"मुक्तक": अवतरणों में अंतर
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'''मुक्तक''' [[काव्य]] या [[कविता]] का |
'''मुक्तक''' [[काव्य]] या [[कविता]] का वह प्रकार है जिसमें कविता की कथावस्तु मुक्त रूप से चलती हॅ। जेसे दोहे, कवित्त या अन्य छन्द । कबीर के दोहे । |
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बहुत टूटा बहुत बिखरा थपेडे सह नही पाया |
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हवाऒं के इशारों पर मगर मै बह नही पाया |
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रहा है अनसुना और अनकहा ही प्यार का किस्सा |
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कभी तुम सुन नही पायी कभी मै कह नही पाया |
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इसको [[रुबाई]] नाम से भी जानते हैं जिसका मूल [[अरबी]] है । |
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