"महादानव तारा": अवतरणों में अंतर

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महादानव तारों का द्रव्यमान १०-७० [[सौर द्रव्यमान|M<sub>☉</sub>]] (यानि हमारे [[सूरज के द्रव्यमान]] का १० से ७० गुना) और उनका अर्धव्यास ३०-५०० [[सौर अर्धव्यास|R<sub>☉</sub>]] (यानि [[सूरज के अर्धव्यास]] का ३० से ५०० गुना) होता है। कुछ महादानावों का अर्धव्यास सूरज से हज़ार गुना ज़्यादा भी होता है। महादानवों की [[चमक]] ([[निरपेक्ष कान्तिमान]]) [[सूरज की चमक]] से ३०,००० से लाखों गुना ज़्यादा होती है। महादानव तारे हर वर्णक्रम श्रेणी में मिलते हैं - इसमें [[शिकारी तारामंडल]] में स्थित 'O' श्रेणी का [[नीला महादानव तारा|नीला महादानव]] राइजॅल भी शामिल है और 'M' श्रेणी का [[लाल महादानव तारा|लाल महादानव]] आद्रा (बीटलजूस) भी।
महादानव तारों का द्रव्यमान १०-७० [[सौर द्रव्यमान|M<sub>☉</sub>]] (यानि हमारे [[सूरज के द्रव्यमान]] का १० से ७० गुना) और उनका अर्धव्यास ३०-५०० [[सौर अर्धव्यास|R<sub>☉</sub>]] (यानि [[सूरज के अर्धव्यास]] का ३० से ५०० गुना) होता है। कुछ महादानावों का अर्धव्यास सूरज से हज़ार गुना ज़्यादा भी होता है। महादानवों की [[चमक]] ([[निरपेक्ष कान्तिमान]]) [[सूरज की चमक]] से ३०,००० से लाखों गुना ज़्यादा होती है। महादानव तारे हर वर्णक्रम श्रेणी में मिलते हैं - इसमें [[शिकारी तारामंडल]] में स्थित 'O' श्रेणी का [[नीला महादानव तारा|नीला महादानव]] [[राजन्य तारा|राजन्य]] (राइजॅल) भी शामिल है और 'M' श्रेणी का [[लाल महादानव तारा|लाल महादानव]] आद्रा (बीटलजूस) भी।


महादानावों का [[निरपेक्ष कांतिमान]] (चमक) -५ से -१२ [[खगोलीय मैग्निट्यूड|मैग्निट्यूड]] के क्षेत्र में होता है (याद रहे के खगोलीय मैग्निट्यूड की संख्या जितनी कम होती है तारा उतना ही ज़्यादा रोशन होता है)। बहुत अधिक द्रव्यमान होने के कारण इन तारों में गुरुत्वाकर्षण का दबाव भयंकर होता है और [[नाभिकीय संलयन]] (न्यूक्लीयर फ्यूज़न) बहुत तेज़ी से चलता है, जिस से इनका [[हाइड्रोजन]] इंधन [[बौने तारों]] के मुक़ाबले में बहुत जल्द खप जाता है। जहाँ हमारे सूरज (जो एक [[मुख्य अनुक्रम]] का बौना तारा है) को १० [[अरब (संख्या)|अरब]] साल की आयु मिली है वहाँ महादानव तारे कुछ लाख साल ही जीते हैं।<ref>{{cite web | last = Richmond | first = Michael | url = http://spiff.rit.edu/classes/phys230/lectures/star_age/star_age.html | title = Stellar evolution on the main sequence | accessdate = 2006-08-24 }}</ref>
महादानावों का [[निरपेक्ष कांतिमान]] (चमक) -५ से -१२ [[खगोलीय मैग्निट्यूड|मैग्निट्यूड]] के क्षेत्र में होता है (याद रहे के खगोलीय मैग्निट्यूड की संख्या जितनी कम होती है तारा उतना ही ज़्यादा रोशन होता है)। बहुत अधिक द्रव्यमान होने के कारण इन तारों में गुरुत्वाकर्षण का दबाव भयंकर होता है और [[नाभिकीय संलयन]] (न्यूक्लीयर फ्यूज़न) बहुत तेज़ी से चलता है, जिस से इनका [[हाइड्रोजन]] इंधन [[बौने तारों]] के मुक़ाबले में बहुत जल्द खप जाता है। जहाँ हमारे सूरज (जो एक [[मुख्य अनुक्रम]] का बौना तारा है) को १० [[अरब (संख्या)|अरब]] साल की आयु मिली है वहाँ महादानव तारे कुछ लाख साल ही जीते हैं।<ref>{{cite web | last = Richmond | first = Michael | url = http://spiff.rit.edu/classes/phys230/lectures/star_age/star_age.html | title = Stellar evolution on the main sequence | accessdate = 2006-08-24 }}</ref>

06:51, 29 जून 2011 का अवतरण

लाल महादानव तारे मू सिफ़ई के आगे सूरज नन्हा लगता है - मू सिफ़ई का अर्धव्यास (रेडियस) सूरज का १,६५० गुना है
तारों की श्रेणियाँ दिखने वाला हर्ट्ज़स्प्रुंग-रसल चित्र

महादानव तारा एक अत्याधिक द्रव्यमान (मास) और चमक वाला तारा होता है। यर्कीज़ वर्णक्रम श्रेणीकरण में इसकी चमक की श्रेणी "Ia" (बहुत चमकीले महादानव) और "Ib" (कम चमकीले महादानव) है। इनसे बड़े तारे ब्रह्माण्ड में मुट्ठी-भर ही हैं और वे परमदानव तारे कहलाते हैं।

अन्य भाषाओँ में

"महादानव तारे" को अंग्रेज़ी में "सुपरजाएंट स्टार" (supergiant star) कहा जाता है।

लक्षण

महादानव तारों का द्रव्यमान १०-७० M (यानि हमारे सूरज के द्रव्यमान का १० से ७० गुना) और उनका अर्धव्यास ३०-५०० R (यानि सूरज के अर्धव्यास का ३० से ५०० गुना) होता है। कुछ महादानावों का अर्धव्यास सूरज से हज़ार गुना ज़्यादा भी होता है। महादानवों की चमक (निरपेक्ष कान्तिमान) सूरज की चमक से ३०,००० से लाखों गुना ज़्यादा होती है। महादानव तारे हर वर्णक्रम श्रेणी में मिलते हैं - इसमें शिकारी तारामंडल में स्थित 'O' श्रेणी का नीला महादानव राजन्य (राइजॅल) भी शामिल है और 'M' श्रेणी का लाल महादानव आद्रा (बीटलजूस) भी।

महादानावों का निरपेक्ष कांतिमान (चमक) -५ से -१२ मैग्निट्यूड के क्षेत्र में होता है (याद रहे के खगोलीय मैग्निट्यूड की संख्या जितनी कम होती है तारा उतना ही ज़्यादा रोशन होता है)। बहुत अधिक द्रव्यमान होने के कारण इन तारों में गुरुत्वाकर्षण का दबाव भयंकर होता है और नाभिकीय संलयन (न्यूक्लीयर फ्यूज़न) बहुत तेज़ी से चलता है, जिस से इनका हाइड्रोजन इंधन बौने तारों के मुक़ाबले में बहुत जल्द खप जाता है। जहाँ हमारे सूरज (जो एक मुख्य अनुक्रम का बौना तारा है) को १० अरब साल की आयु मिली है वहाँ महादानव तारे कुछ लाख साल ही जीते हैं।[1]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. Richmond, Michael. "Stellar evolution on the main sequence". अभिगमन तिथि 2006-08-24.