"द्विपद प्रमेय": अवतरणों में अंतर
छो Robot: Modifying de:Binomische Formel→de:Binomischer Lehrsatz |
छो Robot: Adding hr:Binomni poučak |
||
पंक्ति 52: | पंक्ति 52: | ||
[[frr:Binomisch formel]] |
[[frr:Binomisch formel]] |
||
[[he:הבינום של ניוטון]] |
[[he:הבינום של ניוטון]] |
||
[[hr:Binomni poučak]] |
|||
[[hu:Binomiális tétel]] |
[[hu:Binomiális tétel]] |
||
[[id:Teorema binomial]] |
[[id:Teorema binomial]] |
22:13, 20 जनवरी 2013 का अवतरण
गणित में द्विपद प्रमेय एक महत्वपूर्ण बीजगणितीय सूत्र है जो x + y प्रकार के द्विपद के किसी धन पूर्णांक घातांक का मान x एवं y के nवें घात के बहुपद के रूप में प्रदान करता है। अपने सामान्यीकृत (जनरलाइज्ड) रूप में द्विपद प्रमेय की गणना गणित के १०० महानतम प्रमेयों में होती है।
न्यूटन का द्विपद प्रमेय
[[चित्र:Pascal's triangle 5.svg|right|thumb|200px|वस्तुतः द्विपद गुणांकों का मान पॉस्कल त्रिभुज के अवयवों के बराबर ही होता है। अपने सरलतम रूप में द्विपद प्रमेय इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है:
जहाँ x और y कोई भी वास्तविक संख्या या समिश्र संख्या हैं तथा n शून्य या कोई धनात्मक पूर्णांक है। उपरोक्त समीकरण (१) में आने वाले द्विपद गुणांक, n के फैक्टोरिअल के रूप में व्यक्त किये जा सकते हैं।
उदाहरण के लिये, 2 ≤ n ≤ 5 के लिये द्विपद प्रमेय का स्वरूप इस प्रकार है:
द्विपद प्रमेय का सामान्य रूप (generalised form)
द्विपद प्रमेय का उपयोग किसी भी द्विपद योग का -वाँ घात निकालने के लिये कर सकते हैं जहाँ वास्तविक संख्याएँ हैं, और :
इतिहास
प्रायः ऐसा माना जाता है कि द्विपद गुणांको को त्रिभुज के रूप में विन्यस्त करने का काम सबसे पहले पॉस्कल ने किया था। किन्तु तीसरी शताब्दी के भारतीय गणितज्ञ पिंगल ने द्विपद गुणांको का उपयोग छन्दशास्त्र में बड़ी सुन्दरता से किया है। उन्होने इसे मेरु प्रस्तार नाम दिया था।
सन्दर्भ
- Amulya Kumar Bag. Binomial Theorem in Ancient India. Indian J.History Sci.,1:68-74,1966.
वाह्य सूत्र
- Binomial Theorem by Stephen Wolfram, and "Binomial Theorem (Step-by-Step)" by Bruce Colletti and Jeff Bryant, The Wolfram Demonstrations Project, 2007.
- The Hundred Greatest Theorems