवतरण

घरेलू गौरैया
नर गौरैया
मादा गौरैया
बर्ड सॉन्ग सहायता·सूचना
वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत: जंतु
संघ: कॉर्डैटा
वर्ग: एव्स
गण: Passeriformes
कुल: Passeridae
वंश: पैसर
जाति: P. domesticus
द्विपद नाम
Passer domesticus
(लिन्नाएयस, १७५८)
मूल निवास गहरे हरे में, तथा रोपित निवास हलके हरे रंग में दर्शित

घरेलू गौरैया (पासर डोमेस्टिकस) एक पक्षी है जो यूरोप और एशिया में सामान्य रूप से हर जगह पाया जाता है। इसके अतिरिक्त पूरे विश्व में जहाँ जहाँ मनुष्य गया इसने उनका अनुकरण किया और अमरीका के अधिकतर स्थानों , अफ्रीका के कुछ स्थानों, न्यूज़ीलैंड और आस्ट्रेलिया तथा अन्य नगरीय बस्तियों में अपना घर बनाया। शहरी इलाकों में गौरैया की छह तरह ही प्रजातियां पाई जाती हैं। ये हैं हाउस स्पैरो, स्पेनिश स्पैरो, सिंड स्पैरो, रसेट स्पैरो, डेड सी स्पैरो और ट्री स्पैरो। इनमें हाउस स्पैरो को गौरैया कहा जाता है। यह शहरों में ज्यादा पाई जाती हैं। आज यह विश्व में सबसे अधिक पाए जाने वाले पक्षियों में से है। लोग जहाँ भी घर बनाते हैं देर सबेर गौरैया के जोड़े वहाँ रहने पहुँच ही जाते हैं।

विवरण

गोरैया एक छोटी चिड़िया है। यह हल्की भूरे रंग या सफेद रंग में होती है। इसके शरीर पर छोटे छोटे पंख और पीली चोंच व पैरों का रंग पीला होता है। नर गोरैया का पहचान उसके गले के पास काले धब्बे से होता है। १४ से १६ से.मी. लंबी यह चिड़िया मनुष्य के बनाए हुए घरों के आसपास रहना पसंद करती है। यह लगभग हर तरह की जलवायु पसंद करती है पर पहाड़ी स्थानों में यह कम दिखाई देती है। शहरों, कस्बों गाँवों और खेतों के आसपास यह बहुतायत से पाई जाती है। नर गौरैया के सिर का ऊपरी भाग, नीचे का भाग और गालों पर पर भूरे रंग का होता है। गला चोंच और आँखों पर काला रंग होता है और पैर भूरे होते है। मादा के सिर और गले पर भूरा रंग नहीं होता है। नर गौरैया को चिड़ा और मादा चिड़ी या चिड़िया भी कहते हैं।

कम होती संख्या

पिछले कुछ सालों में शहरों में गौरैया की कम होती संख्या पर चिन्ता प्रकट की जा रही है। आधुनिक स्थापत्य की बहुमंजिली इमारतों में गौरैया को रहने के लिए पुराने घरों की तरह जगह नहीं मिल पाती। सुपरमार्केट संस्कृति के कारण पुरानी पंसारी की दूकानें घट रही हैं। इससे गौरेया को दाना नहीं मिल पाता है। इसके अतिरिक्त मोबाइल टावरों से निकले वाली तंरगों को भी गौरैयों के लिए हानिकारक माना जा रहा है। ये तंरगें चिड़िया की दिशा खोजने वाली प्रणाली को प्रभावित कर रही है और इनके प्रजनन पर भी विपरीत असर पड़ रहा है जिसके परिणाम स्वरूप गौरैया तेजी से विलुप्त हो रही है। [2] गौरैया को घास के बीज काफी पसंद होते हैं जो शहर की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों में आसानी से मिल जाते हैं। ज्यादा तापमान गौरेया सहन नहीं कर सकती। प्रदूषण और विकिरण से शहरों का तापमान बढ़ रहा है। कबूतर को धार्मिक कारणों से ज्यादा महत्व दिया जाता है। चुग्गे वाली जगह कबूतर ज्यादा होते हैं। पर गौरैया के लिए इस प्रकार के इंतज़ाम नहीं हैं। खाना और घोंसले की तलाश में गौरेया शहर से दूर निकल जाती हैं और अपना नया आशियाना तलाश लेती हैं।[3]


नर गौरैया

Passer domesticus domesticus

मादा गौरैया

संदर्भ

  1. BirdLife International (2008). Passer domesticus. 2008 संकटग्रस्त प्रजातियों की IUCN लाल सूची. IUCN 2008. Retrieved on 2008-12-15.
  2. "हमारा चहकना, चिड़िया के लिए बना आफ़त". तरकश. नामालूम प्राचल |accessyear= की उपेक्षा की गयी (|access-date= सुझावित है) (मदद); नामालूम प्राचल |accessmonthday= की उपेक्षा की गयी (मदद)
  3. "कहाँ गई आंगन की गौरैया" (एचटीएमएल). भास्कर. नामालूम प्राचल |accessyear= की उपेक्षा की गयी (|access-date= सुझावित है) (मदद); नामालूम प्राचल |accessmonthday= की उपेक्षा की गयी (मदद)

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