"फ़्लोरेन्स नाइटिंगेल": अवतरणों में अंतर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
छो r2.7.1) (robot Adding: az:Florens Naytingel
पंक्ति 99: पंक्ति 99:
[[mr:फ्लोरेंस नाइटिंगेल]]
[[mr:फ्लोरेंस नाइटिंगेल]]
[[ms:Florence Nightingale]]
[[ms:Florence Nightingale]]
[[my:ဖလော်ရင့်(စ)နိုက်တင်ဂေးလ်]]
[[nds:Florence Nightingale]]
[[nds:Florence Nightingale]]
[[ne:फ्लोरेन्स नाइटिङ्गेल]]
[[ne:फ्लोरेन्स नाइटिङ्गेल]]

08:57, 16 फ़रवरी 2012 का अवतरण

फ़्लोरेन्स नाइटिंगेल

जन्म12 मई 1820
फ्लोरेंस, ग्रैंड डची ऑफ टस्कैनी
मृत्यु13 अगस्त 1910(1910-08-13) (उम्र 90)
पार्क लेन, लंदन, संयुक्त राजशाही
व्यवसायनर्स एवं संख्यिकीशास्त्री
संस्थाएंसेलिमिये बैरेक्स, स्कुटैरी
वैशिष्ट्य अस्पताल हायजीन एवं साफ-सफ़ाई
प्रसिद्धिआधुनिक नर्सिंग

फ़्लोरेन्स नाइटिंगेल (अंग्रेज़ी: Florence Nightingale) (१२ मई १८२०-१३ अगस्त १९१०) को आधुनिक नर्सिग आन्दोलन का जन्मदाता माना जाता है। दया व सेवा की प्रतिमूर्ति फ्लोरेंस नाइटिंगेल "द लेडी विद द लैंप" (दीपक वाली महिला) के नाम से प्रसिद्ध हैं। इनका जन्म एक समृद्ध और उच्चवर्गीय ब्रिटिश परिवार में हुआ था। लेकिन उच्च कुल में जन्मी फ्लोरेंस ने सेवा का मार्ग चुना। १८४५ में परिवार के तमाम विरोधों व क्रोध के पश्चात भी उन्होंने अभावग्रस्त लोगों की सेवा का व्रत लिया। दिसंबर १८४४ में उन्होंने चिकित्सा सुविधाओं को सुधारने बनाने का कार्यक्रम आरंभ किया था। बाद में रोम के प्रखर राजनेता सिडनी हर्बर्ट से उनकी मित्रता हुई।

सेंट मार्गरेट’स गिरजाघर के प्रांगण में फ़्लोरेंस नाइटेंगेल की कब्र

नर्सिग के अतिरिक्त लेखन और अनुप्रयुक्त सांख्यिकी पर उनका पूरा ध्यान रहा। फ्लोरेंस का सबसे महत्वपूर्ण योगदान क्रीमिया के युद्ध में रहा। अक्टूबर १८५४ में उन्होंने ३८ स्त्रियों का एक दल घायलों की सेवा के लिए तुर्की भेजा। इस समय किए गए उनके सेवा कार्यो के लिए ही उन्होंने लेडी विद द लैंप की उपाधि से सम्मानित किया गया। जब चिकित्सक चले जाते तब वह रात के गहन अंधेरे में मोमबत्ती जलाकर घायलों की सेवा के लिए उपस्थित हो जाती। लेकिन युद्ध में घायलों की सेवा सुश्रूषा के दौरान मिले गंभीर संक्रमण ने उन्हें जकड़ लिया था। १८५९ में फ्लोरेंस ने सेंट थॉमस अस्पताल में एक नाइटिंगेल प्रक्षिक्षण विद्यालय की स्थापना की। इसी बीच उन्होंने नोट्स ऑन नर्सिग पुस्तक लिखी। जीवन का बाकी समय उन्होंने नर्सिग के कार्य को बढ़ाने व इसे आधुनिक रूप देने में बिताया। १८६९ में उन्हें महारानी विक्टोरिया ने रॉयल रेड क्रॉस से सम्मानित किया। ९० वर्ष की आयु में १३ अगस्त, १९१० को उनका निधन हो गया।

उनसे पहले कभी भी बीमार घायलो के उपचार पर ध्यान नहीं दिया जाता था किन्तु इस महिला ने तस्वीर को सदा के लिये बदल दिया। उन्होंने क्रीमिया के युद्ध के समय घायल सैनिको की बहुत सेवा की थी। वे रात-रात भर जाग कर एक लालटेन के सहारे इन घायलों की सेवा करती रही इस लिए उन्हें लेडी विथ दि लैंप का नाम मिला था उनकी प्रेरणा से ही नर्सिंग क्षेत्र मे महिलाओं को आने की प्रेरणा मिली थी।

चित्र दीर्घा

संदर्भ

बाहरी सूत्र

साँचा:Link FA साँचा:Link FA साँचा:Link FA