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13:11, 10 सितंबर 2012 का अवतरण
अगरतला | |||
— राजधानी — | |||
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०) | |||
देश | भारत | ||
राज्य | त्रिपुरा | ||
महापौर | |||
सांसद | |||
विभिन्न कोड
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निर्देशांक: 23°30′N 91°15′E / 23.5°N 91.25°E अगरतला भारत के त्रिपुरा प्रान्त की राजधानी है।त्रिपुरा देश का दूसरा सबसे छोटा राज्य है। त्रिपुरा की स्थापना 14वीं शताब्दी में माणिक्य नामक इंडो-मंगोलियन आदिवासी मुखिया ने की थी, जिसने हिंदु धर्म अपनाया था। 1808 में इसे ब्रिटिश साम्राज्य ने जीता, यह स्व-शासित शाही राज्य बना, 1956 में यह भारतीय गणराज्य में शामिल हुआ और 1972 में इसे राज्य का दर्जा मिला। यहां मुख्यत: बंगाली भाषा बोली जाती है और हैंडलूम बुनाई यहां का मुख्य उद्योग है। त्रिपुरा का आधे से अधिक भाग जंगलों से घिरा है, जो प्रकृति-प्रेमी पर्यटकों को आकर्षित करता है, किंतु दुर्भाग्यवश यहां कई आतंकवादी संगठन पनप चुके हैं जो अलग राज्य की मांग के लिए समय-समय पर राज्य प्रशासन से लड़ते रहते हैं।
त्रिपुरा की राजधानी अगरतला की स्थापना 1850 में महाराज राधा कृष्ण किशोर माणिक्य बहादुर द्वारा की गई थी। यद्यपि त्रिपुरा में पर्यटक आते-जाते हैं, बेहतर होगा कि स्थानीय प्राधिकारियों से वर्तमान सुरक्षा परिस्थितियों संबंधी जायजा ले लिया जाए।
पर्यटन स्थल
1901 में निर्मित उज्जयंता पैलेस, अगरतला का मुख्य स्मारक है जो मुगल-यूरोपीय मिश्रित शैली में निर्मित है। 800 एकड़ में फैला यह विशाल परिसर अब राज्य की विधान सभा के रूप में प्रयुक्त होता है। इसमें बगीचे और मानव-निर्मित झीलें है। आमतौर पर इसे जनता के लिए नहीं खोला जाता परंतु यदि आप सायं 3 से 4 बजे के बीत मुख्य द्वार पर जाएं तो आप यहां प्रवेश के लिए प्रवेश-पास प्राप्त कर सकते हैं।
पैलेस के मैदान में नारंगी रंग के दो मंदिर अर्थात् उम्मेनश्वर मंदिर और जगन्नाथ मंदिर स्थित है, जिनमें कोई भी व्यक्ति दर्शानार्थ जा सकता है।
एयरपोर्ट रोड पर लगभग 1 कि.मी. उत्तर में वेणुबन विहार नामक एक बौद्ध मंदिर है। गेदू मियां मस्जिद, जो अनोखे तकीके से क्राकरी के टूटे हुए टुकड़ों से बनी है, भी दर्शनीय है।
एचजीबी रोड पर स्थित स्टेट म्यूजियम में एथनोग्राफिकल और आर्कियोलॉजी संबंधी वस्तुएं प्रदर्शित की गई हैं। यह सोमवार से शनिवार तक प्रात: 10 से सायं 5 बजे तक खुलता है, इसमें प्रवेश निशुल्क है। पर्यटन कार्यालय के पीछे स्थित ट्राइबल म्यूजियम त्रिपुरा के 19 आदिवासी समूहों की स्मृति के रूप में बनाया गया है।
पुराना अगरतला पूर्व में 5 कि.मी. दूर है। यहां चौदह मूर्तियों वाला मंदिर है जहां जुलाई माह में श्रद्धालु कड़छी-पूजा के लिए एकत्र होते हैं। यहां आटोरिक्शा, बस और जीप द्वारा पहुंचा जा सकता है।
देखें
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