"सम्भल": अवतरणों में अंतर

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सम्भल एक पुराना उपनिवेश है जो मुस्लिम शासन के समय भी महत्वपूर्ण था व सिकंदर लोदी की १५वीं सदी के अंत व १६वीं सदी के शुरू में प्रांतीय राजधानियों में से एक था. यह प्राचीन शहर एक समय महान चौहान सम्राट पृथ्वीराज चौहान की राजधानी भी था व संभवतः यह वहीं है जहाँ वह अफगानियों द्वारा द्वितीय युद्घ में मारे गए. "मकान टूटे लोग झूठे" के लिए भी इसे जाना जाता है लेकिन इसका वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं है. कुछ निवासियों के द्वारा इसका वर्तमान में सत्य होने का दावा किया जाता है. १९९१ की जनगणना में सम्भल को पूरे देश में न्यूनतम साक्षरता वाला पाया गया था. लेकिन समय के साथ स्थितियों में सुधार आया है.
सम्भल एक पुराना उपनिवेश है जो मुस्लिम शासन के समय भी महत्वपूर्ण था व सिकंदर लोदी की १५वीं सदी के अंत व १६वीं सदी के शुरू में प्रांतीय राजधानियों में से एक था. यह प्राचीन शहर एक समय महान चौहान सम्राट पृथ्वीराज चौहान की राजधानी भी था व संभवतः यह वहीं है जहाँ वह अफगानियों द्वारा द्वितीय युद्घ में मारे गए. "मकान टूटे लोग झूठे" के लिए भी इसे जाना जाता है लेकिन इसका वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं है. कुछ निवासियों के द्वारा इसका वर्तमान में सत्य होने का दावा किया जाता है. १९९१ की जनगणना में सम्भल को पूरे देश में न्यूनतम साक्षरता वाला पाया गया था. लेकिन समय के साथ स्थितियों में सुधार आया है.


==किस लिये प्रसिद्ध है?==
==किस लिये प्रसिद्ध है?==२८/०९/२०११ को ७५वए जिलए का उद्भ्भव हुआ
सरायतरीन, सम्भल का एक उपनगर लम्बे समय से हस्तशिल्प वस्तुओं के लिए जाना जाता है. इन वस्तुओं को बनाने वाले शिल्पकारों को अपनी कला का लिए काफी सम्मान दिया जाता है. (यद्यपि वे कम दर पर व अमानवीय वातावरण में कार्य करते हैं) सरायतरीन को पशुओं के सींगों, हड्डियों, लकडी, शंखों, पीतल, बांस व नारियल से बने हस्तशिल्पों व फैशन आभूषणों के केंद्र के रूप में जाना जाता है. इस कसबे की आबादी ७०,००० है जिनमें ४०,००० लोग कारीगर के रूप में कार्य करते हैं. सरायतरीन की एक और विशेषता सींग उर्वरक बनाने की है. पुराने समय में जब रासायनिक उर्वरक उपलब्ध नहीं थे, किसान पशुओं की हड्डियों वे सींगों से बने उर्वरकों का प्रयोग करते थे. अब सींगों के उर्वरक का व्यापर समाप्त हो गया है क्योंकि किसान सस्ते रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करने लगे हैं. अब हाजी रहम इलाही साहिब (१९९२ के राष्ट्रपति पुरस्कार विजेता) व कुछ अन्य की कुछ ही फैक्टरियाँ रह गयीं हैं.
सरायतरीन, सम्भल का एक उपनगर लम्बे समय से हस्तशिल्प वस्तुओं के लिए जाना जाता है. इन वस्तुओं को बनाने वाले शिल्पकारों को अपनी कला का लिए काफी सम्मान दिया जाता है. (यद्यपि वे कम दर पर व अमानवीय वातावरण में कार्य करते हैं) सरायतरीन को पशुओं के सींगों, हड्डियों, लकडी, शंखों, पीतल, बांस व नारियल से बने हस्तशिल्पों व फैशन आभूषणों के केंद्र के रूप में जाना जाता है. इस कसबे की आबादी ७०,००० है जिनमें ४०,००० लोग कारीगर के रूप में कार्य करते हैं. सरायतरीन की एक और विशेषता सींग उर्वरक बनाने की है. पुराने समय में जब रासायनिक उर्वरक उपलब्ध नहीं थे, किसान पशुओं की हड्डियों वे सींगों से बने उर्वरकों का प्रयोग करते थे. अब सींगों के उर्वरक का व्यापर समाप्त हो गया है क्योंकि किसान सस्ते रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करने लगे हैं. अब हाजी रहम इलाही साहिब (१९९२ के राष्ट्रपति पुरस्कार विजेता) व कुछ अन्य की कुछ ही फैक्टरियाँ रह गयीं हैं.



