"द्रव्यगुण विज्ञान": अवतरणों में अंतर

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*[http://indianmedicine.tripod.com/ Medicinal plants (Dravyaguna)]
*[http://indianmedicine.tripod.com/ Medicinal plants (Dravyaguna)]
*[http://www.ethnoleaflets.com/leaflets/value.htm Ayurvedic Pharmaceutical Sciences-Challenges Ahead]
*[http://www.ethnoleaflets.com/leaflets/value.htm Ayurvedic Pharmaceutical Sciences-Challenges Ahead]
*[http://singleherbs.blogspot.in/ Single Ayurvedic Herbs : My Experience ]


[[श्रेणी:आयुर्वेद]]
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06:10, 29 फ़रवरी 2012 का अवतरण

द्रव्यगुण आयुर्वेद का मूल विषय है। इसके अन्तर्गत औषधीय पादपों - उनकी पहचान, गुण तथा उपचारात्मक उपयोगों का अध्ययन किया जाता है। इसे आयुर्वेद का 'मैटेरिया मेडिका' कह सकते हैं। इस विज्ञान में भेषजगुण विज्ञान (फर्माकोलॉजी) , भेषज-अभिज्ञान (pharmacognosy) तथा पादपों के चिकित्सीय उपयोग शामिल है। इसकी आठ शाखाएं हैं।

'द्रवगुण' दो शब्दों से मिलकर बना है - 'द्रव्य' (matter) तथा 'गुण' (properties) । द्रव्य के अन्तर्गत जीवित और निर्जीव दोनो वस्तुएँ आ जाती हैं।

चरक का कहना है कि कुछ भी ऐसा नहीं है जो 'औषधि' न हो। आयुर्वेद का मत है कि किसी औषधि का प्रभाव उसके किसी एक घटक के अकेले के प्रभाव से प्रायः भिन्न होता है। औषधियों के कार्य और प्रभाव को जानने के लिये उनके रस (taste), गुण (properties), वीर्य (biological properties) और विपाक (attributes of drug assimilation) का ज्ञान अति आवश्यक है।

आयुर्वेद में 600 से भी अधिक औषधीय पादपों को औषध के रूप में उपयोग में लाया जाता है। इन्हें अकेले या दूसरों साथ मिलाकर रोगों से मुक्ति पाया जाता है। औषधीय पादप अलग-अलग तरह के कृषि-जलवायीय क्षेत्रों (जंगल, अनूप, साधारण देश) में पैदा होते हैं। वर्तमान समय में औषधीय पादपों को 'प्राकृतिक औषध' के रूप में प्रयोग करने का चलन बढ़ा है। इस कारण इस विषय का महत्व और भी बढ़ गया है।

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