"गुरु-शिष्य परम्परा": अवतरणों में अंतर
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'''परम्परा''' वह है जो मनुष्य अपने पूर्वजों से सीखता है। |
'''परम्परा''' वह है जो मनुष्य अपने पूर्वजों से सीखता है। |
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भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से चली आ रही 'गुरु-शिष्य परम्परा''' को ''''परम्परा''' कहते हैं। यह हिन्दू, सिख, जैन और बौद्ध धर्मों में समान रूप से पायी जाती है। |
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'परम्परा' का शाब्दिक अर्थ है - 'बिना व्यवधान के शृंखला रूप में जारी रहना' । परम्परा-प्रणाली में किसी विषय या उपविषय का ज्ञान बिना किसी परिवर्तन के एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ियों में संचारित होता रहता है। उदाहरणार्थ, [भागवत पुराण]] में [[वेद|वेदों]] का वर्गीकरण और परम्परा द्वारा इसके हस्तान्तरण का वर्णन है। यहां ज्ञान के विषय आध्यात्मिक, कलात्मक (संगीत, नृत्य), या शैक्षणिक हो सकते हैम्। |
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==गुरुओं की उपाधि== |
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परम्परा में केवल गुरु के प्रति ही श्रद्धा नहीं रखी जाती बल्कि उनके पूर्व के तीन गुरुजनों के प्रति भी श्रद्धा रखी जाती है। गुरुओं की संज्ञाएं इस प्रकार हैं- |
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* गुरु - वर्तमान गुरु |
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* परमगुरु - वर्तमान गुरु के गुरु |
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* परपरगुरु - परमगुरु के गुरु |
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*परमेष्टिगुरु - परपरगुरु के गुरु |
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==इन्हें भी देखें== |
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*[[गुरु-शिष्य परम्परा]] |
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*[[गुरुकुल]] |
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*[[वाचिक परम्परा]] |
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[[श्रेणी:संस्कृति]] |
[[श्रेणी:संस्कृति]] |
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[[श्रेणी:भारतीय संस्कृति]] |
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[[en:Parampara]] |
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[[mr:परंपरा (हिंदू धर्म)]] |
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[[pt:Parampara]] |
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[[ru:Парампара]] |
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[[uk:Парампара]] |
10:44, 20 मई 2012 का अवतरण
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परम्परा वह है जो मनुष्य अपने पूर्वजों से सीखता है। भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से चली आ रही 'गुरु-शिष्य परम्परा को 'परम्परा कहते हैं। यह हिन्दू, सिख, जैन और बौद्ध धर्मों में समान रूप से पायी जाती है।
'परम्परा' का शाब्दिक अर्थ है - 'बिना व्यवधान के शृंखला रूप में जारी रहना' । परम्परा-प्रणाली में किसी विषय या उपविषय का ज्ञान बिना किसी परिवर्तन के एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ियों में संचारित होता रहता है। उदाहरणार्थ, [भागवत पुराण]] में वेदों का वर्गीकरण और परम्परा द्वारा इसके हस्तान्तरण का वर्णन है। यहां ज्ञान के विषय आध्यात्मिक, कलात्मक (संगीत, नृत्य), या शैक्षणिक हो सकते हैम्।
गुरुओं की उपाधि
परम्परा में केवल गुरु के प्रति ही श्रद्धा नहीं रखी जाती बल्कि उनके पूर्व के तीन गुरुजनों के प्रति भी श्रद्धा रखी जाती है। गुरुओं की संज्ञाएं इस प्रकार हैं-
- गुरु - वर्तमान गुरु
- परमगुरु - वर्तमान गुरु के गुरु
- परपरगुरु - परमगुरु के गुरु
- परमेष्टिगुरु - परपरगुरु के गुरु