"मुक्तक": अवतरणों में अंतर

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'''मुक्तक''' [[काव्य]] या [[कविता]] का एक प्रकार है जिसमें पहली दूसरी और चौथी पंक्तियों में तुकात्मकता होती है इसका एक उदाहरण [[कुमार विश्वास]] की इन पंक्तियों में -
'''मुक्तक''' [[काव्य]] या [[कविता]] का वह प्रकार है जिसमें कविता की कथावस्तु मुक्त रूप से चलती हॅ। जेसे दोहे, कवित्त या अन्य छन्द कबीर के दोहे


बहुत टूटा बहुत बिखरा थपेडे सह नही पाया

हवाऒं के इशारों पर मगर मै बह नही पाया

रहा है अनसुना और अनकहा ही प्यार का किस्सा

कभी तुम सुन नही पायी कभी मै कह नही पाया




इसको [[रुबाई]] नाम से भी जानते हैं जिसका मूल [[अरबी]] है ।







16:37, 15 मई 2008 का अवतरण

मुक्तक काव्य या कविता का वह प्रकार है जिसमें कविता की कथावस्तु मुक्त रूप से चलती हॅ। जेसे दोहे, कवित्त या अन्य छन्द । कबीर के दोहे ।