"गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय": अवतरणों में अंतर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
पंक्ति 13: पंक्ति 13:


[[bg:Гаудия вайшнавизъм]]
[[bg:Гаудия вайшнавизъм]]
[[bn:গৌড়ীয় বৈষ্ণবধর্ম]]
[[bn:বৈষ্ণব সাহিত্য]]
[[de:Gaudiya Vaishnava]]
[[de:Gaudiya Vaishnava]]
[[en:Gaudiya Vaishnavism]]
[[en:Gaudiya Vaishnavism]]

01:21, 8 जुलाई 2012 का अवतरण

गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय की आधारशिला चैतन्य महाप्रभु के द्वारा रखी गई। उनके द्वारा प्रारंभ किए गए महामंत्र नाम संकीर्तन का अत्यंत व्यापक व सकारात्मक प्रभाव आज पश्चिमी जगत तक में है।कृष्णकृपामूर्ती श्री श्रीमद् अभयचरणारविन्द भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद को गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय के पश्चिमी जगत के आज तक के सर्वश्रेष्ठ प्रचारक माने जाते हैं।

राधा रमण मन्दिर वृंदावन में श्री राधा रमण जी का मन्दिर श्री गौड़ीय वैष्णव सम्प्रदाय के सुप्रसिद्ध मन्दिरों में से एक है। श्री गोपाल भट्ट जी शालिग्राम शिला की पूजा करते थे। एक बार उनकी यह अभिलाषा हूई की शालिग्राम जी के हस्त-पद होते तो मैं इनको विविध प्रकार से सजाता एवं विभिन्न प्रकार की पोशाक धारण कराता। भक्त वत्सल श्री कृष्ण जी ने उनकी इस मनोकामना को पूर्ण किया एवं शालिग्राम से श्री राधारमण जी प्रकट हुए। श्री राधा रमण जी के वामांग में गोमती चक्र सेवित है। इनकी पीठ पर शालिग्राम जी विद्यमान हैं।

यह भी देखें