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सहरसा
—  शहर  —
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०)
देश  भारत
राज्य बिहार
जिलाधिकारी आर लक्ष्मनन
सांसद
जनसंख्या
घनत्व
१५०६४१८ (२००१ के अनुसार )
क्षेत्रफल
ऊँचाई (AMSL)
१६६१ कि.मी²
• ४१ मीटर

निर्देशांक: 25°53′N 86°36′E / 25.88°N 86.6°E / 25.88; 86.6

सहरसा भारत के बिहार प्रान्त का एक जिला एवं शहर है | जिला के रूप में सहरसा की स्थापना १ अप्रैल १९५४ को हुआ जबकि २ अक्टुबर १९७२ से यह कोशी प्रमण्डल का मुख्यालय है । नेपाल से आने वाली कोशी नदी के मैदानों में फ़ैला हुआ कोशी प्रमण्डल इतिहास के पन्नों में तो एक समृ‍द्ध प्रदेश माना जाता रहा है किन्तु वर्तमान में यह अति पिछड़े क्षेत्रों में आता है । यहाँ कन्दाहा में सूर्य मंदिर एवं प्रसिद्ध माँ तारा स्थान महिषी ग्राम में स्थित है । प्राचीन काल से यह स्थान आदि शंकराचार्य तथा यहाँ के प्रसिद्ध विद्वान मंडन मिश्र के बीच हुए शास्त्रार्थ के लिए भी विख्यात रहा है ।

इतिहास

आरंभ में सहरसा क्षेत्र अंगुत्तरप कहलाता था और उत्तर बिहार प्रसिद्ध वैशाली महाजनपद के सीमा पर स्थित था। अंग देश के शक्तिशाली होने पर यह इसके रहा लेकिन जल्द ही मगध साम्राज्य के विस्तारवाद का शिकार हो गया। बनमनखी-फारबिसगंज रोड पर सिकलीगढ में एवं किशनगंज पुलिस स्टेशन के पास मौर्य स्तंभ मिलने से यह बात प्रमाणित है। १९५६ में प्रसिद्ध इतिहासकार आर के चौधुरी के निर्देशन में हो रहे खुदाई के दौरान गोढोघाट एवं पटौहा में आहत सिक्के मिले हैं। [1] मगध साम्राज्य में बिम्बिसार के समय बौद्ध धर्म के राजधर्म बनने पर यहाँ भी बौद्ध प्रभाव बढने लगा। जिले का बिराटपुर, बुधियागढी, बुधनाघाट, पितहाही और मठाई जैसी जगहों पर बौद्ध चिह्न मिले हैं। ७वीं सदी में जब आदि शंकराचार्य भारत भ्रमण पर निकलकर शास्त्रार्थ द्वारा हिंदू धर्म की पुनर्स्थापना करने लगे तब उनका आगमन सहरसा जिले के महिषीग्राम में हुआ। कहा जाता है जब आदि शंकराचार्य ने यहाँ के प्रसिद्ध विद्वान मंडन मिश्र को हरा दिया तब उनकी पत्नी, जो कि एक विदुषी थीं, ने उन्हे चुनौती दी तथा शंकराचार्य को पराजित कर दिया।

भूगोल एवं जनसांख्यिकी

सहरसा जिला कोशी प्रमंडल एवं जिला का मुख्यालय शहर है। इसके उत्तर में मधुबनी एवं सुपौल, दक्षिण में खगड़िया, पूर्व में मधेपुरा एवं पश्विम में दरभंगा और समस्तीपुर जिला स्थित है। जिले का कुल क्षेत्रफल 1,661.3 वर्ग कि०मी० है। नेपाल की ओर से आनेवाली नदियों में प्रायः हर साल आनेवाली बाढ और भूकंप जैसी भौगोलिक आपदाओं से प्रभावित होता रहा है। बाढ के दिनों में नाव दुर्घटना से प्रतिवर्ष दर्जनों लोग काल के गाल में समा जाते हैं। [2] वर्ष २००८ में कोशी बाँध टूटने से उत्पन्न बाढ लाखों लोगों के लिए तबाही एवं मौत का पर्याय बन गयी।

  • प्रमुख नदियाँ: कोशी, धेमरा एवं कोशी की वितरिकाएँ
  • प्रमुख शहरी अधिवासः सहरसा, सिमरी बख्तियारपुर, महिषी, सोनबरसा राज, सौरबजार एवं नौहट्टा


जनसांख्यिकी

2001 की जनगणना के अनुसार इस जिला की कुल जनसंख्या 15,06,418 है जिसमें शहरी क्षेत्र तथा देहाती क्षेत्र की जनसंख्या क्रमश: 1,24,015 एवं 13,82,403 है।

प्रशासनिक विभाजनः

सहरसा जिले के अंतर्गत २ अनुमंडल एवं १० प्रखंड हैं।

  • अनुमंडल- सहरसा सदर (७ प्रखंड) एवं सिमरी बख्तियारपुर (३ प्रखंड)
  • प्रखंड- केहरा, सत्तर कटैया, सोऊर बाजार, पतार घाट, महिषी, सोनबरसा, नौहट्टा (सभी सहरसा अनुमंडल अंतर्गत), सिमरी बख्तियारपुर, सल्खुआ एवं बनमा ईटहरी

शिक्षा एवं शैक्षिक संस्थान

ZILA SCHOOL,SAHARSA(FULL NAME:- +2 RAJKIYA INTER MAHAVIDYALAYA ZILA SCHOOL,SAHARSA)

IHIS IS A TOP GOVERNMENT BOYS SCHOOL IN SAHARSA.ALMOST 80% OF STUDENTS OF CLASS 10TH GETS FIRST CLASS DEGREE.THE SUCCESS RATE OF SCHOOL IS 95%.

पर्यटन स्थल

  • तारा स्थान (महिषी)- सहरसा से १६ किलोमीटर पश्विम स्थित महिषी ग्राम में स्थित अति प्राचीन तारा स्थान लोगों की श्रद्धा का सबसे बड़ा केंद्र है। यहाँ माँ तारा के साथ एकजटा और नील सरस्वती प्रतिमाएँ पूजित हैं।
  • मंडन-भारती स्थान (महिषी)- महिषी प्रखंड में स्थित यह स्थान अद्वैतवाद के प्रवर्त्तक शंकराचार्य एवं मंडन मिश्र और उनकी पत्नी भारती के बीच हुए शास्त्रार्थ का गवाह है।
  • सूर्य मंडिर (कन्दाहा)
  • चंडिका स्थान (विराटपुर)
  • कारु खिरहरी मंदिर
  • लक्ष्मीनाथ गोंसाई स्थल (बनगाँव)
  • देवन वन शिव मंदिर
  • शिव मंदिर(नौहट्टा)
  • दुर्गा मंदिर (उदाही)
  • मतस्यगंधा मंदिर (सहरसा)

यातायात सुविधाएँ

À==संदरमय अग्गर कोयी इस लए मय को भुल जाता पर सहरसा हमार को नो काम

  1. सहरसा जिले का इतिहास
  2. नाव दुर्घटना पर जागरन समाचार

बाहरी कड़ियाँ