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सुबिमल बसाक ( १५ दिसम्बर १९३९ ) ( সুবিমল বসাক )[[बांग्ला]] साहित्य के प्रमुख उपन्यासकार है। भुखि पीढी आन्दोलन शुरु क्ररनेवाले साहित्यिकों मे उनका प्रधान योगदान रहा है। उनहोने कहानि लिखने के एक नये भाषा के जन्म दिये जो बिहार के रहनेवाले बांग्लाभाषी बोला करते हैं। सुबिमल बसाकने हिन्दी से बहुत सारे उपन्यास अनुवाद किये और २००८ साल में उन्हे [[साहित्य अकादमी]] पुरस्कार से सन्मानित किया गया। |
सुबिमल बसाक ( १५ दिसम्बर १९३९ ) ( সুবিমল বসাক )[[बांग्ला]] साहित्य के प्रमुख उपन्यासकार है। भुखि पीढी आन्दोलन शुरु क्ररनेवाले साहित्यिकों मे उनका प्रधान योगदान रहा है। उनहोने कहानि लिखने के एक नये भाषा के जन्म दिये जो बिहार के रहनेवाले बांग्लाभाषी बोला करते हैं। सुबिमल बसाकने हिन्दी से बहुत सारे उपन्यास अनुवाद किये और २००८ साल में उन्हे [[साहित्य अकादमी]] पुरस्कार से सन्मानित किया गया। |
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==भुखी पीढी सृजनकर्मों का कापिराइट== |
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भुखी पीढी आंदोलनकारियों के सृजनकर्मों का कोइ कापिराइट नहीं होता है। वे यह उपनिवेशवादी अवधारणाकों नहीं स्वीकारते। |
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==कृतियां== |
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[[Image:Hungry Generation.jpg|thumb|left|200px| भुखी पीढी आंदोलनके मैगजिन कवर]] |
[[Image:Hungry Generation.jpg|thumb|left|200px| भुखी पीढी आंदोलनके मैगजिन कवर]] |
05:49, 20 अगस्त 2011 का अवतरण
सुबिमल बसाक ( १५ दिसम्बर १९३९ ) ( সুবিমল বসাক )बांग्ला साहित्य के प्रमुख उपन्यासकार है। भुखि पीढी आन्दोलन शुरु क्ररनेवाले साहित्यिकों मे उनका प्रधान योगदान रहा है। उनहोने कहानि लिखने के एक नये भाषा के जन्म दिये जो बिहार के रहनेवाले बांग्लाभाषी बोला करते हैं। सुबिमल बसाकने हिन्दी से बहुत सारे उपन्यास अनुवाद किये और २००८ साल में उन्हे साहित्य अकादमी पुरस्कार से सन्मानित किया गया।
भुखी पीढी सृजनकर्मों का कापिराइट
भुखी पीढी आंदोलनकारियों के सृजनकर्मों का कोइ कापिराइट नहीं होता है। वे यह उपनिवेशवादी अवधारणाकों नहीं स्वीकारते।
कृतियां
- चातामाथा ( १९६५ ) उपन्यास।
- हाबिजाबि ( १९७० ) पूर्वी बंगाल के कुट्टि बांग्ला में रचित कविता संकलन।
- गेरिला आक्रोश ( १९७४ ) टुकडे कहानियां।
- आत्मार शान्ति दु मिनिट ( १९८५ ) कहानियां।
- अजथा खिटकाल ( १९८७ ) पूर्वी बंगाल के बांग्ला में रचित कहानियां।
- बियार गीत ओ ढाकाइ चडा ( १९८७ ) पूर्वी बंगाल के शादियों मे गाये जानेवले गाने।
- कुसंस्कार संकलन ( १९८७ ) बंगालीयों में प्रचलित १५५ कुसंस्कारों का संग्रह।
- प्रत्नबीज ( १९९६ ) उपन्यास ।
- कैजुयल लिव ( २००० ) कहानियां।
- बकबकानि ( २००० ) कविता
- एथि ( २००१ ) बिहार में रहनेवाले बंगालियों के भाषा में रचित कहानियां।
- कुट्टि ( २००३ ) पूर्वी बंगाल के टमटमवालों कि कहानियां।
- तिजोरिर भेतर तिजोरी ( २००५ ) कहानियां।
- गोपन दस्तावेज ओ शीतताप नियन्त्रित आत्मा ( २००७ ) कहानियां।
- मोहोल्ला लोदीपुर: हिन्दी में रचित ( २००६ )
अनुवाद
- प्रतिवेशी जानाला ( १९७५ ) ४२ हिन्दी कवियों के कवितायों का बांग्ला में अनुवाद।
- तिसरी कसम ( १९७६ ) फणीश्वर नाथ 'रेणु' के उपन्यास।
- पंचपरमेश्वर ( १९७४ ) प्रेमचंद के कहानियां।
- फणीश्वर नाथ 'रेणु'-र श्रेष्ठ गलपो ( १९७८ ) ८ कहानियों का अनुवाद।
- दुइ सखी ( १९८४ ) प्रेमचंद के कहानियां।
- जीवनसार ( १९८५) प्रेमचंद।
- उज्जयिनीर रास्ता ( १९९६ ) श्रीकांत वर्मा।
- बोबादेर पल्लीते ( १९८९ ) जगदीश चतुर्वेदी।
- खुबसुरत ( १९९२ ) ख्वाजा अहमद अब्बास
- गोमुख यात्रा ( १९९२ ) शीला वर्मा।
- मोहन राकेश ( १९९३ ) प्रतिभा अग्रवाल।
- हिन्दी कहानी संग्रह: सम्पादक भीष्म साहनी ( १९९९ )
- आमार तोमार तार कथा ( २००१ ) यशपाल। (अनुवाद के लिये साहित्य अकादेमि पुरस्कृत )
- यात्रिक ( २००२) नील पद्मनाभन रचित पल्लीकोन्डपुरम।
सुबिमल बसाक के दिये हुये साक्षातकार
- सुमिताभ घोषाल--- गद्यपद्य संवाद लघु पत्रिका।
- चीरंजीव शुर--- आलोचनच्क्र लघु पत्रिका।
- मलय रायचौधुरी--- अन्यभूमि लघु पत्रिका।
- जाहिद महमुद हसन--- कविता मंच ( ढाका )
- रिंकु शर्मा--- मिलन (मेघालय )
सन्दर्भ
- अन्यकथा विशेष सुबिमल बसाक संख्या। कल्लोल साधदेव सम्पादित। ( सप्तम संख्या बंग्ला साल १४१० )
- चिटेफोंटा विशेष सुबिमल बसाक संख्या। चीरंजीव शुर, राहुल पुरकायस्थ एवम सजल रंजन आचार्जा सम्पादित। ( २०१० )
इन्हॅ भी देखें
- शक्ति चट्टोपाध्याय
- समीर रायचौधुरी
- बासुदेब दाशगुप्ता
- फालगुनि राय
- मलय रायचौधुरी
- देबी राय
- उतपलकुमार बसु
- अनिल करनजय
- त्रिदिब मित्रा
- भुखी पीढी ( हंगरी जेनरेशन )
बाह्यसूत्र
सुबिमल बसाक से संबंधित मीडिया विकिमीडिया कॉमंस पर उपलब्ध है। |