"तौहीद": अवतरणों में अंतर

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20:45, 29 जुलाई 2012 का अवतरण

ख़ुदा को मानना​​. इस्लाम का सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत है। इस लागू और उसके गुणों दोनों पर है। यह शब्द कुरान में कहीं उपयोग नहीं हुआ। सूफ़ी संतों हज़रात के पास रखने के अर्थ यह है कि केवल परमेश्वर का अस्तित्व ही अस्तित्व वास्तविक है। वही वास्तविक तथ्य है। बाकी सब सक्षम है। दनियावी चीजें मनुष्य, पशु, दृश्य प्रकृति, सब उसकी पैदा की हुई हैं. समझतज़लह गुणों को नहीं मानते बल्कि जाति ही रखने का केंद्र बताते हैं। इस उलेमा ने इस सिलसिले में ज्ञान की एक अलग शाखा स्थापित की है। जिसे ज्ञान आलतोहीद वालसफ़ात कहते हैं और इस सिलसिले में कई मोशगाफयाँ हैं। लेकिन सार सब का यही है कि ईश्वर एकमात्र और उसका कोई साझी नहीं।

शहादत रखने

शहादत रखने का मतलब है कि बंदा मन भाषा से यह स्वीकार करे कि इस ब्रह्मांड का निर्माता और मालिक सिर्फ अल्लाह है, वह सब पर फ़ाइक है, वह किसी की औलाद है न उसकी कोई औलाद है। केवल वही पूजा के योग्य है। किसी और के लिए इससे बढ़कर महिमा और रिफअत और शान कबरियाई की कल्पना भी कठिन है। वही सर्वशक्तिमान है और किसी को कोई शक्ति नहीं। उसका इरादा इतना शक्तिशाली और ग़ालिब है कि उसे संसार में सब मिलकर भी मगलोब नहीं कर सकते। उसकी शक्तियां और तसरफ़ात सीमा गिनती से बाहर हैं। क़ुरआने हकीम है:

إِنَّمَا اللّهُ إِلَـهٌ وَاحِدٌ سُبْحَانَهُ أَن يَكُونَ لَهُ وَلَدٌ لَّهُ مَا فِي السَّمَاوَات وَمَا فِي الأَرْضِ وَكَفَى بِاللّهِ وَكِيلاًO (النساء، 4 : 171)

अनुवाद: बेशक अल्लाह ही ईकता ईश्वर है, वह मुक्त है कि इसके लिए कोई औलाद हो, (सब कुछ) उसी का है जो स्वर्ग में है और जो कुछ ज़मीन में है, और अल्लाह का कार निर्माता होना काफी है।

सन्दर्भ