16:08, 30 सितंबर 2011 का अवतरण

सम्भल, भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में स्थित एक शहर व नगरपालिका परिषद है। यह भी मान्यता है कि कलयुग में कल्कि भगवान विष्णु भगवान के अवतार के रूप में इसी शहर में जन्म लेंगे. ऐसा पुस्तक "सुख सागर" में लिखा है। सतयुग में इस स्थान का नाम सत्यव्रत था, त्रेता मे महदगिरि, द्वापर में पिंगल और कलयुग में सम्भल है। इसमे ६८ तीर्थ और १९ कूप हैं यहां एक अति विशाल प्राचीन मन्दिर है, इसके अतिरिक्त तीन मुख्य शिवलिंग है, पूर्व में चन्द्रशेखर, उत्तर मे भुबनेश्वर, और दक्षिण में सम्भलेश्वर हैं. प्रतिवर्ष कार्तिक शुक्ल चतुर्थी और पंचमी को यहाँ मेला लगता है और यात्री इसकी परिक्रमा करते हैं। सम्भल में रेलवे स्टेशन पर मुग़ल सम्राट बाबर द्वारा बनवाई गई "बाबरी मस्जिद" भी है. यह कृषि उत्पादों का व्यावसायिक केंद्र भी है।

जनसांख्यिकी

२००१ की भारतीय जनगणना के अनुसार सम्भल की जनसँख्या १८२, ९३० थी. जनसँख्या का ५३% भाग पुरुष व ४७% भाग महिलाएं हैं. सम्भल की साक्षरता दर राष्ट्रीय औसत ५९.५% से कम ३५% है: पुरुष साक्षरता ४०% व महिला साक्षरता २९% है. सम्भल में, १८% जनसँख्या ६ वर्ष की आ

इतिहास

सम्भल एक पुराना उपनिवेश है जो मुस्लिम शासन के समय भी महत्वपूर्ण था व सिकंदर लोदी की १५वीं सदी के अंत व १६वीं सदी के शुरू में प्रांतीय राजधानियों में से एक था. यह प्राचीन शहर एक समय महान चौहान सम्राट पृथ्वीराज चौहान की राजधानी भी था व संभवतः यह वहीं है जहाँ वह अफगानियों द्वारा द्वितीय युद्घ में मारे गए. "मकान टूटे लोग झूठे" के लिए भी इसे जाना जाता है लेकिन इसका वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं है. कुछ निवासियों के द्वारा इसका वर्तमान में सत्य होने का दावा किया जाता है. १९९१ की जनगणना में सम्भल को पूरे देश में न्यूनतम साक्षरता वाला पाया गया था. लेकिन समय के साथ स्थितियों में सुधार आया है.

