"वंश समूह": अवतरणों में अंतर
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06:24, 17 अप्रैल 2011 का अवतरण
आण्विक क्रम-विकास के अध्ययन में वंश समूह या हैपलोग्रुप ऐसे जीन के समूह को कहतें हैं जिनसे यह ज्ञात होता है के उस समूह को धारण करने वाले सभी प्राणियों का एक ही पूर्वज था।
पितृवंश समूह और मातृवंश समूह
हर मनुष्य में जीनों का डी॰एन॰ए॰ गुण सूत्रों में होता है और माता और पिता दोनों से मिले हुए डी॰एन॰ए॰ का मिश्रण होता है। लेकिन मनुष्य के दो स्थान का डी॰एन॰ए॰ मिश्रित नहीं होता। पहला, स्त्री और पुरुषों दोनों में माइटोकांड्रिया का डी॰एन॰ए॰ केवल उनकी माता से आता है। दूसरा, केवल पुरुषों में उनके वाए गुण सूत्र (Y-क्रोमोज़ोम) का डी॰एन॰ए॰ केवल उनके पिता से आता है (स्त्रियों में वाए गुण सूत्र नहीं होता)। माइटोकांड्रिया और वाए गुण सूत्र के डी॰एन॰ए॰ में दसियों हज़ारों साल तक कोई बड़ा परिवर्तन नहीं होता और पूरी मनुष्य जाती का माइटोकांड्रिया और वाए गुण सूत्र के डी॰एन॰ए॰ के आधार पर पितृवंश समूहों में और मातृवंश समूहों में वर्गीकरण किया जा सकता है। अगर दो व्यक्तियों (स्त्री या पुरुष) का एक ही मातृवंश समूह है तो कहा जा सकता है के इन दोनों की माताएं हज़ारों साल पूर्व जीवित किसी एक ही महिला की संतति हैं। अगर किसी दो पुरुषों का एक ही पितृवंश समूह है तो कहा जा सकता है के इन दोनों के पिता हज़ारों साल पूर्व जीवित किसी एक ही पिता की संतति हैं। स्त्रियों का किसी पितृवंश समूह से सम्बन्ध नहीं होता क्योंकि स्त्रियों में वाए गुण सूत्र नहीं होता।
अन्य भाषाओँ में
अंग्रेज़ी में "वंश समूह" को "हैपलोग्रुप" (haplogroup), "पितृवंश समूह" को "वाए क्रोमोज़ोम हैपलोग्रुप" (Y-chromosome haplogroup) और "मातृवंश समूह" को "एम॰टी॰डी॰एन॰ए॰ हैपलोग्रुप" (mtDNA haplogroup) कहते हैं।