"हावरक्राफ्ट": अवतरणों में अंतर

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यह एक प्रकार का विमान है जो ज़मीन और पानी दोनों पर चल सकता है। इस में एक बड़े पंखे से हवा की एक गद्दी तैयार की जाती है जिस पर यह हावरक्राफ्ट तैरता है।
यह एक प्रकार का विमान है जो ज़मीन और पानी दोनों पर चल सकता है। इस में एक बड़े पंखे से हवा की एक गद्दी तैयार की जाती है जिस पर यह हावरक्राफ्ट तैरता है।


'''होवरक्राफ्ट''' हवाई गद्दों वाला एक ऐसा वाहन है , जो जल और जमीन के साथ-साथ बर्फीली सतह पर भी आसानी से दौड़ सकता है | वर्ष १९५२ में ब्रिटिश इंजिनियर सर क्रिस्टोफर कोकरेल ने एक वेक्यूम क्लीनर की मोटर व दो छोटे-छोटे बेलनाकार डिब्बों के साथ एक प्रयोग करते हुए पहली बार यह साबित कर दिया की हवाई कुशन से युक्त किसी वाहन से किसी इंजिन के जरिए हवा कों तेजी से पीछें फेंका जाए तो इससे उपजा दबाव वाहन कों जल या थल में भी आगे दौड़ा सकता है | इसी सिद्धांत पर आगे चलाकर ब्रिटिश विमान निर्माता सॉन्डर्स रोए ने पहला व्यवहारिक''' होवरक्राफ्ट''' बनाया , जो इंसान कों ले जाने में सक्षम था | इसे एसआर-एन वन नाम दिया गया | पहले इसे सैन्य इस्तेमाल के लिहाज से ही बनाया गया था , लेकिन बाद में इसका आम नागरिकों के लिए भी इस्तेमाल किया जाने लगा |
'''होवरक्राफ्ट''' हवाई गद्दों वाला एक ऐसा वाहन है , जो जल और जमीन के साथ-साथ बर्फीली सतह पर भी आसानी से दौड़ सकता है | वर्ष १९५२ में ब्रिटिश इंजिनियर सर क्रिस्टोफर कोकरेल ने एक वेक्यूम क्लीनर की मोटर व दो छोटे-छोटे बेलनाकार डिब्बों के साथ एक प्रयोग करते हुए पहली बार यह साबित कर दिया की हवाई कुशन से युक्त किसी वाहन से किसी इंजिन के जरिए हवा कों तेजी से पीछें फेंका जाए तो इससे उपजा दबाव वाहन कों जल या थल में भी आगे दौड़ा सकता है | इसी सिद्धांत पर आगे चलाकर ब्रिटिश विमान निर्माता सॉन्डर्स रोए ने पहला व्यवहारिक''' होवरक्राफ्ट''' बनाया , जो इंसान कों ले जाने में सक्षम था | इसे एसआर-एन वन नाम दिया गया | पहले इसे सैन्य इस्तेमाल के लिहाज से ही बनाया गया था , लेकिन बाद में इसका आम नागरिकों के लिए भी इस्तेमाल किया जाने लगा |वर्ष १९५९ से १९६१ तक इस होवरक्राफ्ट कों इंग्लिश चैनल पार करने समेत कई तरह के परीक्षणों से गुजारा गया | इसमें एक इंजिन लगा था और यह दो आदमियों कों ले जाने में सक्षम था | हालांकि पहला विशुद्ध पैसेंजर होवरक्राफ्ट विकर्स विए - ३ था , जिसमें दो टर्बोप्रोप इंजन लगे थे और प्रोपेलर्स के सहारे चलता था |

10:51, 30 मई 2011 का अवतरण

यह एक प्रकार का विमान है जो ज़मीन और पानी दोनों पर चल सकता है। इस में एक बड़े पंखे से हवा की एक गद्दी तैयार की जाती है जिस पर यह हावरक्राफ्ट तैरता है।

होवरक्राफ्ट हवाई गद्दों वाला एक ऐसा वाहन है , जो जल और जमीन के साथ-साथ बर्फीली सतह पर भी आसानी से दौड़ सकता है | वर्ष १९५२ में ब्रिटिश इंजिनियर सर क्रिस्टोफर कोकरेल ने एक वेक्यूम क्लीनर की मोटर व दो छोटे-छोटे बेलनाकार डिब्बों के साथ एक प्रयोग करते हुए पहली बार यह साबित कर दिया की हवाई कुशन से युक्त किसी वाहन से किसी इंजिन के जरिए हवा कों तेजी से पीछें फेंका जाए तो इससे उपजा दबाव वाहन कों जल या थल में भी आगे दौड़ा सकता है | इसी सिद्धांत पर आगे चलाकर ब्रिटिश विमान निर्माता सॉन्डर्स रोए ने पहला व्यवहारिक होवरक्राफ्ट बनाया , जो इंसान कों ले जाने में सक्षम था | इसे एसआर-एन वन नाम दिया गया | पहले इसे सैन्य इस्तेमाल के लिहाज से ही बनाया गया था , लेकिन बाद में इसका आम नागरिकों के लिए भी इस्तेमाल किया जाने लगा |वर्ष १९५९ से १९६१ तक इस होवरक्राफ्ट कों इंग्लिश चैनल पार करने समेत कई तरह के परीक्षणों से गुजारा गया | इसमें एक इंजिन लगा था और यह दो आदमियों कों ले जाने में सक्षम था | हालांकि पहला विशुद्ध पैसेंजर होवरक्राफ्ट विकर्स विए - ३ था , जिसमें दो टर्बोप्रोप इंजन लगे थे और प्रोपेलर्स के सहारे चलता था |