"गुरु": अवतरणों में अंतर
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३.कुलगुरु - जो वर्णाश्रम धर्म के अनुसार संस्कार ज्ञान देता है. |
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४.दीक्षा गुरु - जो परम्परा का अनुसरण करते हुए अपने गुरु के आदेश पर आध्यात्मिक उन्नति के लिए मंत्र दीक्षा देते हैं. |
४.दीक्षा गुरु - जो परम्परा का अनुसरण करते हुए अपने गुरु के आदेश पर आध्यात्मिक उन्नति के लिए मंत्र दीक्षा देते हैं. |
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५. गुरु -वास्तव में यह शब्द समर्थ गुरु अथवा परम गुरु के लिए आया है. गुरु का अर्थ है भारी. ज्ञान सभी से भारी है अर्थात महान है अतः पूर्ण ज्ञानी चेतन्य रूप पुरुष के लिए गुरु शब्द प्रयुक्त होता है |
५. गुरु -वास्तव में यह शब्द समर्थ गुरु अथवा परम गुरु के लिए आया है. गुरु का अर्थ है भारी. ज्ञान सभी से भारी है अर्थात महान है अतः पूर्ण ज्ञानी चेतन्य रूप पुरुष के लिए गुरु शब्द प्रयुक्त होता है, उसकी ही स्तुति की जाती है. नानक देव , त्रेलंग स्वामी, तोतापुरी, रामकृष्ण परमहंस, महर्षि रमण,स्वामी समर्थ, साईं बाबा, महावातर बाबा,लाहडी महाशय, हैडाखान बाबा,सोमबार गिरी महाराज,स्वामी शिवानन्द,आनंदमई माँ, स्वामी बिमलानंदजी, मेहर बाबा आदि सच्चे गुरु रहे हैं. |
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सन्दर्भ - बसंत प्रभात जोशी के लेख से |
सन्दर्भ - बसंत प्रभात जोशी के लेख से |
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03:54, 7 अक्टूबर 2012 का अवतरण
यह पृष्ठ गुरु शब्द के बारे में है । यदि आप मणिरत्नम द्वारा निर्मित फिल्म के बारे में जानना चाहते हैं तो यहां जाएं -गुरु (फिल्म)
ज्ञान गुरु है. आजकल भारत में सांसारिक अथवा पारमार्थिक ज्ञान देने वाले व्यक्ति को गुरु कहा जाता है. इनकी पांच श्रेणिया हैं. १.शिक्षक - जो स्कूलों में शिक्षा देता है. २.आचार्य - जो अपने आचरण से शिक्षा देता है. ३.कुलगुरु - जो वर्णाश्रम धर्म के अनुसार संस्कार ज्ञान देता है. ४.दीक्षा गुरु - जो परम्परा का अनुसरण करते हुए अपने गुरु के आदेश पर आध्यात्मिक उन्नति के लिए मंत्र दीक्षा देते हैं. ५. गुरु -वास्तव में यह शब्द समर्थ गुरु अथवा परम गुरु के लिए आया है. गुरु का अर्थ है भारी. ज्ञान सभी से भारी है अर्थात महान है अतः पूर्ण ज्ञानी चेतन्य रूप पुरुष के लिए गुरु शब्द प्रयुक्त होता है, उसकी ही स्तुति की जाती है. नानक देव , त्रेलंग स्वामी, तोतापुरी, रामकृष्ण परमहंस, महर्षि रमण,स्वामी समर्थ, साईं बाबा, महावातर बाबा,लाहडी महाशय, हैडाखान बाबा,सोमबार गिरी महाराज,स्वामी शिवानन्द,आनंदमई माँ, स्वामी बिमलानंदजी, मेहर बाबा आदि सच्चे गुरु रहे हैं. सन्दर्भ - बसंत प्रभात जोशी के लेख से ...............................................................................................................................................................................................................................................................
मूलतः गुरु वह है जो ज्ञान दे । संस्कृत भाषा के इस शब्द का अर्थ शिक्षक और उस्ताद से लगाया जाता है । हिन्दू तथा सिक्ख धर्म में गुरु का अर्थ धार्मिक नेताओं से भी लगाया जाता है । सिक्खों के दस गुरु थे ।
बाहरी कड़ियाँ
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