"नव्य न्याय": अवतरणों में अंतर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
छो r2.7.1) (robot Adding: ru:Навья-ньяя
छो rm Good articles cat
पंक्ति 9: पंक्ति 9:
[[श्रेणी:उत्तम लेख]]
[[श्रेणी:उत्तम लेख]]



{{उत्तम लेख}}


[[en:Navya-Nyāya]]
[[en:Navya-Nyāya]]

06:56, 4 दिसम्बर 2011 का अवतरण

नव्य न्याय, भारतीय दर्शन का एक सम्प्रदाय (school) है जो मिथिला के दार्शनिक गंगेश उपाध्याय द्वारा तेरहवीं शती में प्रतिपादित किया गया। इसमें पुराने न्याय दर्शन को ही आगे बढ़ाया गया है। वाचस्पति मिश्र तथा उदयन (१०वीं शती की अन्तिम बेला) आदि का भी इस दर्शन के विकास में प्रभाव है।

गंगेश उपाध्याय ने हर्ष के खण्डनखण्दकाध्याय नामक पुस्तक के विचारों के विरोध में अपनी पुस्तक तत्वचिन्तामणि की रचना की। खण्डनखण्दकाध्याय में अद्वैत वेदान्त का समर्थन एवं न्याय दर्शन के कतिपय सिद्धान्तों की आलोचना की गयी थी।