"पद्मनाभस्वामी मंदिर": अवतरणों में अंतर
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मंदिर का [[गोपुरम]] द्रविड़ शैली में बना हुआ है। पद्मनाभ स्वामी मंदिर दक्षिण भारतीय [[वास्तुकला]] का अदभुत उदाहरण है। मंदिर का परिसर बहुत विशाल है जो कि सात मंजिला ऊंचा है गोपुरम को कलाकृतियों से सुसज्जित किया गया है. मंदिर के पास ही [[सरोवर]] भी है जो 'पद्मतीर्थ कुलम' के नाम से जाना जाता है। |
मंदिर का [[गोपुरम]] द्रविड़ शैली में बना हुआ है। पद्मनाभ स्वामी मंदिर दक्षिण भारतीय [[वास्तुकला]] का अदभुत उदाहरण है। मंदिर का परिसर बहुत विशाल है जो कि सात मंजिला ऊंचा है गोपुरम को कलाकृतियों से सुसज्जित किया गया है. मंदिर के पास ही [[सरोवर]] भी है जो 'पद्मतीर्थ कुलम' के नाम से जाना जाता है। |
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11:08, 6 जुलाई 2011 का अवतरण
श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर ശ്രീ പദ്മനാഭസ്വാമി ക്ഷേത്രം | |
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धर्म संबंधी जानकारी | |
सम्बद्धता | हिन्दू धर्म |
अवस्थिति जानकारी | |
अवस्थिति | तिरुवनंतपुरम |
राज्य | केरल |
देश | भारत |
वास्तु विवरण | |
प्रकार | द्रविड़ स्थापत्यकला (कोविल) |
पद्मनाभस्वामी मंदिर केरल के तिरुअनन्तपुरम में स्थित भगवान विष्णु का प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है। यह मंदिर तिरुअनंतपुरम के कई पर्यटन स्थल में से भी एक में गिना जाता है। पद्मनाभ स्वामी मंदिर विष्णु के भक्तों का महत्वपूर्ण स्थान रहा है. तिरुअनंतपुरम का पद्मनाभ स्वामी मंदिर भारत के प्रमुख वैष्णव मंदिरों में से एक है तथा तिरुवनंतपुरम का ऐतिहासिक स्थल भी है. मंदिर की दशा में कई सुधार कार्य किए गए थे तथा 1733 ई. में इस मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया जो त्रावनकोर के महाराजा मार्तड वर्मा ने द्वारा संपन्न हो सका.
पद्मनाभ स्वामी मंदिर के साथ एक पौराणिक इतिहास जुडा हुआ है। मान्यता है कि इस स्थान से विष्णु भगवान जी की प्रतिमा प्राप्त हुई थी और बाद में इसी स्थान पर इस मंदिर का निर्माण किया गया है.
मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु जी की विशाल मूर्ति विराजमान है जिसे देखने के लिए हजारों भक्त दूर दूर से यहाँ आते हैं। इस प्रतिमा में भगवान विष्णु शेषनाग पर शयन मुद्रा में विराजमान हैं. मान्यता है कि तिरुअनंतपुरम नाम भगवान के 'अनंत' नामक नाग के नाम पर ही रखा गया है। यहाँ पर भगवान विष्णु की विश्राम अवस्था को 'पद्मानाभ' कहा जाता है और इस रूप में विराजित भगवान यहाँ पर पद्मनाभ स्वामी के नाम से विख्यात हैं।
तिरुअनंतपुरम का पद्मनाभ स्वामी मंदिर केरल के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। केरल संस्कृति एवं साहित्य का अनुठा संगम है. इसके एक तरफ तो खूबसूरत समुद्र तट हैं और दूसरी ओर पश्चिमी घाट में पहाडि़यों का अद्भुत नैसर्गिक सौंदर्य इन सभी अमूल्य निधियों के मध्य में स्थित है इन्हीं सभी के मध्य में में स्थित है पद्मनाभ स्वामी मंदिर।
मंदिर की खूबसूरती को देखकर सभी के मन में भक्ति भाव का संचार स्वत: ही जागृत हो जाता है. पद्मनाभ स्वामी मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है. विष्णु भगवान के इस रूप के दर्शनों को करने के लिए विश्व भर से लोग यहाँ पहुँचते हैं. केरल की राजधानी तिरुअनंतपुरम में स्थित यह मंदिर बहुत ही कुशल वास्तु शिल्प कारीगरी के द्वारा बनाया गया है. इसका स्थापत्य देखते ही बनता है मंदिर के निर्माण में महीन कारीगरी का भी कमाल देखने योग्य है.
महत्व
मंदिर का महत्व यहाँ की पवित्रता से बढ जाता है। मंदिर में धूप-दीप एवं शंखनाद होता रहता है। मंदिर का समस्त वातावरण मनमोहक एवं सुगंधित रहता है। मंदिर में एक स्वर्णस्तंभ भी बना हुआ है जो मंदिर के सौदर्य में इजाफा करता है। मंदिर के गलियारे में अनेकों स्तंभ बनाए गए हैं जिन पर सुंदर नक़्क़ाशी की गई है जो इसकी भव्यता में चार चाँद लगा देते हैं।
मन्दिर के दर्शन के लिए विशेष परिधान को धारण करना होता है जिसमें मंदिर में प्रवेश के लिए पुरुषों को धोती तथा स्त्रियों को साड़ी पहन कर ही प्रवेश करना होता है। इस मन्दिर में हिन्दुओं को ही प्रवेश मिलता है। मंदिर में हर वर्ष ही दो महत्वपूर्ण उत्सवों का आयोजन किया जाता है जिनमें से एक मार्च एवं अप्रैल माह में ओर दूसरा अक्टूबर एवं नवंबर के महीने मनाया जाता है। मंदिर के वार्षिकोत्सवों मे लाखों की संख्या में श्रद्धालु भाग लेने के लिए आते हैं तथा प्रभु से सुख-शांति की कामना करते हैं।
मंदिर का स्थापत्य
पद्मनाभ स्वामी मंदिर का निर्माण राजा मार्तण्ड द्वारा करवाया गया था. इस मंदिर के पुनर्निर्माण में अनेक महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखा गया है. सर्वप्रथम इसकी भव्यता को आधार बनाया गया मंदिर को विशाल रूप में निर्मित किया गया जिसमें उसका शिल्प सौंदर्य सभी को प्रभावित करता है. मंदिर के निर्माण में द्रविड़ एवं केरल शैली का मिला जुला प्रयोग देखा जा सकता है.
मंदिर का गोपुरम द्रविड़ शैली में बना हुआ है। पद्मनाभ स्वामी मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला का अदभुत उदाहरण है। मंदिर का परिसर बहुत विशाल है जो कि सात मंजिला ऊंचा है गोपुरम को कलाकृतियों से सुसज्जित किया गया है. मंदिर के पास ही सरोवर भी है जो 'पद्मतीर्थ कुलम' के नाम से जाना जाता है।