"कोरियाई भाषा": अवतरणों में अंतर
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कोरियाई | ||
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한국어, 조선말 Hangugeo, Chosŏnmal | ||
बोली जाती है | — | |
क्षेत्र | — | |
कुल बोलने वाले | — | |
भाषा परिवार |
| |
भाषा कूट | ||
ISO 639-1 | ko | |
ISO 639-2 | kor | |
ISO 639-3 | kor | |
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कोरियाई भाषा दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया की आधिकारिक भाषा है और इसे बोलने वालों की संख्या ८ करोड़ के लगभग है । इस भाषा का विकास १४४३ ई० में किंगसेजोंग के शासन के दौरान हुआ । इस भाषा की लिपि हंगल (Hangul 한글) है । कोरियन में 한 (हान/Haan) का अर्थ होता है - कोरिया या महान और 글(गल/geul) का अर्थ होता है - लिपि। इस प्रकार हंगल का अर्थ हुआ - "महान लिपि" या "कोरियन लिपि"।
कोरियायी भाषा अल्टाइक कुल की भाषा है जो चीनी की भाँति संसार की प्राचीन भाषाओं में गिनी जाती है। चीनी की भाँति ही यह दाई से बाई ओर को लिखी जाती है। इसका इतिहास कोरिया के इतिहास की तरह ही 4000 वर्ष प्राचीन है। प्राचीन काल में चीनी लोग कोरिया में जाकर बस गए थे, इसलिये वहाँ की भाषा चीनी भाषा से काफी प्रभावित है। चीनी और कोरियायी के अनेक शब्द मिलते जुलते हैं :
चीनी (पीकिंग बोली) | कोरियायी | अर्थ |
---|---|---|
वान | मान | दस हजार |
नान | नाम | दक्षिण |
मा | माल | घोड़ा |
इ | इल | एक |
उस समय कोरिया के विद्वानों की बोलचाल की भाषा तो कोरियायी थी लेकिन वे लिखते थे चीनी में। चीनी लिपि में लिखी जानेवाली कोरियायी भाषा की लिपि हानमून कही जाती थी। जबतक कोई विद्वान चीनी क्लासिक्स का ज्ञाता न हो तब तक वह पूरा विद्वान नहीं माना जाता था। कोरियायी भाषा अपने माधुर्य और कोमलता के लिये प्रसिद्ध है। शिष्टता और विनम्रतासूचक कितने ही आदरवाची शब्द इस भाषा में पाए जाते हैं। कोरिया के लोग अभिवादन के समय आप शांतिपूर्वक आएँ, आप शांतिपूर्वक सोएँ आदि शब्दों का प्रयोग करते हैं।
लिपि का सरलीकरण
सन् 1446 में कोरिया के राजा सेजोंग ने कोरियायी भाषा को सरल बनाने के लिये एक घोषणा की जिसमें कहा गया कि कोरिया की राष्ट्रभाषा चीनी से भिन्न है और चीनी लिपि से उसकी समानता नहीं, इसलिये कोरिया की जनता चीनी भाषा के तरीकों को नहीं अपना सकती। इस समय हारगूल लिपि में 28 ध्वन्यात्मक अक्षरों का आविष्कार हुआ जिनमें 17 व्यंजन और 11 स्वर स्वीकार किए गए। आगे चलकर व्यंजनों को घटाकर 14 कर दिया गया। धीरे धीरे पुस्तकें और अखबार भी इस लिपि में छपने लगे।
व्याकरण
कोरियायी भाषा का व्याकरण नियमबद्ध और सरल है। एक ही क्रिया बिना किसी परिवर्तन के अनेक रूपों में प्रयुक्त होती है। कोरियायी की वाक्यरचना जापानी की भाँति हैं--
- (क) वाक्यों में सबसे पहले कर्ता, कर्म और अंत में क्रिया आती है,
- (ख) विशेषण विशेष्य के पहले आता है,
- (ग) प्राय: संज्ञाओं और क्रियाओं में वचन और पुरु ष नहीं रहते,
- (घ) धातु में सहायक धातुओं के प्रत्यय जोड़ने से क्रियारूप बनते हैं।
कोरियायी साहित्य
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==कोरियन वर्णमाला==
विस्तृत विवरण के लिये हंगुल देखें।