"पंच प्रयाग": अवतरणों में अंतर

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उत्तराखंड के पंच प्रयाग कहे जाते हैं। उत्तराखंड के प्रसिद्ध पंच प्रयाग देवप्रयाग रुद्रप्रयाग कर्णप्रयाग नन्दप्रयाग तथा विष्णुप्रयाग मुख्य नदियों के संगम पर स्थित हैं ।

देवप्रयाग

अलकनंदा तथा भगीरथी नदियों के संगम पर देवप्रयाग नामक स्थान स्थित है । इसी संगम स्थल के बाद इस नदी को गंगा के नाम से जाना जाता है । यह समुद्र सतह से १५०० फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है । देवप्रयाग की ऋषिकेश से सडक मार्ग दूरी ७० किमी० है । गढवाल क्षेत्र मे भगीरथी नदी को सास तथा अलकनंदा नदी को बहू कहा जाता है । देवप्रयाग में शिव मंदिर तथा रघुनाथ मंदिर है, जो की यहां के मुख्य आकर्षण हैं । रघुनाथ मंदिर द्रविड शैली से निर्मित है । देवप्रयाग को सुदर्शन क्षेत्र भी कहा जाता है । देवप्रयाग में कौवे दिखायी नहीं देते, जो की एक आश्चर्य की बात है ।

रुद्रप्रयाग

मन्दाकिनी तथा अलकनंदा नदियों के संगम पर रुद्रप्रयाग स्थित है । संगम स्थल के समीप चामुंडा देवी व रुद्रनाथ मंदिर दर्शनीय है । रुद्र प्रयाग ऋषिकेश से १३९ किमी० की दूरी पर स्थित है । यह नगर बद्रीनाथ मोटर मार्ग पर स्थित है । यह माना जाता है कि नारद मुनि ने इस पर संगीत के गूढ रहस्यों को जानने के लिये "रुद्रनाथ महादेव" की अराधना की थी।

कर्णप्रयाग

अलकनंदा तथा पिण्डर नदियों के संगम पर कर्णप्रयाग स्थित है । पिण्डर का एक नाम कर्ण गंगा भी है, जिसके कारण ही इस तीर्थ संगम का नाम कर्ण प्रयाग पडा । यहां पर उमा मंदिर और कर्ण मंदिर दर्शनीय है ।

नन्दप्रयाग

नन्दाकिनी तथा अलकनंदा नदियों के संगम पर नन्दप्रयाग स्थित है । यह सागर तल से २८०५ फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है । यहां पर गोपाल जी का मंदिर दर्शनीय है ।

विष्णुप्रयाग

धौली गंगा तथा अलकनंदा नदियों के संगम पर विष्णुप्रयाग स्थित है । संगम पर भगवान विष्णु जी प्रतिमा से सुशोभित प्राचीन मंदिर और विष्णु कुण्ड दर्शनीय हैं । यह सागर तल से १३७२ मी० की ऊंचाई पर स्थित है । विष्णु प्रयाग जोशीमठ-बद्रीनाथ मोटर मार्ग पर स्थित है ।