==किस लिये प्रसिद्ध है?==२८/०९/२०११ को ७५वए जिलए का उद्भ्भव हुआ सरायतरीन, सम्भल का एक उपनगर लम्बे समय से हस्तशिल्प वस्तुओं के लिए जाना जाता है. इन वस्तुओं को बनाने वाले शिल्पकारों को अपनी कला का लिए काफी सम्मान दिया जाता है. (यद्यपि वे कम दर पर व अमानवीय वातावरण में कार्य करते हैं) सरायतरीन को पशुओं के सींगों, हड्डियों, लकडी, शंखों, पीतल, बांस व नारियल से बने हस्तशिल्पों व फैशन आभूषणों के केंद्र के रूप में जाना जाता है. इस कसबे की आबादी ७०,००० है जिनमें ४०,००० लोग कारीगर के रूप में कार्य करते हैं. सरायतरीन की एक और विशेषता सींग उर्वरक बनाने की है. पुराने समय में जब रासायनिक उर्वरक उपलब्ध नहीं थे, किसान पशुओं की हड्डियों वे सींगों से बने उर्वरकों का प्रयोग करते थे. अब सींगों के उर्वरक का व्यापर समाप्त हो गया है क्योंकि किसान सस्ते रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करने लगे हैं. अब हाजी रहम इलाही साहिब (१९९२ के राष्ट्रपति पुरस्कार विजेता) व कुछ अन्य की कुछ ही फैक्टरियाँ रह गयीं हैं.

सम्भल मेंथा तेल (मेंथा के पौधे से निकला गया तेल जो कि दवाईओं आदि में रसायन के तौर पर प्रयोग होता है) का सबसे बड़ा बाज़ार है. सम्भल के साथ- साथ चंदौसी व बाराबंकी(तीनों पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हिस्से हैं) का भी उत्पादन में बराबर का हाथ है.

चक्की का पाट (पत्थर का बना पुराने समय में अनाज पीसने में काम आने वाला) सम्भल का एक प्रमुख सांस्कृतिक व ऐतिहासिक आकर्षण है जो जमीं से १५ मी कि ऊंचाई पर टंगा है. शहर में इसके बारे में एक कहानी बताई जाती है कि एक पेशेवर कूदनेवाले(जिसे 'नट' कहते हैं) ने इस भारी पत्थर के टुकड़े को बिना किसी अन्य सहारे के अकेले ऊपर टांग दिया था.

यह शहर हकीमों (यूनानी चिकित्सक) के लिए जाना जाता है. स्वर्गीय हकीम रईस(मृत्यु २००८) सबसे अधिक प्रसिद्व थे. उनकी वंशावली उनके पुत्रों हकीम ज़फर(बड़े) व हकीम नासर(छोटे) द्वारा आगे बढाई जा रही है. देश के सबसे प्रसिद्व यूनानी ब्रांड दर्दमंद, जनता दर्दमंद दवाखाना भी सम्भल से ही हकीम कौसर अहमद द्वारा बनाई जाती है. अधिकांश दवाएं अरब, उत्तर व पूर्व देशों में भेजी जातीं हैं.

यहाँ कई वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय हैं: हिंद इंटर कॉलेज, सम्भल; फैज़ गर्ल्स इंटर कॉलेज, सरायतरीन; एसबीएसजे इंटर कॉलेज, सम्भल; आर्य समाज इंटर कॉलेज, सम्भल; एएमएचआर (मनोकामना) इंटर कॉलेज, सम्भल; उमेद राय इंटर कॉलेज, हयातनगर, सरायतरीन; बाल विद्या मंदिर, सम्भल; आजाद गर्ल्स इंटर कॉलेज, सम्भल.

यहाँ कई मदरसे (मदरसा सिराज उल उलूम, मदीना तुल उलूम, अंजुमन मुआविन उल इसलाम, अहले सुन्नत फैज़ल उलूम, अजमल उलूम, जामिया इस्लामिया, खलील उल उलूम आदि) भी हैं तो कई मंदिर भी (मनोकामना मंदिर, चामुंडा देवी मंदिर, कल्कि विष्णु मंदिर, नीम सार, सूरज कुंड आदि)