"गीतरामायणम्": अवतरणों में अंतर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 13: पंक्ति 13:
}}
}}


'''''गीतरामायणम्''''' ([[2011]]), वस्तुतः ''गीतों में रामायण'', गीतकाव्य शैली की एक 2009 और 2010 के वर्षों में [[जगद्गुरु रामभद्राचार्य]] ([[1950]]-) द्वारा रचित संस्कृत महाकाव्य है। इसमें संस्कृत के 1008 गीत हैं जो की सात कांडों में विभाजित हैं, और हर कांड एक अथवा दो सर्ग में उप विभाजित है। कुल मिलाके 28 सर्ग है, और हर सर्ग में 36 गीत है। इस महाकाव्य के गीत भारतीय लोक संगीत और शास्त्रीय संगीत की लय, धुनों और [[राग]] पर आधारित है। हर गीत रामायण एक अथवा अधिक पात्र या कवि द्वारा गाया गया है। गीत एकालाप, संवाद और बहुलाप के माध्यम से अग्रसरण करते हुए रामायण सुनाते है। गीतों के बीच में कुछ संस्कृत छंद हैं, जो कथा को आगे ले जाते है।
'''''गीतरामायणम्''''' ([[२०११]]), वस्तुतः ''गीतों में रामायण'', २००९ और २०१० में [[जगद्गुरु रामभद्राचार्य]] ([[१९५०]]-) द्वारा रचित गीतकाव्य शैली की एक संस्कृत महाकाव्य है। इसमें संस्कृत के १००८ गीत हैं जो की सात कांडों में विभाजित हैं - प्रत्येक कांड एक अथवा अधिक सर्गों में उप विभाजित है। कुल मिलाकर काव्य में २८ सर्ग हैं, और हर सर्ग में ३६-३६ गीत हैं। इस महाकाव्य के गीत भारतीय लोक संगीत और भारतीय शास्त्रीय संगीत के विभिन्न गीतों की ढाल, लय, धुन अथवा [[राग]] पर आधारित है। हर गीत रामायण के एक अथवा एकाधिक पात्र या कवि द्वारा गाया गया है। गीत एकालाप और संवादों के माध्यम से क्रमानुसार रामायण की कथा सुनाते हैं। गीतों के बीच में कुछ संस्कृत छंद हैं, जो कथा को आगे ले जाते है।


कविता की एक प्रतिलिपि, कवि द्वारा हिन्दी टिप्पणी के साथ, [[जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय]], [[चित्रकूट]], [[उत्तर प्रदेश]] द्वारा प्रकाशित की गई थी। पुस्तक जनवरी 14, 2011 के मकर संक्रांति दिन को संस्कृत कवि [[अभिराज राजेंद्र मिश्रा]] द्वारा प्रकाशित हुई थी।<ref name="stps-gr">{{cite journal | first=सुशील | last=शर्मा | title=गीतरामायणप्रशस्तिः | trans_title=गीतरामायण की प्रशंसा | volume=14 | issue=9 | journal=श्रीतुलसीपीठ सौरभ | publisher=श्री तुलसी पीठ सेवा न्यास | language=हिन्दी | place=गाज़ियाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत | date=फ़रवरी 2011 | page=14}}</ref><ref>रामभद्राचार्य 2011, प्र. 96.</ref>
कविता की एक प्रतिलिपि, कवि द्वारा हिन्दी टीका के साथ, [[जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय]], [[चित्रकूट]], [[उत्तर प्रदेश]] द्वारा प्रकाशित की गई थी। पुस्तक जनवरी १४, २०११ के मकर संक्रांति दिन को संस्कृत कवि [[अभिराज राजेंद्र मिश्रा]] द्वारा प्रकाशित हुई थी।<ref name="stps-gr">{{cite journal | first=सुशील | last=शर्मा | title=गीतरामायणप्रशस्तिः | trans_title=गीतरामायण की प्रशंसा | volume=14 | issue=9 | journal=श्रीतुलसीपीठ सौरभ | publisher=श्री तुलसी पीठ सेवा न्यास | language=हिन्दी | place=गाज़ियाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत | date=फ़रवरी 2011 | page=14}}</ref><ref>रामभद्राचार्य 2011, प्र. 96.</ref>


==सन्दर्भ==
==सन्दर्भ==

00:13, 25 नवम्बर 2011 का अवतरण

गीतरामायणम्  
आवरण
गीतरामायणम् का आवरण पृष्ठ, प्रथम संस्करण
लेखक जगद्गुरु रामभद्राचार्य
देश भारत
भाषा संस्कृत
प्रकाशक जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय
प्रकाशन तिथि जनवरी 14, 2011
मीडिया प्रकार मुद्रित (हार्डकवर)
पृष्ठ 998 प्रप्र (प्रथम संस्करण)

गीतरामायणम् (२०११), वस्तुतः गीतों में रामायण, २००९ और २०१० ई में जगद्गुरु रामभद्राचार्य (१९५०-) द्वारा रचित गीतकाव्य शैली की एक संस्कृत महाकाव्य है। इसमें संस्कृत के १००८ गीत हैं जो की सात कांडों में विभाजित हैं - प्रत्येक कांड एक अथवा अधिक सर्गों में उप विभाजित है। कुल मिलाकर काव्य में २८ सर्ग हैं, और हर सर्ग में ३६-३६ गीत हैं। इस महाकाव्य के गीत भारतीय लोक संगीत और भारतीय शास्त्रीय संगीत के विभिन्न गीतों की ढाल, लय, धुन अथवा राग पर आधारित है। हर गीत रामायण के एक अथवा एकाधिक पात्र या कवि द्वारा गाया गया है। गीत एकालाप और संवादों के माध्यम से क्रमानुसार रामायण की कथा सुनाते हैं। गीतों के बीच में कुछ संस्कृत छंद हैं, जो कथा को आगे ले जाते है।

कविता की एक प्रतिलिपि, कवि द्वारा हिन्दी टीका के साथ, जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय, चित्रकूट, उत्तर प्रदेश द्वारा प्रकाशित की गई थी। पुस्तक जनवरी १४, २०११ के मकर संक्रांति दिन को संस्कृत कवि अभिराज राजेंद्र मिश्रा द्वारा प्रकाशित हुई थी।[1][2]

सन्दर्भ

  1. शर्मा, सुशील (फ़रवरी 2011). "गीतरामायणप्रशस्तिः". श्रीतुलसीपीठ सौरभ. गाज़ियाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत: श्री तुलसी पीठ सेवा न्यास. 14 (9): 14. नामालूम प्राचल |trans_title= की उपेक्षा की गयी (|trans-title= सुझावित है) (मदद)
  2. रामभद्राचार्य 2011, प्र. 96.

उद्धृत कार्य

बाह्य कड़ियाँ

साँचा:उचित लेख