"ब्रह्माण्ड किरण": अवतरणों में अंतर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
No edit summary
छोNo edit summary
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
'''ब्रह्माण्ड किरणें''' ( cosmic ray ) अत्यधिक [[उर्जा]] वाले [[कण]] हैं जो बाहरी [[अंतरिक्ष]] में पैदा होते हैं और छिटक कर [[पृथ्वी]] पर आ जाते हैं। लगभग ९०% ब्रह्माण्ड किरण (कण) [[प्रोटॉन]] होते हैं; लगभग १०% [[हिलियम]] के [[नाभिक]] होते हैं; तथा १% से कम ही भारी तत्व तथा [[इलेक्ट्रॉन]] (बीटा मिनस कण) होते हैं। वस्तुत: इनको "किरण" कहना ठीक नहीं है क्योंकि धरती पर पहुँचने वाले ब्रह्माण्डीय कण अकेले होते हैं न कि किसी पुंज या किरण के रूप में।
'''ब्रह्माण्ड किरणें''' ( cosmic ray ) अत्यधिक [[उर्जा]] वाले [[कण]] हैं जो बाहरी [[अंतरिक्ष]] में पैदा होते हैं और छिटक कर [[पृथ्वी]] पर आ जाते हैं। लगभग ९०% ब्रह्माण्ड किरण (कण) [[प्रोटॉन]] होते हैं; लगभग १०% [[हिलियम]] के [[नाभिक]] होते हैं; तथा १% से कम ही भारी तत्व तथा [[इलेक्ट्रॉन]] (बीटा मिनस कण) होते हैं। वस्तुत: इनको "किरण" कहना ठीक नहीं है क्योंकि धरती पर पहुँचने वाले ब्रह्माण्डीय कण अकेले होते हैं न कि किसी पुंज या किरण के रूप में।



[[चित्र:Cosmic ray flux versus particle energy.svg|ब्रह्माण्डीय किरण का उर्जा-स्पेक्ट्रम]]
[[चित्र:Cosmic ray flux versus particle energy.svg|ब्रह्माण्डीय किरण का उर्जा-स्पेक्ट्रम]]
पंक्ति 15: पंक्ति 14:



== बाहरी कड़ियाँ ==
== बाहरी कड़ियाँ ==
{{Commonscat|Cosmic rays}}
{{Commonscat|Cosmic rays}}
* [http://www.electroniki.com/html_files/article-4.htm क्या है ब्रह्माण्ड किरणें?] - डॉ. विजय कुमार उपाध्याय
* [http://www.electroniki.com/html_files/article-4.htm क्या है ब्रह्माण्ड किरणें?] - डॉ. विजय कुमार उपाध्याय
* [http://www.ASPERA-EU.org Aspera European network portal]
* [http://www.ASPERA-EU.org Aspera European network portal]
* [http://pdg.lbl.gov/2008/reviews/cosmicrayrpp.pdf Particle Data Group review of Cosmic Rays] by C. Amsler et al., Physics Letters B667, 1 (2008).
* [http://pdg.lbl.gov/2008/reviews/cosmicrayrpp.pdf Particle Data Group review of Cosmic Rays] by C. Amsler et al., Physics Letters B667, 1 (2008).
पंक्ति 38: पंक्ति 36:


[[श्रेणी:विकिरण]]
[[श्रेणी:विकिरण]]
[[श्रेणी:उत्तम लेख]]


[[af:Kosmiese bestraling]]
[[af:Kosmiese bestraling]]

10:50, 28 मई 2011 का अवतरण

ब्रह्माण्ड किरणें ( cosmic ray ) अत्यधिक उर्जा वाले कण हैं जो बाहरी अंतरिक्ष में पैदा होते हैं और छिटक कर पृथ्वी पर आ जाते हैं। लगभग ९०% ब्रह्माण्ड किरण (कण) प्रोटॉन होते हैं; लगभग १०% हिलियम के नाभिक होते हैं; तथा १% से कम ही भारी तत्व तथा इलेक्ट्रॉन (बीटा मिनस कण) होते हैं। वस्तुत: इनको "किरण" कहना ठीक नहीं है क्योंकि धरती पर पहुँचने वाले ब्रह्माण्डीय कण अकेले होते हैं न कि किसी पुंज या किरण के रूप में।

ब्रह्माण्डीय किरण का उर्जा-स्पेक्ट्रम

ब्रह्माण्ड किरण की खोज ऑस्ट्रीयन-अमेरिकन भौतिकविद विक्टर हेस ने सन १९१२ में की थी। इस खोज के लिये उन्हे १९३६ में भौतिकी का नोबेल पुरष्कार दिया गया।

