"तृतीया": अवतरणों में अंतर

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हिंदू [[पंचांग]] की तीसरी [[तिथि]] को पंचमी कहते हैं। यह तिथि [[मास]] में दो बार आती है। [[पूर्णिमा]] के बाद और [[अमावस्या]] के बाद। पूर्णिमा के बाद आने वाली तृतीया को [[कृष्ण पक्ष]] की तृतीया और अमावस्या के बाद आने वाली तृतीया को [[शुक्ल पक्ष]] की तृतीया कहते हैं।
हिंदू [[पंचांग]] की तीसरी [[तिथि]] को पंचमी कहते हैं। यह तिथि [[मास]] में दो बार आती है। [[पूर्णिमा]] के बाद और [[अमावस्या]] के बाद। पूर्णिमा के बाद आने वाली तृतीया को [[कृष्ण पक्ष]] की तृतीया और अमावस्या के बाद आने वाली तृतीया को [[शुक्ल पक्ष]] की तृतीया कहते हैं।


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19:28, 5 दिसम्बर 2011 का अवतरण

हिंदू पंचांग की तीसरी तिथि को पंचमी कहते हैं। यह तिथि मास में दो बार आती है। पूर्णिमा के बाद और अमावस्या के बाद। पूर्णिमा के बाद आने वाली तृतीया को कृष्ण पक्ष की तृतीया और अमावस्या के बाद आने वाली तृतीया को शुक्ल पक्ष की तृतीया कहते हैं।