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* [http://jagadgururambhadracharya.org/ViewContent/pdfs/Jagadguru%20Rambhadracharya%20-%20Bhrngadutam.pdf कार्य की एक संस्कृत केवल पांडुलिपि]
* [https://sites.google.com/site/jagadgururambhadracharya/majorworks/bhrngadutam/bhrngadutam-trutisuuci.pdf प्रकाशित संस्करण में शुद्धिपत्र की सूची]
* [http://jagadgururambhadracharya.org/ViewContent/pdfs/Jagadguru%20Rambhadracharya%20-%20Bhrngadutam%20Errata.pdf प्रकाशित संस्करण में शुद्धिपत्र की सूची]


[[श्रेणी: संस्कृत साहित्य]]
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भृङ्गदूतम्  
आवरण
भृङ्गदूतम् का आवरण पृष्ठ, प्रथम संस्करण
लेखक जगद्गुरु रामभद्राचार्य
देश भारत
भाषा संस्कृत
प्रकार दूतकाव्य
प्रकाशक जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय
प्रकाशन तिथि अगस्त 30, 2004
मीडिया प्रकार मुद्रित {पुस्तिका}
पृष्ठ 197 प्रप्र (प्रथम संस्करण)

भृङ्गदूतम् (2004), वस्तुतः भौंरा दूत, जगद्गुरु रामभद्राचार्य (1950-) द्वारा रचित दूतकाव्य शैली की संस्कृत खण्ढकाव्य है। काव्य में दो भागों में विभाजित मन्दक्रान्ता छंद के 501 श्लोक है। रामायण के किष्किन्धाकाण्ढ के संदर्भ में निर्धारित, कविता किष्किन्धा में प्रवर्षण पहाड़ पर बरसात के मौसम का चार महीने बिताकर राम द्वारा सीता को एक भौंरा के माध्यम से भेजा संदेश का वर्णन करती है, जो की लंका में रावण द्वारा बंदी हुई है।

कविता की एक प्रतिलिपि, कवि द्वारा स्वयंमेव "गुञ्जन" नामक हिन्दी टिप्पणी के साथ, जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय, चित्रकूट, उत्तर प्रदेश द्वारा प्रकाशित की गई थी। पुस्तक 30 अगस्त, 2004 को रिलीज़ की गई थी।[1]

सन्दर्भ

  1. रामभद्राचार्य 2004

उद्धृत कार्य

रामभद्राचार्य, स्वामी (अगस्त 30, 2004). भृङ्गदूतम् (संस्कृत खण्ढकाव्यम्). चित्रकूट, उत्तर प्रदेश, भारत: जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय.सीएस1 रखरखाव: तिथि और वर्ष (link)

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