ब्रह्माण्ड किरणे कई तरह की होती है। सौर ब्रह्माण्ड किरण ( solar cosmic ray ) सूर्य से निकलती है। इसकी ऊर्जा ( १० से १०१० eV ) अन्य सभी ब्रह्माण्ड किरणो से कम होती है। सौर ज्वाला व सूर्य में होने वाले विस्फोट के फलस्वरुप इसकी उत्पत्ती होती है। दूसरे प्रकार की ब्रह्माण्ड किरण , गांगेय ब्रह्माण्ड किरण ( galactic cosmic ray ) है। इसकी ऊर्जा ( १०१० से १०१५ eV ) सौर ब्रह्माण्ड किरणो से अधिक होती है। खगोलविद समझते है कि इसकी उत्पत्ती सुपरनोवा विस्फोट , श्याम विवर और न्यूट्रॉन तारे से होती है जो हमारी ही आकाशगंगा में मौजुद है। परागांगेय ब्रह्माण्ड किरण ( extragalactic cosmic ray ) तीसरे प्रकार की ब्रह्माण्ड किरण है। वैज्ञानिको की धारणा है कि इनका स्त्रोत हमारी आकाशगंगा के बाहर है। वैज्ञानिक इस बारे में निश्चित नही है। इस किरण की ऊर्जा ( १०१८ eV ) गांगेय ब्रह्माण्ड किरणो से ज्यादा होती है। इसकी उत्पत्ती क्वासर और सक्रिय आकाशगंगाओ के केन्द्र से होती है।

ब्रह्माण्ड किरणे जब पृथ्वी के वायुमंडल से टकराती है तो वो गैसो के अणुऑ और परमाणुऑ को तोड़् देती है। इस प्रकार यह एक नये ब्रह्माण्ड किरण कण ( पॉयन, म्यूऑन ) का निर्माण करती है। यह नया कण अन्य नये ब्रह्माण्ड किरण कणो ( इलेक्ट्रॉन, पॉजीट्रॉन, न्यूट्रीनो ) को बनाती है और इस तरह ब्रह्माण्ड किरणे चारो ओर फैलती जाती है। निरंतर् नये ब्रह्माण्ड किरण कण बनाने की प्रक्रीया में इनकी ऊर्जा घटती जाती है। वायुमंडल में ब्रह्माण्ड किरणो और गैसो के बीच अनेको बार टक्करे होती रहती है और अंत में लाखो की संख्या में द्वितियक ब्रह्माण्ड किरणो का निर्माण होता है, जिसे " cosmic-ray shower या air shower " कहते है।

ब्रह्माण्ड किरणे एक प्रकार का विकिरण है, जो जीवो और मशीनो को नुक्सान पहुंचा सकते है। हम भाग्यशाली है कि पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र और वायुमंडल इन विकिरणो से हमारी रक्षा करती है अन्यथा मनुष्य को प्रत्येक वर्ष औसत २.३ millisievert विकिरणो का सामना करना पड़्ता। millisievert विकिरण मापने की एक इकाई है और इसे mSv से प्रदर्शित किया जाता है। चुंबकीय क्षेत्र और वायुमंडल के कारण केवल ०.२ mSv विकिरण पृथ्वी तक पहुंच पाती है जो आने वाली विकिरण की कुल मात्रा से बहुत कम मात्र १० प्रतिशत होती है। अंतरिक्ष यात्रीयों को अधिक मात्रा में, लगभग ९०० mSv विकिरणो का सामना करना पड़्ता है जब वे पृथ्वी से दूर ( चंद्रमा या मंगल ग्रह की ओर ) यात्रा करते है, जहॉ इन विकिरणो से रक्षा करने पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र या अन्य कोई स्त्रोत मौजुद नहीं होता है। ब्रह्माण्ड किरणे हमारे डी एन ए को बहुत नुक्सान पहुंचाते है जिससे केंसर होता है। वैज्ञानिक इस बारे में चिंतित है कि अंतरिक्ष यात्रीयों को मंगल मिशन में भेजने से पहले इन विकिरणो से कैसे बचाएंगे।

पृथ्वी पर सदा समान मात्रा में ब्रह्माण्ड किरणे नहीं आती है। जब सूर्य अधिक सक्रिय होता है तब पृथ्वी की ओर आने वाली इन ब्रह्माण्ड किरणो की मात्रा कम हो जाती है। सूर्य हर ११ वें साल में अधिक सक्रिय होता है। इस समय अधिक सौर ज्वाला उत्पन्न होती है और उसके वातावरण में कई बवंडर उठते है फलस्वरुप अधिक मात्रा में ब्रह्माण्ड किरणे उत्पन्न होती है। फिर भी पृथ्वी पर पहुंचने वाली विकिरण की मात्रा कम हो जाती है क्योंकि जब सूर्य सक्रिय होता है तो उसका चुंबकीय क्षेत्र या हीलीयोस्फेयर ( hiliosphere ) अधिक सक्रिय हो जाता है जो सौरमंडल में आने वाली गांगेय तथा परागांगेय विकिरणो को रोक देता है, जिसकी ऊर्जा सौर विकिरणो की अपेक्षा कहीं अधिक होती है। सूर्य के सक्रिय अवस्था में अंतरिक्ष यात्रा करना अपेक्षाकृत ज्यादा सुरक्षित है।


बाहरी कड़ियाँ