"निरपेक्ष कांतिमान": अवतरणों में अंतर

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02:18, 30 मई 2011 का अवतरण

मूल चमक या मूल चमकीलापन किसी खगोलीय वस्तु के अपने चमकीलेपन को कहते हैं। मिसाल के लिए अगर किसी तारे के मूल चमकीलेपन की बात हो रही हो तो यह देखा जाता है के यदि देखने वाला उस तारे के ठीक १० पारसैक की दूरी पर होता तो वह कितना चमकीला लगता। इस तरह से "मूल चमक" और "प्रत्यक्ष चमक" में गहरा अंतर है। अगर कोई तारा सूरज से बीस गुना ज़्यादा मूल चमक रखता हो लेकिन सूरज से हज़ार गुना दूर हो तो पृथ्वी पर बैठे किसी दर्शक के लिए सूरज की प्रत्यक्ष चमक अधिक होगी, हालांकि दुसरे तारे की मूल चमक सूरज से अधिक है।

मूल चमक और प्रत्यक्ष चमक दोनों को मापने की इकाई "मैग्निट्यूड" (magnitude) कहलाती है।

अन्य भाषाओँ में

अंग्रेज़ी में "मूल चमक" को "एब्सोल्यूट मैग्निट्यूड" (absolute magnitude) और "प्रत्यक्ष चमक" को "रॅलॅटिव मैग्निट्यूड" (relative magnitude) कहते हैं।

इन्हें भी देखें