"हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Patron of Ram Prasad Bismil.gif|thumb|right|200px| लाला हरदयाल : एच०आर०ए० के सूत्रधार गठन व संरक्षक ]]
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'''हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन''' (संक्षेप में एच०आर०ए०) का गठन [[हिन्दुस्तान]] को अंग्रेजों के अत्याचारी शासन से मुक्त कराने के उद्देश्य से [[उत्तर प्रदेश]] तथा [[बंगाल]] के कुछ क्रान्तिकारियों द्वारा सन् १९२४ में विधिवत रूप से [[कानपुर]] में किया गया था। इसकी स्थापना में [[लाला हरदयाल]] की भी महत्वपूर्ण भूमिका थी। [[काकोरी काण्ड]] के पश्चात् जब चार-चार क्रान्तिकारियों को [[फाँसी]] पर लटका कर मार दिया गया इस दल के सोलह प्रमुख क्रान्तिकारियों को चार वर्ष से लेकर उम्र भर के लिये जेल में डाल दिया गया तो यह संगठन छिन्न-भिन्न हो गया। बाद में इसे [[चन्द्रशेखर आजाद]] ने अपने युवा सहयोगी [[भगत सिंह]] के सहयोग से पुनर्जीवित किया और एक नया नाम दिया [[हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन]]। सन् १९२४ से लेकर १९३१ तक लगभग आठ वर्ष इस संगठन का पूरे [[भारतवर्ष]] में दवदवा रहा जिसके परिणाम स्वरूप न केवल ब्रिटिश सरकार अपितु अंग्रेजों की साँठ-गाँठ से १८८५ में स्थापित छियालिस साल पुरानी [[कांग्रेस]] पार्टी को भी अपनी नीतियों में परिवर्तन करने पर विवश कर दिया।
'''हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन''', जिसे संक्षेप में एच०आर०ए० भी कहा जाता था, उत्तरी भारत की एक प्रमुख क्रान्तिकारी पार्टी थी जिसका गठन [[हिन्दुस्तान]] को अंग्रेजों के अत्याचारी शासन से मुक्त कराने के उद्देश्य से [[उत्तर प्रदेश]] तथा [[बंगाल]] के कुछ क्रान्तिकारियों द्वारा सन् १९२४ में [[कानपुर]] में किया गया था। इसकी स्थापना में [[लाला हरदयाल]] की भी महत्वपूर्ण भूमिका थी। [[काकोरी काण्ड]] के पश्चात् जब चार-चार क्रान्तिकारियों को [[फाँसी]] पर लटका कर मार दिया गया और एच०आर०ए० के सोलह प्रमुख क्रान्तिकारियों को चार वर्ष से लेकर उम्र भर के लिये जेल में डाल दिया गया तो यह संगठन छिन्न-भिन्न हो गया। बाद में इसे [[चन्द्रशेखर आजाद]] ने अपने युवा सहयोगी [[भगत सिंह]] के साथ मिलकर पुनर्जीवित किया और एक नया नाम दिया [[हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन]]। सन् १९२४ से लेकर १९३१ तक लगभग आठ वर्ष इस संगठन का पूरे [[भारतवर्ष]] में दवदवा रहा जिसके परिणाम स्वरूप न केवल ब्रिटिश सरकार अपितु अंग्रेजों की साँठ-गाँठ से १८८५ में स्थापित छियालिस साल पुरानी [[कांग्रेस]] पार्टी को भी अपनी नीतियों में परिवर्तन करने पर विवश कर दिया।


==इतिहास==
==इतिहास==

08:01, 16 मई 2012 का अवतरण

चित्र:Patron of Ram Prasad Bismil.gif
हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सूत्रधार व संरक्षक लाला हरदयाल

हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन, जिसे संक्षेप में एच०आर०ए० भी कहा जाता था, उत्तरी भारत की एक प्रमुख क्रान्तिकारी पार्टी थी जिसका गठन हिन्दुस्तान को अंग्रेजों के अत्याचारी शासन से मुक्त कराने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश तथा बंगाल के कुछ क्रान्तिकारियों द्वारा सन् १९२४ में कानपुर में किया गया था। इसकी स्थापना में लाला हरदयाल की भी महत्वपूर्ण भूमिका थी। काकोरी काण्ड के पश्चात् जब चार-चार क्रान्तिकारियों को फाँसी पर लटका कर मार दिया गया और एच०आर०ए० के सोलह प्रमुख क्रान्तिकारियों को चार वर्ष से लेकर उम्र भर के लिये जेल में डाल दिया गया तो यह संगठन छिन्न-भिन्न हो गया। बाद में इसे चन्द्रशेखर आजाद ने अपने युवा सहयोगी भगत सिंह के साथ मिलकर पुनर्जीवित किया और एक नया नाम दिया हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन। सन् १९२४ से लेकर १९३१ तक लगभग आठ वर्ष इस संगठन का पूरे भारतवर्ष में दवदवा रहा जिसके परिणाम स्वरूप न केवल ब्रिटिश सरकार अपितु अंग्रेजों की साँठ-गाँठ से १८८५ में स्थापित छियालिस साल पुरानी कांग्रेस पार्टी को भी अपनी नीतियों में परिवर्तन करने पर विवश कर दिया।

इतिहास

जनवरी १९२३ में मोतीलाल नेहरू व देशबन्धु चितरंजन दास सरीखे धनाढ्य लोगों ने मिलकर स्वराज पार्टी बना ली। नवयुवकों ने तदर्थ पार्टी के रूप में रिवोल्यूशनरी पार्टी का ऐलान कर दिया। सितम्बर १९२३ में हुए दिल्ली के विशेष कांग्रेस अधिवेशन में असन्तुष्ट नवयुवकों ने यह निर्णय लिया कि वे भी अपनी पार्टी का नाम व संविधान आदि निश्चित कर राजनीति में दखल देना शुरू करेंगे अन्यथा देश में लोकतन्त्र के नाम पर लूटतन्त्र हावी हो जायेगा। देखा जाये तो उस समय उनकी यह बड़ी दूरदर्शी सोच थी। सुप्रसिद्ध क्रान्तिकारी लाला हरदयाल, जो उन दिनों विदेश में रहकर हिन्दुस्तान को स्वतन्त्र कराने की रणनीति बनाने में जुटे हुए थे,राम प्रसाद 'बिस्मिल' के सम्पर्क में स्वामी सोमदेव के समय से ही थे। लाला जी ने ही पत्र लिखकर राम प्रसाद बिस्मिल को शचींद्रनाथ सान्याल व यदु गोपाल मुखर्जी से मिलकर नयी पार्टी का संविधान तैयार करने की सलाह दी थी। लाला जी की सलाह मानकर राम प्रसाद इलाहाबाद गये और शचींद्रनाथ सान्याल के घर पर पार्टी का संविधान तैयार किया।[1]

नवगठित पार्टी का नाम संक्षेप में एच० आर० ए० रखा गया व इसका संविधान पीले रँग के पर्चे पर टाइप करके सदस्यों को भेजा गया। ३ अक्तूबर १९२४ को इस पार्टी (हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन) की एक कार्यकारिणी-बैठक कानपुर में की गयी जिसमें शचींद्रनाथ सान्याल, योगेश चन्द्र चटर्जी व राम प्रसाद बिस्मिल आदि कई प्रमुख सदस्य शामिल हुए। इस बैठक में पार्टी का नेतृत्व बिस्मिल को सौंपकर सान्याल व चटर्जी बंगाल चले गये। पार्टी के लिये फण्ड एकत्र करने में कठिनाई को देखते हुए आयरलैण्ड के क्रान्तिकारियों का तरीका अपनाया गया और पार्टी की ओर से पहली डकैती २५ दिसम्बर १९२४ (क्रिसमस डे की रात) को बमरौली में डाली गयी जिसका कुशल नेतृत्व बिस्मिल ने किया था इसका उल्लेख चीफ कोर्ट आफ अवध के फैसले में मिलता है[2]

सन्दर्भ

  1. जितेन्द्र नाथ सान्याल. अमर शहीद सरदार भगतसिंह.
  2. चीफ कोर्ट ऑफ अवध जजमेंट १९२७ नवलकिशोर प्रेस लखनऊ पृष्ठ ६२ (Kept with political file 53/27 of Home department in the National Archives of India)

इन्हें भी देखें