"उमय्यद": अवतरणों में अंतर
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इस्लाम धर्म में इनको सांसारिकता के क़रीब और इस्लाम के संदेशों से दूर विलासितापूर्ण जीवन व्यतीत करने वाले शासक के रूप में देखा जाता है । इनके ख़िलाफ़ चौथे ख़लीफ़ा [[अली]] के पुत्र [[हुसैन]] ने विद्रोह किया पर उन्हें एक युद्ध में जान गंवानी पड़ी । अली और हुसैन के समर्थकों को [[शिया]] संप्रदाय कहा गया । ये वंश इस्लाम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है क्योंकि यहीं से शिया-सुन्नी मतभेद बढ़े थे । |
इस्लाम धर्म में इनको सांसारिकता के क़रीब और इस्लाम के संदेशों से दूर विलासितापूर्ण जीवन व्यतीत करने वाले शासक के रूप में देखा जाता है । इनके ख़िलाफ़ चौथे ख़लीफ़ा [[अली]] के पुत्र [[हुसैन]] ने विद्रोह किया पर उन्हें एक युद्ध में जान गंवानी पड़ी । अली और हुसैन के समर्थकों को [[शिया]] संप्रदाय कहा गया । ये वंश इस्लाम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है क्योंकि यहीं से शिया-सुन्नी मतभेद बढ़े थे । |
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[[श्रेणी:उमय्यद ख़िलाफ़त]] |
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[[श्रेणी:इस्लाम का इतिहास]] |
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[[श्रेणी:अरब इतिहास]] |
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18:37, 27 अक्टूबर 2012 का अवतरण
उमय्यद शासक इस्लाम के मुखिया, यानि ख़लीफ़ा, सन् 661 से सन् 750 तक रहे । प्रथम चार ख़लीफ़ाओं के बाद वे सत्ता में आए और इसके बाद ख़िलाफ़त वंशानुगत हो गई । उनके शासन काल में इस्लामिक सेना को सैनिक सफलता बहुत मिली और वे उत्तरी अफ़्रीका होते हुए स्पेन तक पहुँच गए । इसी काल में मुस्लिमों ने मध्य एशिया सहित सिन्ध पर (सन् 712) भी अधिकार कर लिया था । मूलतः मक्का के रहने वाले उमय्यों ने अपनी राजधानी दमिश्क में बनाई ।
इस्लाम धर्म में इनको सांसारिकता के क़रीब और इस्लाम के संदेशों से दूर विलासितापूर्ण जीवन व्यतीत करने वाले शासक के रूप में देखा जाता है । इनके ख़िलाफ़ चौथे ख़लीफ़ा अली के पुत्र हुसैन ने विद्रोह किया पर उन्हें एक युद्ध में जान गंवानी पड़ी । अली और हुसैन के समर्थकों को शिया संप्रदाय कहा गया । ये वंश इस्लाम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है क्योंकि यहीं से शिया-सुन्नी मतभेद बढ़े थे ।