"यालू नदी": अवतरणों में अंतर

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'''यालू नदी''' या '''अमनोक नदी''' ([[कोरियाई भाषा|कोरियाई]]: 압록강) [[उत्तर कोरिया]] और [[चीन]] की अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर स्थित एक नदी है। "यालू" नाम मान्छु भाषा से लिया गया है जिसमें इसका अर्थ "सरहद" होता है। यह दरिया २,५०० मीटर ऊँचे चंगबाई पहाड़ से उत्पन्न होता है और फिर कुछ मरोड़ों के साथ दक्षिण-पश्चिम की तरफ़ बहता हुआ कोरिया की खाड़ी में जा मिलता है। इसकी लम्बाई ७९० किमी है और इसे ३०,००० वर्ग किमी के [[जलसम्भर]] क्षेत्र से पानी मिलता है। इसपर नावी यातायात कठिन है क्योंकि बहुत से स्थानों पर इसकी गहराई काफी कम है।
'''यालू नदी''' ([[चीनी भाषा|चीनी]]: 鸭绿江) या '''अमनोक नदी''' ([[कोरियाई भाषा|कोरियाई]]: 압록강) [[उत्तर कोरिया]] और [[चीन]] की अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर स्थित एक नदी है। "यालू" नाम मान्छु भाषा से लिया गया है जिसमें इसका अर्थ "सरहद" होता है। यह दरिया २,५०० मीटर ऊँचे चंगबाई पहाड़ से उत्पन्न होता है और फिर कुछ मरोड़ों के साथ दक्षिण-पश्चिम की तरफ़ बहता हुआ कोरिया की खाड़ी में जा मिलता है। इसकी लम्बाई ७९० किमी है और इसे ३०,००० वर्ग किमी के [[जलसम्भर]] क्षेत्र से पानी मिलता है। इसपर नावी यातायात कठिन है क्योंकि बहुत से स्थानों पर इसकी गहराई काफी कम है।


==इतिहास==
==इतिहास==

06:03, 14 अगस्त 2011 का अवतरण

यालू नदी का नक़्शा

यालू नदी (चीनी: 鸭绿江) या अमनोक नदी (कोरियाई: 압록강) उत्तर कोरिया और चीन की अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर स्थित एक नदी है। "यालू" नाम मान्छु भाषा से लिया गया है जिसमें इसका अर्थ "सरहद" होता है। यह दरिया २,५०० मीटर ऊँचे चंगबाई पहाड़ से उत्पन्न होता है और फिर कुछ मरोड़ों के साथ दक्षिण-पश्चिम की तरफ़ बहता हुआ कोरिया की खाड़ी में जा मिलता है। इसकी लम्बाई ७९० किमी है और इसे ३०,००० वर्ग किमी के जलसम्भर क्षेत्र से पानी मिलता है। इसपर नावी यातायात कठिन है क्योंकि बहुत से स्थानों पर इसकी गहराई काफी कम है।

इतिहास

यालू नदी ऐतिहासिक महत्ता रखती है क्योंकि इसी के किनारे कोरिया का प्राचीन गोगुरयेओ राज्य उभरा था। इसी गोगुरयेओ राज्य का नाम आगे बदलकर गोरेयो बना, जिस से कोरिया का नाम "कोरिया" पड़ा। बहुत से पुराने क़िले इस दरिया के किनारे पर खड़े हुए हैं। यालू नदी का युद्धों में भी महत्त्व रहा है। १८९४-९५ के चीनी-जापानी युद्ध और १९०४ के रूसी-जापानी युद्ध में यालू पर भारी जंग हुई थी। अमेरिका के कोरियाई युद्ध की भी शुरुआत चीनी सेना ने १९५० में यालू को पार कर के की थी। १९९० के दशक से बहुत से उत्तर कोरियाई शरणार्थी यालू पार कर के चीन में घुसने लगे हैं।

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