"पुदीना": अवतरणों में अंतर

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पुदीने के पत्ते

पुदीना मेंथा वंश से संबंधित एक बारहमासी, खुशबूदार जड़ी है। इसकी विभिन्न प्रजातियां यूरोप, अमेरिका, एशिया, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया मे पाइ जाती हैं, साथ ही इसकी कई संकर किस्में भी उपलब्ध हैं।

अंग्रेजी- मिन्ट (जापानीज मिन्ट)

वैज्ञानिक नामः मेंथा अरवैन्सिस

उपयोगी भागः पत्तियाँ'

उद्भव एवं भौगोलिक वितरण

ऐसा विश्वास किया जाता है कि मेंथा का उद्भव भूमध्यसागरीय बेसिन में हुआ तथा वहॉ से ये प्राकृतिक तथा अन्य तरीकों से संसार के अन्य हिस्सों में फैला, जापानी पोदीना, ब्राजील, पैरागुए, चीन, अर्जेन्टिना, जापान, थाईलैंड, अंगोला, तथा भारतवर्ष में उगाया जा रहा है। भारतवर्ष में मुख्यतया तराई के क्षेत्रों (नैनीताल, बदायूँ, बिलासपुर, रामपुर, मुरादाबाद तथा बरेली) तथा गंगा यमुना दोआन (बाराबंकी, तथा लखनऊ तथा पंजाब के कुछ क्षेत्रों (लुधियाना तथा जलंधर) में उत्तरी-पश्चिमी भारत के क्षेत्रों में इसकी खेती की जा रही है।

उपयोग

  • मेन्थोल का उपयोग बड़ी मात्रा में दवाईयों, सौदर्य प्रसाधनों, कालफेक्शनरी, पेय पदार्थो, सिगरेट, पान मसाला आदि में खुशबू हेतु किया जाता है।
  • इसके अलावा इसका तेल यूकेलिप्टस के तेल के साथ कई रोगों में काम आता है। ये कभी-कभी गैस दूर करने के लिए, दर्द निवारण हेतु, तथा गठिया आदि में भी उपयोग किया जाता है।

रासायनिक संघटन

जापानी मिन्ट, मैन्थोल का प्राथमिक स्त्रोत है। ताजी पत्ती में 0.4-0.6% तेल होता है। तेल का मुख्य घटक मेन्थोल (65-75%), मेन्थोन (7-10%) तथा मेन्थाइल एसीटेट (12-15%) तथा टरपीन (पिपीन, लिकोनीन तथा कम्फीन) है। तेल का मेन्थोल प्रतिशत, वातावरण के प्रकार पर भी निर्भर करता है। सामान्यतः यह गर्म क्षेत्रों में अधिक होता है।

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

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